An open letter by BJP National President, Shri Amit Shah to people of Andhra Pradesh on 11 Feb 2019


11-02-2019
Press Release

 

आंध्र प्रदेश की जनता को खुला पत्र

आंध्र प्रदेश की जनता को भ्रमित करने के लिए टीडीपी के नेता का नाटक

हमारे प्रिय आंध्र प्रदेश के सम्मानीय नागरिकों

 

तेलुगु देशम पाटी के नेता और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री एन. चन्द्रबाबू नायडू एक बार फिर नाटक-नौटंकी पर आमादा हैं। गिरती राजनैतिक साख के कारण उनका सुर्खियां बटोरने का यह प्रयास सहज ही समझ आता है।

श्री नायडू जानते हैं कि जनता के बीच उनकी राजनैतिक साख पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। इसी लिए वे हर वर्ग को खुश करने के लिए लोक लुभावन वादे कर रहे हैं। सामने आ रही हार को भांपते हुए उन्होंने पूरी तरह से यू-टर्न ले लिया है और अपनी असफलताओं से जनता का ध्यान भटकाने के लिए वे भाजपा और केन्द्र के विरूद्ध वैमनस्यपूर्ण भ्रामक प्रचार चला रहे हैं। वे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पर निजी हमले करने की सीमा तक चले गये हैं। उनमें इतना भी शिष्टाचार नहीं बचा है कि प्रधानमंत्री के आंध्र प्रदेश आगमन पर वे उनका स्वागत करें।

लेकिन राजनैतिक रूप से जागरूक प्रबुद्ध जनता उनकी सत्ता लोलुपता को साफ देख पा रही है। जल्दबाजी में अवैज्ञानिक और एकपक्षीय तरीके से प्रदेश का बंटवारा कर राज्य के हितों को अनदेखा करने वाली कांग्रेस से हाथ मिलाने के लिए, जनता उनको सही सबक सिखायेगी। 1984 में कांग्रेस द्वारा भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री एन.टी. रामाराव की सरकार को अलोकतांत्रिक तरीके से बर्खास्त करने की घटना को श्री नायडू भले भूल गए हों लेकिन जनता सदैव याद रखेगी।

सत्ता के लालच में टीडीपी के नेता उस कांग्रेस विरोधी विचारधारा को ही भूल गये जिसके आधार पर पार्टी के संस्थापक श्री एन.टी. रामाराव ने, एक-एक ईंट जोड़ कर यह पार्टी खड़ी की थी। प्रदेश को विभाजित करके कांग्रेस ने जनता का भरोसा तोड़ा है और अब टीडीपी उसी कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाना चाहती है। उनके इस कृत्य से राजनैतिक अवसरवाद की बू आती है।

पहले एनडीए सरकार द्वारा घोषित किये गये स्पेशल पैकेज की सदन में, जनसभाओं में, प्रेस कांफ्रेस में सराहना करने के बाद और यह भी स्वीकारने के बाद कि special category status कोई रामबाण इलाज नहीं है – वे अब अपनी बात पर पलट गये हैं।

टीडीपी के डावांडोल चुनावी भविष्य के कारण हतोत्साहित होकर, वह भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार और विशेषकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ झूठे आरोप लगा रहे हैं। आंध्र प्रदेश के लोगों को भ्रमित करने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं, सस्ते हथकंडों का सहारा ले रहे हैं।

गौरतलब है कि कांग्रेस ने कभी भी आंध्र प्रदेश राज्य के तेलंगाना, तटीय आंध्र और रायलसीमा क्षेत्रों के लोगों की आकांक्षाओं की परवाह नहीं की। 2004 के चुनावों में हार को भांपते हुए, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष, श्रीमती सोनिया गांधी ने करीमनगर में एक जनसभा में यह आश्वासन दिया कि वे तेलंगाना के लोगों की आकांक्षाओं को तभी पूरा करेंगी जब वोट द्वारा उन्हें सत्ता सौंपी जाए। लेकिन सत्ता में आने के बाद भी उन्होंने अपने आश्वासन को लागू नहीं किया। 2009 में आनन फानन में तेलंगाना के गठन की घोषणा के बाद यूपीए फिर अपने वादे से मुकर गई।

