Resolution On Uttar Pradesh


19-06-2011
Political Resolution

 

भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक लखनऊ (उŸार प्रदेश) 3-4 जून, 2011 उत्तर प्रदेश सम्बन्धी प्रस्ताव भारत जैसे विशाल और महान देश की राजनीति का एजेण्डा तय करने वाले उत्तर प्रदेश का योगदान - सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में अतुलनीय रहा है। प्राकृतिक संपदा, विशालतम क्षेत्र, कल-कल करती नदियां और इन सबसे ज्यादा अमूल्य यहां के लोगों ने अपने पुरुषार्थ से सफलता की अनेक नई-नई कहानियां लिखी हैं। विडम्बना है कि ऐसा प्रदेश आज कुशासन, अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, गुण्डाराज, माफियाराज, जातिवाद का पर्याय बना दिया गया है। प्रदेश में, वर्तमान बहुजन समाज पार्टी और पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकारों ने उत्तर प्रदेश को इस कगार पर पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने भी इन दलों को कभी खुलकर तो कभी पीछे से अपना समर्थन देकर प्रदेश की बर्बादी में अपना योगदान दिया है। उत्तर प ्रद ेश की इस खस्ता हालत के लिए यह ‘तिकड ़ी’ प ूरी तरह से जिम्मेदार है। चार वर्ष पूर्व ‘सर्वजनहिताय’ के नाम पर चुन कर आई बसपा सरकार के कुशासन के चलते समाज का प्रत्येक वर्ग त्राहि-त्राहि कर रहा है और अपनी व्यथा को मुखरित करने सड़कों पर उतर रहा है। सड़कों पर उतरने वालों को मायावती सरकार की पुलिस और प्रशासन लाठियों से पीटता है। आम आदमी अपनी व्यथा किससे कहे और कैसे कहे? लगता है पुलिस और प्रशासन अपनी निष्पक्षता पूरी तरह खो चुका है। तथा सत्ता के दबाव में सामान्य जनता का खुलकर उत्पीड़न कर रहा है। जब बाड़ ही खेत को खाने लगेगी तो खेत की रक्षा कैसे होगी? प ्रदेश में लोकतंत्र शर्म सार हो रहा है। अपराधियों के शासन से आम जनता के साथ-साथ प्रशासन तंत्र भी शिकार बन रहा है। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति की सही तस्वीर का आंकलन करने के लिए कुछ घटनाएं ही काफी हैं। कमीशन न देने पर एक विधायक अभियंता की हत्या कर देता है। स्वास्थ्य विभाग के दो सीएमओ की हत्या होती है पर हत्यारों का आजतक पता ही नहीं चल पाया है! जनमत के दबाव में जब इस हत्या की जांच सूबे की सरकार के दो कद्दावर मंत्रियों तक पहुंचती है तो उनसे मात्र इस्तीफा ले लिया जाता है। एक प्रमुख सचिव की रहस्यमय मृत्यु आज भी कानून की पकड़ से परे है। म ुख्यमंत्री के जन्मदिन के वसूली अभियानों से तंग आकर लेखपाल से लेकर अभियंता तक आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाते है ं; और तो और इस अराजकता से ऊबे हुए प्रदेश की नौकरशाही का शीर्ष मुखिया स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले लेता है पर सरकार में कोई जुम्बिश नहीं होती! प्रदेश की जनता के भीतर तूफान है पर बाहर सब शान्त है क्योंकि माया का आतंक है - अपराधियों का शासन है। बच्चे, बूढ़े और महिलायें सर्वाधिक पीड़ित हो रहे हैं। नोएडा/ग्रेटर नोयडा की बेशकीमती भूमि को किसानों से सस्ते मूल्य पर अधिग्रहित कर चन्द घरानों को ओने-पौने दामों पर दे दी। नोयडा हो या टप्पल, करछना हो या कटेशर (चंदौली) प्रदेश के किसी