Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Shri Rajyavardhan Singh Rathore


द्वारा श्री राज्यवर्धन सिंह राठौर -
10-03-2023
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौर की प्रेसवार्ता के मुख्यबिंदु

 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दावा करते हैं कि उन्होंने जनता की भलाई के लिए जो कार्य किए हैं, उसी की बदौलत राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी। लेकिन इसके विपरीत जयपुर में पुलवामा हमले के तीन शहीदों की वीरांगनाओं को छोटी छोटी मांगों को लेकर धरना देना पड़ रहा है।

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देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को फोन कर आग्रह किया है कि उन वीरांगनाओं से मिल लीजिए, किन्तु अशोक गहलोत जी उनसे मिलने को तैयार नहीं हैं, ऐसा क्यों? यह आँखों की शर्म ही है जिसकी वजह से अशोक गहलोत जी वीरांगनाओं से मिलने से कतरा रहे हैं.

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आखिर कौन सी ऐसी बातें हैं या कौन सा डर सता रहा है जिससे राजस्थान के मुख्यमंत्री शहीदों की वीरांगनाओं एवं बलिदानी परिवारों से मिलने से भाग रहे हैं। वीरांगनाएं अपना अधिकार मांग रही है, लेकिन उन पर लाठियां बरसायी जा रही हैं, यातनाएं दी जा रही हैं।

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राजस्थान में जिस तरह से वीरांगनाओं का अपमान हो रहा है, वह कांग्रेस पार्टी की मानसिकता दिखाती है. कांग्रेस ने हमेशा भारतीय सेना के ऊपर प्रश्न उठाया है. पुलवामा की घटना के बाद बड़ी बड़ी घोषणाएं प्रदेश सरकार द्वारा की गईं, लेकिन अब वे इससे पीछे हट रहे हैं.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो इन वीरांगनाओं से मिलना तक नहीं चाह रहे हैं. शहीदों के परिवारजनों पर लाठीचार्ज किया जा रहा है और वीरांगनाओं को रात के तीन बजे उठकर थाना ले जाया गया. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अशोक गहलोत उन शहीद की वीरांगनाओं से मिलने के लिए भी तैयार नहीं है।

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अशोक गहलोत जी को पांच हजार करोड़ रुपये के नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गाँधी और दिल्ली का चक्कर लगाने के समय तो मिल जाता है, लेकिन उन्हें जयपुर में ही इन वीरांगनाओं से मिलने का समय नहीं मिल पा रहा.

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जब पुलवामा हमले में शहीद हुए रोहतास लांबा की अंत्येष्टि हो रही थी, उस समय अशोक गहलोत सरकार द्वारा वहां भेजे गए मंत्री द्वारा शहीदों के परिवारों से वादे किये थे परिवार जिसे कहेगा उसे नौकरी दी जाएगी. लेकिन अशोक गहलोत अब इस वादे से मुकर रहे हैं.

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शहीद रोहिताश लांबा के छोटे भाई को अनुकंपा नियुक्ति, गांव में 25 किलोमीटर सड़क बनाने और शहीद स्मारक स्थल बनाने की घोषणा सरकार की ओर से की गई थी। लेकिन राज्य सरकार की यह घोषणा आज तक भी पूरी नहीं हुई.

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शहीद जीत राम गुर्जर के नाम पर भरतपुर के राजकीय कॉलेज का नाम रखने, भाई विक्रम सिंह को अनुकंपा नियुक्ति देने तथा शहीद स्मारक बनाने की घोषणा भी पूरी नहीं की गई।

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सांगोद के अदालत चौराहे पर शहीद हेमराज मीणा की प्रतिमा लगाने, शहीद के गांव से ढाणी तक सड़क बनाने, गांव का स्कूल क्रमोन्नत करने की मांग को भी पूरा नहीं किया गया, जबकि ऐसी सभी घोषणाएं शहीद के अंतिम संस्कार के समय सरकार की ओर से की गई थी.

