Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra


द्वारा श्री संबित पात्रा -
21-03-2023
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु

 

विदेशी धरती पर जाकर मीर जाफर की तरह काम करने वाले शहजादे राहुल गांधी से यह कोई निवेदन नहीं, बल्कि देश की आम जनता की ओर से भारतीय जनता पार्टी आदेश देती है कि वे अपने बयान के लिए माफी मांगें, क्योंकि उन्होंने हिन्दुस्तान को अपमानित और बदनाम करने का काम किया है

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दरअसल, कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है नहीं और कांग्रेस पार्टी शहजादे को नवाब बना नहीं सकती, तो शहजादे दूसरे देशों में जाकर विदेशी ताकतों से गुहार लगाते हैं कि मुझे नवाब बनना है, तुम मेरी मदद करो।

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राहुल गांधी लंदन मे कहते हैं कि भारत में लोकतंत्र हुआ करता था, लेकिन आज वहां अचानक लोकतंत्र खत्म हो गया है। तथाकथित लोकतंत्र के पहरेदार अमेरिका और ब्रिटेन चुप क्यों हैं? डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी के बयान का यही अर्थ है कि उन देशों को खुला निमंत्रण है कि भारत आकर वे यहां के आंतरिक मामलों में हस्ताक्षेप करें और राहुल गांधी को नेता बनाएं।

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कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर और राहुल गांधी में आखिर क्या अंतर है? मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान जाकर आह्वान करते हैं कि हमें मोदी को हटाना होगा, मोदी सरकार को गिराना होगा। आइए, पाकिस्तान और कांग्रेस पार्टी इसके लिए मिलकर काम करें।“

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देश ने यह भी देखा है कि सलमान खुर्शीद बतौर तत्कालीन विदेश मंत्री के रूप में चीन जाकर वहां की सरकार की वंदना करते हैं और भारत को कमतर आंकते हैं।

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आज राहुल गांधी लंदन जाकर विदेशी ताकतों को न्योता देते हैं कि आप आकर हमें बचाइए और राहुल गांधी को आगे बढ़ाइए।

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राहुल गांधी राजनीति स्तर को इतना अधिक गिरा दिया है कि लंदन में बैठकर भारतीय जांच एजेंसियां को “डीप स्टेट” कहते हैं. देश की किसी संवैधानिक संस्था पर ऐसी टिप्पणी क्या भारत के लोकतंत्र पर हमला नहीं है?

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भारतीय लोकतंत्र को संरक्षण देने वाले संस्थान मीडिया और ज्यूडिसियरी आदि पर आरोप लगते हुए राहुल गांधी कह रहे हैं कि ये संस्थान आज स्वतंत्र नहीं रह गए। जबकि कमिटेड ज्यूडिशियरी क्या होती थी, यह जानने के लिए राहुल गांधी को इंदिरा गांधी के कालखंड का इतिहास पढ़ना चाहिए, पता चलेगा कि कांग्रेस पार्टी ने ज्यूडिशियरी के साथ क्या किया था?

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राहुल गांधी बड़े जोश के के साथ 2019 में कह रहे थे कि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में माफी नहीं मांगेगे। किन्तु राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगते हुए कहा कि “मुझे अफसोस है।“ उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सिर्फ मौखिक मांगने से नहीं होगा बल्कि राहुल गांधी को एक एफिडेविट देकर लिखित माफी मांगनी होगी।

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राहुल गांधी भारतीय राजनीति के वैसे नेता हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर लिखित माफी मांगी थी कि मैंने झूठ बोला था। मैंने जनता के बीच में फरेब फैलाने की कोशिश की थी। जिस तरह राहुल गांधी ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी थी, वैसे ही अब राहुल गांधी को संसद में भी माफी मांगनी पड़ेगी।

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राहुल गांधी संसद में आएंगे तब ही बोलेंगे ना। राहुल गांधी की लोकसभा में उपस्थिति आम सांसदों की तुलना में बहुत ही कम है। राहुल गांधी की संसद में महज 52 प्रतिशत उपस्थिति है, जबकि देशभर के सांसदों की राष्ट्रीय उपस्थिति औसत 79 प्रतिशत है।

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राहुल गांधी केरल राज्य के वायनाड से सांसद बने हैं, उस केरल के सांसदों की संसद में औसत उपस्थिति  84 प्रतिशत है। राहुल गांधी अधिकांश  समय विदेश में रहते हैं और वे कहते हैं कि संसद में उनका माइक “आफ” कर दिया जाता है। सच्चाई यह है कि राहुल गांधी की संसद में “उपस्थिति ऑफ” है, ना कि संसद में उनका “माईक आफ” है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोंधित किया. कांग्रेस युवराज राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि विदेशी धरती पर जाकर मीर जाफर की तरह काम करने वाले शहजादे राहुल गांधी से यह कोई निवेदन नहीं, बल्कि देश की आम जनता की ओर से भारतीय जनता पार्टी आदेश देती है कि वे अपने बयान के लिए माफी मांगें, क्योंकि उन्होंने हिन्दुस्तान को अपमानित और बदनाम करने का काम किया है. हिन्दुस्तान की जनता ने विदेशी भूमि पर जाकर देश को अपमानित करने का अधिकार उन्हें नहीं दिया है।

