Press Statement by BJP National President Sh Amit Shah


13-11-2019
Press Release

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह की ओर से जारी प्रेस वक्तव्य

 

महाराष्ट्र में माननीय राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश पूरी तरह से न्यायसंगत है और इसमें कहीं से भी संवैधानिक मर्यादाओं का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. राष्ट्रपति शासन पर विपक्षी पार्टियों की हाय तौबा केवल और केवल जनता की सहानुभूति प्राप्त करने की कोरी राजनीति का निरर्थक प्रयास भर है, इसके सिवा कुछ भी नहीं

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यह भारतीय जनता पार्टी का संस्कार नहीं है कि हम कमरे में हुई बातों को सार्वजनिक करें क्योंकि सार्वजनिक जीवन की एक गरिमा होती है लेकिन यदि विपक्षी पार्टियां ये चाहती हैं कि वे एक प्रकार की भ्रांति खड़ा करके जनता की सहानुभूति प्राप्त कर लेंगे तो उनको देश की जनता की समझ पर भरोसा नहीं है

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चुनाव प्रचार के दौरान मैंने कम से कम 100 बार और आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट कहा कि यदि हमारी महायुति की सरकार दोबारा चुन कर सत्ता में आती है तो श्री देवेन्द्र फड़णवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे. तब इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया

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भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र और इसकी स्वस्थ परंपरा में यकीन रखने वाली पार्टी है. हमने किसी भी तरह जनादेश का अपमान नहीं किया. हम महाराष्ट्र में गठबंधन में चुनाव लड़े थे, हमें जनता का स्पष्ट जनादेश भी मिला लेकिन आज अगर गठबंधन के हमारे साथी ऐसी शर्तें रख दे जो हमें स्वीकार नहीं है तो हम क्या करें

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जो पार्टियां ये बातें कर रही हैं कि हमें केवल एक दिन की मोहलत दी जबकि भाजपा को दो दिन का समय दिया, वे तो आज तक सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी. यदि आज भी किसी पार्टी के पास बहुमत है तो वह राज्यपाल महोदय से संपर्क कर सरकार बनाने का दावा कर सकती है. इसलिए राज्यपाल महोदय पर मौक़ा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता

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यदि राष्ट्रपति शासन नहीं लगता तो यह भी आरोप लगता कि राज्यपाल महोदय भारतीय जनता पार्टी की ही अस्थायी सरकार चला रहे हैं

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इस बात पर विपक्ष कोरी राजनीति कर रहा है और एक संवैधानिक पद को राजनीति में इस तरह से अमर्यादित रूप से घसीटना लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा के लिए अच्छा नहीं है

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महाराष्ट्र में माननीय राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश पूरी तरह से न्यायसंगत है और इसमें कहीं से भी संवैधानिक मर्यादाओं का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है. ऐसे में विपक्षी पार्टियों द्वारा महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर जो प्रतिक्रियाएं रही हैं, यह केवल और केवल कोरी राजनीति है, इसके अलावे कुछ नहीं.

 

माननीय राज्यपाल महोदय ने भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना को बारी-बारी से समय देने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को कल (12 नवंबर 2019) रात्रि 08:30 बजे तक का समय दिया था लेकिन सवाल उठाने वाली पार्टियों को यह याद होना चाहिए की एनसीपी ने कल 11 बजे से 12 बजे के बीच में ही राज्यपाल महोदय को राज्य में सरकार बनाने को लेकर अपनी असमर्थता जता दी थी. इसके बाद राज्यपाल महोदय के पास 08:30 बजे रात्रि तक रुकने का कोई औचित्य नहीं था.

 

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए माननीय राज्यपाल महोदय ने 18 दिनों का समय दिया गया. विधान सभा की अधिसूचना के बाद 18 दिनों तक राज्यपाल महोदय ने राह देखा. विधान सभा की अवधि 09 नवंबर 2019 को समाप्त हो गई. विधान सभा की अवधि समाप्त हो जाने पर राज्यपाल महोदय को कार्रवाई करनी होती है और उन्होंने रिकॉर्ड के लिए हर एक पार्टी को लिख कर पूछा लेकिन तो हम बहुमत लेकर राज्यपाल महोदय के पास जा पाए और ही शिव सेना अथवा एनसीपी ही बहुमत लेकर उनके पास गई. ऐसी स्थिति में राज्यपाल महोदय क्या करते. जो पार्टियां ये बातें कर रही हैं कि हमें केवल एक दिन की मोहलत दी जबकि भाजपा को दो दिन का समय दिया, वे तो आज तक सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी. यदि आज भी किसी पार्टी के पास बहुमत है तो वह राज्यपाल महोदय से संपर्क कर सरकार बनाने का दावा कर सकती है. इसलिए राज्यपाल महोदय पर मौक़ा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता. चूंकि कोई पार्टी राज्यपाल महोदय के पास बहुमत के आंकड़े पेश नहीं कर पाई, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत पड़ी. यदि राष्ट्रपति शासन नहीं लगता तो यह भी आरोप लगता कि राज्यपाल महोदय भारतीय जनता पार्टी की ही अस्थायी सरकार चला रहे हैं.

