केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह द्वारा सिताब दियारा (बिहार) में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती के अवसर पर उनकी प्रतिमा के लोकार्पण कार्यक्रम में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
लोकनायक जयप्रकाश नारायण देश की आजादी के लिए क्रांति भी की, महात्मा गाँधी जी के बताये रास्ते पर भी लड़ाई लड़ी और आजादी के बाद एक सन्यासी की भांति सत्ता का परित्याग करते हुए आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय आंदोलन के साथ जुड़ कर जीवन भर भूमिहीनों, गरीबों, दलितों एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए लड़ते रहे।
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने समाजवाद, सर्वोदय की विचारधारा और जातिविहीन समाज की रचना की कल्पना की थी और इसके लिए जीवन पर्यंत काम किया। लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के ग्रामोत्थान, सहकारिता और सर्वोदय के सिद्धांत को आगे बढ़ाने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी सरकार कृतसंकल्पित हैं।
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विगत 8 वर्षों से आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी और आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय के सिद्धांत के अनुरूप ही अंत्योदय की अवधारणा पर गरीब कल्याण का अभियान शुरू किया है।
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जब मैं बहुत छोटा था, तब मैंने नारा सुना था - “अंधेरे में एक प्रकाश, जयप्रकाश जयप्रकाश।” उसी नारे पर गुजरात और बिहार के युवा एकत्रित होकर सत्ता परिवर्तन करने में सहायक हुए थे लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा भी दिया था जिसे भाजपा को छोड़ सभी राजनीतिक पार्टियों ने भुला दिया।
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संपूर्ण क्रांति के नारे को सफल बनाने का काम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है। विगत 8 वर्षों में देश के लगभग 60 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने, उनके लिए रोजगार के अवसर बनाने एवं उनके घरों से अंधियारे को हटा कर उजियारा करने का काम प्रधानमंत्री जी ने किया है।
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जब 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने बिहार में क्रांति का बिगुल बजाया था, वह गैर-राजनीतिक आंदोलन था। इसमें सभी विचारधाराओं के छात्र शामिल थे लेकिन कई ऐसे लोग भी हैं जो पूरा जीवन जेपी और लोहिया जी का नाम लेते रहे लेकिन आज वे सत्ता के लिए कांग्रेस की गोद में बैठे हुए हैं।
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लोकनायक ने जीवन भर सत्ता नहीं बल्कि सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन उनका नाम लेकर राजनीति करने वाले और सत्ता के लिए पांच-पांच बार पाला बदलने वाले लोग उसी कांग्रेस की गोद में बैठ कर बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं जिस कांग्रेस के खिलाफ लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने जीवन भर लड़ाई लड़ी थी।
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बिहार की जनता को यह तय करना है कि उन्हें लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के दिखाए हुए रास्ते पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार चाहिए या फिर लोकनायक के बताये रास्ते से भटक कर सत्ता के लिए लालायित गठजोड़ करने वाली सरकार?