 

दरअसल, कांग्रेस नेता राहुल गांधी वर्तमान राजनीति के मीर जाफर हैं. इतिहास के पन्नों में यह दर्ज है कि मीर जाफर ने नवाब बनने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी को देश में आमंत्रित कर अंग्रेजों को देश पर हुकूमत करने का अवसर दिया था। यही काम अब राहुल गांधी कर रहे हैं. डॉ पात्रा ने राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि राहुल गांधी ने ठीक वही किया है जो मीर जाफर ने किया था। आज शहजादा नवाब बनाना चाहते हैं। शहजादे ने नवाब बनने के लिए ईस्ट इंडिया कंपनी की मदद मांगी है कि “तुम मुझे नवाब बनाओ, मैं तुझे 24 परगना भेंट करूंगा।“ ज्ञात हो कि मीर जाफर ने ईस्ट इंडिया कंपनी को देश का एक टुकड़ा 24 परगना भेंट की थी। उसी 24 परगना के माध्यम से हिन्दुस्तान में अंग्रेजी हूकुमत की शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी वर्तमान राजनीति के मीर जाफर हैं। उनको देश से माफी मांगनी ही होगी और इसका कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

 

डॉ संबित पात्रा ने देश के लिए राहुल गांधी के बयान को अति गंभीर बताते हुए कहा कि दरअसल, कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र है नहीं और कांग्रेस पार्टी शहजादे को नवाब बना नहीं सकती, तो शहजादे दूसरे देशों में जाकर विदेशी ताकतों से गुहार लगाते हैं कि मुझे नवाब बनना है, तुम मेरी मदद करो। राहुल गांधी लंदन मे कहते हैं कि एक बहुत बड़े भूखंड पर लोकतंत्र हुआ करता था और आज वहां अचानक लोकतंत्र खत्म हो गया है। तथाकथित लोकतंत्र के पहरेदार अमेरिका और ब्रिटेन चुप क्यों हैं? डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी के बयान का यही अर्थ है कि उन देशों को खुला निमंत्रण है कि भारत आकर वे यहां के आंतरिक मामलों में हस्ताक्षेप करें और राहुल गांधी को नेता बनाएं।

 

कांग्रेस द्वारा भारत के खिलाफ निरंतर साजिश करने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रीय प्रवक्ता ने सवाल पूछा कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर और राहुल गांधी में आखिर क्या अंतर है? मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान जाकर आह्वान करते हैं कि हमें मोदी को हटाना होगा, मोदी सरकार को गिराना होगा। आइए, पाकिस्तान और कांग्रेस पार्टी इसके लिए मिलकर काम करें।“ देश ने यह भी देखा है कि सलमान खुर्शीद बतौर तत्कालीन विदेश मंत्री के रूप में चीन जाकर वहां की सरकार की वंदना करते हैं और भारत को कमतर आंकते हैं। आज राहुल गांधी लंदन जाकर विदेशी ताकतों को न्योता देते हैं कि आप आकर हमें बचाइए और राहुल गांधी को आगे बढ़ाइए।

 

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी राजनीति स्तर को इतना अधिक गिरा दिया है कि लंदन में बैठकर भारतीय जांच एजेंसियां को “डीप स्टेट” कहते हैं. देश की किसी संवैधानिक संस्था पर ऐसी टिप्पणी क्या भारत के लोकतंत्र पर हमला नहीं है? भारतीय लोकतंत्र को संरक्षण देने वाले संस्थान मीडिया और ज्यूडिसियरी आदि पर आरोप लगते हुए राहुल गांधी कह रहे हैं कि ये संस्थान आज स्वतंत्र नहीं रह गए। जबकि कमिटेड ज्यूडिशियरी क्या होती थी, यह जानने के लिए राहुल गांधी को इंदिरा गांधी के कालखंड का इतिहास पढ़ना चाहिए, पता चलेगा कि कांग्रेस पार्टी ने ज्यूडिशियरी के साथ क्या किया था?  