आंध्र प्रदेश के लोगों के प्रति अगर रत्ती भर भी ईमानदारी होती, तो यूपीए सरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में ‘विशेष श्रेणी’ के प्रावधान को शामिल करती। आज प्रश्न उठ रहा है कि उसने खम्मम जिले में स्थित सात मंडलों को आंध्र प्रदेश को देकर पोलावरम परियोजना का त्वरित कार्यान्वयन क्यों संभव नहीं बनाया और इस संबंध में अध्यादेश क्यों नहीं लाया गया? किसी पर भी आरोप लगाने से पहले श्री नायडू और कांग्रेस उपरोक्त सवालों के जवाब दें। इन सवालों का जवाब दिए बिना उन्हें केंद्र सरकार की आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

यूपीए के विपरीत, मोदी सरकार ने मई 2014 में अपनी पहली कैबिनेट बैठक में पोलावरम परियोजना को लागू करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए दो जिलों के सात मंडलों में 222 गांवों के हस्तांतरण के लिए आवश्यक अध्यादेश को मंजूरी दी। इसके अलावा एनडीए के सत्ता संभालने के बाद पहले संसद सत्र में ही पोलावरम अध्यादेश विधेयक पारित कर दिया गया। यही नहीं, पोलावरम को एक राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया और यह भी पहली बार हुआ कि श्री चंद्रबाबू नायडू के अनुरोध पर परियोजना का निष्पादन आंध्र प्रदेश सरकार को सौंपा गया। सिर्फ शब्दों से ही नहीं अपितु इन कार्यों ने आंध्र प्रदेश के लोगों के प्रति एनडीए सरकार की ईमानदारी को और स्पष्टता से उजागर किया।

जैसा कि अधिनियम में लिखा है, पोलावरम सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया है। आगे, 1 अप्रैल 2014 से शुरू होने वाली अवधि के लिए पोलावरम परियोजना के तहत ही आने वाले सिंचाई प्रोजेक्ट की बची हुई लागत का 100% धन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है, जो उस तिथि तक सिंचाई प्रोजेक्ट पर खर्च लागत की सीमा तक होगा। अब तक रु 6764.70 करोड़ जारी कर भी दिए गए हैं।

श्री नायडू संभवत: इस भ्रम में हैं कि वे आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के वायदों को पूरा करने के बारे में जो कुछ भी कहते हैं लोग उस पर विश्वास कर लेंगे। वास्तव में मोदी सरकार ने न केवल रिकॉर्ड समय में अधिकांश वायदों को लागू किया है, बल्कि आंध्र प्रदेश की तरक्की में तेजी लाने में भी अनेक कार्य किये हैं। उन्होने आंध्र प्रदेश को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।

आदतन, श्री नायडू ने अपने राजनीतिक रसूख का सहारा लिया, अपने सहयोगियों को धोखा दिया और गठबंधन-धर्म के सिद्धांतों का उल्लंघन किया। जब से उन्होंने अपने राजनीतिक अस्तित्व को बचाने के लिए के लिए एनडीए से नाता तोड़ा है, तब से वे एनडीए सरकार के खिलाफ अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। अपनी खुद की विफलताओं को छिपाने के लिए और लोगों से किए अपने लोकलुभावन वादों को पूरा करने में असमर्थ होने पर, वह केंद्र पर ही बेतुके और गलत आरोप लगा रहे  हैं।

यहां यह जिक्र करना उचित है कि 2017 में एनडीए की एक बैठक में श्री नायडू ने खुद आगे बढ़कर संकल्प लिया कि 2019 में गठबंधन को एनडीए के विकास के एजेंडे को उजागर करके श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ना चाहिए।

