भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
सीएम ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश की महिलाएं, डॉक्टर और अधिवक्ता आक्रोशित हैं और आन्दोलन कर रहे हैं।
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पश्चिम बंगाल की पुलिस ने महिला डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार और बर्बरतापूर्ण हत्या मामले की जांच नहीं की, क्योंकि अन्य गिरफ्तारियां भी करनी पड़ती, मगर ममता बनर्जी सरकार बलात्कारियों को गिरफ्तार नहीं करना चाहती है।
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पीड़िता का पोस्टमार्टम उसी आर जी कर अस्पताल में क्यों किया गया? उस कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिसिंपल के प्रबंधन में ही पीड़िता का पोस्टमार्टम क्यों किया गया, जबकि सीबीआई उस प्रिसिंपल से पूछताछ कर रही है?
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इसके बावजूद ममता बनर्जी ने बेहूदगी और बेशर्मी के साथ विरोध मार्च निकालती हैं। यदि वो मार्च निकाल रही हैं, तो इसका मतलब है कि वह खुद अपनी विफलता को मान रही हैं। **********************
कोलकाता डॉक्टर रेप और हत्या मामले में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने संविधान को तार-तार करते हुए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, बल्कि एक महिला डॉक्टर की रेप और नृशंस हत्या मामले में जरूरी साक्ष्यों को भी नष्ट कर दिया।
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ममता बनर्जी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर क्यों नहीं किया? पश्चिम बंगाल की पुलिस ने मृतक के परिवार से झूठ क्यों बोला? उन 3-4 घंटों में कौन से प्रमाण नष्ट किए गए?
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‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा देने वाली प्रियंका गांधी वाड्रा सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही लड़ने का दावा करती हैं। डीएनए जांच कराने की मांग करने वाले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पीड़िता को शर्मशार करते हैं।
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पहले राहुल गांधी इस मुद्दे पर मौन रहे, फिर अपराध के 6 दिन बाद उन्होंने एक ट्वीट किया, जिसमें भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों का जिक्र है, मगर इंडी गठबंधन शासित राज्यों में होने वाले अपराधों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
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इन सबका एक ही एजेंडा है कि इस घटना का सामान्यीकरण कर दो। बहन को इंसाफ मिलेगा या नहीं, इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है। संविधान की किताब दिखाने वाले ये बताएं कि क्या यह संविधान का हनन नहीं है?
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टीएमसी के गुंडे मेडिकल कॉलेज के सीसीटीवी के साक्ष्य मिटाना चाहते थे। कोलकाता उच्च न्यायालय ने इसपर भी कहा है कि यह राज्य प्रशासन की विफलता है।
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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने कहा कि बंगाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं है और यह तब है जब राज्य की मुख्यमंत्री एक महिला हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी टीएमसी सरकार को नोटिस जारी किया है, लेकिन ममता बनर्जी ने अब तक इस्तीफा नहीं दी।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केंद्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता में कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी प्रमुख एवं सीएम ममता बनर्जी सरकार में महिलायें, डॉक्टर्स, समेत पश्चिम बंगाल में आम लोग असुरक्षित हैं, जो बहुत ही चिंताजनक है। पश्चिम बंगाल की पुलिस ने महिला डॉक्टर के साथ सामूहिक बलात्कार और बर्बरतापूर्ण हत्या मामले की जांच नहीं की, क्योंकि अन्य गिरफ्तारियां भी करनी पड़ती, मगर ममता बनर्जी सरकार बलात्कारियों को गिरफ्तार नहीं करना चाहती है। इसके बावजूद ममता बनर्जी ने बेहूदगी और बेशर्मी के साथ विरोध मार्च निकालती हैं। यदि वो मार्च निकाल रही हैं, तो इसका मतलब है कि वह खुद अपनी विफलता को मान रही हैं।
