Salient points of joint press conference : BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi & Delhi BJP State President Shri Virendra Sachdeva.


by Dr. Sudhanshu Trivedi -
08-07-2023
Press Release

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी और दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा की संयुक्त प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

अपने स्थापना के महज 10 साल में किसी पार्टी का चाल, चरित्र, चेहरा और चिंतन इतना  नहीं बदला होगा जितना आम आदमी पार्टी का बदला है : सुधांशु त्रिवेदी

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भारतीय राजनीति में कट्टर ईमानदार के नित-नए किरदार एक के बाद एक उभर कर सामने आते जा रहे हैं। पहले शराब के कारोबार में, फिर बिजली के व्यापार में, फिर भ्रष्टाचार के साथ सरोकार में भी उनका किरदार दिखा। अब आम आदमी पार्टी सरकार का यह एक नए तरीके का भ्रष्टाचार सामने आया है : सुधांशु त्रिवेदी

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अपने सिपहसलारों को, अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को सरकारी सैलरी पर नियुक्त करना और सरकारी पद पर रखते हुए उनसे पार्टी का काम करवाना - यह तो सीधा सादा भ्रष्टाचार का उदाहरण है : सुधांशु त्रिवेदी

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जनता को चंद सौ रुपयों की सहूलियत का वादा कर अपने लिए शीशमहल बना लिया और अपने सिपहसलारों को भी लाखों रुपये दिलवा रहे हैं। अपनों को रेवड़ी नहीं, रबड़ी खिला रहे हैं - माले मुफ्त, दिल बेरहम और अपनों पर करम। सरकारी संपत्ति को अपने अपनों के लिए लुटाना उनका शगल बन गया है : सुधांशु त्रिवेदी

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अब तो यह भी खबर सामने रही है कि उप-राजयपाल द्वारा नियुक्ति रद्द किये जाने के बाद से इन लोगों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी डिलीट करने शुरू कर दिए हैं क्योंकि वह सीधे दिख रहा था कि वह सरकारी पैसा लेकर पार्टी का काम कर रहे हैं : सुधांशु त्रिवेदी

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सरकार में किसी भी पद पर नियुक्ति की एक प्रक्रिया होती है। सक्षम अधिकारी से आपको अनुमोदन लेना पड़ता है। फिर पद सृजित होता है, फिर उसके लिए वित्तीय प्रावधान होता है कि उसकी सैलरी कहां से आएगी। अगर इन पदों पर नियुक्ति के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया है तो यह नैतिकता के साथ-साथ एक बहुत बड़ा कानूनी और टैक्निकल इश्यू भी है : सुधांशु त्रिवेदी

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यह वह पार्टी है जिसने एक शपथ पत्र लिखा था कि हम मकान नहीं लेंगे, सुरक्षा नहीं लेंगे, वाहन नहीं लेंगे लेकिन आज यहाँ तक पहुंच गए हैं कि सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया जा रहा है : सुधांशु त्रिवेदी

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दिल्ली के उप राज्यपाल महोदय ने 437 नियुक्तियां रद्द की हैं। पहली लिस्ट जो सार्वजनिक डोमेन में आई वह 116 लोगों की थी। जब हमने इनकी जानकारी इकट्ठा करनी शुरू की तो आधी रात आते-आते सबके टि्वटर, फेसबुक, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम के सारे अकाउंट डिलीट हो गए: वीरेंद्र सचदेवा

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जो जानकारी हमें मिली, उसमें कई ऐसे नाम हैं जो आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हैं, आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल और उनके नेताओं के लिए काम कर रहे हैं लेकिन उन्हें लाखों में सेलरी दिल्ली की सरकार दे रही है। सरकार से सेलरी लेना और काम एक पॉलिटिकल पार्टी का करना - यह गैर संवैधानिक है: वीरेंद्र सचदेवा

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हम अरविंद केजरीवाल जी से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आपने इन 437 लोगों की नियुक्ति के लिए कोई संवैधानिक अप्रूवल लिया था क्या? : वीरेंद्र सचदेवा

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दिल्ली सरकार में एक भी नौकरी बिना एप्रोप्रिएट अथॉरिटी की परमिशन के बिना लग नहीं सकती। अपने लोगों को उपकृत करना, उनकी जेब भरनाऔर उनकी जेब भरते समय अपनी जेब का भी ध्यान रखना - यह आम आदमी पार्टी का कल्चर है: वीरेंद्र सचदेवा

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दिल्ली के हर विभाग में भ्रष्टाचार है। आज दिल्ली का युवा अरविंद केजरीवाल से पूछ रहा है कि मेरे हिस्से की नौकरी कहां गई जो अपने अपने चमचों को दे दी? : वीरेंद्र सचदेवा