हम सब जानते है कि श्री चंद्रबाबू नायडू में के राजनीतिक आचरण कांग्रेस का रक्त भी है। लेकिन हमने कभी यह उम्मीद भी नहीं की थी कि वह झूठ और असत्य बोलने में कांग्रेस से भी आगे निकल जाएंगे तथा केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री और भाजपा के खिलाफ घृणा का वैमनस्यपूर्ण अभियान चलाएंगे।

हमें तब और धक्का लगा जब वे अपने यू-टर्न को सही ठहराने के लिए अफवाहों का सहारा लेने लगे, अब जबकि वे चुनाव हारने ही वाले है क्योंकि वे अपने वायदों को पूरा करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं।

इससे भी बढ़कर चौकाने वाली बात यह है कि श्री नायडू केंद्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश सरकार को दी जाने वाली सहायता के बारे में तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।  जबकि कई अवसरों पर स्वयं उन्होंने, विशेष दर्जा के बदले में केंद्र द्वारा घोषित विशेष पैकेज का स्वागत और समर्थन किया था।

मैं याद दिलाना चाहूंगा कि श्री नायडू ने 16 मार्च 2017 को विधानसभा के पटल पर विशेष पैकेज की प्रशंसा भी की थी और कहा था कि विशेष दर्जे के तहत मिलने वाला हर लाभ, विशेष आर्थिक पैकेज में शामिल है और उसके द्वारा मिलेगा।

वास्तव में आंध्र प्रदेश विधानसभा ने राज्य के लिए विशेष आर्थिक पैकेज स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार के लिए एक धन्यवाद प्रस्ताव भी पारित किया था।

उस समय श्री नायडू ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक भी बुलाई थी और विशेष पैकेज के लाभों की सराहना की थी और स्पष्ट रूप से कहा था कि विशेष दर्जा कोई रामबाण नहीं है।  यही बात उन्होंने विधानसभा में भी दोहरायी थी।

वास्तव में, उन्होंने स्वीकार किया था कि विशेष पैकेज, विशेष दर्जे से बेहतर था और अपने राजनीतिक विरोधियों का भी मजाक उड़ाते हुए पूछा भी था कि ‘पिछले कई वर्षों में जिन राज्यों को विशेष दर्जा दिया गया उनकी वर्तमान स्थिति क्या है और वे विकास क्यों नहीं कर पाये ?

टीडीपी नेता ने अन्य दलों के उन दावों को भी खारिज कर दिया था कि विशेष दर्जा राज्य को कर रियायत देगा।  उन्होंने चुनौती दी थी कि विरोधी दल अपने दावे को साबित कर के दिखायें।

अब मीडिया के एक वर्ग के समर्थन से वह हर मंच पर झूठ पर आधारित  मिथ्या प्रचार में लिप्त हैं और टीडीपी को लगभग कांग्रेस का मातहत बना दिए है।  मैं सभी तेलुगु लोगों को यह भी याद दिलाता हूं कि पिछले दिनों श्री नायडू ने आंध्र प्रदेश का दौरा करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी को लताड़ भी लगाई थी और उनकी यात्रा के उद्देश्य पर सवाल भी उठाये थे।

जाहिर तौर पर उन्हें घबराहट और आशंका ने घेर रखा है। टीडीपी के नेता डरे हुए हैं कि अब उनकी असफलतायें और कारनामे उजागर हो जाएंगे। इसलिए वे उस कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को स्वीकार करने की हद तक जा रहे हैं जिसने देश पर शासन किया और बर्बाद कर डाला, हर संस्था की गरिमा को खंडित किया और जो घपलों और घोटालों में आकंठ डूबी है।

टीडीपी के नेता ने उस पार्टी से हाथ मिलाया है जिसने देश पर आपातकाल थोपा और उनके अपने ससुर – लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये तेलुगु देशम के संस्थापक और भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री एन.टी. रामाराव की सरकार को 1984 में बर्खास्त किया था।

