Salient points of speech : Hon'ble BJP National President Shri J.P. Nadda while addressing an important Event "Dark Days of Democracy" against the Emergency imposed on the country by the Congress Party Govt. in 1975


by Shri Jagat Prakash Nadda -
25-06-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वाराआपातकाल के काले दिनकार्यक्रम में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिन्दु

 

 आपातकाल को देश पर थोपने और प्रजातंत्र का गला घोंटने का जो कुत्सित प्रयास हुआ था, उसे जनता के सामने लाने का भाजपा प्रयास कर रही है। भाजपा सारे देश में 25 जून को काला दिवस के रूप में मना रही है और अनेक कार्यक्रम आयोजित कर रही है।

*********************

आपातकाल के दौरान भारतीय जनसंघ के कई नेताओं को एक दिन या दो दिन नहीं, बल्कि 19 महीनों से ज्यादा जेल में रहना पड़ा था और इन नेताओं का कसूर सिर्फ इतना था कि ये प्रजातंत्र की रक्षा और मजबूती के लिए आवाज उठा रहे थे।

*********************

आज तक कभी भी लोकसभा के स्पीकर का चुनाव सशर्त हुआ है क्या? विपक्ष कह रहा है कि डिप्टी स्पीकर तय करो तब हम स्पीकर पद पर समर्थन देंगे।

*********************

विपक्ष की राज्य सरकारों ने तेलंगाना, कनार्टक और पश्चिम बंगाल में स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों अपने दल के ही बनाए हैं। विपक्ष में ऐसे लोग हैं, जो दोहरे मापदंड में जीते हैं।
*********************

 कांग्रेस की सोच एवं उनकी कार्यशैली में प्रजातंत्र की कोई गुंजाइश ही नहीं है और जिसने इनका विरोध किया, उसे समाप्त करने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।

*********************

कांग्रेस ने 90 बार चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया है। 1973 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने सबसे वरिष्ठ जज को दरकिनार कर जस्टिस अजीत नाथ रे को चीफ जस्टिस बनाया।

*********************

प्रजातंत्र की दुहाई देने वाले राहुल गांधी ने 2013 में अपनी ही सरकार द्वारा संसद में पारित किए गए अध्यादेश की प्रति फाड़ने का काम किया था।

*********************

12 जून, 1975 को इलाहाबाद की हाई कोर्ट का फैसला आया और कोर्ट ने अनुचित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया गया था और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी।

*********************

 

भारतीय जनता पार्टी के माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा द्वारा नई दिल्ली स्थित भाजपा के केंद्रीय कार्यालय मेंआपातकाल के काले दिनकार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस द्वारा आपातकाल लगाकर लोगों पर किए गए अत्याचार और कांग्रेस और विपक्ष अपनाए जा रहे दोहरे मापदंड पर जमकर हमला बोला। कार्यक्रम के दौरान मंच पर भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री श्री बीएल संतोष, राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री श्री शिवप्रकाश, राष्ट्रीय महामंत्री श्री विनोद तावड़े, राष्ट्रीय महामंत्री श्री दुष्यंत गौतम, राष्ट्रीय महामंत्री श्री राधा मोहन अग्रवाल एवं राष्ट्रीय मीडिया सह-प्रभारी डॉ. संजय मयूख उपस्थित रहे।

 

श्री नड्डा ने कहा कि 25 जून 1975 को देश के प्रजातंत्र के गले को घोंटकर देश में आपातकाल लगाया गया था और इसको जनता के समक्ष लाने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में आज काला दिवस के कार्यक्रम को आयोजित कर रही है। आपातकाल के समय की कुनीति देश के लिए कितनी बड़ी चुनौती है, यह जानना एक सजग प्रजातन्त्र के लिए अति आवश्यक है। देश ने कुछ समय पहले ही लोकसभा चुनाव के महापर्व को मनाकर 18वीं लोकसभा का गठन किया है। भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है और यह प्रक्रिया लगभग 1100 वर्ष पुरानी है। उत्तरमेरुर स्थान पर प्रजातन्त्र की बुनियादी बातों का जिक्र मिलता है। कांग्रेस ने ऐसे ऐतिहासिक प्रजातंत्र के गला घोंटने का काम किया। देश एकजुट होकर आपातकाल के खिलाफ खड़ा हुआ और सबने डटकर इसका विरोध किया था, जिसका नतीजा है कि देश में प्रजातंत्र भी बहाल हुआ और देश ने हाल ही में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया को पूर्ण किया है। मेरा देश के युवाओं से निवेदन है कि आपातकाल को देखने वाले लोगों से इस सप्ताह में मिलें और उनके अनुभवों को जानने का प्रयास करें। आज के नौजवान कभी कल्पना भी नहीं कर सकता की उस समय जिन लोगों ने प्रजातंत्र की रक्षा के लिए अपनी आहुति दी थी उसकी ताकत के कारण आज प्रजातंत्र मजबूत होकर खड़ा है। आज देश में आपातकाल के दौरान दुख के दिनों के 50 वर्ष हो गए हैं। जनता कल्पना नहीं कर सकती एक रात में 9 हजार लोगों को जबरन उठा लिया गया जिसमें मोरारजी देसाई, मोहन धारिया, अटल बिहारी वाजपेयी, श्री एल.के. आडवाणी जैसे नेताओं की लंबी श्रृंखला है, जिनको 25 जून 1975 को हिरासत में ले लिया गया और इन नेताओं को एक दिन या दो दिन नहीं, बल्कि 19 महीनों से ज्यादा जेल में रहना पड़ा था। इन नेताओं का कसूर सिर्फ इतना था कि इन्होंने प्रजातंत्र की रक्षा और मजबूती के लिए आवाज उठाई थी।