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मैं माननीय उपराज्यपाल जी से निवेदन करता हूं कि 116 नाम के अलावे सारे बाकी नाम भी सार्वजनिक किए जाएं। इसे पब्लिक डोमेन में डाला जाए और इसकी पूरी कराई जाए। किसके कहने पर गैर-कानूनी तरीके से इन लोगों की नियुक्ति की गई?  जो भी इसके लिए दोषी हैं, उसके ऊपर कारवाई की जाए: वीरेंद्र सचदेवा

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी और दिल्ली प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा ने आज शनिवार को पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता को संबोधित किया और दिल्ली सरकार द्वारा सरकारी पैसे खर्च कर आम आदमी पार्टी के प्रचार के लिए लोगों को नियुक्त करने के समाचार को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि उपराज्यपाल द्वारा दिल्ली सरकार में 437 ऐसे लोगों की नियुक्ति को निरस्त किया जाना एक उचित और सही कदम है।

 

भारतीय राजनीति में कट्टर ईमानदार के नित-नए किरदार एक के बाद एक उभर कर सामने आते जा रहे हैं। पहले शराब के कारोबार में उनका किरदार दिखा, फिर बिजली के व्यापार में उनका किरदार दिखा। फिर अदालत में और भ्रष्टाचार के साथ सरोकार में भी उनका किरदार दिखा। अब एक नए प्रकार का किरदार उनका दिख रहा है जिसमें अपने सिपहसलारों को, अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं को सरकारी सैलरी पर नियुक्त करना और सरकारी पद पर रखते हुए उनसे पार्टी का काम करवाना - आम आदमी पार्टी सरकार का यह एक नए तरीके का भ्रष्टाचार सामने आया है। सरकारी पद पर रहते हुए विधिवत काम करे पार्टी का, अरविंद केजरीवाल जी के व्यक्तिगत राजनीतिक कार्य का - यह तो सीधा सादा भ्रष्टाचार का उदाहरण है।

 

जनता को चंद सौ रुपयों की सहूलियत का वादा कर अपने लिए शीशमहल बना लिया और अपने सिपहसलारों को भी लाखों रुपये दिलवा रहे हैं। अपनों को रेवड़ी नहीं, रबड़ी खिला रहे हैं - माले मुफ्त, दिल बेरहम। ये सरकार की आय को जिस रूप में प्रयोग करते हैं, इस पर तो मैं कहना चाहता हूँ कि माले मुफ्त, दिल बेरहम और अपनों पर करम। सरकारी संपत्ति को अपने अपनों के लिए लुटाना - ये उनका शगल बन गया है।

 

अब तो यह भी खबर सामने रही है कि उनके द्वारा नियुक्त इन लोगों ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी डिलीट करने शुरू कर दिए हैं क्योंकि वह सीधे दिख रहा था कि वह सरकारी पैसा लेकर पार्टी का काम कर रहे हैं। कई ऐसी जानकारियां सामने आई हैं। जैसे, श्री राम कुमार झा हैं जो उनके निजी स्टाफ में कम कर रहे हैं, अभी जब उनके घर का विषय आया था तो पत्रकारों के साथ उलझते हुए उनकी फोटो भी सामने आई। ये सरकार से सैलरी ले रहे हैं। एक निशा सिंह जी हैं जो एसोसिएट फेलो हैं, इनके ऊपर एक मुकदमा भी है जिसकी प्रक्रिया चल रही है। शायद चार्जशीटेड भी हैं, यह भी विधिवत सरकारी सैलरी लेते हुए पार्टी का काम कर रहे हैं। सबके डॉक्युमेंट्री एविडेंस अवेलेबल है। ये लोग सोशल मीडिया पर आम आदमी पार्टी का ही काम कर रहे हैं। एक इनके सिटिंग विधायक की धर्मपत्नी हैं आँचल बाबाजी, सरकार से सेलरी ले रही हैं लेकिन काम पार्टी का हो रहा है। एक अक्षय मल्होत्रा हैं, वह भी उनके निजी स्टाफ में हैं। ऐसी जानकारी है कि ये उनके लिए गाड़ी भी चलाते हैं और सोशल मीडिया पर पार्टी का प्रचार-प्रसार भी करते हैं, इनकी सेलरी भी दिल्ली की राज्य सरकार दे रही है।

 

यह वह पार्टी है जिसने एक शपथ पत्र लिखा था कि हम मकान नहीं लेंगे, सारे के सारे विधायकों से लिखवाया था कि हम सुरक्षा नहीं लेंगे, वाहन नहीं लेंगे लेकिन आज यहाँ तक पहुंच गए हैं कि सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया जा रहा है। मुझे लगता है अपने स्थापना के महज 10 साल में किसी पार्टी का चाल, चरित्र, चेहरा और चिंतन इतना  नहीं बदला होगा जितना आम आदमी पार्टी का बदला है।

 

