Salient Points of Speech : Hon'ble BJP National President Shri J.P. Nadda at Samvidhan Gaurav Abhiyan in Ahmedabad (Gujarat)


द्वारा श्री जगत प्रकाश नड्डा -
19-01-2025
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा अहमदाबाद, गुजरात में संविधान गौरव अभियान में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

 

संविधान गौरव अभियान की शुरुआत के वक्त हमें अपने इतिहास पर गर्व करना चाहिए और उन लोगों के प्रति सतर्क रहना चाहिए जिनकेखाने के दांत और, दिखाने के औरहैं। ये लोग संविधान की किताब तो हाथ में रखते हैं, लेकिन कभी उसे पढ़ते नहीं।

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आज कांग्रेस नेता राहुल गाँधी "फाइट अगेंस्ट द इंडियन स्टेट" की बात करते हैं। यही कांग्रेस की सोच है। ये देश के खिलाफ लड़ाई की बात करते हैं, ये देश के खिलाफ साजिश रचने वालों के समर्थन में खड़े होते हैं।

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राहुल गाँधी को न भारत के इतिहास की जानकारी है, न ही उनमें देश की सांस्कृतिक समझ है। इनके स्पीच राइटर कुछ भी लिख देते हैं और ये कहीं का कहीं पढ़ देते हैं।

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वोटबैंक, तुष्टिकरण, परिवारवाद और सत्ता स्वार्थ में कांग्रेस ने न केवल संविधान और लोकतंत्र का गला घोंटा बल्कि लोकतांत्रिक और संवैधानिक संस्थाओं को भी बार-बार अपमानित किया तथा देश को बदनाम किया।

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कांग्रेस और राहुल गांधी आज ससंद की मर्यादा की चिंता का ढोंग करते हैं लेकिन इनकी पार्टी ने संसद को बिना बताए धारा 370 के साथ 35A को जोड़ दिया था। ये आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हैं जिन्होंने धारा 370 और 35A को ख़त्म कर जम्मू-कश्मीर में विकास की नई शुरुआत की।

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अपनी सत्ता बचाने के लिए कांग्रेस ने देश पर आपातकाल थोपा। लोकतंत्र, संविधान और मीडिया का गला घोंटा। संविधान में बार-बार संशोधन कर संविधान को कमजोर किया। कांग्रेस की सरकार ने अदालत के आदेश के बावजूद तुष्टिकरण की राजनीति के कारण तीन तलाक को ख़त्म नहीं किया।

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इंदिरा गांधी ने 50 राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर संघीय ढाँचे को तहस-नहस किया। मनमोहन सिंह जी और राजीव गांधी जी के कार्यकाल में भी कई बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

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कांग्रेस ने बाबा साहब का हर कदम पर अपमान किया, अपनी सरकार में उन्हें भारत रत्न भी नहीं दिया। हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बाबा साहब के सम्मान में 14 अप्रैल को राष्ट्रीय समरसता दिवस घोषित किया। संविधान दिवस मनाने की परंपरा शुरू की।

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हमारी सरकार ने बाबा साहब से जुड़े पंचतीर्थों का विकास किया। संविधान की भावना के अनुरूप एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं और गरीबों को सशक्त किया।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज रविवार को अहमदाबाद, गुजरात में आयोजित संविधान गौरव अभियान को संबोधित करते हुए संविधान की 75 वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डाला। श्री नड्डा ने कांग्रेस शासन के दौरान संविधान की मूल भावना से छेड़छाड़ करने और देश में आपातकाल लगाने की जमकर आलोचना की। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सरकार द्वारा किए गए संविधान सम्मत कार्यों को रेखांकित किया। ज्ञात हो कि भाजपा ने संविधान के महत्त्व एवं संविधान तथा लोकतंत्र को कमजोर करने की कांग्रेस की साजिशों से जनता को अवगत कराने के लिए संविधान गौरव अभियान शुरू किया है। इस अभियान के जरिए भाजपा कांग्रेस की पोल खोलेगी क्योंकि संविधान और लोकतंत्र को जितना चोट कांग्रेस ने पहुंचाया है, उतना किसी ने भी नहीं किया है। कार्यक्रम के दौरान मंच पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल, भाजपा के राष्ट्रीय संगठक श्री वी सतीश, गुजरात के मंत्री श्री जगदीश विश्वकर्मा, महासचिव श्री रजनीभाई पटेल, महापौर श्रीमती प्रतिभाबेन जैन, लोकसभा सांसद श्री दिनेशभाई मकवाना और अन्य नेता उपस्थित थे।

 

