भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री श्रीकांत शर्मा द्वारा जारी प्रेस नोट


09-09-2016
Press Release

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री श्रीकांत शर्मा द्वारा जारी प्रेस नोट

कांग्रेस ने हमेशा से किसानों के साथ झूठ और विश्वासघात की राजनीति की है। गरीब और किसानों के नाम पर आम जनता के साथ कांग्रेस ने सिर्फ और सिर्फ छल किया है और इसी रणनीति के तहत राहुल गांधी एंड कंपनी लगातार उत्तर प्रदेश में लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है। कांग्रेस की यूपीए सरकार ने तो किसानों को सरकार के तरफ से दी गई सहायता राशि में भी भ्रष्टाचार किया। कैग की रिपोर्ट इस बात का गवाह है। किसानों का जितना बड़ा अहित कांग्रेस ने किया है, उतना किसी अन्य पार्टी ने नहीं किया है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा-नीत एनडीए सरकार ने गरीबों और किसानों के लिए कई कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की है और इसी का परिणाम है कि भाजपा शासित राज्यों में कृषि विकास दर अन्य राज्यों की तुलना में काफी आगे है। इतना ही नहीं, ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस में भी भाजपा शासित राज्य अन्य दूसरे राज्यों से काफी आगे हैं।

प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही श्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के केंद्रीय सभागार में अपनी सरकार को गरीबों और किसानों की सरकार कहकर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे कि मोदी सरकार गरीबों और किसानों के कल्याण के प्रति समर्पित सरकार होगी। पिछले ढ़ाई वर्षों में लागू की गई तमाम योजनाओं के केंद्र में देश के गरीब और किसान ही हैं। किसानों को सुरक्षा कवच देते हुए मोदी सरकार ने पहले तो फसल क्षति पर दिए जाने वाले मुआवजा राशि के पैमाने को बदला, मुआवजा राशि में 50% की बढ़ोत्तरी की और फिर 'सुरक्षित फसल, समृद्ध किसान' की दिशा में ठोस पहल करते हुए प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा का प्रावधान किया ताकि देश के किसान हर हाल में खुशहाल रहें और भारत प्रगति के पथ पर अविराम गतिशील रहे। मोदी सरकार ने फसल बीमा के लिए एक नया व विस्तृत कार्यक्रम शुरू किया है। इससे किसानों को बेफिक्र होकर खेती करने में सक्षम बनाया जा सकेगा और किसी जोखिम की स्थिति में राज्य उन्हें सुरक्षा प्रदान करेगा। केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने किसानों को सशक्त करने के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया है। ये कार्ड हर एक किसान को उसकी मिट्टी के बारे में सटीक जानकारी देगा। इससे उन्हें रासयनिक खादों को अधिक इस्तेमाल को कम करने व मिट्टी की गुणवत्ता को सुधार कर अधिक मात्रा में फसल का उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी। आजादी के बाद कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों के कल्याण के लिए सबसे बड़ा बजट पेश किया गया है। 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। हर खेत को पानी पहुंचाने की दिशा में प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के बेहतरीन परिणाम सामने आ रहे हैं। किसानों के लिए ई-मंडी और किसान पोर्टल की शुरुआत की गई है। नीम कोटेड यूरिया के उत्पादन द्वारा यूरिया की कालाबाजारी को ख़त्म किया गया है। दाल के उत्पादन को बढाने के लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया जा रहा है। लेकिन इन तमाम लोक-कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद कांग्रेस का अनर्गल प्रलाप कांग्रेस एंड पार्टी की बौखलाहट और हताशा को ही दर्शाता है।

