
काले धन के खिलाफ अभियान
- अरुण जेटली
आय घोषणा योजना 2016 (IDS 2016) को काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। इस योजना (IDS) के तहत कुल 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी की घोषणा की है हालांकि आय घोषणा और घोषित रकम की अंतिम गणना अभी चल ही रही है। गणना पूरी होने के बाद इन आंकड़ों में वृद्धि हो सकती है। औसतन हर व्यक्ति ने एक करोड़ रुपये से अधिक का खुलासा किया है।
आईडीएस 2016 कोई माफी वाली योजना नहीं थी। यह अघोषित आय को घोषित करने की योजना थी। घोषित आय कर में छूट एक गैर कर-अनुपालक को इस बात के लिए प्रोत्साहित करता है कि वह एक कर-अनुपालक की अपेक्षा कम कर का भुगतान करके परेशानी से बच सके, जबकि आईडीएस 2016 के तहत, आय घोषित करने वाले को कर अनुपालक कर-दाताओं की तुलना में अधिक भुगतान करना था। प्रत्येक खुलासे की औसत घोषित संपत्ति एक मुख्यमंत्री द्वारा किये गए दावे कि "छोटे" लोगों को आय घोषित करने के लिए दबाव डाला गया, को झुठलाती है। इस योजना का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को कर के दायरे में लाने की कोशिश करके भारत को एक अधिक कर अनुरूप समाज बनाना था। कर अनुपालन से अधिक राजस्व की प्राप्ति होती है, बजटीय घाटे में कमी आती है और इससे एकत्र पैसों से बुनियादी ढाँचे एवं सामाजिक तथा ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर खर्च किया जाता है। इसका सीधा लाभ देश के गरीब को मिलता है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने काले धन के खिलाफ लगातार एक सख्त रुख इख्तियार किया हुआ है। अब इसके परिणाम सामने आ रहे हैं। सरकार द्वारा उठाए गए कुछ कदम विस्तार से इस प्रकार हैं:
- कैबिनेट द्वारा लिया गया पहला निर्णय तीन साल पुराने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को स्वीकार कर काले धन पर एसआईटी गठित करने का था। यूपीए सरकार ने एसआईटी की नियुक्ति को लटका कर रखा था।
- एसआईटी की नकद लेनदेन के लिए पैन नंबर को अनिवार्य करने की सिफारिश को स्वीकार किया गया और उसे लागू किया गया। यह काले धन के अंतिम उपयोगकर्ता की जांच करता है।
- पीएमएलए को आकर्षित करने के लिए कुछ कर धोखाधड़ी को विधेय अपराध बनाया गया है।
- अज्ञात विदेशी परिसंपत्तियों के एवज में घरेलू संपत्ति की जब्ती के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रावधानों में संशोधन किया गया है।
- काले धन के क़ानून को अधिनियमित किया गया और उसे लागू किया गया जिसके तहत 644 से अधिक लोगों ने 4164 करोड़ रूपए की विदेशी परिसंपत्तियों का खुलासा किया तथा उसका 60% कर भुगतान किया। जिन लोगों ने अपनी विदेशी परिसंपत्तियों का खुलासा नहीं किया, अब उनकी पहचान की गई है, और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगें।
- बेनामी संपत्ति की जब्ती के लिए बेनामी संपत्ति से संबंधित कानून को पूरी तरह से परिवर्धित कर दिया गया है।
- अमेरिकी कानून FATCA के तहत, विदेशों में भारतीय नागरिकों द्वारा कर उल्लंघन के संबंध में जानकारी के स्वत: आदान प्रदान के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ एक व्यवस्था की गई है। इससे लेनदेन की रियल टाइम जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
- मॉरीशस रूट के जरिए काले धन की आवाजाही को रोकने के लिए मॉरीशस के साथ की गई दोहरे कराधान से बचाव संधि (DTAT) में संशोधन किया गया है। इसी तरह के परिवर्तन अन्य देशों के साथ चल रही DTAT में भी किया गया है।
- भारतीय नागरिकों से जुड़ी संपत्ति और कर उल्लंघन के सम्बन्ध में जानकारी के स्वत: आदान प्रदान के लिए स्विट्जरलैंड और कई अन्य देशों के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- कंट्री रिपोर्टिंग के सम्बन्ध में बेस इरोजन एंड प्रॉफिट शेयरिंग (BEPS) के तहत कई अन्य इनिशिएटिव शुरू किये गए हैं।
- जिन लोगों के नाम एचएसबीसी सूची में सामने आये थे, उनके मामले में करीब 8,000 करोड़ रुपये का आकलन पूरा कर लिया गया है और 164 मुकद्दमे दायर किये गए हैं।
- खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय संघ द्वारा किए गए खुलासे में भारतीय नागरिकों के विदेशों में जमा 5000 करोड़ रुपये के अवैध आय की पहचान की गई है और इस सम्बन्ध में 55 मुकद्दमें पहले ही दायर किये जा चुके हैं।
- पनामा मामलों में जांच काफी प्रगति पर है और भारतीय नागरिकों द्वारा विदेशों में गैरकानूनी परिसंपत्तियों पर आगे की कार्रवाई के लिए अन्य देशों को साथ 250 संदर्भ भेजे गए हैं।
- आयकर अधिकारियों द्वारा जांच में पिछले दो वर्षों में 56378 करोड़ रुपये की अघोषित आय का पता चला है।
- आईटी तकनीक के बल-बूते कर रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों की पहचान हुई है और इनसे 16,000 करोड़ रुपये की रिकवरी में भी सफलता मिली है।
ये सभी कदम अधिक से अधिक लोगों को कर-अनुपालन के दायरे में लाने के लिए उठाये गए हैं। मुझे यकीन है कि इस अभियान से भारत नैतिक रूप से और अधिक साफ़-सुथरा और जवाबदेह बनेगा। राजस्व विभाग और सीबीडीटी के अधिकारी जिन्होंने ऊपर वर्णित सभी इनिशिएटिव पर काम किया है, बधाई के पात्र हैं।
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