 

निरंतर देश विरोधी अभियान चलाने के लिए कांग्रेस और गांधी परिवार को कटघरे में खड़ा करते हुए डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी जी पहले भी देश के खिलाफ विदेशी भूमि पर बोल चुके हैं। राहुल गांधी ने जम्मू एवं कश्मीर मामले में भी देश के खिलाफ बोला था और पाकिस्तान ने राहुल गांधी के उस बयान को अपने डोजियर में प्रमुखता से रखते हुए भारत के खिलाफ यूनाईटेड नेशन में प्रस्तुत किया था। उस राहुल गांधी से और क्या उम्मीद कर सकते हैं?  

 

भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मानना है कि यह कोई स्वत: उठने वाला मुद्दा नहीं है, बल्कि कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार द्वारा देश के खिलाफ निरंतर चलायी जा रही साजिश है, क्योंकि कांग्रेस पार्टी द्वारा ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है। ऐसा भी नहीं है कि राहुल गांधी बगैर माफी मांगे निकल जाएंगे। माफी तो उन्हें मांगनी ही पड़ेगी। राहुल गांधी इस घटना से पहले भी माफी मांग चुके हैं, यह उनके लिए कोई नयी घटना नहीं है।

 

सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी द्वारा माफी मांगने की घटना का जिक्र करते हुए डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी बड़े जोश के के साथ 2019 में कह रहे थे कि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट में माफी नहीं मांगेगे। किन्तु राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगते हुए कहा कि “मुझे अफसोस है।“ उस वक्त सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सिर्फ मौखिक मांगने से नहीं होगा बल्कि राहुल गांधी को एक एफिडेविट देकर लिखित माफी मांगनी होगी। राहुल गांधी भारतीय राजनीति के वैसे नेता हैं, जो सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट देकर लिखित माफी मांगी थी कि मैंने झूठ बोला था। मैंने जनता के बीच में फरेब फैलाने की कोशिश की थी। जिस तरह राहुल गांधी ने 2019 में सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी थी, वैसे ही अब राहुल गांधी को संसद में भी माफी मांगनी पड़ेगी। 

 

राहुल गांधी द्वारा संसद में बोलने की स्वतंत्रता नहीं होने का आरोप लगाए जाने पर डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी संसद में आएंगे तब ही बोलेंगे ना। राहुल गांधी की लोकसभा में उपस्थिति आम सांसदों की तुलना में बहुत ही कम है। राहुल गांधी की संसद में महज 52 प्रतिशत उपस्थिति है, जबकि देशभर के सांसदों की राष्ट्रीय उपस्थिति औसत 79 प्रतिशत है। राहुल गांधी केरल राज्य के वायनाड से सांसद बने हैं, उस केरल के सांसदों की संसद में औसत उपस्थिति  84 प्रतिशत है। राहुल गांधी अधिकांश  समय विदेश में रहते हैं और वे कहते हैं कि संसद में उनका माइक “आफ” कर दिया जाता है। सच्चाई यह है कि राहुल गांधी की संसद में “उपस्थिति ऑफ” है, ना कि संसद में उनका “माईक आफ” है।

 

संसद में राहुल गांधी की भागीदारी पर सवालिया निशान लगाते हुए डॉ पात्रा ने कहा कि वाद विवाद लोकतंत्र की आत्मा होती है। वर्तमान लोकसभा में 2019 से राहुल गांधी ने महज 6 मुद्दों पर हुए वाद विवाद में हिस्सा लिया है जबकि राष्ट्रीय औसत 41 प्रतिशत है। केरल के सांसदों का लोकसभा में वादविवाद में भाग लेने का औसत 68.2 प्रतिशत है। वर्तमान लोकसभा में वर्ष 2019 से 2023 तक राहुल गांधी ने सदन में मात्र 92 सवाल पूछे हैं जबकि राष्ट्रीय औसत 163 है। केरल राज्य के सांसदों का औसत 216 हैं।

 

दिल्ली सरकार द्वारा बजट मामले पर उठाये गए सवाल पर प्रतिक्रिया

 

मीडिया के सवालों पर डॉ पात्रा ने कहा कि एक नौटंकी विदेश की धरती पर हो रही है और दूसरी नौटंकी दिल्ली में हो रही है। खुले मंच पर आम आदमी पार्टी का ड्रामा भी चल रहा है। बजट पेश करने से पहले केजरीवाल सरकार के मंत्रियों ने मीडिया को बजट के आंकड़े बताए हैं जो बजट पेश करने के नियमों के खिलाफ है।

 

मीडिया में आयी खबरों का हवाला देते हुए डॉ पात्रा ने कहा कि 9 मार्च 2023 को आम आदमी पार्टी द्वारा दिल्ली के उपराज्यपाल को बजट के लिए एक अनुशंसा पत्र भेजा गया। उप राज्यपाल ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उसमें तीन-चार ऑब्जरवेशन लिखे थे।

 

उप राज्यपाल का पहला ऑब्जरवेशन था कि दिल्ली के कैपिटल आउटले अर्थात दिल्ली में भविष्य के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने हेतु पूंजीगत व्यय 20 प्रतिशत है जबकि तेजी से विकास कर रहे राज्यो में 50 प्रतिशत है, क्या दिल्ली के कैपिटल आउटले को बढ़ाया जा सकता है?

