राजनैतिक कार्य

“Agenda 2019 – Part - 6 A Campaign of Fake Issues Never Works" by Hon'ble Union Minister Shri Arun Jaitley


16-03-2019

दिनांक : 16 मार्च, 2019

एजेंडा 2019-पार्ट-6

फर्जी मुद्दों वाला कैंपेन कभी काम नहीं आता है

अरूण जेटली

भारतीय लोकतंत्र की असली ताकत उसके वोटरों में अंतर्निहित विवेक है। उन्हें पता है कि क्या उनके हित में है। वे कड़े लेकिन सही फैसले लेते हैं। वे काम न करने वालों को दंडित करते हैं और उन्हें वोट देते हैं जो काम नहीं करते। चुनाव विशेषज्ञ, राजनीतिक पंडित और टिप्पणीकार गलत हो सकते हैं। कई ट्रेंड तो जान जाते हैं लेकिन इसकी तीव्रता नहीं जान पाते हैं। परिणाम के दिन ही विश्लेषकों को लहर का पता चल पाता है।

चुनाव में ही लहरें क्यों उठती हैं?

एक जैसे विचार वाले लोग जो सही फैसला लेते हैं एक ही दिशा में वोट करते हैं। कई अन्य पश्चिमी लोकतंत्रों की तरह ही भारत की आबादी का बड़ा हिस्सा स्थायी रूप से राजनीतिक से जुड़ा नहीं होता। उनकी अपनी पसंदगी होती है। वोट देने की उनकी वरीयता हर चुनाव में अलग होती है। वे योग्यता के आधार पर फैसला करते हैं और तब ही वोट डालते हैं। एक जैसे विचार के लोग जिनकी वरीयता एक जैसी होती है, जब वोट डालते हैं तो वह लहर बन जाती है। इसी तरह त्रिशंकु विधान सभाओं और संसद की भविष्यवाणी सिर्फ ओपिनियन पोल में ही होती है। वोटर हमेशा निर्णायक होता है। वह स्पष्ट बहुमत वाली सरकार चुनने का प्रयास करता है। विजय के प्रबल दावेदारों को भविष्यवाणी से कहीं ज्यादा सीटें मिलती हैं।

भारतीय मतदाताओं का यही निष्पक्ष भाव उसे मुद्दों पर फैसला करने की क्षमता देता है। सच और झूठ के बीच फर्क करने की वोटरों में गज़ब की क्षमता होती है। सत्य की जीत होती है और झूठ पकड़ा जाता है। राजनीतिक नेता अपनी बुद्धि के बारे में अति विश्वास में जीते हैं। लेकिन उन्हें इस बाता का पता नहीं होता है कि वोटर उनसे ज्यादा बुद्धिमान होता है। वह उन्हें दंडित करता है जो झूठ का सहारा लेते हैं।

प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पांच साल के प्रदर्शन की यह खासियत रही है कि विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ कोई वास्तविक मुद्दा नहीं है। सरकार अपने प्रदर्शन के आधार पर चुनाव लड़ रही है। यह ऐसी सरकार है जिसके नेता के प्रति वोटरों का विश्वास बहुत ऊंचा है। विपक्ष घबराहट की स्थिति में है।    

विपक्ष के पास एक ही कार्यक्रम है और वह निगेटिव है-एक व्यक्ति को हटाना है। उनकी आकांक्षा का स्तर सीमित है। सरकार के खिलाफ किसी सही मुद्दे के अभाव में राहुल गांधी ने न केवल अपनी पार्टी को बल्कि संपूर्ण विपक्ष को झूठे और नकली मुद्दों पर आश्रित करवा दिया। वे फर्जी और गढ़े हुए मुद्दे उठाते हैं, उसकी गूंज पैदा करते हैं और यह मानते हैं कि उनका झूठ सच है। आज मेरा उद्देश्य है कि मैं इस तरह के हर मुद्दे का विश्लेषण करूं।

  1. राफेल

राफेल पर विपक्ष का फर्जी मुद्दा यह है कि वर्तमान सरकार ने यह लड़ाकू विमान महंगा खरीदा है। इसके लिए देश के एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाया गया है और प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया है।  

सच्चाई:

सुप्रीम कोर्ट और कैग दोनों ने ही इस सौदे को मंजूरी दी है। उन्होंने ऐसी सभी बातों को खारिज कर दिया है। सरकार ने 2007 में उद्धधृत कीमतों की तुलना में राफेल के इस सौदे में हजारों करोड़ रुपए बचाए हैं। सभी प्रक्रियाओं का पूरी तरह पालन किया गया है और सरकार द्वारा किसी भी घरेलू उद्योगपति को एक रुपए का भी फायदा नहीं पहुंचाया गया। राफेल भारत में बिल्कुल नहीं बनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को पूरी तरह से देखा है और इस पहलू को सही ठहराया है।

