Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Shri Shehzad Poonawalla


द्वारा श्री शहजाद पूनावाला -
27-09-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शहजाद पूनवाला की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

कांग्रेस जमीन से जुड़ी हुई पार्टी है, जहां-जहां वो सत्ता में आती है, वहां एससी-एसटी की जमीन अपने रिश्तेदारों के नाम पर कर देती है।

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कर्नाटक में मूडा स्कैम के नाम पर हजारों-करोड़ों की लूट हुई और अब कांग्रेस एक पेशेवर चोर जैसा रवैया दिखा रही है। कांग्रेस ने कानून से बचने के लिए सीबीआई को कार्रवाई के लिए दी गई सामान्य सहमति को ही वापस ले लिया।

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लुटेरा-चोर पार्टी कांग्रेस आज एक पेशेवर चोर की तरह भाग रही है, उन्होंने सीबीआई जांच की आम सहमति इसी लिए वापस ली ताकि सीबीआई जांच के लिए राज्य में ही सके।

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कांग्रेस का ध्येय बन चुका है किपहले करूंगा भ्रष्टाचार, कोर्ट के आदेश के बाद निकालूंगा  विक्टिमहुड कार्ड, मैं किसी भी तरह से एजेंसियों का करूंगा विरोध और नहीं आने दूंगा उन्हें अंदर, क्योंकि मुझे लगता है कि लूट है मेरा जन्मसिद्ध अधिकार

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कांग्रेस 'मोहब्बत की दुकान' नहीं चला रही है, बल्कि वह 'भ्रष्टाचार के भाईजान', 'मीडिया को धमकी की दुकान' और 'एससी समाज के राज्यपाल का अपमान करने की दुकान' चला रही है।

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क्या यह एक संयोग है या सोचा समझा प्रयोग है कि इतने सारे प्रमाण और कोर्ट के निर्णय आने के बाद कांग्रेस ने अपनी चोरी छुपाने के लिए सीबीआई को रोका है।

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जब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं मुख्यमंत्री थे तो उनके खिलाफ कई एजेंसियों को जांच के लिए लगाया गया था लेकिन कभी भी गुजरात सरकार ने या आदरणीय मोदी जी ने इस तरह का रवैया नहीं अपनाया था।

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मूडा घोटाले के अलावा कर्नाटक में बाल्मीकि स्कैम हुआ जिसमें दलित आदिवासी समाज के हिस्से के पैसों से लैमबोरगिनी गाड़ी खरीदी गई, शराब खरीदी गई जिसका चुनाव में इस्तेमाल हुआ।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री शहजाद पूनवाला ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कर्नाटक कांग्रेस द्वारा मूडा घोटाले में सीबीआई जांच की सहमति को वापस लेने के फैसले की जमकर आलोचना की और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के नैतिक आधार पर प्रश्न उठाए। श्री शहजाद पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस 'मोहब्बत की दुकान' नहीं चला रही है, बल्कि वह 'भ्रष्टाचार के भाईजान', 'मीडिया को धमकी की दुकान' और 'एससी समाज के राज्यपाल का अपमान करने की दुकान' चला रही है।

 

श्री पूनवाला ने कांग्रेस पार्टी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस जमीन से जुड़ी हुई पार्टी है, जहां-जहां वो सत्ता में आती है, वहां एससी-एसटी की जमीन अपने रिश्तेदारों के नाम पर कर देती है। कांग्रेस का कार्य ही है सत्ता में आकर लूट मचाना, कर्नाटक में मूडा स्कैम के नाम पर हजारों-करोड़ों की लूट की गई, और अब कांग्रेस कर्नाटक में एक पेशेवर चोर जैसा रवैया दिखा रही है। कानून से अपने आप को बचाने के लिए सीबीआई को कार्रवाई के लिए दी गई सामान्य सहमति को ही वापस ले लिया। पहले इन्होंने भ्रष्टाचार किया और जब जांच की आंच उनके पास पहुंची तो एक पेशेवर चोर की तरह कांग्रेस ने कार्रवाई की सहमति वापस ले ली है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं है कि कांग्रेस पार्टी का रवैया पहले चोरी और फिर सीनाजोरी करने का बन गया है। कांग्रेस पार्टी का कर्नाटक ही नहीं बल्कि पूरे देश में भ्रष्टाचार के प्रति यही रवैया बन गया है।    