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि दिल्ली के उप राज्यपाल महोदय ने 437 नियुक्तियां रद्द की हैं। पहली लिस्ट जो सार्वजनिक डोमेन में आई वह 116 लोगों की थी। जब 116 लोगों की जानकारी हमने इकट्ठा करनी शुरू की तो आधी रात आते-आते सबके टि्वटर, फेसबुक, लिंक्डइन, इंस्टाग्राम के सारे अकाउंट डिलीट हो गए। जो बच पाए, उनके डिटेल हमने मीडिया में रखे हैं। एक हैं मनोज कुमार झा - ये आम आदमी पार्टी के ट्वीट को रीट्वीट करते हैं, उस पर कमेंट करते हैं और ये  दिल्ली जल बोर्ड के चीफ मीडिया एडवाइजर के पोस्ट पर हैं। इनकी सैलरी डेढ़ लाख रुपए प्रति महीना है। ऐसे ही एक नितिन हैं जो एसोसिएट फेलो हैं। उनके सारे ट्वीट देखें तो उनके पास अरविंद केजरीवाल का गुणगान करने के अलावा और कोई काम नहीं है। सैलरी एक लाख रुपए प्रति महीना है। एक नाम है प्रियदर्शनी - सैलरी सवा लाख रुपये लेकिन ये आम आदमी पार्टी हरियाणा यूथ विंग की वाइस प्रेसिडेंट हैं। एक नाम है शालिनी यादव - इनके बारे में तो बिजनेस वर्ल्ड ने लिखा कि ये राजनीति को बदलने के लिए आई थी। इन्होंने आम आदमी पार्टी को ज्वाइन किया। सुबह से शाम एक इनका एक ही काम है - अरविंद केजरीवाल का काम करना, इनकी सेलरी एक लाख रुपये प्रति महीना है। ऐसे लगभग 40-45 नाम हैं। सबका काम एक ही है - आम आदमी पार्टी, अरविंद केजरीवाल या आम आदमी पार्टी के नेताओं के लिए काम करना, उनका सोशल मीडिया पर प्रचार-प्रसार करना। सरकार से सेलरी लेना और काम एक पॉलिटिकल पार्टी का करना - यह गैर संवैधानिक है।

 

हम अरविंद केजरीवाल जी से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि आपने इन 437 लोगों की नियुक्ति के लिए कोई संवैधानिक अप्रूवल लिया था क्या? दिल्ली सरकार में एक भी नौकरी बिना एप्रोप्रिएट अथॉरिटी की परमिशन के बिना लग नहीं सकती। अपने लोगों को उपकृत करना, उनकी जेब भरनाऔर उनकी जेब भरते समय अपनी जेब का भी ध्यान रखना - यह आम आदमी पार्टी का कल्चर है। दिल्ली के हर विभाग में भ्रष्टाचार है। आज दिल्ली का युवा अरविंद केजरीवाल से पूछ रहा है कि मेरे हिस्से की नौकरी कहां गई जो अपने अपने चमचों को दे दी? मैं माननीय उपराज्यपाल जी से निवेदन करता हूं कि 116 नाम के अलावे सारे बाकी नाम भी सार्वजनिक किए जाएं। इसे पब्लिक डोमेन में डाला जाए और इसकी पूरी कराई जाए। किसके कहने पर गैर-कानूनी तरीके से इन लोगों की नियुक्ति की गई?  जो भी इसके लिए दोषी हैं, उसके ऊपर कारवाई की जाए, यह हमारी मांग है।

 

सरकार में किसी भी पद पर नियुक्ति की एक प्रक्रिया होती है। सक्षम अधिकारी से आपको अनुमोदन लेना पड़ता है। फिर पद सृजित होता है, फिर उसके लिए वित्तीय प्रावधान होता है कि उसकी सैलरी कहां से आएगी। अगर इन पदों पर नियुक्ति के लिए आम आदमी पार्टी की सरकार ने तय प्रक्रिया का पालन नहीं किया है तो यह नैतिकता के साथ-साथ एक बहुत बड़ा कानूनी और टैक्निकल इश्यू भी है।

 

दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री वीरेंद्र सचदेवा ने तीन बिल भी दिखाए जिसमें दिल्ली सरकार द्वारा गैर-कानूनी तरीके से नियुक्त लोगों के सेलरी बिल हैं। एक बिल में 107 लोगों के नाम हैं जिन्हें एक महीने में 80.70 लाख रुपये सेलरी दी गई। दूसरे पेपर में 21 लोगों का बिल था जिन्हें 1 महीने की सैलरी 21.90 लाख रुपये दी गई और तीसरे बिल में 9 लोगों के नाम हैं जिनकी एक महीने की सेलरी 5.58 लाख रुपये थी। कितने साल से आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की जनता की गाढ़ी कमाई को लूट रहे हैं, अरविंद केजरीवाल इसका जवाब दें।

 

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