  1. जज लोया की मृत्यु

मुंबई के सेशंस जज लोया बीजेपी अध्यक्ष के खिलाफ गढ़े गए एक आपराधिक मामले की सुनवाई कर रहे थे। उन्हें उसमें फंसाया गया था। नागपुर में एक विवाह समारोह में शामिल होने गए जज लोया की दिल का दौरा पड़ने से अचानक ही मृत्यु हो गई। विपक्ष ने दावा किया कि यह अस्वाभाविक मृत्यु है और सुप्रीम कोर्ट को इसकी जांच करवानी चाहिए।

सच्चाई:  

सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई की। तीन जजों की बेंच ने मामले से जुड़े हर तथ्य को देखा-परखा और पाया कि उनकी मौत दिल के दौरे से हुई। जज लोया को गेस्ट हाउस में दिल का दौरा पड़ा था और उस समय दो जिला जजों तथा हाई कोर्ट के नागपुर ब्रांच के रजिस्ट्रार ने अस्पताल पहुंचाया था जहां उन्हें पहुंचने पर मृत घोषित किया गया। हाई कोर्ट के कई जज अस्पताल पहुंचे। उस समय वहां डॉक्टरों और जजों के अलावा कोई और नहीं था। सुप्रीम कोर्ट के बेंच की ओर से जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने हर आरोप को झूठा कहकर खारिज किया। याचिकाकर्ताओं की कड़ी निंदा हुई।  

  1. बैंक कर्ज माफी

विपक्ष द्वारा आरोप लगाया गया था कि उद्योगपतियों पर बकाया ढाई लाख करोड़ रुपए के कर्ज इस सरकार द्वारा माफ कर दिए गए हैं।

सच्चाई

सच तो यह है कि एक भी पैसे का कर्ज माफ नहीं हुआ। 2008-2014 में सरकारी बैंकों द्वारा अंधाधुंध कर्ज बांटे गए। बाद में वे एनपीए हो गए। वर्तमान सरकार ने इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड बनाया, डिफॉल्ट करने वाले मैनेजमेंट को हटा दिया और पिछले दो सालों में लगभग तीन लाख करोड़ रुपए की एनपीए की राशि वसूल ली।

  1. ईवीएम का मुद्दा

ईवीएम मशीनों में गड़बड़ी की जा रही है।

सच्चाई:

भारत का चुनाव आयोग निहायत ही निष्पक्ष और स्वतंत्र संस्थान है। मशीन बनाने से लेकर चुनाव करवाने में लाखों लोग शामिल होते हैं। और एक बात यह है कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें उस समय प्रचलन में आईं जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में थी। पिछले दो दशकों में दर्जनों चुनाव हुए जिनमें पार्टियां या तो विजयी रहीं या हार गईं। इन मशीनों में कोई भी गड़बड़ी नहीं है। राजनीति में हार जाने वालों के साथ समस्या है। इन्हीं मशीनों से कांग्रेस पार्टी ने हाल के विधान सभा चुनाव को जीता था।

  1. जेएनयू में स्वतंत्रता के अधिकार को कुचला जा रहा है

जेएनयू में भारत के टुकड़े-टुकड़े करने के देश विरोधी नारे लगाने वाले यह आरोप लगा रहे हैं कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने वाली सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबा रही है।

सच्चाई:

भारत के संविधान में इस बात की अभिव्यक्ति की आजादी नहीं है कि देश के टुकड़े-टुकड़े हो जाएं जैसे नारे लगाए जाएं। संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में संविधान की धारा 19 (2) में जो प्रावधान है उसके मुताबिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कुछ बंदिशें हैं।

  1. जीएसटी

भारत का विपक्ष यह आरोप लगा रहा है कि जीएसटी एक विपदा है।

सच्चाई:

 सभी विपक्षी पार्टियों ने जीएसटी पर संविधान में संशोधन को और उससे जुड़े कानूनों को स्वीकार किया था। यह उनके घोषणापत्रों में था। वे जब सत्ता में थे तो वे इसे कार्यान्वित करने में असफल रहे। विपक्षी पार्टियों द्वारा चलाई जा रही सरकारों के वित्त मंत्रियों ने शुल्कों के बारे में हर निर्णय पर हस्ताक्षर किए हैं। जीएसटी ने भारत के जटिल टैक्स संरचना को सरल बनाया है। अब सिर्फ एक ही टैक्स है। अब किसी तरह की बाधा नहीं है, इंसपेक्टर राज नहीं है, छोटे कारोबारी, जिनका सालाना टर्नओवर 40 लाख रुपए है टैक्स मुक्त कर दिए गए हैं। जिन कारोबारियों का सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ तक है वे एक प्रतिशत देकर अपने टैक्स को कंपाउंड कर सकते हैं। इन सबसे टैक्स वसूली बढ़ी है और टैक्स की दरें हर बैठक में नीचे लाई गई हैं जिससे हर नागरिक को लाभ पहुंचा है।