भाग में भूमि अधिग्रहण करना और विरोध करने पर लाठी गोली चलवाना मायावती का शौक है। किसान भूमि से वंचित हुए उनकी जीविका भी गई और उनके बच्चे भी बेरोजगार हैं। भाजपा के नेता या कार्यकर्ता विरोध करते हैं तो गिरफ्तार कर गांव तक जाने नहीं दिया जाता परन्तु नूरा कुश्ती के सहयोगी कांग्रेस के महासचिव जाते हैं तो धारा 144 हटा ली जाती है। इस राज्य में सभी संवैधानिक निर्वाचित संस्थाओं का अवमूल्यन हुआ है। किसान विरोधी इस सरकार ने गेहूं के समर्थन मूल्य हेतु क्रय केन्द्र खोलने का की सरकार के द्वारा कोई राहत शिविर की व्यवस्था नही ं की गई। केन्द्र व प्रदेश सरकारें एक दूसरे पर लांछन लगाकर नूरा कुश्ती में मस्त हैं। मायावती सरकार के पिछले चार वर्षों के दौरान समाज के कमजोर वर्ग विशेषकर दलितों, अति पिछड़ों पर अत्याचार व उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ी हैं। उत्तर प ्रदेश अनसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में दलित उत्पीड़न की घटनाओं में 30 प ्रतिशत की व ृद्धि हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 6 वर्ष की बच्चियों से लेकर 70 वर्ष की महिलाओं के साथ दुराचार की घटनायें आम बात हो गयी हैं। व्यापारी माया टैक्स से तो कराह ही रहा था लेकिन अपराधियों द्वारा रंगदारी की मांग उसे और भी त्र्रस्त कर रही है। पूरा राज्य व्यापारी लूट और अपहरण स े त्राहि-त्राहि कर रहा है। शिक्षा चैपट है, बेरोजगार दिशाहीन नौजवान सड़क पर घूमने को विवश है। भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश मे ं सम्प ूर्ण गौव ंश की हत्या पर प ूर्ण प्रतिब ंध का कानून बनाया था। जिसको वर्तमान सरकार ने निष्प्रभावी कर दिया है। यांत्रिक बूचड़खाने से लेकर खेत तक खुलेआम गौहत्या हो रही है। जिससे दुग्ध उत्पादन भी प ्रभावित हो रहा है। अनियंत्रित पशुवध और उसके लिए खोले जाने वाले नये आठ यांत्रिक पशुवध शालाओं के विरोध में जनता सड़कों पर है। जैन मुनि श्री मैत्रप्रभु सागर महाराज को बड़ौत में आमरण अनशन तक पर बैठना पड़ा। प्रदेश में विकास ठप्प है। यदि कहीं विकास है तो समाचारपत्रों के विज्ञापनों और सड़कों पर लगे होर्डिंग्स में है। विकास के नाम पर बसपा राजनीतिज्ञों, प्रशासननिक अधिकारियों, माफियाओं का सिंडिकेट मलाई चाट रहा है। यह विकास का कौन सा ‘माॅडल’ है जिसमें प्रदेश में होने वाला कुल पूंजी निवेश शून्य है। राज्य मे ं कोई नए उद्योग नहीं आ रहे हैं। जो परम्परागत उद्योग थे वे भी या तो अपनी मौत मर रहे हैं या दूसरे राज्यों में जाने को बाध्य हो रहे हैं। प्रद ेश म े ं भय ंकर बिजली स ंकट है, उत्पादन और वितरण क े आंकड ़ े कागजी है ं। नैनी, कानपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ के इंजीनियरिंग उद्योग दूसरे प्रदेशों की ओर रुख कर रहे हैं। आगरा और कानपुर जो चमड़ा उद्योग में आज से पांच साल पहले तक सर्वोपरि था आज चेन्नई के वैल्यूएडिशन चर्म उद्योग के आगे कुछ भी नहीं है। प्रदेश के हथकरघा उद्योग बंदी के कगार पर हैं। नतीजा यह हो रहा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के चार करोड़ से ज्यादा बेरोजगारों के हाथ खाली हैं, पेट खाली हैं। पेट यदि किसी का भर रहा है