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देश के अंदर एक ऐसा परिवार भी है, जिनके नाम पर 400 से अधिक योजनाएं शुरु कि गईं, लेकिन एक बलिदानी की मूर्ति तीसरी बार नहीं लग सकती है। क्या 400 से अधिक योजनाओं के नाम एक ही परिवार के नाम पर होना जायज है ? क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गए मंत्री वहां पर शहीदों के परिवारों से झूठे वादे कर रह थे?

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यदि मुख्यमंत्री के सलाह पर कोई मंत्री जाकर वादा करता है तो उन वादों को पूरा किया जाना चाहिए। यदि पुलवामा हमले के शहीदों की  वीरांगनाओं के लिए प्रदेश सरकार द्वारा विशेष पैकेज के वादे हुए हैं, तो उसके लिए संबंधित कानून में बदलाव करना चाहिए, लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

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2018 के अपने चुनावी घोषणा पत्र की तरह है राजस्थान की गहलोत सरकार ने  शहीदों की पत्नियों से किए वादे को पूरा नहीं कर रही है,  जो साबित करती है कि यह वादख़िलाफी सरकार है.

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अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान की जनता से वादे किये थे कि लाखो लोगों को बेरोजगारी भत्ता मिलेगी, किन्तु आज तक बेरोजगारों को भत्ता नहीं दिया गया।

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बेरोजगारी भत्ता तो दूर की बात, मेहनत कर नौकरी पाने वाले युवा जो नौकरी पाना चाहते हैं, उनकी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कर दिए गए। अशोक गहलोत के शासन में भर्ती परीक्षा के 16 पेपर लीक हो चुके हैं।

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भ्रष्टाचार का आलम यह कि पेपर लीक मामले में गहलोत सरकार सीबीआई जांच से भाग रही है। यह हास्यास्पद है कि प्रदेश सरकार ने पेपर लीक मामले की जांच की जिम्मेदारी राजीव गांधी स्टडी सेंटर को सौंपी है। इन्हें पता है कि सीबीआई की जांच होगी तो उपर से लेकर नीचे तक पेपर लीक करने वाले सभी दोषियों के नाम उजागर हो जाएंगे।

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कांग्रेस ने एक से दस तक गिनती कर सभी का ऋण माफ करने के वादे किए थे, किन्तु आज तक ऋण माफ नहीं किए गए।

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प्रदेश सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति ने हर सीमा पार कर दी है। हिन्दू पर्व त्योहारों में धारा 144 लगा दी जाती है, किन्तु विशेष धर्म के पर्व-त्योहारों पर खास इंतजाम किए जाते हैं, भले ही वे उपद्रवी हों। पीएफआई जब जुलूस निकालती है, तो उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाती है। उनके लिए विशेष तौर पर बिजली उपलब्ध करायी जाती है।

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हिंदुओं के पर्व त्योहारों पर पाबंदी लगायी जाती है, डीजे बंद कर दिया जाता है। होली मनाने पर पाबंदियां लगायी जाती है पाठ पढ़ाए जाते हैं कि होली कैसे मनाई जानी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री की रोजा इफ्तार पार्टी में छबड़ा हिंसा के मुख्य आरोपी आसिफ हसाड़ी को आमंत्रित किया जाता है.

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आज राजस्थान में सबसे ज्यादा बलात्कार के केस हैं, लेकिन पेयजल आपूर्ति के मामले में यह पूरे देश में सबसे अंतिम पंक्ति में है, जबकि केंद्र सरकार द्वारा इस मद में 27 हजार करोड़ रुपये राजस्थान सरकार को दिए जा चुके हैं, जिसमें खर्च मात्र 5 हजार करोड़ रुपये ही हो पाए हैं.