 

दूसरा ऑब्जरवेशन था कि दिल्ली जल बोर्ड और डीटीसी को बार-बार सब्सिडी देना पड़ रहा है. क्या कानून के अनुसार जल बोर्ड एवं डीटीसी के लिए ऐसा काम किया जाए ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके।

 

मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, पिछले वर्ष विज्ञापन पर खर्च करने के लिए 270 करोड़ रुपए आवंटित की गयी थी, जिसे बढ़ाकर लगभग 550 करोड़ रुपए कर दिए गए।  केजरीवाल सरकार द्वारा जब विज्ञापन पर 270 करोड़ रुपए खर्च किये, तब कोर्ट ने भी सवाल पूछे थे और उसे रिकवर करने का निर्देष दिया था।

 

स्वभाविक रूप से उप राज्यपाल ने तीसरा ऑब्जरवेशन में पूछा कि क्या विज्ञापन पर इतनी राशि  खर्च करना उचित होगा?  इस राशि को जनहित के कार्यो में खर्च की जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

 

उप राज्यपाल का चौथा ऑब्जरवेशन है कि विधायकों के बंगले के रिनोवेशन और नई गाड़ी पर इतनी राशि खर्च करने के बदले आधारभूत संरचना को विकसित करना ज्यादा अच्छा रहेगा, इस पर चिंतन करना चाहिए।

 

डॉ पात्रा ने तंज कसते हुए कहा कि यह वही आम आदमी पार्टी है जब शपथ ग्रहण समारोह में ऑटो रिक्शा पर लटकर आए थे, कोई आगे लटका था तो कोई पीछे। अरविंद केजरीवाल उस वक्त सरकारी गाड़ी और सरकारी बंगला नहीं लेने की घोषणा की थी। 

 

उप राज्यपाल ने एक वाजिब सवाल पूछा है कि दिल्ली सरकार केन्द्रीय योजनाओं को लागू क्यों नहीं करती है जबकि केन्द्रीय योजनाओं को लागू करने के लिए दिल्ली सरकार को राज्य अनुदान की राशि भी नहीं देनी पड़ती, क्योंकि दिल्ली एक संघ शासित प्रदेश है।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दिल्ली सरकार के बजट पास होने की प्रक्रिया की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि दिल्ली सरकार का बजट पास होने के पहले केन्द्रीय गृहमंत्रालय के पास भेजा जाता है ताकि उस बजट पर देश के राष्ट्रपति की अनुशंसा प्राप्त हो सके। केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी को पत्र लिखकर पूछा था कि इसमें उप राज्यपाल के तीन-चार ऑब्जरवेशन हैं, उस ऑब्जरवेशन को लागू करने की अनिवार्यता नहीं है, किन्तु उस ऑब्जरवेशन पर दिल्ली सरकार अपना मन्तव्य दे, तो बेहतर होगा।

 

डॉ पात्रा ने कहा कि केन्द्रीय गृहमंत्रालय द्वारा भेजा गया पत्र अरविंद केजरीवाल को 17 मार्च 2023 को मिला। अरविंद केजरीवाल जी 17 मार्च से लेकर 20 मार्च तक उस पत्र को दबाकर बैठे रहे। 20 मार्च को 9.30 बजे रात्रि मे केन्द्रीय गृहमंत्रालय के पत्र के जवाब में उन्होंने एक पत्र भेजा और 10 बजे रात्रि में दिल्ली के उप राज्यपाल उस पर हस्ताक्षर कर दिए।

 

दिल्ली के राज्यपाल जो भी सुझाव देते हैं, दिल्ली सरकार को उसे लागू करने की कोई अनिवार्यता नहीं है। यही लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र में सर्वोपरी जनता है।

 

जनता सवाल पूछेगी कि इतनी बड़ी राशि विज्ञापन पर खर्च कर रहे हैं तो क्या खर्च करना चाहिए या नहीं? आयुष्मान भारत की राशि केन्द्र सरकार से मिल रही है तो उसे क्यों नहीं लागू करते हैं? गरीबों को दोगुणा फायादा मिलेगा। किन्तु अरविंद केजरीवाल जी का एक ही उद्देश्य है ड्रामा, ड्रामा और ड्रामा। उनका उद्देश्य दिल्ली का विकास और बजट पेश करना नहीं है बल्कि ड्रामा करना है।

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