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आपातकाल के दौरान लोकनायक जयप्रकाश जी को जेल में डाल दिया गया, यातनाएं दी गई। लेकिन जिस लोकनायक को 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो की क्रांति के दौरान हजारीबाग की जेल भी न रोक सकी, उस जयप्रकाश को इंदिरा गाँधी की यातनाएं भी कर्तव्य पथ से डिगा नहीं सकी।
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जब देश से आपातकाल का काला दौर ख़त्म हुआ तब लोकनायक ने पूरे विपक्ष को एक किया और इसका परिणाम यह हुआ कि देश में पहली बार एक गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ।
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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह जी ने आज सिताब दियारा (बिहार) में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती के अवसर पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के स्मारक का उद्घाटन किया एवं उनकी आदमकद प्रतिमा का अनावरण किया। इस अवसर पर आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए श्री शाह ने युवाओं से महान लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश के पुनर्निर्माण में सहयोग देने का आह्वान किया। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल जी, केंद्रीय मंत्री श्री नित्यानंद राय जी, श्री अश्वनी चौबे जी, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री राधामोहन सिंह जी, स्थानीय सांसद एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राजीव प्रताप रुडी जी, पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद श्री सुशील मोदी जी, जयप्रभा राष्ट्रीय स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष एवं सांसद श्री वीरेन्द्र मस्त जी, श्री नीरज शेखर जी सहित कई वरिष्ठ भाजपा नेता एवं यूपी सरकार के कई मंत्रीगण उपस्थित थे। कार्यक्रम स्थल पर विशाल जन-सैलाब उमड़ा था। लोग केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी को सुनने दूर-दूर से आये थे।
श्री शाह ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जन्म जयंती के दिन आज मुझे उनके जन्म स्थान पर आने और उनकी प्रतिमा का अनावरण करने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है। लोकनायक जी के कार्यों से समग्र राष्ट्र के युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने उनके जन्म स्थान पर उनकी आदमकद प्रतिमा और उनके नाम पर स्मारक बनाने का निर्णय लिया था जिसका संयोगवश उनकी जन्म जयंती के अवसर पर ही लोकार्पण हो रहा है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का संपूर्ण जीवन अनेक मायनों में विशिष्ट रहा है। वे देश की आजादी के लिए क्रांति के रास्ते पर भी लड़े, महात्मा गाँधी जी के बताये रास्ते से भी लड़े और आजादी के बाद जब सत्ता में भागीदारी का समय आया तो वे एक सन्यासी की भांति सत्ता का परित्याग करते हुए आचार्य विनोबा भावे जी के सर्वोदय आंदोलन के साथ जुड़ कर जीवन भर भूमिहीनों, गरीबों, दलितों एवं पिछड़ों के कल्याण के लिए लड़ते रहे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने समाजवाद, सर्वोदय की विचारधारा और जातिविहीन समाज की रचना की कल्पना की थी और इसके लिए जीवन पर्यंत काम किया।
श्री शाह ने कहा कि जब 70 के दशक में जब सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने भ्रष्टाचार की खुली लूट के लिए देश पर आपातकाल थोपा, तब लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने इसके खिलाफ बहुत बड़ा आंदोलन किया। 1973 में गुजरात में इंदिरा जी की अगुवाई में कांग्रेस की सरकार चल रही थी, चिमन भाई पटेल मुख्यमंत्री थे और बिहार में अब्दुल गफूर मुख्यमंत्री थे। तब केंद्र की इंदिरा गाँधी सरकार के संरक्षण में सार्वजनिक रूप से कांग्रेस सरकारें चंदा उगाहने का काम कर रही थी, तब इस भ्रष्टाचार के खिलाफ गुजरात के विद्यार्थियों ने आंदोलन किया और उस आंदोलन का नेतृत्व लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने किया था जिसके बल पर गुजरात में सत्ता परिवर्तन हुआ। उसके बाद बिहार में उनके नेतृत्व में आंदोलन शुरू हुआ। गाँधी मैदान में उनकी ऐतिहासिक रैली को देख कर तब इंदिरा गाँधी के पसीने छूट गए थे। जब जनता और अदालत, दोनों का निर्णय इंदिरा गाँधी के खिलाफ आया, तब इंदिरा गाँधी जी ने देश पर आपातकाल थोप दिया। लोकनायक जयप्रकाश जी को भी जेल में डाल दिया गया। उनके साथ ही विपक्ष के कई नेताओं को भी जबरन जेल में डाल दिया गया, उन्हें यातनाएं दी गई। सत्ता में बैठे लोगों को लगा कि यदि लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी जी सरीखे जनता की आवाज को बंद कर दिया जाएगा तो इससे उनके हौसले पस्त हो जायेंगे लेकिन जिस लोकनायक को 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो की क्रांति के दौरान हजारीबाग की जेल भी न रोक सकी, उस जयप्रकाश को इंदिरा गाँधी की यातनाएं भी कर्तव्य पथ से डिगा नहीं सकी। जब देश से आपातकाल का काला दौर ख़त्म हुआ तब लोकनायक ने पूरे विपक्ष को एक किया और इसका परिणाम यह हुआ कि देश में पहली बार एक गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ। पहली बार जेपी ने जन संघ को भी साथ में लिया और सत्ता से बाहर कर किस प्रकार परिवर्तन किया जा सकता है, उसका एक उत्कृष्ट उदाहरण उन्होंने प्रस्तुत किया।