 

राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि 12 जून, 1975 को इलाहाबाद की हाई कोर्ट का फैसला आया और कोर्ट ने अनुचित तरीके से चुनाव लड़ने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर दिया गया था और उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद संविधान को बदलकर इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी को बचाने का प्रयास किया। जिसके बाद पूरा देश उद्वेलित हो गया और इस उद्वेलना को रोकने के लिए इंदिरा गांधी ने 25 जून, 1975 की रात को आपातकाल की घोषणा की और हजारों लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। देश की रक्षा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों ने उस समय अपना योगदान दिया था। लगभग 1 लाख 40 हजार करोड़ लोग आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (MISA) और डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स (DIR) के तहत लोग गिरफ्तार हुए थे, जिसमें से लगभग 75 से 80 हजार लोग भारतीय स्वयंसेवक के लोग थे। ऐसे लाखों परिवारों ने देश के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ लगाकर देश की रक्षा के लिए आये थे।

 

श्री नड्डा ने कहा कि उन्होंने आपातकाल के समय इस तरीके का वातावरण बना दिया था की घर के अंदर भी उन्मुक्तता से बात नहीं कर सकते थे और उस समय कॉलेज कम पुलिस की छावनी लगती थी। श्री नड्डा ने कहा कि उनके इंटरमीडिएट के दौरान उनकी कक्षा के सभी विद्यार्थियों को गिरफ्तार किया गया था वो भी सिर्फ इंकलाब ज़िन्दाबाद के नारे के कारण। उस समय इतने लोगों को गिरफ्तार कर रहे थे लेकिन एक भी लोग का मनोबल नहीं टूटा और हर दिन सत्याग्रह हो रहे थे।

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि आपातकाल के समय नारा लगा था 'इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया'। इस तरह के प्रजत्रांत का गला घोंटने वाले ये लोग थे। श्री नड्डा ने राहुल गांधी पर व्यंगात्मक तौर पर टिप्पणी करते हुए कहा  यह बात अलग है कि राहुल गांधी इतिहास कम पढ़े हैं, इसलिए उनको इतिहास की जानकारी कम है और पता नहीं उनकी डिग्री कितनी है। कांग्रेस की सोच एवं उनकी कार्यशैली में प्रजातंत्र की कोई गुंजाइश ही नहीं है और जिसने विरोध किया, उसे समाप्त करने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। चाहे हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बात करें जो कांग्रेस दल के चयनित अध्यक्ष थे, लेकिन उन्हें पार्टी के दबाव में अपने पद इस्तीफा देना पड़ा। सबसे लोकप्रिय नेता सरदार पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनाया गया, कांग्रेस ने हमेशा संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष बाबा साहब अंबेडकर के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा किया और जब भी वे चुनाव लड़े, उनका विरोध किया। यह भी सच है कि बाबा साहब अंबेडकर को कैबिनेट का सदस्य होने के बाद भी इस्तीफा देना पड़ा। कांग्रेस पार्टी की सोच में विपक्ष के लिए कोई जगह नहीं है। अगर कोई विरोध करता है तो कांग्रेस उसे खत्म कर देती है। श्री नड्डा ने कहा कि मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों के तहत कई पत्रकारों को भी गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया। कांग्रेस के नेता संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, लेकिन उन्होंने इतिहास नहीं पढ़ा है। उन्हें राजघाट जाकर देश की जनता से आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या करने के अपने कृत्य के लिए माफी मांगनी चाहिए।