गुजरात बना दूसरी हरित क्रांति का गवाह: भारतीय जनता पार्टी की अगुआई में गुजरात भारत में ‘दूसरी हरित क्रांति’ का साक्षी बना है। जहां शेष भारत में कृषि विकास दर इकाई अंकों में रहा (2-4%), वहीं गुजरात में यह दर दहाई अंकों में है। गुजरात को यह उपलब्धि रातों-रात हासिल नहीं हुई हैं बल्कि योजनाओं के क्रियान्वयन, परिश्रम और उपलब्ध संसाधनों के कारगर आवंटन और मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए श्री नरेन्द्र मोदी जी की मॉनिटरिंग और कुशल प्रबंधन का परिणाम है। खेतों व उद्योगों की बिजली आपूर्ति में सुधार, ‘ड्रिप-सिंचाई’ का प्रयोग कर और हर बूंद पर अधिक उपज के दृष्टिकोण के साथ सिंचाई की व्यवस्था और भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन ने गुजरात की तस्वीर बदल दी। गुजरात देश का पहला राज्य है जहां किसानों के लिए ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना’ शुरू की गई है। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग व माइक्रो इरिगेशन के नए कॉन्सेप्ट से किसानों की आमदनी दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है। पिछले दस वर्षों में राज्य की कृषि आय तीन गुना से भी अधिक बढ़ी है। ‘वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल सम्मिट’ के द्वारा कृषि आधारित परियोजनाओं के लिए हजारों करोड़ रुपए का निवेश गुजरात में हुआ है। गुजरात के जल संरक्षण कार्यक्रमों ने यहां भी देश को एक नई दिशा दिखाई है। राज्य में सरकारी और निजी सहभागिता मॉडल के तहत 6 लाख से ज्यादा चेक डैम, खेत, तलावड़ियां और बोरीबंधों का निर्माण किया गया है। नर्मदा नदी पर शुरू की गई ‘सरदार सरोवर परियोजना’ दुनिया का सबसे बड़ा सिंचाई नेटवर्क है। अभी हाल ही में 30 अगस्त, 2016 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सानासोरा, गुजरात में 12000 करोड़ रुपये से सौनी (SAUNI: Saurashtra Narmada Avataran for Errigation) परियोजना के प्रथम चरण का शुभारंभ किया जिससे सौराष्ट्र क्षेत्र के लगभग 155 बांधों और जलाशयों को नर्मदा नदी के पानी से भरा जा सकेगा। कृषि के अलावा दुग्ध उत्पादन में एक मानदंड स्थापित करने के बाद गुजरात में ‘श्वेत क्रांति’ का असर भी दिखाई देता है। बीते 10 सालों में राज्य में दुग्ध उत्पादन लगभग 68 प्रतिशत बढ़ा है। ये तमाम तस्वीरें गुजरात में विकास की कहानी लिखने के लिए काफी है लेकिन कांग्रेस को गुजरात का यह विकास हजम ही नहीं होता। वास्तव में कांग्रेस की नीति गरीबों को गरीब बनाये रखने की है जबकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्त्व में केंद्र की भाजपा सरकार गरीबों और किसानों को सशक्त बनाने के लिए काम कर रही है।

राहुल गांधी और उनके प्रवक्ताओं द्वारा केंद्र की भाजपा सरकार पर लगाए गए तमाम आरोप बेबुनियाद और तथ्य से परे हैं। नॉन-सीरियस पॉलिटिक्स के परिचायक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी राजनीति के धरातल पर अपनी पैठ बनाने के लिए लंबे अरसे से जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन उनकी गरीब विरोधी एवं विकास विरोधी राजनीति को देश की जनता ने कई मौकों पर सिरे से खारिज कर कांग्रेस की नकारात्मक राजनीतिक के खिलाफ अपना फैसला सुना दिया है। पहले तो 2014 में देश की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया और फिर कई राज्यों से भी कांग्रेस को खदेड़ कर देश की जनता ने कांग्रेस को अपना फैसला सुना दिया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आसमान छूती लोकप्रियता, केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के अच्छे प्रदर्शन और कांग्रेस की लगातार हार से हताश और निराश राहुल गांधी बौखलाहट के शिकार हो गए हैं। न तो कांग्रेस पार्टी और न ही इसके नॉन-परफ़ॉर्मर युवराज राहुल गांधी यह समझ पा रहे हैं कि आखिर इस अवसाद की अवस्था में वे देश के समक्ष एक जिम्मेदार राजनीतिक दल की भूमिका निभायें तो कैसे? इसी अवसाद की अवस्था में एक षड़यंत्र के तहत कांग्रेस पार्टी एंड कंपनी जनता का ध्यान भटकाने के लिए मिथ्या आरोपों की राजनीति करने पर आमादा हो गए हैं और उनका बस एक ही लक्ष्य रह गया है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गरीब और किसानों के लिए शुरू की गई कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देश की किसानों तक नहीं पहुँच सके।

हरियाणा हो या उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश हो या उत्तराखंड या महाराष्ट्र या फिर केरल - कंग्रेस्सी सरकारों ने हर जगह किसानों की जमीन को ही हड़पने का काम किया। कई सारी रिपोर्टें कांग्रेस की इन नापाक हरकतों की दास्ताँ बयाँ करती हैं।

आजादी के 70 सालों में देश पर 55 वर्षों से अधिक राज करने वाली कांग्रेस ने इस देश को सिर्फ और सिर्फ समस्याएं दीं हैं जबकि मोदी सरकार उन समस्याओं के समाधान कर रही है। कांग्रेस पार्टी कितना भी देश की जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर ले, देश की जनता उनके बहकावे में अब और आनेवाली नहीं है और वह आने वाले समय में कांग्रेस को कड़ा सबक सिखाएगी।

(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव 

 