मैं प्रबुद्ध तेलुगु जनता से अपील करता हूं कि वे तेलुगु देशम के नेताओं के खतरनाक इरादों को पहचानें जो उन सिद्धांतों और उसूलों को ही खत्म कर देने पर तुली है, जिनके लिए तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना हुई थी। हालांकि आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिए 10 वर्षों की समय-सीमा दी गई है, फिर भी एनडीए सरकार ने न केवल शैक्षिक, विकासात्मक और अन्य बुनियादी ढांचे से संबंधित कई परियोजनाओं को मंजूरी दी है, बल्कि उन्हें कार्यान्वित करने के लिए जरूरी धन भी प्रदान किया। स्वतंत्र भारत के इतिहास में कभी भी केंद्र द्वारा इतने कम समय में इतने सारे प्रोजेक्ट मंजूर नहीं किए गए। यह तथ्य अपने आप में आंध्र प्रदेश के विकास के लिए एनडीए सरकार की प्रतिबद्धता और ईमानदारी को प्रकट करता है।

आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 93 के अनुसार, केंद्र सरकार 10 वर्ष की अवधि के भीतर नवगठित दोनों राज्यों की प्रगति और उनके सतत विकास के लिए 13वें शेड्यूल में सम्मिलित सभी आवश्यक उपायों के लिए प्रतिबद्ध है।

अधिनियम के 13वें शेड्यूल (धारा 93) के तहत 11 नए शिक्षण संस्थानों में से दस संस्थानों ने निर्धारित समय से बहुत पहले ही काम करना शुरू कर दिया है। एक जनजातीय विश्वविद्यालय भी बनने वाला है। ये 10 संस्थान IIT, NIT, IIM, IISER, IIIT, AIIMS, केंद्रीय विश्वविद्यालय, पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, कृषि विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान NIDM हैं।

जहां तक आठ बुनियादी ढांचों से संबंधित परियोजनाओं का सवाल है, भारत सरकार को 6 परियोजनाओं के लिए नियत तारीख से 6 महीने के भीतर उनकी संभाव्यता (feasibility) की “जांच” करनी थी और 10 वर्षों के भीतर दो अन्य पर कार्रवाई शुरू करनी थी। संभाव्यता (feasibility) अध्ययन के बाद, पाँच परियोजनाओं पर कार्रवाई शुरू भी कर दी गई। तीन अन्य परियोजनाओं के अस्वीकार्य होने के बावजूद, भारत सरकार उनके अन्य विकल्पों की खोज कर रही है।

HPCL के द्वारा काकिनाडा में एक ग्रीनफील्ड पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना प्रस्तावित है। सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइजेज ने आंध्र प्रदेश में रुपये एक लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश का प्रस्ताव प्रस्तुत किया है, जिसमें ग्रीनफील्ड पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स 39,145 करोड़ की अनुमानित लागत पर शामिल हैं। गेल और एचपीएल पहले ही इस संबंध में आन्ध्र प्रदेश सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर चुके हैं।

सरकार ने वाईज़ैग-चेन्नई औद्योगिक गलियारे के कार्य में तेजी लाने का फैसला किया है। पहले चरण में ईस्ट कोस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर के 800 किलोमीटर लंबे वाईज़ैग-चेन्नई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (VCIC) भाग को लिया गया। ADB ने वाईज़ैग-चेन्नई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (VCIC) के लिए US $ 631 मिलियन (ऋण और अनुदान) को मंजूरी दी है और पहली किश्त के रूप में रुपये US $ 370 मिलियन जारी किए हैं। कृष्णापटनम-चेन्नई-बेंगलुरु विकास गलियारे को भी मंजूरी दे दी गई है।

विशाखपट्टनम, विजयवाड़ा और तिरुपति हवाईअड्डों को अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों के रूप में अपग्रेड करने के अलावा राजामुंदरी हवाई अड्डे पर रात्रि में लैंडिंग की सुविधा को शुरू कर दिया गया है और रनवे का विस्तार बहुत ही तेजी के साथ हो रहा है। कडप्पा हवाई अड्डे पर रनवे का विस्तार किया गया और एक नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया गया है।