ता े वे हैं कुछ मुट्ठीभर भ्रष्ट राजनीतिक, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस तंत्र तथा माफिया। मुख्यमंत्री ने पिछले चार वर्षों में इन उद्योगों के कल्याण के लिए क्या किया? लेकिन भाजपा की सरकार अगर स ूबे में बनी तो वह आधार भूत सुविधायें (बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’) को सबस े पहल े स ुनिश्चित करेगी। कुटीर उद्योग और हस्तशिल्प ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ होते हैं। ऐसे प्रमुख उद्योग केन्द्रों जैसे मुरादाबाद, बरेली, खुर्जा, फिरोजाबाद, आगरा, वाराणसी, मऊ सहित अन्य जिलों को बिना भूमि अधिग्रहण किये हुये ‘स्पेशल इकनाॅमिक जोन’ की सुविधाएं दी जाएंगी। नई दिल्ली में कांग्रेस सरकार देश को लूटने में लगी है तो उत्तर प्रदेश म े ं उनकी ‘सहयोगी’ मायावती सरकार भी लूटने में पीेछे नहीं है। लगता है लूट का रिकार्ड बनाने का मैराथन चल रहा है। सत्तारूढ़ दल राजकोष लूट रहा है। औने-पौने दाम पर 11 चीनी मिलों की बिक्री में करोड़ों रुपये का घोटाला हुआ है। लगभग 1500 करोड़ रुपये बाजार मूल्य की इन 11 चीनी मिलों को सरकार ने लगभग 470.75 करोड़ रुपये में बेच दिया। किसानों की कीमती जमीन छीनकर औद्योगिक घरानों को देने में अरबों की डील हुई है। यह तो एक बानगीभर है। इस लूट के चलते देश और प्रदेश की जगहंसाई हो रही है। बसपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में लाभ लो-लाभ दो की नीति के अन्तर्गत भ्रष्टाचार को संस्थागत बना दिया है। एक ओर गुजरात हो या छत्तीसगढ़, म.प्र. हो या कर्नाटक, बिहार हा े या हिमाचल या भाजपा शासित अन्य राज्य विकास एवं सुशासन के नये कीर्तिमान स्थापित करने की प ्रतिस्पर्धा में आग े बढ़ रह े है ं तब उत्तर प ्रदेश और प ्रत्य ेक छठव े ं भारतीय वाल े प्रदेशवासियों को कुशासन, अव्यवस्था, अराजकता के अंधेरे में नहीं छोड़ा जा सकता। हमारा मानना है कि प्रदेश में तेजी से विकास करने के सारे संसाधन उपलब्ध हैं मगर नहीं है तो एक ईमानदार सरकार और लोगों के हित में काम करने वाला प्रशासन। भारतीय जनता पार्टी एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते अब इस स्थिति को एक क्षण भी सहन करने को तैयार नहीं है। भाजपा की प्रदेश में रही सरकारों ने उत्तर प्रदेश और यहां के निवासियों की तकदीर और नियति बदलने की सफल कोशिश भी की थी। पार्टी ने पिछले दिनों में बसपा सरकार और उसकी सहयोगी कांग्रेस पार्टी तथा समाजवादी पार्टी की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सड़कों पर पोल खोली है। हमारे कार्यकर्ता पुलिस लाठियों को सहते हुए प्रदेश की जनता की व्यथा को मुखरित करने में जुटे हैं। हमारा यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक उत्तर प्रदेश को जंगलराज और गुण्डाराज से मुक्ति नहीं मिल जाती। प ्रदेश की जनता के सामने एक ही विकल्प है भाजपा का सुशासन और विकास बनाम बसपा, सपा और कांग्रेस का ‘अवसरवाद’। हमारा लक्ष्य है ‘प्रदेश में गुण्डाराज और जंगलराज के स्थान पर रामराज्य को लाना।’ नियति उत्तर प्रदेश को फिर से अपना खोया स्थान और गौरव वापस देना चाहती है। प्रदेश फिर से देश का एजेण्डा तय करे और देश का नेतृत्व करे- ऐसा चाहती है। आइए, नियति के इस आमंत्रण को स्वीकार करें। भारतीय जनता पार्टी इस आमंत्रण में सभी 20 करोड़ उत्तर प्रदेशवासियों के साथ शामिल होना चाहती है। हमारे लोकप्रिय नेता एव ं प ूर्व प्रधानम ंत्री श्री अटलबिहारी वाजपेयीजी के शासन और उनके व्यक्तित्व ने प ्रदेश की तस्वीर संवारी थी। हम फिर से प्रदेश का तस्वीर और तकदीर संवारना चाहते हैं। प्रदेश का अस्मिता पर लगे भ्रष्टाचार, कुशासन और अराजकता के दागों को मिटाना चाहते हैं। एक नए और तेजी से विकसित होते उत्तर प्रदेश का सपना हमारी आंखों में हैं। एक समन्वित और सबके विकास तथा सम्मान का ब्लूप्रिंट हमारे पास है। इस प्रद ेश का कायाकल्प करने क े लिए पार्टी विज़न दस्तावेज तैयार कर रही है। यह विज़न 20 करोड़ प्रदेशवासियों की तरक्की का दस्तावेज होगा। प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने पर हम सभी के सम्मान और जीवन की सुरक्षा का वचन देते हैं। साथ ही किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाएं लागू करेंगे। किसानों को तीन प्रतिशत और एक प्रतिशत ब्याज पर ऋण। जमीन का अधिग ्रहण-बिक्री के मानकांे के आधार पर मूल्यांकित होगा। गंगा, जमुना, घाघरा, गंडक, सई, गोमती, हिंडन, केन , बेतवा, राप्ती और नारायणी आदि नदियों के अंतरजाल को सुनिश्चित करना हमारी पहली प्राथमिकता होगी। अनिवार्य  शिक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाय ेगा। किसानों को कृषि संबन्धी योजनाओं में राज्य से अतिरिक्त सब्सिडी दी जायेगी। राम के जन्म स्थान पर भव्य मन्दिर का निर्माण हो इसके लिए हर स्तर पर भाजपा प्रयत्न करेगी। आज उत्तर प्रदेश समस्याओं का ‘प्रश्न प्रदेश’ बन गया है। प्रश्न है प्रदेश के लगभग 20 करोड़ लोगों की नियति को संवारने का। प्रश्न है प्रदेश के त्वरित विकास का। प्रश्न है आम आदमी को भ्रष्टाचारमुक्त सुशासन देने का। प्रश्न है प्रदेश को देश के सर्वाधिक तेजी से प्रगति करने वाले राज्यों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा करने का। प्रश्न है प्रदेश के खोए हुए गौरव को फिर से वापस लाने का। प्रश्न अनेक हैं। मगर उत्तर कहां है? प्रदेश की वर्तमान सरकार और नेतृत्व इन प्रश्नों के सामने बौना सिद्ध हो रहा है। एक तो उसमें इच्छाशक्ति का अभाव है तो दूसरी ओर उसका खुद का दामन दागदार है। आय से ज्यादा सम्पत्ति के मामलों में अपना बचाव करने वाला नेतृत्व कैसे सिर उठाकर निर्भीकता से नेतृत्व दे सकता है। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में इस ‘तिकड़ी’ के चलते राजनीतिक, प्रशासनिक अराजकता का माहौल है। भाजपा प्रदेश में बसपा शासन के अपराधों के लिए एक फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना करेगी। प ्रदेश की जनता से अपील करते है ं कि वे अपने प ्रदेश को अराजकता, अंधकार, कुशासन, भ्रष्टाचार से म ुक्त कर एक नए प्रदेश-एक विकसित प्रदेश, एक आगे बढ़ते प ्रदेश को बनाने म े ं भाजपा का साथ दें। आप हमें एक बार फिर से सेवा का मौका दें, हम आपको आपके सपनों का प्रदेश देंगे-यह हमारा वायदा ही नहीं संकल्प है। आइए, राम क े प्रदेश म े ं राम राज्य लाए ं।

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