श्री भाटिया ने कहा कि आर जी कर मेडिकल कॉलेज में हुए जघन्य अपराध के मामले में सीबीआई एक ओर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से पूछताछ कर रही है, वहीं दूसरी ओर ममता बनर्जी के निर्मम आचरण पर पूरे देश में आक्रोश है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पास गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय का भी प्रभार है। इस प्रेस वार्ता का उद्देश्य है - इंसाफ, इस्तीफा और इकबाल। जिस महिला डॉक्टर के साथ जघन्य अपराध हुआ, उनके परिवार को इंसाफ मिले। ममता बनर्जी को इस्तीफा देना चाहिए, क्योंकि पश्चिम बंगाल सहित पूरे देश की महिलाएं, डॉक्टर और अधिवक्ता आक्रोशित हैं और आन्दोलन कर रहे हैं।
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि एक तरफ ममता बनर्जी हैं, जिन्हें “निर्ममता बनर्जी” कहा जाना चाहिए, क्योंकि वो अपराधियों के साथ खड़ी हैं। जिस प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए थी उसे ममता बनर्जी ने सम्मानित किया। ममता बनर्जी ने जिस संविधान की शपथ ली है और कानून का पालन नहीं करा रही हैं। कोलकाता डॉक्टर रेप और हत्या मामले में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने संविधान को तार-तार करते हुए कोई ठोस कदम नहीं उठाए, बल्कि एक महिला डॉक्टर की रेप और नृशंस हत्या मामले में जरूरी साक्ष्यों को भी नष्ट कर दिया। जिस बेटी के साथ यह जघन्य अपराध हुआ है वो वीर थी, उसने अपनी अस्मिता को बचाने के लिए संघर्ष किया, लेकिन ममता बनर्जी का कानून नदारद था।
भारतीय जनता पार्टी ने ममता बनर्जी से सवाल पूछे -
· आखिर क्यों आज ममता बनर्जी को ‘डिस्ट्रॉयर ऑफ एविडेंस’ कहा जा रहा है? जब कोई अपराध घटित होता है तो पहले 48 घंटे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, जिसमें पुलिस साक्ष्य एकत्रित करती है। ममता बनर्जी ने इस मामले की जांच को कमजोर करने का प्रयास किया।
· ममता बनर्जी का वक्तव्य था कि यह केस सीबीआई को ट्रांसफर किया जाएगा ‘अगर’। यह ‘अगर, मगर’ क्यों किया गया?
· ममता बनर्जी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए यह मामला सीबीआई को ट्रांसफर क्यों नहीं किया? कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर जांच को सीबीआई को सौंपा गया।
· पश्चिम बंगाल की पुलिस ने ममता बनर्जी के इशारे पर मृतक के परिवार से झूठ क्यों बोला?
· पीड़िता की मां ने अपने वक्तव्य में बताया है कि ‘पहले फोन में कहा गया कि आपकी बेटी बीमार है। जब दूसरी बार फोन किया गया तो बताया गया कि आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। जब हम लोग अस्पताल पहुंचे तो करीब 3-4 घंटों तक इंतजार करने के बाद भी हमें बेटी के शव को देखने तक नहीं दिया गया।’ इन 3-4 घंटों में कौन से प्रमाण नष्ट किए गए?
श्री भाटिया ने कहा कि मृतक की मां के पूरे बयान को पढ़ा नहीं जा सकता है, क्योंकि यह दरिंदगी का प्रमाण है। इस घटना में जिस प्रिंसिपल को तुरंत सस्पेंड किया जाना चाहिए था, उसे घटना के 12 घंटे के भीतर ही कोलकाता में पुनः पोस्टिंग दी जाती है, जिसके लिए ममता सरकार को कोलकाता हाई कोर्ट ने फटकार लगाई है। मृतक डॉक्टर का परिवार कह रहा है कि यह दरिंदगी किसी एक व्यक्ति ने नहीं की, इसमें कई लोग शामिल हैं। लेकिन बंगाल पुलिस के पास जब तक यह मामला रहा, उन्होंने सामूहिक बलात्कार के तौर पर इस मामले की जांच नहीं की। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि और दरिंदों को भी गिरफ्तार करना पड़ता, मगर ममता बनर्जी सरकार किसी को गिरफ्तार नहीं करना चाहती है। बलात्कार के बाद हत्या करने के मामले में पोस्टमार्टम बहुत बड़ा साक्ष्य होता है, लेकिन यह पोस्टमार्टम किसी और अस्पताल में न करवा कर, आनन-फानन में आर जी कर अस्पताल में ही करवाया गया। जबकि उस समय मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल वही व्यक्ति था, जिसने इस घटना की एफआईआर तक नहीं करवाई और इस घटना को प्राकृतिक मृत्यु बता दिया था और उसी व्यक्ति की देख रेख में यह पोस्टमार्टम किया गया।