इसी तरह, नवगठित राज्य की नई राजधानी से हैदराबाद और तेलंगाना के अन्य महत्वपूर्ण शहरों तक तेजी से रेल और सड़क संपर्क स्थापित किया जा रहा है। NHAI ने 384 किलोमीटर के अनंतपुर-अमरावती एक्सप्रेस वे के लिए रु. 20,000 करोड़ के लिए स्वीकृति दे दी है और राजधानी अमरावती की बाहरी रिंग रोड के लिए रु. 19,700 करोड़ मंजूर किए हैं। अंतर्देशीय जल परिवहन सुविधाओं में सुधार के लिए रु 7,015 करोड़ की लागत से बकिंघम नहर का पुनरुद्धार, एक अन्य प्रमुख परियोजना है। रु. 1 लाख करोड़ से अधिक लागत की सड़क और अंतर्देशीय परिवहन परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। श्री नायडू ने इसके लिए सार्वजनिक रूप से केंद्र को धन्यवाद भी दिया था।

इस क्षेत्र में बेहतर रेल कनेक्टिविटी के लिए रुपये 50,000 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है जिस पर कार्यान्वयन विभिन्न चरणों में हैं। 2584 किलोमीटर रेलवे लाइनों को रुपये 23,137 करोड़ की लागत से दोहरीकरण का कार्य चल रहा है। रू 20,301 करोड़ की लागत से 2213 किलोमीटर नई लाइनें बिछाई जा रही हैं। रुपये 26,403 करोड़ लागत की 15 नई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। अमरावती से होते हुए विजयवाड़ा और गुंटूर के बीच रु 2679.59 करोड़ की लागत की नई लाइन का काम 2017-18 में स्वीकृत किया गया, जो नई राजधानी अमरावती को कनेक्टिविटी प्रदान करती है। अन्य मुख्य परियोजनाओं में रुपये 2,289 करोड़ की लागत से नादिकुडे-श्रीकालहस्ती के बीच 309 किमी लंबी नई लाइन और विद्युतीकरण के साथ गुंटाकल-गुंटूर (401 किलोमीटर) के बीच रुपये 3631 करोड़ की लागत की दोहरीकरण परियोजना शामिल है। आन्ध्र प्रदेश एक्सप्रेस, दैनिक सुपर-फास्ट ट्रेन विशाखापत्तनम- दिल्ली, हमसफ़र नॉन-डेली एक्सप्रेस ट्रेनें विजयवाड़ा- हावड़ा और तिरुपति-जम्मूतवी के बीच चल रही हैं।

राज्य की राजधानी में आवश्यक बुनियादी ढांचे आदि के विकास के लिए, रुपये 2,500 करोड़ की सहायता प्रदान की गई है। रिकॉर्ड संख्या में 11.29 लाख घरों (PMAY-Urban) को मंजूरी दी गई है—जो किसी भी राज्य के लिए आज तक सबसे ज्यादा है। शहरी बुनियादी ढांचे के विकास के लिए चार स्मार्ट सिटी और AMRUT योजना के तहत कई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। अमरावती को समग्र विकास के लिए हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्मेंटेशन योजना (HRIDAY) में शामिल किया गया है।

रायलसीमा और उत्तर तटीय क्षेत्र के राज्य के 7 पिछड़े जिलों के लिए रुपये 1050 करोड़ का विकास अनुदान प्रदान किया गया है।

केंद्र ने सात पिछड़े जिलों के लिए आयकर अधिनियम की धारा 32 (1) (iiक) और धारा 32 (क घ) के तहत कर रियायतों को भी स्वीकार किया है।

इसके तहत इन जिलों में 1 अप्रैल, 2015 से 31 मार्च, 2020 के बीच स्थापित कोई भी मैनुफैक्चरिंग व्यवसाय 15% की अतिरिक्त उच्चतर दर पर डैप्रीसेएशन तथा उस अवधि के दौरान लगाये गये संयंत्र और मशीनरी की लागत पर 15% निवेश भत्ता प्राप्त करने के लिए पात्र है।