श्री नड्डा ने कहा कि आज गुजरात वह पवित्र भूमि है जिसने भारत के सांस्कृतिक, राजनैतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक आंदोलन में अपना योगदान दिया है। स्वामी दयानंद सरस्वती, सोमनाथ बनाने वालेकिंग ऑफ सौराष्ट्र’, भारत की आजादी में प्रमुख भूमिका में रहे महात्मा गांधी और लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल और आज सबसे दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जैसे नेतृत्व देकर गुजरात ने भारत के ‘स्व’ को जगाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने भारत के संविधान को स्वीकृति दिया और संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। लोकतंत्र के इन 75 वर्षों के इतिहास में कई उतार और चढ़ाव आए

 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि 75 वर्षों में से 65 वर्ष कांग्रेस ने इस देश पर राज किया और संविधान के रखवालों के रूप में खड़े हुए। जब 1949 में संविधान को स्वीकृति दी जा रही थी तब संविधान रचयिता भीम राव अंबेडकर जी ने कहा था कि संविधान कितना भी बेहतर हो, लेकिन यदि उसको लागू करने वाले लोग बुरे हैं तो संविधान नाकामयाब हो जाएगा। उन्होंने कहा कि संविधान कितना भी बुरा हो लेकिन यदि उसे लागू करने वाले अच्छे लोग हों तो वो कामयाब हो जाएगा। देश की आजादी के बाद लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल ने 2 वर्षों के भीतर 562 रियासतों को भारतीय संघ के अंतर्गत लाकर खड़ा कर दिया था, लेकिन जम्मू कश्मीर को लेकर जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि उसे उन पर छोड़ दिया जाए। जम्मू और कश्मीर में ऐसी परिस्थितियां बनी कि वहां धारा 370 को लागू कर दिया गया। जब फारुख अब्दुल्लाह के पिता शेख अब्दुल्लाह , जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर धारा 370 रच रहे थे तब तत्कालीन कानून मंत्री डॉ भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि यह लोग चाहते हैं कि भारत माता इन्हें भोजन दे, इनके लिए सड़कें बनाएं और यह भारत सरकार के समकक्ष खड़े हो जाएं, इसे मैं देश द्रोह मानता हूं। उन्होंने कहा कि यह देश के साथ धोखा होगा और मेरे कानून मंत्री रहते हुए धारा 370 लागू नहीं होगी। जवाहर लाल नेहरू ने उस कार्य को आगे बढ़ाया और धारा 370 के साथ 35-ए को भी जोड़ दिया जो यह कहती थी कि जम्मू-कश्मीर का नागरिक को भारत का नागरिक होगा लेकिन भारत का नागरिक जम्मू और कश्मीर का नागरिक नहीं होगा। अलग प्रधान, अलग निशान और अलग संविधान यह आर्टिकल 35-ए की ही देन था।

 

श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी आज ससंद की मर्यादा की चिंता का ढोंग करते हैं लेकिन इनकी पार्टी ने संसद को बिना बताए राष्ट्रपति से हस्ताक्षर करा के धारा 370 के साथ 35 को जोड़ दिया थाजन संघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि एक देश में दो निशान, दो प्रधान और दो विधान नहीं चलेंगे। इसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया और श्रीनगर जेल में संदेहास्पद स्थिति में उनकी मृत्यु हुई। उन्होंने इस देश की एकता के लिए अपना बलिदान दिया। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माता जी ने जब उनकी मृत्यु को लेकर जांच की मांग की तो जवाहर लाल नेहरू ने वो जांच नहीं होने दी। जम्मू और कश्मीर को धारा 370 से यह मिला कि 2019 से पूर्व राज्य में एसटी सीट नहीं थी, गुज्जर, बकरवाल और आदिवासी भाइयों के लिए लोकसभा और विधानसभा में कोई सीट नहीं थी। भारत की संसद ने जिन 126 कानूनों को पास किया था, वो जम्मू और कश्मीर की धरती पर लागू नहीं होते थे। महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों के खिलाफ जो कानून थे वो जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं थे। पॉस्को एक्ट जम्मू और कश्मीर में नहीं लागू था। जम्मू की बेटी अगर किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो वो प्रॉपर्टी के राइट्स से वंचित हो जाती थी। वाल्मीकि समाज के वो लोग जो पंजाब से जम्मू और कश्मीर गए उनके बच्चे केवल सफाई कर्मचारी की नौकरी कर सकते थे। जब देश की जनता ने आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को वोट देकर प्रधानमंत्री बनाया तो 6 अगस्त 2019 को मोदी जी की इच्छाशक्ति ने धारा 370 को जड़ से समाप्त कर दिया। आज बाल्मीकि समाज के लोग जम्मू और कश्मीर के नागरिक हैं। आडवाणी जी उप-प्रधानमंत्री रहे, आई के गुजराल प्रधानमंत्री बने, डॉक्टर मनमोहन सिंह 10 वर्ष प्रधानमंत्री रहे और यह सब वेस्ट पाकिस्तान से आए थे लेकिन जो लोग वेस्ट पाकिस्तान से आकर जम्मू और कश्मीर बस गए वो वहां प्रधान तक नहीं बन पाए, जम्मू कश्मीर की विधानसभा में विधायक तक नहीं बन सके।

