Hindi : Article : “What it’s Advisor’s Must Tell the Congress Party on National Security" by Hon'ble Union Minister, Shri Arun Jaitley on 22 Feb 2019


22-02-2019
Press Release

 

 

 

कांग्रेस पार्टी के सलाहकारों को राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसे क्या बताना चाहिए

अरूण जेटली

कल कांग्रेस पार्टी ने अवकाश प्राप्त लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा को सलाहकार और उनके नेतृत्व में एक समिति भी बनाने की घोषणा की जो राष्ट्रीय सुरक्षा नीति पर उसे सलाह देगी। लेफ्टिनेंट जनरल हुड्ड़ा भारतीय सेना के एक अनुभवी पूर्व अधिकारी रहे हैं। मुझे इस बात पर जरा भी संदेह नहीं है कि वह इस पुरानी पार्टी को बेशकीमती सलाह देंगे।

जनरल हुड्ड़ा की नियुक्ति महत्वपूर्ण है। य़ह कदम 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक को विलंबित अनिच्छा से मान्यता तथा स्वीकृति देने का है जिसमें जनरल हुड्डा पूरी तरह से जुड़े हुए थे। मुझे पूरी उम्मीद है कि जनरल हुड्ड़ा सलाहकार पैनल के प्रमुख के तौर पर पार्टी के नेताओं को यह समझाएंगे कि सर्जिकल स्ट्राइक कोई रोजमर्रा का मामला नहीं है जो अतीत में कई बार हुआ हो, यह भारत के लिए महत्वपूर्ण था।

यह अजीब सी बात है कि एक पार्टी जिसने देश पर 50 साल शासन किया हो उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के बारे में समझाया जाए। मैं इस बात से आश्वस्त हूं कि विशेषज्ञ कांग्रेस पार्टी को रणनीति संबंधी प्राथमिक मुद्दों के बारे में कुछ खास बिन्दुओं के बारे में बताएंगे। मैं यहां कुछ प्राथमिक मुद्दे गिनाना चाहूंगा जो राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों की निरंतरता से जुड़े हुए हैं:

1.     दुनिया में ऐसी धारणा न बनने दें कि आतंकवाद से कैसे लड़ा जाए, और इस मामले पर भारत बंटा हुआ है। जब सारी दुनिया भारत के पीछे खड़ी हो तो विपक्ष को विरोध के स्वर नहीं उठाने चाहिए।

2.     आतंकवाद पर राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को तुच्छ न बनाएं जैसा दो दिनों पहले कांग्रेस प्रवक्ता ने किया था।

3.     अगली बार जब आतंकवादी या पृथकतावादी भारत तोड़ो के नारे लगाएं (जेएनयू की घटना) तो मुख्य धारा की पार्टियों को उनका समर्थन नहीं करना चाहिए। भारत को तोड़ने की वकालत करने जैसे भाषण की कोई स्वतंत्रता नहीं है।

4.     भारत में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा न दें और ऐसे कदमों को रोकें जो इन्हें रोकने के लिए उठाए जाते हैं। इससे देश की सुऱक्षा को खतरा बढ़ता है।

5.     हमारी सेना दुनिया के सबसे प्रोफेशनल फौजों में से है जिसने देश की सेवा बहुत अच्छे तरीके से की है। वे नागरिक कमान के अंतर्गत काम करते हैं और देश की आंतरिक राजनीति से दूरी भी बनाए रखते हैं। राजनीतिज्ञों को सेना के जवानों या प्रमुख के बारे में अपनी हल्के विचार नहीं रखने चाहिए। सेना के प्रमुख को ‘सड़क का गुंडा’ नहीं कहा जाना चाहिए।

6.     जब सुरक्षा बलों के जवान आतंकियों से लड़ते हैं और त्याग करते हैं (उदाहरण बाटला हाउस), तो आतंकियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े न हों और न ही आंतकवाद के खिलाफ युद्ध को झूठे मुठभेड़ की संज्ञा दें।

7.     जब हमारी गुप्तचर एजेंसियां सुरक्षा बलों के साथ आतंकवादियों के खिलाफ मुहिम (इशरत जहां मामला) छेड़ती हैं तो जांच एजेंसियों और भारत के सुरक्षा तंत्र पर प्रश्न न उठाएं।

8.     राजनीतिक लाभ उठाने के लिए रक्षा की खरीद का राजनीतिकरण नहीं करें और न ही झूठे या काल्पनिक आंकड़े दें। इससे रक्षा की तैयारियों को धक्का लगता है।

मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस पार्टी को रक्षा रणनीति पर विशेषज्ञों द्वारा कई गंभीर इनपुट दिए जाएंगे। इस देश के सामान्य देशभक्त भारतीय भी जो रणनीति से संबंधित इनपुट से वंचित है, उपरोक्त विन्दुओं के जवाब से  लाभान्वित होंगे।

 

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