केंद्र ने आंध्र प्रदेश को बिजली में सरप्लस राज्य बनाने के लिए भी समर्थन दिया है। राज्य में बिजली की कमी और बिजली कटौती की समस्या को समाप्त किया गया है। यह सब ‘पावर फॉर ऑल’ और ‘उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना’ (रुपये 4,400 करोड़ की लाभ) के कारण संभव हुआ। सरकार ने लगभग रुपये 24,000 करोड़ की लागत से सोलर पार्क और अल्ट्रा मेगा सोलर पावर प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी है। 2.2 करोड़ एलईडी बल्ब प्रदान किए गए जिससे उपभोक्ताओं को सालाना 1,100 करोड़ रुपये की बचत हुई। इसके अलावा 23.8 लाख स्ट्रीटलाइट्स को एलईडी स्ट्रीटलाइट्स से बदल दिया गया, जिसके कारण लागत कम होने से करदाताओं के पैसे की बचत हुई ।

भारत सरकार विशाखपट्टनम और विजयवाड़ा-गुंटूर-तेनाली मेट्रोपॉलिटन शहरी विकास प्राधिकरण के लिए मेट्रो रेल की फीजिबिलिटी/व्यवहार्यता रिपोर्ट के बाद इन परियोजनाओं को जल्दी से जल्दी लागू करना चाहती थी। लेकिन आन्ध्र प्रदेश सरकार से इन दोनों परियोजनाओं के लिए संशोधित प्रस्तावों का इंतजार है।

जहां तक दुग्गीराजुपट्नम परियोजना का सवाल है, वह अयोग्य पाई गई और आन्ध्र प्रदेश सरकार को इसके लिए एक वैकल्पिक स्थान का सुझाव देने के लिए कहा गया था। राज्य सरकार अभी तक किसी प्रस्ताव के साथ आगे नहीं आई है। लोगों को भ्रमित करने के लिए श्री नायडू ने वित्तीय सहायता के बिना ही रामायणपट्टनम परियोजना की आधारशिला भी रख दी।

SAIL द्वारा कडप्पा में एक स्टील प्लांट स्थापित करने के प्रस्ताव को अस्वीकार्य घोषित करने के बाद केंद्र ने एक टास्क फोर्स का गठन किया, जिसने राज्य सरकार के साथ विचार-विमर्श किया। इसे राज्य और केंद्र दोनों के सहयोग से PPP माडल पर बनाने का प्रस्ताव था। हालांकि, श्री नायडू की राजनीतिक रूप से दूसरों पर हावी होने की आदत के कारण उन्होंने वित्तीय आवंटन के बिना ही इस परियोजना की आधारशिला भी रख दी।

अंतर-राज्यीय मुद्दों के कारण एक नया रेलवे ज़ोन स्थापित करने का मुद्दा केंद्र के पास लंबित है।

बुनियादी ढांचागत परियोजनाएं जल्द ही वास्तविक रूप लेंगी और अधिनियम में 10 वर्षों के निर्धारित समय से पहले ही पूरी कर दी जाएंगी।

जहां तक आंध्र प्रदेश को विशेष श्रेणी का दर्जा देने का सवाल है, केंद्र 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों से विवश है, जिसके अनुसार वित्तीय सहायता और कर रियायत के लिए विशेष और सामान्य श्रेणी के राज्यों के बीच अंतर समाप्त कर दिया गया है। फिर भी राज्य सरकार की सलाह से ही केंद्र ने आन्ध्र प्रदेश के लिए विशेष सहायता प्रदान की।

14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के मद्देनजर, केंद्र सरकार आंध्र प्रदेश के लिए पांच वर्षों के लिए एक विशेष सहायता देने पर तैयार है। तत्कालीन प्रधानमंत्री के 20 फरवरी 2014 के वक्तव्य के अनुसार 2015-16 से 2019-20 तक राज्य को जितना धन प्राप्त हो सकता था, यह विशेष सहायता इस अवधि के लिए उसकी भरपाई कर सकेगी।