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया. उन्होंने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार द्वारा पुलवामा शहीदों की वीरांगनाओं से किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर ये वीरांगनाएं ऐसी क्या मांग कर रही हैं? आखिर कौन सी ऐसी बातें हैं या कौन सा डर सता रहा है जिससे राजस्थान के मुख्यमंत्री शहीदों की वीरांगनाओं एवं बलिदानी परिवारों से मिलने से भाग रहे हैं। वीरांगनाएं अपना अधिकार मांग रही है, लेकिन उन पर लाठियां बरसायी जा रही हैं, यातनाएं दी जा रही हैं।

 

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दावा करते हैं कि उन्होंने जनता की भलाई के लिए जो कार्य किए हैं, उसी की बदौलत राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी। लेकिन इसके विपरीत जयपुर में पुलवामा हमले के तीन शहीदों की वीरांगनाओं को छोटी छोटी मांगों को लेकर धरना देना पड़ रहा है। अशोक गहलोत जी को पांच हजार करोड़ रुपये के नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गाँधी और दिल्ली का चक्कर लगाने के समय तो मिल जाता है, लेकिन उन्हें जयपुर में ही इन वीरांगनाओं से मिलने का समय नहीं मिल पा रहा.

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राजस्थान में जिस तरह से वीरांगनाओं का अपमान हो रहा है, वह कांग्रेस पार्टी की मानसिकता दिखाती है. कांग्रेस ने हमेशा भारतीय सेना के ऊपर प्रश्न उठाया है. पुलवामा की घटना के बाद बड़ी बड़ी घोषणाएं प्रदेश सरकार द्वारा की गईं, लेकिन अब वे इससे पीछे हट रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो इन वीरांगनाओं से मिलना तक नहीं चाह रहे हैं. शहीदों के परिवारजनों पर लाठीचार्ज किया जा रहा है और वीरांगनाओं को रात के तीन बजे उठकर थाना ले जाया गया. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि अशोक गहलोत उन शहीद की वीरांगनाओं से मिलने के लिए भी तैयार नहीं है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को फोन कर आग्रह किया है कि उन वीरांगनाओं से मिल लीजिए, किन्तु अशोक गहलोत जी उनसे मिलने को तैयार नहीं हैं, ऐसा क्यों? धरना स्थल पर एक वीरांगना की तबीयत खराब होने पर वहां एम्बुलेंस तो पहुंचती है, किन्तु उसमें एक भी डाक्टर नहीं होता है, सिर्फ नर्स होती हैं। दरअसल, वीरांगनाओं को धरना स्थल से हटाने के लिए एम्बुलेंस का इस्तेमाल हो रहा है जिसका उद्देश्य है उन्हें अस्पताल पहुंचाना।

 

एक विडियो का जिक्र करते हुए  राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि जब पुलवामा हमले में शहीद हुए रोहतास लांबा की अंत्येष्टि हो रही थी, उस समय अशोक गहलोत सरकार द्वारा वहां भेजे गए मंत्री द्वारा शहीदों के परिवारों से वादे किये थे परिवार जिसे कहेगा उसे नौकरी दी जाएगी. लेकिन अशोक गहलोत अब इस वादे से मुकर रहे हैं. शहीद रोहिताश लांबा के छोटे भाई को अनुकंपा नियुक्ति, गांव में 25 किलोमीटर सड़क बनाने और शहीद स्मारक स्थल बनाने की घोषणा सरकार की ओर से की गई थी। लेकिन राज्य सरकार की यह घोषणा आज तक भी पूरी नहीं हुई. शहीद जीत राम गुर्जर के नाम पर भरतपुर के राजकीय कॉलेज का नाम रखने, भाई विक्रम सिंह को अनुकंपा नियुक्ति देने तथा शहीद स्मारक बनाने की घोषणा भी पूरी नहीं की गई। सांगोद के अदालत चौराहे पर शहीद हेमराज मीणा की प्रतिमा लगाने, शहीद के गांव से ढाणी तक सड़क बनाने, गांव का स्कूल क्रमोन्नत करने की मांग को भी पूरा नहीं किया गया, जबकि ऐसी सभी घोषणाएं शहीद के अंतिम संस्कार के समय सरकार की ओर से की गई थी.