 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 12 जून 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के खिलाफ फैसला सुनाया और उनके चुनाव को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकतीं, क्योंकि उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन किया था। उस समय देश को कोई खतरा नहीं था और न ही किसी व्यक्ति पर कोई संकट था, लेकिन इंदिरा गांधी की कुर्सी जरूर खतरे में थी। अपनी सत्ता बचाने के लिए आंतरिक अशांति का माहौल बताकर 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया था। आपातकाल में मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई जैसे देश के वरिष्ठ नेताओं को जेल में डाल दिया गया। आपातकाल के दौरान एमआईएसए (आंतरिक सुरक्षा कानून) और डीआईआर (भारत रक्षा नियम) के तहत 1,35,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया। यह गर्व की बात है कि सबसे ज्यादा लोग, जो आपातकाल के खिलाफ लड़ाई में जेल गए वो भाजपा की विचारधारा से जुड़े थे। उन्होंने पूरी ताकत के साथ स्वतंत्रता और आपातकाल के विरोध में संघर्ष किया। इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन जैसे प्रमुख अखबारों के संपादकीय को सेंसर कर दिया गया और पूरे देश में सेंसरशिप लागू कर दी गई। हजारों परिवार उजाड़ दिए गए, कई परिवारों के मुखिया को जेल भेजा दिए गए, लोगों ने दो साल तक जेल में यातना सही। कई परिवारों में पति-पत्नी दोनों को कैद कर लिया गया, जिससे उनके बच्चे अकेले रह गए। इंदिरा गांधी ने केवल अपनी कुर्सी बचाने के लिए ऐसी निर्दयता की। इंदिरा गांधी ने एक ऐसा कानून लागू किया, जिसके तहत पहली बार भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष को न्यायिक समीक्षा से छूट दे दी गई। इसका मतलब था कि उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती। अपनी सत्ता बचाने के लिए इन कानूनों को पहले से लागू मानकर यानी पिछली तारीख से अमल में लाया गया।

 

श्री नड्डा ने कहा कि इंदिरा गांधी ने 39वें और 42वें संविधान संशोधन अधिनियम पेश किए। 42वें संशोधन में सारी शक्तियां कार्यपालिका के हाथ में केंद्रित कर दी गईं और न्यायपालिका की भूमिका कम कर दी गई। इसका मतलब यह था कि संसद द्वारा बनाए गए कानून न्यायिक समीक्षा से बाहर हो जाएंगे, जो मूल संविधान को बदलने जैसा था, एक प्रकार से एक लघु संविधान था। इंदिरा गांधी में घमंड और अड़ियल रवैया गया था, उन्होंने यह तक कह दिया था कि कोई भी संवैधानिक मामला उनके सामने नहीं लाया जा सकता और न्यायिक समीक्षा की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने "धर्मनिरपेक्ष" और "समाजवाद" शब्द को संविधान में केवल वोट हासिल करने के लिए जोड़ा। इस मुद्दे पर डॉ. भीमराव अंबेडकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत जैसे देश में "धर्मनिरपेक्ष" शब्द की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि हम हमेशा से सभी धर्मों को समान मानते आए हैं। डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि "धर्मनिरपेक्ष" शब्द उन देशों द्वारा अपनाया जाना चाहिए, जिन्होंने अपने संविधान को एक इस्लामिक राज्य के रूप में प्रस्तुत किया। भारत तो हमेशा "सर्वधर्म समभाव" के सिद्धांत पर चलने वाला देश रहा है। इसी कारण संविधान सभा की बहसों के दौरान डॉ. अंबेडकर ने "धर्मनिरपेक्ष" शब्द को संविधान में शामिल न करने की वकालत की थी। डॉ. भीमराव अंबेडकर ने समाजवाद के बारे में कहा था कि भारत में सरकार के स्वरूप का निर्णय सरकार द्वारा नहीं, बल्कि जनता द्वारा किया जाना चाहिए। जनता को अपनी इच्छा के अनुसार सरकार चुनने का अधिकार होना चाहिए, और "समाजवाद" जैसे शब्द को संविधान में शामिल नहीं किया जा सकता लेकिन इंदिरा गांधी ने जनता को लुभाने और झूठे नारों से गुमराह करने के प्रयास में "धर्मनिरपेक्ष" और "समाजवाद" दोनों शब्द संविधान में जोड़ दिए। आपातकाल के दौरान "आंतरिक अशांति" को ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया था जिसमें राष्ट्र के खिलाफ संगठित प्रयास हों, जिससे देश की स्थिरता को खतरा हो, और यह आपातकाल लागू करने का कारण बन सकता है। आज कांग्रेस नेता राहुल गांधी कह रहे हैं कि, "उनकी भारतीय राज्य के खिलाफ लड़ाई है।" राहुल गांधी को तो इतिहास का ज्ञान है और ही किसी मुद्दे की गहरी समझ है।  

