भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुन्धंशु त्रिवेदी ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्त में आम आदमी पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रिनोवेशन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह केजरीवाल के “राजयोग” का “राजरोग” है, जिसमें सीधे तौर पर “भ्रष्टाचार का मामला” बनता है.
डॉ त्रिवेदी ने अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि आजकल चर्चा का केन्द्र बिन्दु बने, राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त किए, भारत की सबसे नई नवेली, अजब-अलबेली और अब एक पहेली बनी एक पार्टी की राजकीय करामात सबके सामने है। यह वह पार्टी है जो दावा किया करती थी कि उनकी पार्टी ने सत्ता में आने का रास्ता अन्य राजनीतिक पार्टियों की तुलना में कहीं जल्द तय किया। अपनी पार्टी की स्थापना के चंद महिनों अथवा चंद हफ्तों में ही केजरीवाल जी को सत्ता भोग का मौका मिला, परन्तु एक कहावत है, ‘राजयोग’ जब आता है, तो अक्सर उसके साथ ‘राजरोग’ भी आता है।
आम आदमी पार्टी के संदर्भ में, यह ‘राजरोग’ इतनी जल्दी और इतनी संक्रामक हो जाएगी, यह दिल्ली और देश की जनता की समझ से बाहर है। आज वह राजरोग उनकी सरकार, सरकार के विभागों, पार्टी और संगठन से होता हुआ उनके राजकीय घर के अंदर तक पहुंच चुका है।
‘नई राजनीति’ के स्वघोषित अग्रदूत केजरीवाल जी आज भारतीय राजनीति के सबसे बड़े सवाल बने हुए हैं। वे एक मामले में बधाई के पात्र भी हैं कि इतने कम कालखंड में उन्होंने वो स्तर प्राप्त कर लिया है, जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक भ्रष्टाचार के आरोपी, भिन्न भिन्न पार्टियों के नेताओं के बड़े बड़े घरों के बारे में सुनते थे। केजरीवाल जी राजनीति में आने से पहले जिन नेताओं के बारे में कसमें खाते थे, आज ऐसा लगता है कि अब वो ‘रफ्ता रफ्ता उनकी हस्ती के साया हो गए। उन राजनीतिक दलों के नेता अब यही कहते होंगे कि हां, भाई! अब आप भी हमारी लीग में शामिल हो गए हैं।
पर गंभीर बात यह है कि आज पूरी दिल्ली स्तब्ध है क्योंकि यह वही पार्टी है, जो कॉमनवेल्थ घोटाले के समय कहा करती थी कि 200 रुपये में चेयर मिलती थी, जो 8,000 रुपये में खरीदी गयी। यानी 40 गुना ज्यादा में एक कुर्सी खरीदी गयी। आज उन्हीं केजरीवाल जी के आवास के लिए 2,000 रुपये में मिलने वाली कालीन 20 लाख रुपये में खरीदी गयी, यानी1,000 गुना ज्यादा कीमत में।
दूसरी टेक्नीकल बात यह है कि दिल्ली जनरल फाइनेंशियल रुल, 2019 के तहत किसी मद में, 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक के खर्च होने पर वह फाइल एलजी के पास जाएगी और 10 करोड़ रुपये से कम खर्च करने का अधिकार विभाग प्रमुख के पास रहेगा।
इक बंगला बने न्यारा के लिए 9-9 करोड़ रुपये से ऊपर के कई एक्सपेंडिचर हुए हैं, जो अलग अलग मदों में किए गए। 1 सितंबर 2020 को 8 करोड़ रुपये, 22 जनवरी 2021 को 9.09 करोड़ रुपये, 29 जून 2022 को 9.34 करोड़ रुपये का परिव्यय किया गया। यहां तक की कारीगरी समझ में तो आती है, लेकिन इसमें एक एक्सपेंडिचर 9.99 करोड़ रूप्ए का है, जो फॉर द चीफ मिनिस्टर ऑफिस एज रेजिडेंस के नाम से दिखाया गया है।
भारतीय जनता पार्टी अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछना चाहती है कि 9 करोड़ 99 लाख रुपये का इतना सटीक कैलकुलेशन करने की क्षमता कहां से हासिल हुई कि आप सीधे उस बार्डर लाइन पर रहे, जहां पर शायद टेंडर की जरूरत न पड़े और अपने मन मुताबिक काम कर सके।
