Salient points of speech : BJP National President Shri J.P. Nadda while paying tributes to Dr. Shyama Prasad Mookerjee on his Jayanti at BJP HQ, New Delhi.


द्वारा श्री जगत प्रकाश नड्डा -
06-07-2022

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और इस अवसर पर वृक्षारोपण किया

 

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक महान राष्ट्रभक्त, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रखर पुरोधा और महान शिक्षाविद् थे। आज पश्चिम बंगाल और पंजाब प्रांत भारत का अभिन्न अंग है तो इसका श्रेय श्रद्धेय डॉ मुखर्जी जी को ही जाता है।

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डॉ मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग बनाने के लिए लगातार संघर्षरत रहे और इसके लिए उन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। उनका यह सपना आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति और गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की कुशल रणनीति के बल पर साकार हुआ।

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डॉ मुखर्जी पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित प्रथम सरकार में उद्योग मंत्री थे। उन्होंने देश की पहली उद्योग नीति बनाई। उन्होंने ही खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की थी।

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डॉ मुखर्जी पंडित नेहरू की तुष्टिकरण और पाश्चात्य के अन्धान्धुन्ध अनुसरण से दुखी, चिंतित और व्यथित थे। इसलिए देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने के उद्देश्य से उन्होंनेभारतीय जन संघ' की स्थापना की।

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डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने नारा दिया था कि एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। इसी बात को लेकर उन्होंने सत्याग्रह किया और बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया।

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जम्मू-कश्मीर में प्रवेश करते हुए उन्हें 11 जून, 1953 को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। रहस्यमय परिस्थितियों में 23 जून, 1953 को उनका देहावसान हो गया। डॉ मुखर्जी की माता जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को पत्र लिखकर इसकी जांच कराने की मांग की थी लेकिन पंडित नेहरू ने इसे अनसुना कर दिया।

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डॉ मुखर्जी जी की पुण्यतिथि 23 जून से लेकर उनकी जन्मजयंती 6 जून तक, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देश भर में वृक्षारोपण कार्यक्रम करते हैं,  अस्पतालों में जाकर लोगों की सेवा करते हैं, गरीबों के घर जाकर उनसे मिलते हैं, उनकी समस्याएं दूर करते हैं तथा सामाजिक कार्य को आगे बढ़ाने का काम करते हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र को मजबूत करने के लिए समर्पित भाव से अविरल कार्य करते रहें।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी ने आज बुधवार को पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय मेंएक भारत, श्रेष्ठ भारत' के अग्रदूत एवं देश की एकता व अखंडता के लिए सदैव समर्पित रहने वाले कालजयी व्यक्तित्व डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और कार्यालय के बगल में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर पार्टी के महामंत्री श्री विनोद तावड़े, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता, पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रमुख व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संजय मयूख सहित कई वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारी उपस्थित थे।

 

इस अवसर पर मीडिया को संबोधित करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि डॉ मुखर्जी एक महान राष्ट्रभक्त, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रखर पुरोधा और महान शिक्षाविद् थे। वे इतने प्रतिभावान थे कि महज 33 वर्ष की आयु में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर बने। उनकी शिक्षा, उनके प्रखर ज्ञान एवं उनकी विद्वता का लोहा पूरी दुनिया मानती है। वे 1929 में पहली बार बंगाल विधान सभा के सदस्य बने। 1930 में वैचारिक मतभेद के कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 1940-41 में डॉ मुखर्जी बंगाल के वित्त मंत्री बने। आजादी के समय जब लगभग पूरे बंगाल और पंजाब के पाकिस्तान में जाने की बात हो रही थी, तब डॉ. मुखर्जी ने इस विषय को सबके सामने रखते हुए इसका प्रखर विरोध किया। उनके आंदोलन के कारण ही आज पश्चिम बंगाल और पंजाब प्रांत भारत का अभिन्न अंग है।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा डॉ मुखर्जी पंडित जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व में गठित प्रथम सरकार में उद्योग मंत्री थे। उन्होंने देश की पहली उद्योग नीति बनाई। उन्होंने ही खादी ग्रामोद्योग की स्थापना की थी। वे बहुत कम समय तक उद्योग मंत्री रहे लेकिन इस अल्प समय में ही उन्होंने देश की औद्योगिक नीति को एक नया आयाम दिया। जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि पंडित नेहरू की सरकार अपने पथ से भटक गई गई, तब उन्होंने नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। वे पंडित नेहरू की तुष्टिकरण और पाश्चात्य के अन्धान्धुन्ध अनुसरण से दुखी, चिंतित और व्यथित थे। इसलिए देश को एक वैकल्पिक विचारधारा देने के उद्देश्य से उन्होंनेभारतीय जन संघ' की स्थापना की।

 

श्री नड्डा ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को देश का अभिन्न अंग बनाने के लिए कटिबद्ध थे। उन्होंने नारा दिया था कि एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेगा, नहीं चलेगा। इसी बात को लेकर उन्होंने सत्याग्रह किया और बिना परमिट के जम्मू-कश्मीर में प्रवेश किया। बताते चलें कि उन दिनों जम्मू एवं कश्मीर में जाने के लिए परमिट लेना अनिवार्य होता था। जम्मू एवं कश्मीर में प्रवेश करते हुए डॉ मुखर्जी ने कहा था कि यह देश की धरती है। मैं यहां आने-जाने के लिए परमिट नहीं लूंगा। उन्हें 11 जून, 1953 को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया। रहस्यमय परिस्थितियों में 23 जून, 1953 को उनका देहावसान हो गया। इस घटना को लेकर डॉ मुखर्जी की माता जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को पत्र लिखकर इसकी जांच कराने की मांग की थी लेकिन पंडित नेहरू ने इसे अनसुना कर दिया।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी के करोड़ों कार्यकर्ता डॉ मुखर्जी से प्रेरणा लेकरएक देश में दो निशान, दो विधान नहीं चलेगाके नारे के साथ सालों-साल संघर्षरत रहे। केंद्र में जब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी, तब जाकर जम्मू-कश्मीर को देश का अभिन्न अंग बनाने का सपना साकार हुआ। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की दृढ़ इच्छाशक्ति और गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की कुशल रणनीति के बल पर जम्मू-कश्मीर से धारा 370 धाराशायी हुआ और सही अर्थों में हमारी मनीषी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी को सच्ची श्रद्धांजलि दी गई।

 

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को प्रेरणास्रोत बताते हुए श्री नड्डा ने कहा कि डॉ मुखर्जी जी की पुण्यतिथि 23 जून से लेकर उनकी जन्मजयंती 6 जून तक, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देश भर में वृक्षारोपण कार्यक्रम करते हैं,  अस्पतालों में जाकर लोगों की सेवा करते हैं, गरीबों के घर जाकर उनसे मिलते हैं, उनकी समस्याएं दूर करते हैं तथा सामाजिक कार्य को आगे बढ़ाने का काम करते हैं। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए राष्ट्र को मजबूत करने के लिए समर्पित भाव से अविरल कार्य करते रहें।

 

 

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