भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री श्रीकांत शर्मा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति


12-09-2016
Press Release

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव श्री श्रीकांत शर्मा की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति


2012 में मायावती के कुशासन, करप्शन और तानाशाही रवैय्ये के खिलाफ उत्तर प्रदेश की जनता ने वोट दिया था और अखिलेश यादव को प्रदेश मुख्यमंत्री के रूप में चुना था लेकिन पांच वर्षों में श्रीमान अखिलेश जी हर मोर्चे पर पूरी तरह से विफल साबित हुए हैं। यूपी में अपराध का इतना बोलबाला है कि अपराधी वर्दी पर भी गोली चलाने से नहीं हिचकते।

आज यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके लिए धन संग्रह करने वाले दो मंत्रियों गायत्री प्रजापति और राजकिशोर सिंह को अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया है। ज्ञात हो कि अखिलेश सरकार के लाडले मंत्री भू-माफिया गायत्री प्रजापति 5000 करोड़ की काली कमाई के मालिक हैं। पौने दो साल पहले जब यूपी के लोकायुक्त ने गायत्री प्रजापति के खिलाफ एफआईआर की अनुशंसा की थी तब क्या कारण था कि इतने दिनों तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्यों अखिलेश सरकार पौने दो साल तक सोती रही और इस भू-माफिया को संरक्षण देती रही।

अखिलेश सरकार के बनने के पहले दिन से ही उत्तर प्रदेश में भू-माफियाओं का आतंक है। सपा से जुड़े नेताओं, कार्यकर्ताओं और सपा सरकार के मंत्रियों तक ने जहां मौक़ा मिला, सरकारी जमीनों को हथियाने का काम किया। जवाहर बाग़ कांड से बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि सपा और भू-माफियाओं की आपस में किस तरह की सांठ-गाँठ रही है। अखिलेश सरकार ने गायत्री प्रजापति के माध्यम से पूरे सूबे को लूटने का काम किया। अब जबकि खनन माफियाओं के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रुख इख्तियार कर लिया है और खनन घोटाले की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया है, तब कहीं जाकर अखिलेश सरकार इन मंत्रियों पर कार्रवाई को लेकर सोचने पर मजबूर हुई। हालांकि पिछले शुक्रवार को ही अखिलेश सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दी कि खनन घोटाले की जांच सीबीआई को नहीं दी जायेगी।

खनन घोटाले की सुनवाई करते हुए यूपी सरकार पर हाईकोर्ट की टिप्पणी अखिलेश सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है। हाईकोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ’ऐसा लगता है कि सरकार के लोग और अफसर भी अवैध खनन में शामिल हैं।’ अखिलेश सरकार के खिलाफ इस टिप्पणी से बड़ा सबूत और क्या हो सकता है? गायत्री प्रजापति तो बस एक मोहरा है, इसके पीछे का असली चेहरा तो अखिलेश यादव और उनका परिवार है। अपने और अपने परिवार को बचाने के लिए आनन-फानन में इन मंत्रियों को अखिलेश यादव सरकार द्वारा बर्खास्त किया गया है। अगर बर्खास्त ही करना है तो अखिलेश यादव को पूरी सपा सरकार को बर्खास्त कर देना चाहिए क्योंकि पूरी सपा सरकार ही भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है। अखिलेश यादव को इस बात का एहसास है कि 2017 में यूपी की जनता सपा को समूल बर्खास्त करनेवाली है। 2012 में यूपी की जनता ने अखिलेश की बुआ को रिजेक्ट किया और अब 2017 में भतीजे को भी रिजेक्ट करेगी। अखिलेश सरकार द्वारा इन दो मंत्रियों को बर्खास्त करना महज एक आई वॉश है, दिखावा है। यह अखिलेश सरकार की अपने ऊपर भ्रष्टाचार और अपराध के धब्बों को यूपी चुनाव से पहले धोने की विफल कवायद है।

सपा और अखिलेश सरकार का अपराध और भ्रष्टाचार से पुराना गठजोड़ है। जनता तो पहले से ही इनसे त्रस्त है। एक तरफ तो अखिलेश सरकार इन भ्रष्ट मंत्रियों को मंत्रिमंडल से निकाल रही है तो दूसरी तरफ बाहुबलियों को पार्टी में शामिल भी करा रही है। अखिलेश खुद ही अपने मकड़जाल में फंस चुके हैं। उत्तर प्रदेश का चुनाव सुशासन पर न हो, लोगों की समस्याओं पर न हो, बहन-बेटियों की सुरक्षा पर न हो, इसलिए ऐसे अपराधी छवि वाले लोगों को लाकर प्रदेश के वातावरण को और दूषित बनाने का काम अखिलेश सरकार द्वारा किया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश की जनता अखिलेश सरकार की हर चाल से वाकिफ है। चुनावों के समय इन फैसलों से कुछ होने वाला नहीं है, इसलिए अखिलेश सरकार को राज्य के लोगों को गुमराह करना बंद करना चाहिए। अखिलेश सरकार ने अब तक तो प्रदेश को लूटा और अब चुनाव के समय केवल टीवी और रैलियों में बोलने के लिए वे इस तरह के फैसले कर रही है। सपा, बसपा और कांग्रेस ने मिलकर उत्तर प्रदेश को तबाह करके रख दिया है। उत्तर प्रदेश में सर्वत्र भ्रष्टाचार, अपराध और माफियाओं का राज है। राज्य की जनता इन तीनों दलों से पूरी तरह ऊब चुकी है। यूपी के लोग अब राज्य में परिवर्तन, सुशासन और विकास चाहते हैं एवं भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्ति चाहते हैं। राज्य की जनता इनके बहकावे में अब और आने वाली नहीं है। जनता इस बार सिर्फ सुशासन और विकास पर वोट करने वाली है। अगर अखिलेश यादव में थोड़ी-बहुत भी नैतिकता है तो उनको खुद ही इस्तीफा दे देना चाहिए।

(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव

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