यह सहायता आंध्र प्रदेश में बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए, केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषण सहयोग के रूप में होगी। राज्य की FRBM सीमाओं के मद्देनजर, केंद्र सरकार चाहती थी कि राज्य सरकार एक SPV बनाए ताकि SPV को धन हस्तांतरित किया जा सके। यह प्रस्ताव केंद्र द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों को 6-7 फरवरी, 2018 की चर्चा के दौरान बताया भी गया था। इस पर राज्य सरकार से प्रतिक्रिया का अब भी इंतजार है।

आंध्र प्रदेश के द्विभाजन के बाद की विशेष परिस्थितियों के मद्देनजर, केंद्र सरकार अधिनियम के प्रावधानों से भी आगे जाकर मदद कर रही है।

विभिन्न मंत्रालयों से आंध्र प्रदेश को अतिरिक्त और विशेष परियोजनाएं देने का अनुरोध किया गया है और राज्य में रुपये 3 लाख करोड़ से अधिक की ऐसी परियोजनाएं (आन्ध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 में उल्लिखित परियोजनाओं सहित) लागू की जा रही हैं। वास्तव में, आन्ध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम में जो शामिल भी नहीं थी, ऐसी कई परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई है।

केंद्र सरकार ने बाहरी सहायता वाली परियोजनाओं (EAP) में वित्तपोषण के माध्यम से आंध्र प्रदेश को विशेष सहायता देने के लिए विशेष तरीके अपनाए हैं। अकल्पनीय शीघ्रता से इस विशेष सहायता के तहत कई परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। जबकि राज्य ने प्रस्ताव का पूरी क्षमता से इस्तेमाल नहीं किया और वह पर्याप्त प्रस्ताव प्रस्तुत करने में विफल रहा। हालांकि, वह उधार पर जोर देता है जो FRBM के नियमों के बाहर है। और राज्य सरकार को इसकी जानकारी भी है।

नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) और नेशनल इंन्वेस्टमेंट मैन्यूफैक्चरिंग जोन (NIMZ) को बहुत पहले स्वीकृती दे दी गई थी, मगर ये दोनों परियोजनाएं आगे नहीं बढ़ सकीं क्योंकि तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा इनके लिए आवश्यक जमीन आबंटित नहीं की गई।

RINL और आन्ध्र प्रदेश सरकार ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया, जिसमें लगभग 3,000 लोगों को रोजगार के अवसर के साथ विशाखापत्तनम में विभिन्न परियोजनाओं के लिए लगभग रुपये 38,500 करोड़ का निवेश होने की संभावना है।

आंध्र प्रदेश के लिए एक अलग उच्च न्यायालय पहले ही शुरू हो चुका है।

केंद्र ने आंध्र प्रदेश के एक अनुरोध के बाद राजधानी क्षेत्र में वन भूमि को मुक्त करते हुए राजधानी के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।

14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, अब तक कुल रुपये 1,37,977.25 करोड़ जारी किए गए हैं। 2013-14 के लिए राजस्व घाटे के संबंध में, केंद्र सरकार ने उस वर्ष के लिए रिसोर्स गैप के रूप में रुपये 41,17.89 करोड़ की राशि दी है। आंध्र प्रदेश को रु. 3,979.50 करोड़ की राशि जारी की जा चुकी है।

विभिन्न मंत्रालयों ने आंध्र प्रदेश के लिए रुपये 3 लाख करोड़ से अधिक की लागत की अतिरिक्त परियोजनाओं को मंजूरी दी है। यह भारत सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश को प्राथमिकता के आधार पर सहायता देने के संकल्प को दर्शाता है।

आन्ध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम के अतिरिक्त, विशेष सहायता के रूप में वे परियोजनाऐं जिन्हें मंजूरी दी जा चुकी है और आंध्र प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं, उनकी सूची निम्नानुसार है:-