मजेदार बात यह है कि अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के रिनोवेशन के लिए एक कन्सल्टेंट भी नियुक्त किया गया, जिसे एक करोड़ रुपये दिए गए। अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि वह कन्सल्टेंट कौन हैं? क्या वह आम आदमी पार्टी का ही कोई अपना व्यक्ति तो नहीं है? खास बात यह है कि उस कन्सल्टेंट ने बड़ी दक्षता का प्रमाण देते हुए 9 करोड़ 99 लाख रुपये का बजट दिया है। यह साफ तौर से आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के मुखौटे को बेनकाब करता है।
यह वही पार्टी है जो 20 हजार रुपये की चाय पिलाया करती थी। 20 हजार रुपये की ही क्यों चाय पिलाया करती थी। इसका कारण था कि उस समय नियम था कि कोई व्यक्ति या संगठन किसी पार्टी को 20 हजार रुपये तक का नगद चंदा देती है, तो उसे अपना नाम और पता बताने की जरुरत नहीं है। इसलिए आम आदमी पार्टी 20 हजार रुपये की चाय तो पिलाते थे, लेकिन खाना नहीं खिलाते थे क्योंकि खाने का ब्यौरा देना कठिन होता। आम आदमी पार्टी का यह चरित्र तब भी था, आज भी है।
ज्ञात हो कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए इस नियम के तहत 20 हजार रुपये की सीमा को घटाकर दो हजार रुपये कर दिया गया।
तीसरी महत्वपूर्ण बात है कि केजरीवाल जी की पार्टी ने अपनी सफाई में कहा कि यह रिनोवेशन पीडब्ल्यूडी ने किया है। लेकिन पीडब्ल्यूडी की गाइड लाइन के तहत वूडेन फ्लोरिंग या भारत में उपलब्ध मार्बल से ही फ्लोरिंग होती है। भारतीय जनता पार्टी ने अरविंद केजरीवाल से सवाल पूछना चाहती है कि दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी के उस गाईड लाइन को रेखांकित करके बताया जाए कि इम्पोर्टेड सुपर मार्बल लगाने का अधिकार किस नियम के तहत आता है और यह भी कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से बगैर अनुमति लिए विदेश से मार्बल मंगाकर लगाए गए?
उपरोक्त तीनों बिन्दुओं के संबंध में अरविंद केजरीवाल को जवाब देना होगा।
किस्सों में कहा जाता है कि नवाब साहेब का महल बनेगा, तो छोटे-मोटे काम करने वाले लोग भी लखपति हो जाएंगे। आज तो लगता है कि एक करोड़ का पर्दा है, करोड़ों की टाईल्स हैं, लाखों के पंखें लगे, तो टाईल्स और पर्दे लगाने वाले भी करोड़पति हो गए और पंखें लगाने वाले लखपति हो गए। मान्यवर! आपको कौन सी हवा लगी कि आपको लाखों रुपये वाली पंखें की हवा चाहिए थी? और एक करोड़ रुपये वाला वह कौन सा पर्दा है जिसके जरिये केजरीवाल जी कुछ छुपाना चाहते हैं? ये सारी जानकारी आज जनता को मिलनी चाहिए।
दिल्ली की जनता ने केजरीवाल द्वारा किए गए दावों को लेकर एक विश्वास किया। आज दिल्ली की जनता अपने आपको छला और ठगा हुआ महसूस कर रही है। इतने कम कालखंड में, किसी पार्टी ने, जिस प्रदेश से चुनकर आए हों, उस जनता के विश्वास पर इतना बड़ा अघात कभी नहीं किया होगा। अब केजरीवाल जी का कमिटेमेंट, टोपी और मफलर सब उतर गया है और उसके साथ साथ उनका मुखौटा भी उतर गया है।
केजरीवाल जी के घर को लेकर जिस तरह से उनकी हकीकत उजागर हुई है, उस पर एक ही पंक्ति याद आती है:
अब जो चेहरे जाहिर है छुपाएं कैसे
‘’आप’’ की मर्जी के मुताबिक नजर आएं कैसे
घर सजाने का तसव्वुर हुआ अब बाद की बात
अब तो मुश्किल है घर की हकीकत को छुपाएं कैसे।
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