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस का ध्येय बन चुका है किपहले करूंगा भ्रष्टाचार, कोर्ट के आदेश के बाद निकालूंगा  विक्टिमहुड कार्ड, मैं किसी भी तरह से एजेंसियों का करूंगा विरोध और नहीं आने दूंगा उन्हें अंदर, क्योंकि मुझे लगता है कि लूट है मेरा जन्मसिद्ध अधिकार लुटेरा चोर पार्टी आज एक पेशेवर चोर की तरह भाग रही है, उन्होंने सीबीआई जांच की आम सहमति इसलिए वापस ली ताकि सीबीआई जांच के लिए राज्य में आ ही न सके। पिछले कुछ दिनों में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पर तीन स्ट्राइक लगे, पहले गवर्नर ने मूडा घोटाले को प्रथम दृश्य से बड़ा घोटाला बताते हुए उसकी जांच पर सहमति दी, दूसरी स्ट्राइक कर्नाटक हाईकोर्ट का आदेश था, तीसरी ट्राइक स्पेशल कोर्ट ने की जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया। इन तीन स्ट्राइक के बावजूद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कांग्रेस ने तीन तरह के लक्षण दिखाए, उन्होंने पहले एससी समाज से आने वाले विवेकशील कर्मठ राज्यपाल थावरचंद गहलोत जी के विवेक पर सवाल उठाए, कर्नाटक कांग्रेस के एक नेता ने राज्यपाल को गाली दी, उनका अपमान किया और उन्हें मारने की धमकी दी। हाईकोर्ट ने राज्यपाल को सही ठहराया, हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच की मंजूरी सुनिश्चित करने में राज्यपाल ने सही फैसला किया। कोर्ट ने आदेश के पैराग्राफ 53 में, अदालत ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता सत्ता में नहीं होता, तो उसके परिवार को ऐसे लाभ नहीं मिलते। आदेश में आगे उल्लेख किया गया कि "याचिकाकर्ता की पत्नी इन कृत्यों में लिप्त रही हैं, चाहे वह कानूनी हो या अवैध, याचिकाकर्ता को अपनी पत्नी के जीवन में क्या हो रहा है, इसके बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ नहीं कहा जा सकता है। इसलिए, यह प्रथम दृष्टया मुख्यमंत्री की सीट या याचिकाकर्ता द्वारा आयोजित किसी अन्य पद की शक्ति का दुरुपयोग दर्शाता है" 

 

श्री पूनावाला ने कहा कि उच्च न्यायालय ने उल्लेख किया है कि "याचिकाकर्ता मुख्यमंत्री निस्संदेह अपनी पत्नी को मिलने वाले हर लाभ के पीछे छिपे हुए हैं। लाभ प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की सत्ता की स्थिति के कारण है।" उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि मुख्यमंत्री के पास सत्ता होने के कारण ही उनके परिवार को इतने महत्वपूर्ण लाभ दिए गए हैं। इसके अलावा, उच्च न्यायालय ने कहा, "एक भी ऐसा उदाहरण नहीं दिखाया गया है जहां केसर गांव में भूमि छोड़ने वाले व्यक्ति को मैसूर शहर के उच्च श्रेणी के क्षेत्र में मुआवज़ा भूमि दी गई हो।" इसका मतलब है कि लाभ केवल मुख्यमंत्री के अपने परिवार के सदस्यों को दिया गया है। अनुसूचित जाति समुदाय के किसी भी व्यक्ति या किसी गरीब व्यक्ति को कोई लाभ नहीं मिला, यह केवल सिद्धारमैया की पत्नी और रिश्तेदारों को मिला है। न्यायालय ने यह भी कहा है कि "मुख्यमंत्री के परिवार के पक्ष में नियमों को कैसे और क्यों तोड़ा गया, इसकी जांच होनी चाहिए।" उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी कांग्रेस पार्टी राज्यपाल के फैसले पर सवाल उठा रही है। कांग्रेस की ओर से दूसरी प्रतिक्रिया तब आई जब एक मीडिया रिपोर्टर सवाल पूछने के लिए माइक लेकर पहुंचा। मोहब्बत की दुकान चलाने का दावा करने वाली कांग्रेस पार्ट प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन जब उससे सवाल किया जाता है, तो वह अहंकार में आकर रिपोर्टर का माइक दूर धकेल देती है और पूछती है कि ऐसे सवाल पूछने वाला रिपोर्टर कौन होता है। इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस 'मोहब्बत की दुकान' नहीं चला रही है, बल्कि वह 'भ्रष्टाचार के भाईजान', 'मीडिया को धमकी की दुकान' और 'एससी समाज के राज्यपाल का अपमान करने की दुकान' चला रही है। कांग्रेस पार्टी ने पेशेवर लुटेरों की तरह काम करते हुए सीधे सीबीआई जांच के लिए सामान्य सहमति वापस ले ली। यह जांच से बचने के लिए सीबीआई को रोकने का एक स्पष्ट प्रयास है। कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार मई 2023 में बनी, लेकिन अब सितंबर 2024 में वे अचानक दावा कर रहे हैं कि सीबीआई बदले की भावना से काम कर रही है?