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि मृतक महिला डॉक्टर के शरीर पर 15 चोटों के निशान मिले हैं, जिसका मतलब है कि सामूहिक बलात्कार की संभावना है। दूसरा, पीड़िता के शरीर से 150 मिलीग्राम सीमन भी मिला है, जो सामूहिक बलात्कार की संभावनाओं को और मजबूत करता है। इसके बावजूद ममता बनर्जी ने संविधान को तार-तार करते हुए कोई ठोस कदम नहीं उठाए बल्कि, सबूतों को नष्ट करवाया। यह ममता बनर्जी की बेहूदगी और बेशर्मी है कि वो इस मामले के खिलाफ एक मार्च निकालती हैं। यह मार्च उन्होंने किसके खिलाफ निकाला? एक मुख्यमंत्री, जिसकी जिम्मेदारी कानून व्यवस्था बना कर रखने की होती है वो डॉक्टर बहन को बचा नहीं पाईं, आरोपी दरिंदों को पकड़वा नहीं पाई लेकिन बेहूदगी का मार्च निकाल रही हैं। यदि वो मार्च निकाल रही हैं तो वो खुद मान रही हैं कि वो अपने काम करने में विफल रही हैं। यह स्पष्ट प्रमाण है कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने स्वतः इस मामले का संज्ञान लिया है और कल इस पर सुनवाई होगी। पश्चिम बंगाल के गवर्नर ने इस मामले पर जो बयान दिया है वो और भी चिंताजनक है कि बंगाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। यह तब है जब राज्य की मुख्यमंत्री स्वयं एक महिला हैं। राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मामले को लेकर नोटिस जारी किया है, लेकिन ममता बनर्जी ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया। ऐसे अपराध पर भी विपक्षी पार्टियाँ ओछी और घटिया राजनीति कर रही है।
श्री भाटिया ने कहा कि ‘आरजी’ का मतलब राहुल गांधी नहीं, ‘आरजी’ का मतलब है राजनीतिक गिद्ध। पहले राहुल गांधी इस मुद्दे पर मौन रहे, अपराध के 6 दिन बाद उन्होंने एक ट्वीट किया और ट्वीट में भी भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हुए अपराधों का जिक्र किया, ताकि कुछ वोट वहां से मिल सके। राहुल गांधी ने इंडी गठबंधन शासित राज्यों में होने वाले अपराधों पर कोई टिप्पणी नहीं की। यहां ‘आरजी’ के साथ ‘पीवीजी’ भी थीं, उन्होंने ने भी इसी तरह का एक ट्वीट किया है। ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का नारा देने वाली प्रियंका गांधी सिर्फ भाजपा शासित राज्यों में ही लड़ने का दावा करती हैं। डीएनए जांच कराने की मांग करने वाले समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पीड़िता को शर्मशार करते हैं। इन लोगों को जनता ऐसा सबक सिखाएगी कि इनके मुंह से डीएनए टेस्ट जैसे अमर्यादित बयान निकलने बंद हो जाएंगे। एक ट्वीट सुप्रिया सुले ने भी किया है, वे भी तब ही बोलती हैं जब कुछ राजनीतिक लाभ हो। इन्होंने भी कहा है देश में ऐसी बहुत सारी घटनाएं होती हैं और हम उन सभी की निंदा करते हैं।
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि कांग्रेस समेत इंडी गठबंधन के नेताओं का एक ही एजेंडा है कि इस घटना का सामान्यीकरण कर दो। बहन को इंसाफ मिलेगा या नहीं, इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है। टीएमसी के गुंडों ने अहिंसक प्रदर्शनकारियों को डराने का प्रयास किया। संविधान की किताब दिखाने वाले ये बताएं कि क्या यह संविधान का हनन नहीं हुआ? टीएमसी के गुंडे मेडिकल कॉलेज में घुसकर सीसीटीवी के साक्ष्य मिटाना चाहते थे। कोलकाता उच्च न्यायालय ने भी इसपर कहा है कि या राज्य प्रशासन की विफलता है। जब उच्च न्यायालय यह कहने लगे तो स्पष्ट है कि आज पश्चिम बंगाल में पूरी तरह से कानून व्यवस्था ध्वस्त है। यह बहुत ही चिंताजनक है। भारतीय जनता पार्टी महिलाओं के सम्मान की लड़ाई पुरजोर तरीके से लड़ेगी और आज पश्चिम बंगाल में भाजपा के सभी नेता जनता के साथ खड़े हैं।
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