 

  1. नोटबंदी विफल रही

विपक्ष का आरोप है कि नोटबंदी विफल रही और उससे गरीबों को बहुत कष्ट उठाना पड़ा।

सच्चाई:

नोटबंदी से उन लोगों को कष्ट हुआ जिनके पास काला धन था। इसने अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने में मदद की जिससे टैक्स का आधार बढ़ा। इसने उन गुमनाम लोगों को जिनके पास काला धन था, अपने पैसे को बैंकों में डालने को विवश किया और टैक्स देने को भी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को औपचारिक करने में मदद मिली। इसने भारतीय अर्थव्यवस्था को डिजिटल करने में तेजी ला दी। आज भारत में टैक्स की दरें कम हैं और उनका इस्तेमाल गरीबों की भलाई के लिए हो रहा है।

  1. नीरव मोदी

विपक्ष का आरोप है कि इस सरकार ने मदद की।

सच्चाई:

नीरव मोदी ने बैंकों से 2011 में धोखाधड़ी करनी शुरू कर दी थी। उस समय यूपीए की सरकार सत्ता में थी। वर्तमान सरकार और उसकी एजेंसियों ने 2018 में उसकी धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया। उसकी तमाम संपत्ति जब्त कर ली गई, उसके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की गई और उसे विदेश से भारत लाने के प्रयास तेज कर दिए गए। उसकी कुछ संपत्तियों की नीलामी कर दी गई। अब थोड़े ही समय की बात है कि भारत लाकर उसे उसके जुर्म की सजा दिलवाई जाएगी। धोखाधड़ी करने वाला कोई भी व्यक्ति बच नहीं पाएगा।

  1. विजय माल्या

विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने विजय माल्या की मदद की है।

सच्चाई:

विजय माल्या और उसकी कंपनी को कर्ज उस समय दिए गए जब यूपीए सत्ता में थी। सच तो है कि 2010 में बैंकों को निर्देश दिया गया था कि विजय माल्या के एनपीए को दोबारा रीस्ट्रक्चर किया जाए। इस बारे में पक्के प्रमाण और दस्तावेज हैं। इसी रीस्ट्रक्चर के बूते उसके खाते को नियमित किया गया और उसने बैंकों के कर्ज को नहीं चुकाया। उसके खिलाफ यूपीए ने कोई भी कदम नहीं उठाया। बाद में वह भाग गया। एनडीए सरकार ने उसके खिलाफ दीवानी और फौजदारी मुकदमे दायर किए हैं और उसे भारत वापस लाने की प्रक्रिया में सफलता पाई है। इंग्लैंड में उसके खिलाफ प्रत्यर्पण के मामले पर सुनवाई चल रही है।  

  1. पुलवामा और बालाकोट

विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार पुलवामा हमलों और जैश ए मुहम्मद के ठिकाने बालाकोट में हुए हवाई हमलों का राजनीतिकरण कर रही है। विपक्ष कह रहा है कि बालाकोट में क्या हुआ सरकार उसका प्रमाण सार्वजनिक करे।

सच्चाई:

हमारे सुरक्षा बलों ने हाल के महीनों में असंख्य आतंकवादियों का सफाया कर दिया है। हालांकि आतंकवादियों ने पुलवामा में हमला कर दिया। जवाब मे हमारे जवानों ने उन आतंकवादियों का कुछ ही दिनों में खात्मा कर दिया। यह सूचना मिलने पर कि पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादियों का एक बड़ा कैंप चल रहा है. प्रधान मंत्री ने भारतीय वायु सेना को कैंप पर हमले का आदेश दिया। भारतीय वायु सेना ने शानदार काम कर दिखाया। वह एक सटीक हमला था। उन्होंने आतंकवादियों और उनके कैंपों का खात्मा कर दिया। उन्होंने अगले दिन पाकिस्तानी वायु सेना के हमले को नाकाम कर दिया और एक एफ-16 विमान को गिरा भी दिया। वायु सेना के प्रमुख ने इसकी पुष्टि की है। भारत के कई मीडिया संगठनों द्वारा संवतंत्र उपग्रहों के चित्रों से यह बात स्पष्ट रूप से सिद्ध होती है कि हमलों से उन्हें काफी नुकसान हुआ। भारतीय वायु सेना पूर्ण रूप से प्रोफेशनल है। वह मानती है कि राष्ट्र की सुरक्षा और सैनिक अनुशासन की दृष्टि से सैनिक कार्रवाइयों को विस्तार से सार्वजनिक न किया जाए।