ANNEXURE

एनडीए सरकार की किसानों के लिए पहल

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना: भारत सरकार समय समय पर किसानों की फसलों के लिए बीमा योजना लेकर आती रही है, लेकिन फिर भी लाख कोशिशों के बावजूद, सिर्फ 23 प्रतिशत एरिया ही बीमा योजना के तहत कवर किया जा सका। लेकिन अब भारत सरकार की कोशिश प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (pradhan mantra fasal bima yojana) के जरिए अगले 2 साल में इसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक ले जाने की है। 'सुरक्षित फसल, समृद्ध किसान' की दिशा में ठोस पहल करते हुए प्रधानमंत्री कृषि फसल बीमा का प्रावधान किया ताकि देश के किसान हर हाल में खुशहाल रहें और भारत प्रगति के पथ पर अविराम गतिशील रहे।
  • किसानों की आमदनी को तक दुगुना करने का लक्ष्य: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों की पीड़ा को समझते हुए 2022 तक किसानों की आमदनी को दुगुना करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए देश व्यापक कार्ययोजना बनाई गई है और इस पर गंभीरता से काम हो रहा है। शायद ही पहले किसी सरकार ने इस तरह से किसानों की भलाई और उनकी खुशहाली के बारे में सोचा हो।
  • देश की आजादी के बाद पहली बार कृषि पर सबसे बड़ा बजट: 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के दीर्घ कालिक लक्ष्य के साथ आज इस बार के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 35,984 करोड़ रपए आवंटित किये गए। इसके साथ ही अगले वित्त वर्ष के लिए कृषि ऋण का लक्ष्य बढ़ाकर नौ लाख करोड़ रुपए करने का प्रस्ताव किया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा के लिए 5,500 करोड़ रुपए और दलहन उत्पादन को प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए 500 करोड़ रपए का आवंटन किया गया। इसके लिए नाबार्ड के जरिये सिंचाई के लिए अतिरिक्त 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किये गए हैं।
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना: प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना सिंचाई की सुविधाएं सुनिश्चित कर उपज को बढ़ाएगी। इस योजना का विजन यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक खेत को किसी ना किसी तरह के सुरक्षात्मक सिंचाई के साधन उपलब्ध हों। वर्तमान में भारत में 141 मिलियन हेक्टेयर शुद्ध खेती वाले क्षेत्रों में से केवल 65 मिलियन हेक्टेयर ही सिंचित हैं। 'प्रधानमंत्री सिंचाई योजना' के तहत अन्य 28.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई के साथ लाने के लिए मिशन मोड में योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • परंपरागत कृषि विकास योजना: किसान समूहों को जैविक खेती के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना की शुरुआत की गई।
  • पूर्वोत्तर क्षेत्र में कृषि विकास: पूर्वोत्तर क्षेत्र में ऑर्गेनिक फार्मिंग और ऑर्गेनिक प्रोडक्ट्स के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष योजना शुरू की गई।
  • सॉइल हेल्थ कार्ड: स्थाई आधार पर विशिष्ट फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सॉइल हेल्थ कार्ड की पेशकश की गई और इसे देश के सभी 14 करोड़ भूमि खातों के लिए जारी किये जाने की योजना है।
  • नई यूरिया नीति: घरेलू उत्पादन और ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए नई यूरिया नीति की घोषणा की गई है और आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए गोरखपुर, बरौनी तथा तलचर में खाद फैक्टरी का पुनरोद्धार किया गया है।
  • फसल क्षति पर मुआवजा: एनडीए सरकार ने किसानों के दर्द को दिल से समझते हुए मुआवजा पाने का पैमाना 33 प्रतिशत या इससे अधिक के फसल नष्ट होने को कर दिया है। इससे पहले किसानों को मुआवजा तभी मिलता था जबकि 50% या इससे अधिक नुकसान हुआ हो।
  • मूल्य स्थिरीकरण कोष: एक 500 करोड़ रुपये के कॉर्पस वाले मूल्य स्थिरीकरण कोष की स्थापना की गई। ये कोष जल्दी खराब होने वाली कृषि और बागवानी फसलों की कीमतों को नियंत्रित करने में मददगार होगा।
  • डब्लयूटीओ में किसानों और गरीबों के हितों की रक्षा: भारत ने जुलाई 2014 में डब्ल्यूटीओ के व्यापार सरलीकरण समझौते पर दस्तखत करने से इंकार कर दिया। भारत ने साफ कहा कि पहले खाद्य सुरक्षा और कृषि सब्सिडी के मुद्दे पर उसकी चिंताएं दूर होनी चाहिए। राजग सरकार के इस सख्त रुख की वजह से ही अमेरिका, भारत के नजरिये का समर्थन करने को मजबूर हुआ। डब्लयूटीओ वार्ताओं में भारत की यह बड़ी जीत है।
  • किसान पोर्टल की शुरुआत: किसान पोर्टल के माध्यम से मौसम की रिपोर्ट से लेकर खाद की जानकारी, सबसे बढ़िया तौर-तरीकों आदि की जानकारी मिल रही है।
  • मोबाइल गवर्नेंस: कृषि में मोबाइल गवर्नेंस के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। एक करोड़ से अधिक किसानों को सचेत करने और सूचना देने के लिए 550 करोड़ से अधिक एसएमएस भेजे गए।
  • गन्ने के समर्थन मूल्य में वृद्धि: गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाया।
  • दाल के समर्थन मूल्य में वृद्धि: दाल के उत्पादन को बढ़ाने की दिशा में ठोस पहल करते हुए दालों के एमएसपी को बढ़ाया।

 

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