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री पूनावाला ने कांग्रेस पार्टी से प्रश्न पूछते हुए कहा कि आज इस अंतिम चरण में कांग्रेस ने सीबीआई की जांच की सामान्य सहमति को वापस क्यों लिया? और इतने सारे प्रमाण आने के बाद मुख्यमंत्री सिधारमैया के पास कोई नैतिक अधिकार नहीं बचा है कि अपने पद पर बने रहें। क्या यह एक संयोग है या सोचा समझा प्रयोग है कि इतने सारे प्रमाण और कोर्ट निर्णय के बाद कांग्रेस ने अपनी चोरी छुपाने के लिए सीबीआई को रोका है। जब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वयं मुख्यमंत्री थे तो उनके खिलाफ कई एजेंसियों को जांच के लिए लगाया गया था लेकिन कभी भी गुजरात सरकार ने या आदरणीय मोदी जी ने इस तरह का रवैया नहीं अपनाया था। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने हर जांच का सहयोग किया था, यही अंतर है एक नैतिक ईमानदार व्यक्ति में और एक उस व्यक्ति में जो मान लेता है कि चोर की दाढ़ी में तिनका जरूर है। राहुल गांधी संविधान और दलित समाज के सम्मान की बड़ी बातें करते हैं, क्या श्री थावरचंद गहलोत जैसे अति वरिष्ठ गवर्नर को जिस तरह से गालियां और धमकी दी गईं, उसपर कांग्रेस पार्टी का क्या मत है और इसको लेकर क्या कारवाई की गई? आज स्पष्ट हो चुका है कर्नाटक में कांग्रेस मोहब्बत की दुकान नहीं बल्कि भ्रष्टाचार की भाईजान बन चुकी है।

 

श्री पूनावाला ने कहा कि मूडा घोटाले के अलावा कर्नाटक में वाल्मीकि स्कैम हुआ जिसमें दलित आदिवासी समाज के हिस्से के पैसों से लैमबोरगिनी गाड़ी खरीदी गई, शराब खरीदी गई जिसका चुनाव में इस्तेमाल हुआ। उसके बाद भी बेशर्मी से कांग्रेस पार्टी कहती है कि घोटाला तो हुआ है लेकिन 180 करोड़ का नहीं बल्की केवल 90 करोड़ का हुआ है। जमीन से जुड़ी कांग्रेस पार्टी ने ट्रांसफर घोटाला, चावल घोटाला और इसके अलावा खरगे परिवार के ट्रस्ट ने भी ऐरोस्पेस पार्क की जमीन का घोटाला किया। इसके बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री को अपने पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। राहुल गांधी और कांग्रेस वो पार्टी है जब इनको सूट करता है तो ये सीबीआई, ईडी के दरवाजे पर शराब घोटाले की शिकायत लेकर पहुंच जाते हैं और पूरी दिल्ली में केजरीवाल चोर है के नारे लगाते हैं लेकिन जब सूट नहीं करता है तो ये सीबीआई और ईडी पर आरोप लगाते हैं। राहुल गांधी क्या यह मानते हैं कि मूडा घोटाला हुआ, क्या वो राज्यपाल के अपमान को गलत मानते हैं?  

 

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