इंडियन एक्सप्रेस की तथ्यात्मक रूप से गलत रिपोर्टिंग पर भाजपा के प्रेस नोट


24-08-2016
Press Release

भारतीय जनता पार्टी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति

 

‘द इंडियन एक्सप्रेस' में दिनांक 24 अगस्त 2016, बुधवार को “Nationalist are with us, let's reach out to Dalits, Backwards: PM to Party” शीर्षक से एक फर्जी खबर प्रकाशित की है। यह समाचार पूरी तरह से निराधार, अनुचित और तथ्यों से परे है। ऐसा लगता है कि समाचार पत्र ने खुद का एक निष्कर्ष निकालने के लिए तथ्यों से परे गढी हुई बातों को तरजीह देते हुए यह भ्रामक रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह पत्रकारिता के सिद्धांतों के विरुद्ध है और यह समाचार पत्र के गैर जिम्मेदाराना रवैय्ये को रेखांकित करता है। यह पत्रकारिता का निम्नतम स्तर है। तथ्य यह है कि समाचार पत्र ने माननीय प्रधानमंत्री के भाषण के बारे में भारतीय जनता पार्टी की कल की आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति की भी अनदेखी की। 'इंडियन एक्सप्रेस' द्वारा प्रकाशित इस झूठी रिपोर्ट के ठीक विपरीत, माननीय प्रधानमंत्री ने कल पार्टी कोर ग्रुप की बैठक में सहभागी प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा था कि हम जन सामान्य और गरीब-से-गरीब व्यक्तियों की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि हमें इस बात की ओर ध्यान देना चाहिए कि समाज के सबसे नीचे तबके एवं गरीब-से-गरीब व्यक्ति तक सरकार के विकास कार्यों को कैसे पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि हम निरंतर विकास के कार्यों में लगे हुए हैं किन्तु कुछ ऐसे तत्त्व हैं जिनको यह रास नहीं आ रहा है, वे हमारा व जनता का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन हमें इस तथ्य से सामान्य मानविकी को अवगत कराना होगा कि हमारा एकमात्र लक्ष्य 'राष्ट्र निर्माण' है।

यहां यह ध्यान देने वाली बात यह है कि देश भर में सामाजिक ताने-बाने को तोड़नेवाली शक्तियां लगातार विकासोन्मुख एवं लोकाभिमुख मोदी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार कर रही है। दुनिया भर में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की व्यापक लोकप्रियता और भारत के बढ़ते कद को ये लोग पचा नहीं पा रहे हैं। भारत की एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने से इन्हें बौखलाहट हो रही है। 'सबका साथ, सबका विकास' के सिद्धान्त पर सबको एक साथ लेकर देश के सर्वांगीण विकास की परिकल्पना को देश भर में जो अपार जन-समर्थन मिला है, इससे इनकी रातों की नींद हराम हो गई है। ऐसे में इनका एक ही काम रह गया है - झूठी ख़बरें प्रकाशित कर सामाजिक सौहार्द्र के ताने-बाने को तोड़ना, सरकार के जनोपयोगी कामों से आम नागरिक का ध्यान भटकाना और कल्याण राज्य की अवधारणा को साकार कर रही मोदी सरकार के खिलाफ छद्म विद्रोहों को हवा देना। 'इन्डियन एक्सप्रेस' की यह रिपोर्टिंग इसी प्रोपेगेंडा का एक हिस्सा लगती है।


इंडियन एक्सप्रेस जैसे मीडिया वर्ग का एक खास समूह एक ख़ास मानसिकता के साथ कांग्रेस एंड कम्पनी और केजरीवाल एंड कम्पनी की तरह ही माननीय प्रधानमंत्री और एनडीए सरकार की विकास एवं लोकाभिमुख छवि को धूमिल करने का कुत्सित प्रयास कर रही है। इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप पहले भी बायस्ड ख़बरों के लिए कई बार सवालों के घेरे में रहा है। इंडियन एक्सप्रेस शुरू से ही मोदी सरकार को बदनाम करने में लगी हुई है, उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, भले ही उन्हें प्रधानमंत्री जी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार को बदनाम करने के लिए किसी झूठ का ही सहारा क्यों न लेना पड़े।

यह एक ऐसा अखबार है जो लिखता है "And they hanged Yakub” जैसे कि याकूब मेमन भारत के लिए कोई महत्त्वपूर्ण व्यक्ति था, जैसे कि वह एक आतंकवादी नहीं था बल्कि एक संत था जो शान्ति और एकता के लिए काम कर रहा था।

लॉ कमीशन ने भी अगस्त 2015 में गलत रिपोर्टिंग के लिए इंडियन एक्सप्रेस को फटकार लगाईं थी। जेएनयू में राष्ट्रविरोधी घटना को लेकर इन्डियन एक्सप्रेस की भ्रामक रिपोर्टिंग से तो पूरा देश भलीभांति अवगत है। स्वतन्त्र कुमार vs द इन्डियन एक्सप्रेस के केस को कौन भूल सकता है। कई बार तो इस मीडिया समूह को गलत खबर प्रकाशित करने के लिए सार्वजनिक रूप से खेद तक व्यक्त करना पड़ा है। रचनात्मक लेखन और खोजी पत्रकारिता जर्नलिज्म का एक महत्त्वपूर्ण अंग है लेकिन इसे झूठ का लबादा तो पहनाया नहीं जा सकता।

उम्मीद है कि उक्त समाचार पत्र एक नकारात्मक विपक्ष की भांति काल्पनिक रिपोर्टिंग और सरकार को बदनाम करने की नापाक साजिश के बजाय रचनात्मक पत्रकारिता की भूमिका निभाएगी। मीडिया लोकतंत्र का चौथा आधार स्तंभ है, यह जिम्मेदारी उन्हें समझने की जरूरत है, उन्हें लोगों की आशा और आकांक्षाओं से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

क्या यह अच्छा नहीं होता कि मीडिया इस तरह के गलत स्टेटमेंट छापने से पहले अपना इंट्रोस्पेक्शन करती। एक स्थापित मीडिया संस्थान द्वारा इस तरह की घृणित कैम्पेनिंग करना निहायत ही दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है। इस तरह का गलत बयान पब्लिश करने के लिए 'इन्डियन एक्सप्रेस' समूह को अविलम्ब सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।

(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव

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