केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह जी ने राष्ट्र की एकता एवं अखंडता के अग्रदूत डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जन्मतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी
‘एक राष्ट्र, एक निशान और एक विधान’ के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था। भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा। ऐसे कालजयी व्यक्तित्व और महान देशभक्त की जन्मजयंती पर उन्हें कोटिशः नमन।
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डॉ मुखर्जी ने देश की अस्मिता व अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने भारत का पुनः विभाजन होने से बचाया। उनका त्याग, समर्पण और उनके आदर्श युग-युगांतर तक आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
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डॉ. मुखर्जी ने अपनी दूरदर्शी सोच से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य व औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखने और सामरिक दृष्टि से भारत को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया। उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे।
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डॉ मुखर्जी जी ने सत्ता छोड़कर अपने सिद्धांतों तथा देश सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने देश की मिट्टी के सुगंध से सुवासित देश के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से जन संघ की स्थापना की। वे मानते थे कि विकास में जनभागीदारी के बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता।
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यह उन्हीं की त्याग, तपस्या और बलिदान का परिणाम है कि भारतीय जनता पार्टी आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में प्रतिस्थापित है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में समृद्ध और सुरक्षित भारतवर्ष का निर्माण हो रहा है।
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केंद्रीय गृह मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री अमित शाह ने आज देश की एकता और अखंडता के अग्रदूत डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जन्मजयंती के अवसर पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी। ज्ञात हो कि कालजयी व्यक्तित्व के धनी डॉ मुखर्जी जी की आज 120वीं जन्मजयंती है। आज के ही दिन 06 जुलाई 1901 को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी का जन्म तब के कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था।
श्री शाह ने ट्वीट करते हुए कहा कि डॉ मुखर्जी ने देश की अस्मिता व अखंडता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने भारत का पुनः विभाजन होने से बचाया। ऐसे कालजयी व्यक्तित्व और महान देशभक्त की जन्मजयंती पर उन्हें कोटिशः नमन करते हुए श्री शाह ने कहा कि उनका त्याग, समर्पण और उनके आदर्श युग-युगांतर तक आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि ‘एक राष्ट्र, एक निशान, एक विधान’ के प्रणेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के लिए देशहित से ऊपर कुछ नहीं था। भारत की अखंडता के लिए उनके बलिदान और संघर्ष ने कश्मीर और बंगाल को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा। डॉ. मुखर्जी राष्ट्र पुनर्निर्माण में स्वदेशी नीतियों के दृढ़ समर्थक थे। उनका स्पष्ट मानना था कि हम यदि अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपनी सभ्यता, अपनी नींव और अपने इतिहास को संरक्षित नहीं रख सकते तो हम अपने देश का कदापि भला नहीं कर सकते।
श्री शाह ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने अपनी दूरदर्शी सोच से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य व औद्योगिक विकास की मजबूत नींव रखने और सामरिक दृष्टि से भारत को सशक्त बनाने में अहम योगदान दिया। उनके सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के विचार चिरकाल तक प्रासंगिक रहेंगे। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के शिल्पी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी मातृभाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने के पक्षधर थे। वे मानते थे कि विकास में जनभागीदारी के बिना कोई भी देश प्रगति नहीं कर सकता। उन्होंने सत्ता की लालसा नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के ध्येय को लेकर जनसंघ की स्थापना की।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि डॉ मुखर्जी जी ने सत्ता छोड़कर अपने सिद्धांतों तथा देश सेवा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने देश की मिट्टी के सुगंध से सुवासित देश के पुनर्निर्माण के उद्देश्य से जन संघ की स्थापना की और देश के लिए जीने और देश के लिए मरने वाले समर्पित कार्यकर्ताओं की फ़ौज तैयार की। यह उन्हीं की त्याग, तपस्या और बलिदान का परिणाम है कि भारतीय जनता पार्टी आज विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में प्रतिस्थापित है और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में समृद्ध और सुरक्षित भारतवर्ष का निर्माण हो रहा है। जो बीज 1950 में भारतीय जन संघ के रूप में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी ने बोया था, आज वह भारतीय जनता पार्टी रूपी वटवृक्ष बन कर देश को विकास के पथ पर आगे ले जा रहा है।
श्री शाह ने कहा कि डॉक्टर मुखर्जी एक कर्मवीर योद्धा थे। उनका समग्र जीवन भारत की एकता, अखंडता और जन-कल्याण के प्रति समर्पित रहा। राष्ट्र उनका सदैव ऋणी रहेगा।
महेंद्र पांडेय
(कार्यालय सचिव)
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