Salient points of speech of Hon'ble Prime Minister Shri Narendra Modi ji while unveiling the statue of Pt. Deendayal Upadhyay at Deendayal Upadhyay Park, New Delhi


द्वारा श्री नरेंद्र मोदी -
25-09-2023

 

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा दीनदयाल उपाध्याय पार्क, नई दिल्ली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 72 फ़ीट ऊँची भव्य प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

 

आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज मंगलवार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती के अवसर पर भाजपा के केंद्रीय कार्यालय के सामने दीनदयाल उपाध्याय पार्क में उनकी 72 फ़ीट ऊँची भव्य प्रतिमा का अनावरण किया और उनके जीवन से प्रेरणा लेने की सीख दी। कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी, केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी सहित पार्टी के तमाम वरिष्ठ पदाधिकारी, कई सांसद, विधायक एवं बड़ी संख्या में जनता एवं पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

 

आदरणीय प्रधानमंत्री जी के संबोधन के मुख्य बिंदु

 

       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन हम सभी को प्रेरणा देते हैं। गरीबों और हाशिये पर पड़े लोगों की अत्यंत करुणा के साथ सेवा करने का उनका संदेश हमारी मार्गदर्शक शक्ति है।

 

       यह कितना सुखद और अद्भुत संयोग है कि कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा इस पार्क में लगी है और पार्क के सामने ही भाजपा का कार्यालय है। पंडित दीनदयाल जी के रोपे हुए बीज से आज वह बटवृक्ष बन चुकी है। हमें देश में राजनीतिक शुचिता को हमेशा बनाए रखना है। मैं उनके चरणों में नमन करता हूं।

 

       मुझे हमेशा एक बात का गर्व होता है कि जिन पंडित दीनदयाल उपाध्‍यायजी के विचारों को लेकर हम जी रहे हैं, मेरे लिए उनके चरणों में बैठने का सौभाग्‍य मिलना अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है।

 

       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा हम सबके लिए ऊर्जा का स्रोत बनेगी, राष्ट्र प्रथम के कण की प्रतीक बनेगी, एकात्म मानव दर्शन की प्रेरणा बनेगी और अंत्योदय के संकल्प को याद दिलाएगी।

 

       केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार के नेतृत्व में संसद मेंनारी शक्ति वंदन अधिनियमपास हुआ है। दीनदयाल जी ने एकात्म मानववाद का, इंटीग्रल ह्यूमनिज्म का जो मंत्र राजनीति को दिया था, ये उसी विचार का विस्तार है। राजनीति में महिलाओं की उचित भागीदारी के बिना समावेशी समाज और डेमोक्रेटिक इंटिग्रिटी की बात नहीं कर सकते। नारी शक्ति वंदन अधिनियम का पास होना लोकतंत्र की जीत के साथ-साथ हमारी वैचारिक जीत भी है।

 

       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने हमेशा समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति की बात की थी। यही उनके अंत्योदय का संकल्प था।

 

       मैं आप सबसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के सात सूत्रों को जीवन में उतारने का आग्रह करता हूँ। ये सूत्र हैं - सेवा भाव, संतुलन, संयम, समन्वय, सकारात्मक, संवेदना और संवाद।

 

       आज मुझे जयपुर में धानक्या रेलवे स्टेशन जाने का सौभाग्य मिला। मैं सुबह उस पवित्र स्‍थान (जयपुर जिले के धानक्या गांव जहाँ पंडित दीनदयाल जी ने अपने बचपन के दिन बिताए थे) पर से आज सीधा यहां आया हूं और ये शाम मुझे दिल्‍ली में पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय पार्क में उनकी प्रतिमा का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। यह अद्भुत और सुखद है।

 

       जब भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में सत्ता में थी, तब हमने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का धानक्या गांव में स्मारक बनाया था। मैंने आज वहां कुछ समय बिताया था और मैं आप सभी से आग्रह करता हूं कि आप उस जगह जाने के लिए कुछ समय अवश्य निकालें।

 

       काशी के पास ही पंडित दीनदयाल जी ने जहां अंतिम सांस ली, वहां भी उनका स्मारक बना है। कभी-कभी लगता है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ था और मेरा जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ है।

 

       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी का परिवार समस्याओं से घिरा हुआ था। उनके मामा जी चाह रहे थे कि वो समाज कार्यों को छोड़कर वे घर वापस आ जाएं, कोई नौकरी ज्वाइन कर लें। तब पंडित दीनदयाल जी ने अपने मामा को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने लिखा था कि एक ओर भावना और मोह खींचते हैं तो दूसरी ओर प्राचीन ऋषियों और हुतात्माओं की आत्मा पुकारती है। उन्होंने व्यक्तिगत एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों की जगह राष्ट्र के प्रति कर्तव्य का मार्ग चुना, त्योदय और एकात्म मानववाद की राह को चुना।

 

       पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने मेशा समाज के अंतिम पायदान तक खड़े व्यक्ति की बात की थी। यही उनके अंत्योदय का संकल्प था। इस संकल्प के साथ चलते हुए हमने 9 वर्षों में गरीबों के उत्थान के लिए कदम उठाए हैं, ताकि उनके समग्र विकास का संकल्प पूरा हो सके।

 

       हमारी सरकार भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के दिखाए रास्ते पर काम कर रही है। शत-प्रतिशत अंत्योदय का अर्थ है भेदभाव, पक्षपात और तुष्टिकरण को समाप्त करना और सर्व स्पर्शी एवं सर्व समावेशी विकास करना। कल्याणकारी योजनाओं को बिना किसी भेदभाव के सभी लाभार्थियों तक पहुंचाने का हमारा सेवा अभियान ही सच्ची धर्मनिरपेक्षता है।

 

       सदियों तक देश मुश्किल हालातों से जूझ रहा था। आजादी के बाद भी नए विचारों को जमीन पर उतारने के लिए रास्ते कठिन थे। उस समय भी पंडित दीनदयाल जी ने अपना जीवन समाज कल्याण और राष्ट्र के पुनर्निर्माण के लिए न्योछावर कर दिया। मेरा मानना है कि अगर उनकी अचानक और रहस्यमय मृत्यु नहीं हुई होती तो भारत का भाग्य दशकों पहले बदलना शुरू हो जाता।

 

       जिस व्यक्ति के विचार आज भी प्रभावी हों, उनके जीवित रहते उनके विचारों का कितना गहरा असर पड़ता! आजादी के अमृतकाल में हम, उन्हीं के विचारों से देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। अब हमारी जिम्मेदारी है, कि हम भारत को उसका वह स्वर्णिम भविष्य दें,  जिसका सपना कभी पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने देखा था।

 

       हमारा ये सेवा अभियान, सामाजिक न्याय का बहुत बड़ा माध्यम है। दशकों तक हमारे यहां सार्वजनिक संसाधनों और समाज का उपयोग निजी स्वार्थ के लिए होता रहा लेकिन आज हमें चाहिए कि व्यक्तिगत संसाधनों का उपयोग भी इस तरह से करें कि उससे देश के विकास के रास्ते खुले। आज भारत आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को लेकर आगे बढ़ रहा है।

 

       आज अपने सामर्थ्य से भारत ने जब अपनी छवि को बदला है तो विदेशों में आम भारतीय को भी सम्मान की नजर से देखा जाता है। दुनिया चंद्रयान 3 की सफलता के बाद विदेशों में भारतीयों को बधाई दे रही है, जी-20 के सफल सम्मेलन का जिक्र किया जा रहा है और इसके लिए भारत ने अपने आपको बदला नहीं है बल्कि भारत की संस्कृति को ही दुनिया के सामने रखा है।

 

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