  1. राष्ट्रीय सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और नारकोटिक अकादमी -पालसमुद्रम (अनंतपुर);
  2. सैंट्रल इंस्टीट्यूट आफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टैक्नोलाजी – सूरमपल्ली (विजयवाड़ा);
  3. NIOT ओशन रिसर्च केन्द्र – थूपिलीपल्लम (नैल्लोर);
  4. क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान (NCERT) –नैल्लोर (इसके लिये राज्य सरकार द्वारा जमीन का आवंटन बाकी है);
  5. MSME टैक्नोलाजी सेंटर – पुडी (विशाखपट्टनम);
  6. नेशनल कामधेनु ब्रीडिंग सेंटर – चिंतलादेवी (नैल्लोर);
  7. इंडियन कलिनियरी इंस्टीट्यूट – तिरुपति;
  8. रीजनल सेंटर फार मेंटल हैल्प एंड रीहैबिलिटेशन – नैल्लोर;
  9. दूरदर्शन केन्द्र – विजयवाड़ा;
  10. नया क्षेत्रीय पासपोर्ट आफिस – विजयवाड़ा;
  11. आकाशवाणी केन्द्र – विजयवाड़ा;
  12. पासपोर्ट सेवा केन्द्र – भीमावरम्;
  13. स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटैक्चर :- विजयवाड़ा में उद्घाटन किया जा चुका है। हालांकि स्वीकृति तो 2008 में ही मिल गई थी परंतु पिछले 10 वर्षों में कोई प्रगति नहीं हुई;
  14. निम्मकूरू में BEL का नाइट विजन उपकरण बनाने का संयंत्र;
  15. अनंतपुर जिले के पाल समुद्रम स्थान पर BEL का मिसाइल निर्माण का संयंत्र;
  16. रामबिली में नौसेना का वैकल्पिक अड्डा;
  17. बोब्बिली में नौसेना का हवाई अड्डा बनाने की परियोजना पर तेजी से विचार चल रहा है।;
  18. डीआरडीओ का मिसाइल परीक्षण केन्द्र – नागलंका;
  19. नेशनल ओपेन एयर रेंज इवेल्यूएशन सेंटर – रू 500 करोड़ की लागत से कर्नूल में।;
  20. सैन्य प्रशिक्षण केन्द्र – चित्तूर में रू 500 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा है।;
  21. मल्टी माडल लाजिस्टिक हब – विशाखपट्टनम;
  22. कंटेनर फ्रेट स्टेशन – विशाखपट्टनम;
  23. मल्टी माडल लाजिस्टिक पार्क – काकिनाड़ा;
  24. मसालों के लिए स्पाइस पार्क –गुंटूर;
  25. सेंटर फार इलेक्ट्रो मैगनैटिक इन्वायरमेंटल अफेक्ट – समीर-विशाखपट्टनम;
  26. RINL तथा आंध्र प्रदेश सरकार के बीच रू 38500 करोड़ की लागत से वाइजेग इस्पात संयंत्र के विस्तारीकरण का समझौता;
  27. चित्तूर में नया ग्रीनफील्ड इलेक्ट्रानिक मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर;
  28. केन्द्रीय योग तथा प्राकृतिक चिकित्सा शोध संस्थान – कृष्णा जिले में स्थापित किया जा रहा है।
  29. स्वदेश दर्शन के अंतर्गत काकिनाड़ा के होप द्वीप तथा नैल्लोर में तटीय पर्यटन सर्किट;
  30. चिकित्सकीय उपकरणों के निर्माण के लिए एशिया का पहला हब – विशाखपट्टनम;

अंत: में मैं आप सभी से यही कहना चाहूंगा कि श्री चन्द्रबाबू नायडू ने आन्ध्र प्रदेश की जनता के भरोसे को तोड़ने का कार्य किया है। उनकी भ्रम की राजनीति का अब अंत होने वाला है। हमारा पूरा विश्वास ‘सत्यमेव जयते’ में है। आइये हम मिलकर आन्ध्र प्रदेश और भारत के विकास में अपना योगदान दें।

आपका

अमितशाह

 

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