 

श्री राठोड़ ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि देश के अंदर एक ऐसा परिवार भी है, जिनके नाम पर 400 से अधिक योजनाएं शुरु कि गईं, लेकिन एक बलिदानी की मूर्ति तीसरी बार नहीं लग सकती है। क्या 400 से अधिक योजनाओं के नाम एक ही परिवार के नाम पर होना जायज है ? क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा भेजे गए मंत्री वहां पर शहीदों के परिवारों से झूठे वादे कर रह थे?

 

कांग्रेस पार्टी झूठी पाटी है जिसकी आदत है झूठे वादे करना। एक के बाद एक सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं। पुलवामा हमले के शहीदों की  वीरांगनाओं से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने झूठे वादे किए। यदि मुख्यमंत्री के सलाह पर कोई मंत्री जाकर वादा करता है तो उन वादों को पूरा किया जाना चाहिए। यदि पुलवामा हमले के शहीदों की  वीरांगनाओं के लिए प्रदेश सरकार द्वारा विशेष पैकेज के वादे हुए हैं, तो उसके लिए संबंधित कानून में बदलाव करना चाहिए, लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया।

 

2018 के अपने चुनावी घोषणा पत्र की तरह है राजस्थान की गहलोत सरकार ने  शहीदों की पत्नियों से किए वादे को पूरा नहीं कर रही है,  जो साबित करती है कि यह वादख़िलाफी सरकार है. अशोक गहलोत सरकार ने राजस्थान की जनता से वादे किये थे कि लाखो लोगों को बेरोजगारी भत्ता मिलेगी, किन्तु आज तक बेरोजगारों को भत्ता नहीं दिया गया।  बेरोजगारी भत्ता तो दूर की बात, मेहनत कर नौकरी पाने वाले युवा जो नौकरी पाना चाहते हैं, उनकी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक कर दिए गए। अशोक गहलोत के शासन में भर्ती परीक्षा के 16 पेपर लीक हो चुके हैं। भ्रष्टाचार का आलम यह कि पेपर लीक मामले में गहलोत सरकार सीबीआई जांच से भाग रही है। यह हास्यास्पद है कि प्रदेश सरकार ने पेपर लीक मामले की जांच की जिम्मेदारी राजीव गांधी स्टडी सेंटर को सौंपी है। इन्हें पता है कि सीबीआई की जांच होगी तो उपर से लेकर नीचे तक पेपर लीक करने वाले सभी दोषियों के नाम उजागर हो जाएंगे। कांग्रेस ने एक से दस तक गिनती कर सभी का ऋण माफ करने के वादे किए थे, किन्तु आज तक ऋण माफ नहीं किए गए।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की तुष्टीकरण की राजनीति ने हर सीमा पार कर दी है। हिन्दू पर्व त्योहारों में धारा 144 लगा दी जाती है, किन्तु विशेष धर्म के पर्व-त्योहारों पर खास इंतजाम किए जाते हैं, भले ही वे उपद्रवी हों। पीएफआई जब जुलूस निकालती है, तो उन्हें पुलिस सुरक्षा दी जाती है। उनके लिए विशेष तौर पर बिजली उपलब्ध करायी जाती है। हिंदुओं के पर्व त्योहारों पर पाबंदी लगायी जाती है, डीजे बंद कर दिया जाता है। होली मनाने पर पाबंदियां लगायी जाती है पाठ पढ़ाए जाते हैं कि होली कैसे मनाई जानी चाहिए, लेकिन मुख्यमंत्री की रोजा इफ्तार पार्टी में छबड़ा हिंसा के मुख्य आरोपी आसिफ हसाड़ी को आमंत्रित किया जाता है. श्री राठोड ने राजस्थान की लचर कानून व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि आज राजस्थान में सबसे ज्यादा बलात्कार के केस हैं, लेकिन पेयजल आपूर्ति के मामले में पूरे देश में राजस्थान सबसे अंतिम पंक्ति में है जबकि केंद्र सरकार द्वारा इस मद में 27 हजार करोड़ रुपये राजस्थान सरकार को दिए जा चुके हैं, जिसमें खर्च मात्र 5 हजार करोड़ रुपये ही हो पाए हैं.

 

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