 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए गए, जीएसटी लागू किया गया, और "एक राष्ट्र, एक कर" की अवधारणा स्थापित हुई। अब हम समान नागरिक संहिता को लागू करने की ओर बढ़ रहे हैं, जिसमें राज्यों द्वारा इसे लागू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मोदी सरकार के नेतृत्व में कई ऐतिहासिक कदम उठाए गए, जैसे ओबीसी समुदाय को संवैधानिक दर्जा देना और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के लिए 10% आरक्षण प्रदान करना। मेडिकल परीक्षाओं में ओबीसी को 27% और EWS को 10% आरक्षण दिया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि समुदाय को आरक्षण का लाभ भी सुनिश्चित किया। पहली बार जम्मू-कश्मीर में लोगों ने जम्मू-कश्मीर संविधान की जगह भारतीय संविधान की शपथ ली। इसके अलावा, एससी और एसटी समुदाय के सदस्य विधान सभा तक पहुंचे। वहीं, तीन दशक से लंबित महिला आरक्षण विधेयक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पारित हुआ, जिससे लोकसभा और विधान सभा में महिलाओं को 33% आरक्षण मिला

 

श्री नड्डा ने कहा शाह बानो मामले में, जब सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो को भरण-पोषण देने का आदेश दिया तो राजीव गांधी ने मुस्लिम नेताओं और मौलवियों के दबाव में कानून बदलकर शाह बानो को उनके हक के भरण-पोषण से वंचित कर दिया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने तीन तलाक के कानून को खत्म कर दिया और करोड़ों मुस्लिम महिलाओं को स्वतंत्र और सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार दिया। यह भारतीय संविधान का एक सकारात्मक और ऐतिहासिक परिणाम है। अब तक देश में 100 से अधिक बार राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। इंदिरा गांधी ने इसे 50 बार लागू किया, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे 8-9 बार लागू किया और राजीव गांधी ने भी कई बार राष्ट्रपति शासन लगाया। लेकिन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनने के बाद, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू नहीं किया गया। जम्मू-कश्मीर में भी राष्ट्रपति शासन चुनाव कराने के वादे के साथ लागू किया गया था, और बाद में वहां चुनाव कराए भी गए।

 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि विपक्ष अक्सर डॉ. भीमराव अंबेडकर की केवल प्रशंसा करता है, लेकिन आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार ने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय समरसता दिवस घोषित किया। उनके जन्मस्थल मऊ में स्मारक बनाया गया, लंदन में शिक्षाभूमि स्थापित की गई, नागपुर में दीक्षाभूमि बनाई गई, दिल्ली में महापरिनिर्वाण भूमि और मुंबई में चैत्यभूमि का निर्माण किया गया। इन स्मारकों के जरिए प्रधानमंत्री जी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिष्ठा को समाज में ऊंचा किया। कांग्रेस ने तो बाबा साहेब को भारत रत्न देने से तक इंकार कर दिया था, लेकिन भाजपा समर्थित सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया। कांग्रेस ने हर संभव कोशिश की कि बाबा साहेब चुनाव जीत सकें। उन्हें मुंबई से चुनाव नहीं लड़ने दिया गया, लेकिन वे कोलकाता से संविधान सभा के लिए चुने गए।

 

श्री नड्डा ने कहा कि 26 जनवरी 2025 को भारत अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि गौरव यात्रा के इन 75 वर्षों में कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने संविधान के साथ छेड़छाड़ की, उसकी मूल भावनाओं को नष्ट करने की कोशिश की, और कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने इसे संरक्षित करने का कार्य किया। हमें यह भी पहचानना होगा कि किस सरकार ने बाबा साहब के दृष्टिकोण को उजागर और सुरक्षित करने का कार्य किया। जैसे हम संविधान गौरव अभियान की शुरुआत करते हैं, हमें अपने इतिहास पर गर्व करना चाहिए और उन लोगों के प्रति सतर्क रहना चाहिए जिनकेखाने के दांत और, दिखाने के औरहैं। ये लोग संविधान की किताब तो हाथ में रखते हैं, लेकिन कभी उसे पढ़ा नहीं। उनके पूर्वजों ने संविधान और देश के साथ क्या किया था, इसके बारे में ये कुछ भी नहीं जानते।

 

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