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज देश में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सरकार चल रही है। विगत 8 वर्षों से आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी और आचार्य विनोबा भावे के सर्वोदय के सिद्धांत के अनुरूप ही अंत्योदय की अवधारणा पर गरीब कल्याण का अभियान शुरू किया है। अब देश के लगभग 50 करोड़ से अधिक लोगों के पास आयुष्मान भारत का कार्ड है। लगभग 9 करोड़ गरीब महिलाओं को गैस का कनेक्शन मिला है, 11 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण हुआ, ढाई करोड़ से अधिक लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर घर मिला, हर गाँव - हर घर में बिजली पहुंची, हर गाँव को पक्के सड़क से जोड़ा गया और लगभग ढाई साल से देश के लगभग 80 करोड़ लोगों को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत मुफ्त राशन दिया जा रहा है।
श्री शाह ने कहा कि जब मैं बहुत छोटा था, तब मैंने नारा सुना था - “अंधेरे में एक प्रकाश, जयप्रकाश जयप्रकाश।” उसी नारे पर गुजरात और बिहार के युवा एकत्रित होकर सत्ता परिवर्तन करने में सहायक हुए थे लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा भी दिया था। संपूर्ण क्रांति के नारे को किसी भी कांग्रेसी ने सफल बनाने का यत्न नहीं किया। संपूर्ण क्रांति के नारे को सफल बनाने का काम देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है। विगत 8 वर्षों में देश के लगभग 60 करोड़ लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने, उनके लिए रोजगार के अवसर बनाने एवं उनके घरों से अंधियारे को हटा कर उजियारा करने का काम आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने किया है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जब 1974 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी ने बिहार में क्रांति का बिगुल बजाया था, वह गैर-राजनीतिक आंदोलन था। सभी विचारधाराओं के छात्र लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की अगुआई में एकत्रित हुए थे। यहाँ सुशील मोदी जी बैठे हैं, ये भी उसी आंदोलन के प्रोडक्ट हैं मगर इस आंदोलन के कई और लोग हैं जो पूरा जीवन जेपी और लोहिया जी का नाम लेते रहे लेकिन आज वे सत्ता के लिए कांग्रेस की गोद में बैठे हुए हैं। मैं आज बिहार की जनता से पूछना चाहता हूँ कि जो जेपी का नाम लेकर उनके आंदोलन से निकले और जो आज केवल और केवल सत्ता के लिए आज कांग्रेस की गोद में बैठे हुए हैं, क्या आप उससे सहमत हैं? यह लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी का बताया हुआ मार्ग नहीं है। लोकनायक ने जीवन भर सत्ता के लिए नहीं बल्कि सिद्धांतों के लिए लड़ाई लड़ी लेकिन उनका नाम लेकर राजनीति में आने वाले लोग, सत्ता के लिए पांच-पांच बार पाला बदलने वाले लोग बिहार का मुख्यमंत्री बने बैठे हैं। बिहार की जनता को यह तय करना है कि उन्हें लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के दिखाए हुए रास्ते पर आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार चाहिए या फिर लोकनायक के बताये रास्ते से भटक कर सत्ता के लिए लालायित गठजोड़ करने वाली सरकार?
श्री शाह ने कहा कि आने वाले दिनों में जेपी के सिद्धांतों युवा प्रेरणा लें, इसलिए उनका स्मारक बनाने का विचार आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लिया था। मैं वीरेन्द्र मस्त जी को बधाई और साधुवाद देना चाहता हूँ जिन्होंने स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष होने के नाते इस कार्य में दिन-रात लग कर इसे पूरा किया है। यहाँ पर एक बहुत बड़ा रिसर्च सेंटर बनने वाला है, फैकल्टी के रहने की सुविधाएं भी बनेगी और विद्यार्थियों के लिए भी रिसर्च की सुविधा होगी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के ग्रामोत्थान, सहकारिता और सर्वोदय के सिद्धांत को हम आगे बढ़ाने के लिए कृतसंकल्पित हैं। यदि हम लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के सिद्धांतों से प्रेरणा लेते हुए आगे बढ़ते रहें तो देश को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
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