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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा उत्तर प्रदेश के वाराणसी में “काशी तमिल संगमम 3.0” के शुभारंभ अवसर पर दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा शुरू किया गया काशी तमिल संगमम अब तीसरे संस्करण में पहुंच चुका है और आज ये आयोजन भारत की समृद्ध संस्कृति, प्राचीन तमिल भाषा और संस्कृत की गौरवशाली परंपरा का संगम दर्शा रहा है।
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काशी तमिल संगमम अपने आप में दो संस्कृतियों का मिलन है। इस मिलन में संस्कृतियों की अनेकों-अनेक विविधता होने के बाद भी भारत की एकता का मंत्र देखने को मिलता है।
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दो संस्कृतियों के मिलन के लिए ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में ‘अनेकता में एकता’ के मंत्र को सूत्रपात करते हुए यह तृतीय काशी तमिल संगमम आयोजित हो रहा है।
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जब भारत की नई संसद भवन का परिसर बना, तब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दक्षिण के चोल पंडितों द्वारा सेंगोल के पूजन के बाद संसद भवन परिसर में स्थापित कराया।
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आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 10 वर्षों में काशी-तमिल संगमम हो या सौराष्ट्र-तमिल संगमम, हर तरीके से भाषा और सांस्कृतिक विरासत को एकजुट करने का मंत्र दिया है। यह दर्शाता है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दक्षिण को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दक्षिण को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। सेंगोल न्याय का प्रतीक है, जो संविधान के अनुरूप कार्य और कानून पालन का संदेश देता है।
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आज 200 से अधिक तमिल भाई-बहन और स्वयंसेविका समूह की बहनें काशी, अयोध्या व प्रयागराज के महाकुंभ जाएंगी, जो भारत की अटूट संस्कृति को जोड़ने का प्रतीक है।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित ‘काशी तमिल संगमम 3.0’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए कहा कि पूर्व हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एकता की दिशा में अनेकों प्रयास हो रहे हैं। काशी तमिल संगमम अपने आप में दो संस्कृतियों का मिलन है। इस मिलन में संस्कृतियों की अनेकों-अनेक विविधता होने के बाद भी भारत की एकता का मंत्र देखने को मिलता है। कार्यक्रम के दौरान मंच पर तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष श्री के. अन्नामलाई उपस्थित समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इससे पहले श्री नड्डा ने काशी विश्वनाथ की पूजा अर्चना और दर्शन किया ।
श्री नड्डा ने कहा कि तमिलनाडु की भाषा और संस्कृति का काशी से बहुत पुराना संबंध है। दो संस्कृतियों के मिलन के लिए ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में ‘अनेकता में एकता’ के मंत्र को सूत्रपात करते हुए यह तृतीय काशी तमिल संगमम आयोजित हो रहा है। पूर्व हो या पश्चिम, उत्तर हो या दक्षिण, आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में एकता की दिशा में अनेकों प्रयास हो रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि माधवपुर मेले के रूप में गुजरात में मनाई जाने वाली रुकमणी-कृष्णा यात्रा का रिश्ता अरुणाचल प्रदेश से रुकमणी को कृष्ण की द्वारका से गुजरात तक जुड़ता है। इसी तरह से काशी-तमिल संगमम हो या सौराष्ट्र-तमिल संगमम, हर तरीके से भाषा और सांस्कृतिक विरासत को एकजुट करने का मंत्र आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 10 वर्षों में दिया है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सभी भाषाओं की समृद्धता को देश ही नहीं बल्कि दुनिया के पटल पर भी रखा है। तमिल कवि व स्वतंत्रता सेनानी सुब्रमण्यम भारती ने काशी में अपनी शिक्षा गृहण की और अपना पूरा जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए लगा दिया, अंग्रेजों से लड़ते हुए उन्होंने अपना बहुत समय व्यतीत किया। काशी से तमिल जाकर उन्होंने देश की आजादी के लिए अपना योगदान किया। 15वीं शताब्दी में राजा पांडियन ने तमिलनाडु में शिव मंदिर बनाया, जो लोग उन दिनों बाबा के दर्शन के लिए काशी नहीं आ पाते थे, वो राजा पांडियन द्वारा बनाए गए मंदिर के दर्शन करते थे।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित अगस्त्य ऋषि पर आधारित प्रदर्शनी देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। काशी-तमिल संस्कृति में यह प्रदर्शित है कि अगस्त्य ऋषि का जन्म उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन तमिलनाडु में बिताया। ऋषि अगस्त्य तमिल व्याकरण के रचयिता के रूप में प्रसिद्ध हैं, और उनके जन्मदिवस को सिद्धा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यही काशी और तमिलनाडु के गहरे संबंध को दर्शाता है। अगस्त्य ऋषि मंदिर में मौजूद महाकुंड भी इस संबंध को स्पष्ट करता है। जब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने काशी-तमिल संगमम की शुरुआत की थी, तब उन्होंने विविधता में आत्मीयता को देखने पर जोर दिया था, और यही आत्मीयता इस कार्यक्रम में मौजूद लोगों की उपस्थिति से झलकती है। आज 200 से अधिक तमिल भाई-बहनें, स्वयं सेविका समूह की बहनें, तमिलनाडु से काशी, अयोध्या और प्रयागराज के महाकुंभ में जाएंगी। यह भारत की अटूट संस्कृति को जोड़ने का कार्य करने वाला एक महत्वपूर्ण पहलू है।
श्री नड्डा ने कहा कि जब आजादी के बाद तमिलनाडु के सांस्कृतिक गुरुओं ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को एक सेंगोल भेंट किया था, जिसे पश्चिमी संस्कृति में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता है। उस समय, पश्चिमी देशों के राजनयिकों ने इसे पहले आनंद भवन में रखा, बाद में इसे इलाहाबाद के एक संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया। जब भारत की नई संसद इमारत बनी, तब आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इसे दक्षिण के चोल पंडितों द्वारा पूजन के बाद संसद भवन परिसर में स्थापित कराया। यह दर्शाता है कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दक्षिण को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा है। सेंगोल न्याय का प्रतीक है, और इसका संदेश है कि इसे रखने वाला संविधान के अनुरूप कार्य करे, कानून का पालन करे और निरंकुश न हो।
केंद्रीय मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के योगदान से तमिल संगमम को नया रूप और शक्ति मिल रही है। काशी की जनता ने उत्साहपूर्वक इसमें भाग लिया, जिससे भारत की विविधता में एकता की भावना स्पष्ट होती है। इस आयोजन में भारत की समृद्ध संस्कृति, तमिल की प्राचीन भाषा और संस्कृत की गौरवशाली परंपरा का संगम देखने को मिल रहा है। लंबे समय बाद इस पहल को आगे बढ़ाने का निर्णय अत्यंत प्रशंसनीय है। कार्यक्रम में आए लोग काशी की स्मृतियाँ संजोकर लौटेंगे, वहीं तमिलनाडु से आए अतिथि भी अपनी सांस्कृतिक विरासत की यादें यहाँ साझा करेंगे।
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