 

श्री नड्डा ने कहा कि आज विपक्ष प्रजातंत्र की दुहाई देकर संविधान की रक्षा की बातें कर रहा है। जबकि कांग्रेस ने 90 बार चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया है। 1973 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने चीफ जस्टिस के पद पर सबसे वरिष्ठ जज को दरकिनार कर जस्टिस अजीत नाथ रे को चीफ जस्टिस बनाया। कांग्रेस सरकार ने जस्टिस खन्ना को दरकिनार कर जस्टिस बेग को भी देश का चीफ जस्टिस नियुक्त किया गया था। धर्मनिरपेक्षता की बात करने वाली कांग्रेस ने सूडो-सेक्युलरिज्म का उदाहरण प्रस्तुत किया है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने शाहबानों मामले में निर्वाह निधि देने का निर्णय किया था, मगर 21वीं सदी की ओर देखने वाले राजीव गांधी ने संविधान में संशोधन करके इस निर्णय को पलटने का कार्य किया था। विपक्ष आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी केसबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयासकी भावना के खिलाफ खड़ा है।

 

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने शिक्षा का अधिकार (RTE) कानून के तहत आस्था के साथ भेदभाव किया, जहां अल्पसंख्यक संस्थानों को सभी तरह की सुविधाएं और रियायतें प्रदान की गई लेकिन बहुसंख्यक संस्थानों के साथ दोहरा मापदंड अपनाया गया। प्रजातंत्र की दुहाई देने वाले राहुल गांधी ने 2013 में अपनी ही सरकार द्वारा संसद में पारित किए गए अध्यादेश की प्रति फाड़ने का काम किया था। जनता ने विपक्ष को आईना दिखा दिया, मगर रस्सी जल गई लेकिन बल नहीं गया। विपक्ष अपनी चर्चाओं में संसदीय मर्यादाओं और शब्दावली का ध्यान नहीं रखता है। देश में कभी भी लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किसी शर्त के साथ नहीं हुआ, मगर आज विपक्ष ने कहा कि पहले लोकसभा उपाध्यक्ष का पद तय करें, उसके बाद लोकसभा अध्यक्ष पर समर्थन दिया जाएगा। यह मांग कांग्रेस कर रही है, जिसने तेलंगाना और कर्नाटक में सरकार बनने के बाद स्पीकर और डिप्टी स्पीकर दोनों ही पद अपने पास रखें हैं। पश्चिम बंगाल में टीएमसी, तमिलनाडु में डीएमके और केरल में सीपीआई का ही स्पीकर और डिप्टी स्पीकर है। हाथी के दांत दिखाने के और खाने के और हैं। विपक्ष के लोग दोहरे मापदंड में जी रहे हैं और जनता को इनकी मानसिकता के बारे में पता चल चुका है।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नड्डा ने कहा कि आज आपातकाल को याद करते हुए हमें यह समझना होगा कि कांग्रेस के मन में यही विचार है कि इनकी मानो नहीं, तो ये जनता के साथ मनमर्जी व्यवहार करेंगे। आपातकाल के समय कांग्रेस ने षड्यन्त्र कर प्रजातंत्र का गला घोंटने का प्रयास किया। कांग्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय जैसे संस्थान को अपनी गिरफ्त में लेने का कार्य किया था और आज कांग्रेस देश के संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की बातें कर रही है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 10 वर्षों तक सरकार चली, लेकिन जम्मू-कश्मीर को छोड़ किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं लगाया गया और जम्मू-कश्मीर में भी जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। प्रजातंत्र के मूल्यों के लिए जीना पड़ता है। बिहार में लालू सरकार ने उपद्रव किया था और आज पश्चिम बंगाल में प्रजातंत्र का गला घोंटा जा रहा है और घुसपैठियों को पनाह दी जा रही है। भाजपा प्रजातंत्र की लड़ाई प्रजातंत्र की ताकत से ही लड़ती है, लेकिन यह विपक्ष के लोग हर तरह से षड्यन्त्र कर प्रजातंत्र का गला घोंटने का कार्य कर रहे हैं। भाजपा का यह कार्यक्रम एक सप्ताह तक चलेगा, जिसमें कांग्रेस की काली करतूतों, गैर-प्रजातांत्रिक मनसूबों और कार्यों को जनता के सामने लाकर इनके असली चेहरे को उजागर किया जाएगा।

 

************************

To Write Comment Please Login