अटल जी अब नहीं रहे। मन नहीं मानता। अटल जी, मेरी आंखों के सामने हैं, स्थिर हैं। जो हाथ मेरी पीठ पर धौल जमाते थे, जो स्नेह से, मुस्कराते हुए मुझे अंकवार में भर लेते थे, वे स्थिर हैं। अटल जी की ये स्थिरता मुझे झकझोर रही है, अस्थिर कर रही है।
अटल बिहारी वाजपेयी इस देश की राष्ट्रीयता के प्राणतत्व थे। भारत क्या है, अगर इसे एक पंक्ति में समझना हो तो अटल बिहारी वाजपेयी का नाम ही काफी है। वे लगभग आधी शताब्दी तक हमारी संसदीय प्रणाली के बेजोड़ नेता रहे। अपनी वक्तृत्व क्षमता से वे लोगों के दिलो में बसते थे।
अटल जी के निधन को तमाम लोग एक युग का अंत बता रहे है, लेकिन मेरे ख्याल से यह उस युग की निरंतरता ही है जिसके वह प्रवर्तक रहे | उनकी राजनितिक यात्रा की शुरुआत छात्र जीवन में भारत छोडो आन्दोलन में भाग लेने से हुई |
वर्तमान भारतीय राजनीति में सत्ता या विपक्ष में रहते हुये जन श्रद्धा का केन्द्र बने रहना उतना ही दुष्कर है जितना कि आज भी चांद पर पहुंचना। अटल बिहारी वाजपेयी 12 साल से बिस्तर पर रहे, पर कोई दिन ऐसा नहीं गया होगा जब उनकी चर्चाएं करोड़ो घरों में नित नहीं होती रही होंगी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को सब प्यार करते थे. यहां तक कि उन्हें अपने विरोधियों का भी स्नेह मिलता था. एक बार कांग्रेस के एक सांसद ने कहा था, "वाजपेयी देश के सबसे बेहतर कांग्रेसी हैं." धूर्त और नफरत फैलाने वाले हमारे राजनीतिज्ञों के बीच वे मानवता, ईमानदारी और सबको साथ लेकर चलने वाले राजनेता के प्रतीक थे.
अटल जी पर बहुत लोग बहुत कुछ कह रहे है, लेकिन किसी के लिए भी उनके जीवन से जुड़े सभी पहलुओ पर प्रकाश डालना संभव नहीं |