Political Affairs

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी ने सद्भाव, सहयोग व उत्थान का नया आयाम गढ़ा


18-07-2022

कुछ ही दिनों में हमारे गणतंत्र के लिए अगले राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो जाएगा। हम देख रहे हैं कि कैसे समग्र राष्ट्र ने इस सम्मानित पद के लिए श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी की मुक्त कंठ से सराहना की है। उनकी उम्मीदवारी ने समाज के विभिन्न वर्गों में परस्पर सद्भाव, सहयोग एवं उत्थान की दिशा में एक नया आयाम गढ़ा है। इस वर्ष जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, तब आदरणीया श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी ने हर भारतीय को इस मामले में गौरवान्वित किया है कि इस देश के सर्वोच्च पद पर विपरीत परिस्थितियों में भी अपने दम पर आगे बढ़ते हुए समाज के लिए आदर्श प्रस्तुत करने वाली एक महिला आसीन होंगी, जो आदिवासी समुदाय से हैं और जो देश की करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा का असीम स्रोत हैं। 

द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी कई अन्य कारणों से खास है। एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था में, जहां दशकों से वंशवाद और परिवारवाद की राजनीति तथा पूंजीपतियों का बोलबाला रहा है, श्रीमती मुर्मू की सार्वजनिक जीवन की यात्रा एक ताजा हवा के झोंके की तरह है, जो भारतीय जनतांत्रिक व्यवस्था में देशवासियों की आस्था को और सुदृढ़ करता है। उन्होंने ओडिशा के सुदूर आदिवासी इलाके रायरंगपुर में एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन की शुरूआत की थी। बाद में कनिष्ठ सहायक के रूप में उनकी राज्य सिंचाई विभाग में भर्ती हुई। उन्होंने पूरे मनोयोग से अपने पेशेवर कत्र्तव्यों का निर्वहन किया। उनके कार्यों से परिलक्षित होता था कि शुरू से जन-सेवा ही उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था।

जमीनी स्तर से शुरूआत करते हुए 1997 में उन्होंने निकाय चुनाव लड़ा और रायरंगपुर नगर पंचायत में पार्षद बनीं। तीन साल बाद, उन्होंने रायरंगपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक के रूप में वहां से 2 बार विजयी हुईं। उन्हें 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा 147 विधायकों में से सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने मंत्री के रूप में वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभाला। उनका कार्यकाल विकासोन्मुखी, निष्कलंक और भ्रष्टाचार मुक्त रहा।

2015 में उन्होंने झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में शपथ ली। वह किसी भी राज्य के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली ओडिशा की पहली आदिवासी और महिला नेता भी रही हैं। राज्यपाल के रूप में उनका 6 साल का कार्यकाल झारखंड के इतिहास में सबसे लंबा रहा। उन्होंने राजभवन को जन आकांक्षाओं का जीवंत केंद्र बनाया और राज्य के विकास को आगे बढ़ाने के लिए तत्कालीन सरकार के साथ मिलकर शानदार काम किया।

समय- समय पर अपूर्णीय व्यक्तिगत त्रासदियों ने उनके जन-सेवा के संकल्प को बाधित करने की चेष्टा की लेकिन दुखों के पहाड़ को झेलते हुए भी उन्होंने सार्वजनिक जीवन में आदर्श के उच्चतम मानदंडों को स्थापित किया। उन्होंने अपने पति और बच्चों को खो दिया लेकिन दुख के इन झंझावातों ने उन्हें और भी अधिक मेहनत करने और दूसरों के जीवन में दुख को कम करने के लिए प्रेरित किया। 

बड़े स्तर पर, उनकी उम्मीदवारी ‘न्यू इंडिया’ की भावना को समाहित करती है। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की सबसे निर्णायक विशेषता यह रही है कि जमीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने और दशकों से इस सत्ता पर काबिज कुछ लोगों के एकाधिकार को तोडऩे का हरसंभव प्रयास विगत 8 वर्षों में किया गया है। हमारी सरकार का निर्देशित सिद्धांत स्पष्ट है- जब हम गरीब कल्याण योजनाओं की शत-प्रतिशत कवरेज चाहते हैं, तो पक्षपात या वोट बैंक की राजनीति का कोई सवाल ही नहीं। 

वास्तव में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की कैबिनेट ने खुद 27 ओ.बी.सी., 12 एस.सी. और 8 एस.टी. समुदाय से आने वाले जनप्रतिनिधियों को सदन में ऐतिहासिक प्रतिनिधित्व दिया है, जो कुल मिलाकर कैबिनेट का 60 प्रतिशत से अधिक है। 2019 में भाजपा की ऐतिहासिक सफलता लोकसभा में सबसे अधिक महिला प्रतिनिधित्व के साथ आई। नरेन्द्र मोदी सरकार ने आॢथक रूप से पिछड़े लोगों के लिए भी आरक्षण सुनिश्चित किया। आज समाज में यह भाव जागृत हुआ है कि एक अत्यंत ही गरीब पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी सामाजिक-आॢथक परिस्थितियों से उत्पन्न सभी चुनौतियों को पार कर भारत का प्रधानमंत्री बन सकता है और देश को एक नई ऊंचाई तक ले कर जा सकता है। 

मोदी सरकार भारत रत्न  बाबा साहेब अम्बेडकर जी, पूज्य बापू महात्मा गांधी जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के बताए रास्ते पर ही आगे बढ़ रही है और ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के सिद्धांत के साथ समाज के सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम कर रही है। भाजपा राजनीतिक सत्ता को व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन और विकास की दौड़ में पिछड़ गए लोगों के उत्थान और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु साधन के रूप में देखती है। 

श्रीमती मुर्मू के चुनाव से जनमानस में यह भावना और प्रबल होगी। जैसा कि उल्लेख किया गया है, पहली आदिवासी राष्ट्रपति, पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति और पहली उडिय़ा राष्ट्रपति के रूप में उनका चुनाव समाज में चली आ रही कई बाधाओं को खत्म करेगा जिन्हें दशकों पहले ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था। राष्ट्रपति पद के लिए एन.डी.ए. के पिछले 2उम्मीदवारों, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम और श्री रामनाथ कोविंद ने इस देश को प्रेरणादायक और परिपक्व नेतृत्व प्रदान किया। 

उनके नेतृत्व ने विश्वपटल पर भारत को एक नए रूप में स्थापित किया। द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी ‘बेजुबानों को आवाज देने और इतिहास को फिर से लिखने’ की तैयारी है।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, मेरी हर राजनीतिक पार्टी और हर राजनीतिक नेता से, निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य से और प्रत्येक भारतीय से यही अपील है कि वे सभी राजनीतिक मतभेदों को भुला कर ऊपर उठें, अपनी अंतर्रात्मा की आवाज को सुनें और द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी का समर्थन करें। सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की हमारी अवधारणा को सदा-सदा के लिए प्रतिष्ठित करने हेतु यह हमारे इतिहास का सबसे गौरवशाली क्षण है और हमें इसे किसी भी कीमत पर चूकना नहीं चाहिए, क्योंकि यह ‘जनता के राष्ट्रपति’ का चुनाव है।

 

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