 

  1. आन्ध्र प्रदेश के लिए स्पेशल स्टेटस

विपक्ष खासकर तेलगु देसम पार्टी आरोप लगा रही है कि सरकार वादे के बावजूद आन्ध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेटस देने में आनाकानी कर रही है।

सच्चाई:

14 वें वित्त आयोग ने राज्यों का फिर से वर्गीकरण किया है। इस तरह का वर्गीकरण किसी भी तरह के स्पेशल स्टेटस की अनुमति नहीं देता। वित्त आयोग की रिपोर्ट को संवैधानिक मान्यता मिली हुई है। इसलिए सरकार ने एक रास्ता निकाला कि आन्ध्र को स्पेशल स्टेटस के जरिये जो कुछ मिलता वह एक स्पेशल पैकेज के जरिये दे दिया जाए। इसके लिए आन्ध्र प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया और इस प्रस्ताव का स्वागत किया। लेकिन उसके बाद से ही उसने अपना स्टैंड बदल दिया। श्री चंन्द्रबाबू नायडू और तेलगु देसम पार्टी को यह बताना चाहिए कि क्यों उन्होंने स्पेशल स्टेटस की जगह स्पेशल पैकेज स्वीकार कर लिया। क्यों उन्होंने केन्द्र सरकार को धन्यवाद दिया और फिर अपना स्टैंड बदल दिया?

  1. संस्थाएं

विपक्ष का आरोप है कि संस्थाओं पर केन्द्र सरकार हमले कर रही है।

सच्चाई:

सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है। सच तो यह है कि विपक्ष न्यायपालिका को पूरी तरह से डराने में लगा हुआ है। वे तो पूर्व चीफ जस्टिस के खिलाफ ही महाभियोग का प्रस्ताव लेकर आ गए थे। वे अपने साथियों और सहयोगी वकीलों के साथ मिलकर जजों पर बॉयकॉट के जरिये दबाव डालते रहे। वे उन जजों को डराते रहे जो उनके पक्ष में फैसले नहीं दे रहे थे। सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी ने हमेशा चुनाव आयोग का सम्मान किया है। लेकिन विपक्ष उसके खिलाफ भी आरोप लगाता रहा है। वे उन तारीखों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाते रहे हैं जिनमें मतदान होना है। वे रमजान का तर्क देकर सांप्रदायिकता भी भड़काते हैं। वे उन मीडिया संगठनों और चैनलों को डराते हैं जो उनकी बात नहीं मानते हैं। हाल ही में आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर कहा कि चुनाव तक विपक्षी दल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का बायकॉट करें।

  1. अर्थव्यवस्था

विपक्ष ने आरोप लगाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था बुरी हालत में है और नौकरियां नहीं मिल रही हैं।

सच्चाई:

भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। पिछले पांच वर्षों में जीडीपी के विकास की दर लगभग 7.3 प्रतिशत रही। एक साथ पांच सालों में विकास की यह दर उच्चतम है। दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था इस बदहाली में नहीं रह सकती। हमारे आर्थिक आंकड़े पहले से बेहतर हैं। हमारा वित्तीय घाटा और चालू खाते का घाटा नियंत्रण में है। हमारे पास विदेशी मुद्रा का विशालकाय भंडार है। हमारे राजस्व में भारी बढ़ोतरी हुई है। मुद्रास्फीति नियंत्रण में है।

अगर पांच सालों तक हमारी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ती रही तो उसका गुणात्मक असर नौकरियों पर बड़े पैमाने पर पड़ेगा। सीआईआई तथा ईपीएफओ द्वारा जारी आंकड़े नई नौकरियों की संख्या के बारे में स्पष्ट रूप से बताते हैं। 16 करोड़ मुद्रा लोन ने अनौपचारिक सेक्टर को तेजी से बढ़ने में मदद की। देश में किसी तरह की सामाजिक अशांति नहीं है। उच्च विकास और नौकरियों में कमी तभी होती है जब उत्पादकता का स्तर बहुत बढ़ जाए। लेकिन ऐसा कुछ प्रतीत नहीं हो रहा है।

उपरोक्त सभी मामले फर्जी हैं। राहुल गांधी के भाषणों से फर्जी मुद्दे हटा लिये जाएं तो कुछ भी नहीं बचेगा। विपक्ष बुरी हालत में है। उसे सरकार के खिलाफ फर्जी मुद्दे गढ़ने पड़ रहे हैं क्योंकि वास्तव में असली मुद्दे कुछ है ही नहीं। मुझे पूरा विश्वास है कि वोटर देश की विपक्षी पार्टियों को करारा जवाब देंगे और उन्हें उनकी औकात बता देंगे।

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