 

यह बात निश्चित है कि इस बात पर विपक्ष कोरी राजनीति कर रहा है और एक संवैधानिक पद को राजनीति में इस तरह से अमर्यादित रूप से घसीटना लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा के लिए अच्छा नहीं है. दो दिन का समय मांगने वाली पार्टियों के पास अब छः महीने का वक्त है. माननीय राज्यपाल ने ऐसा कर उचित ही कार्य किया है क्योंकि आज भी सभी लोग सरकार बना सकते हैं. कपिल सिब्बल जैसे विद्वान वकील द्वारा इस तरह की बचकानी दलीलें देना कि हमें मौक़ा नहीं दिया गया, निहायत ही समझ और तथ्यों से परे है.

 

भारतीय जनता पार्टी लोकतंत्र और इसकी स्वस्थ परंपरा में यकीन रखने वाली पार्टी है. हमने किसी भी तरह जनादेश का अपमान नहीं किया. हम महाराष्ट्र में गठबंधन में चुनाव लड़े थे, हमें जनता का स्पष्ट जनादेश भी मिला लेकिन आज अगर गठबंधन के हमारे साथी ऐसी शर्तें रख दे जो हमें स्वीकार नहीं है तो हम क्या करें. हम अकेले भी सरकार नहीं बना सकते क्योंकि हमारे पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है भले ही हम सबसे बड़ी पार्टी हैं. राज्यपाल शासन के लगने से यदि किसी पार्टी को नुकसान हुआ है तो वह भारतीय जनता पार्टी है क्योंकि हमारी केयरटेकर सरकार चली गई. विपक्ष का तो कोई नुकसान नहीं हुआ. वे तो आज भी सरकार बना सकते हैं यदि उनके पास बहुमत है.

 

यह भारतीय जनता पार्टी का संस्कार नहीं है कि हम कमरे में हुई बातों को सार्वजनिक करें क्योंकि सार्वजनिक जीवन की एक गरिमा होती है लेकिन यदि विपक्षी पार्टियां ये चाहती हैं कि वे एक प्रकार की भ्रांति खड़ा करके जनता की सहानुभूति प्राप्त कर लेंगे तो उनको देश की जनता की समझ पर भरोसा नहीं है. हम तो तैयार थे शिव सेना के साथ सरकार बनाने के लिए लेकिन शिव सेना की कुछ मांगें ऐसी थी जिसे माना नहीं जा सकता. चुनाव प्रचार के दौरान मैंने कम से कम 100 बार और आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने भी कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट कहा कि यदि हमारी महायुति की सरकार दोबारा चुन कर सत्ता में आती है तो श्री देवेन्द्र फड़णवीस ही मुख्यमंत्री बनेंगे. तब इस पर कोई सवाल नहीं उठाया गया. आज यदि इस तरह की बातें सामने आती है तो भारतीय जनता पार्टी उचित फोरम पर आगे के क़दमों पर विचार करेगी.

 

मैं एक बार पुनः यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि राष्ट्रपति शासन पर विपक्षी पार्टियों की हाय तौबा केवल और केवल जनता की सहानुभूति प्राप्त करने की कोरी राजनीति का निरर्थक प्रयास भर है, इसके सिवा कुछ भी नहीं. मैं महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहता. यदि आने वाले समय में सरकार गठन पर प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाती है तो छः महीने के समाप्त होने पर राज्यपाल महोदय कानूनी सलाह लेकर उचित निर्णय करेंगे. जो लोग कहते हैं कि हमें सरकार बनाने का मौका नहीं दिया गया, माननीय राज्यपाल महोदय ने असंवैधानिक काम कर दिया है और यह लोकतंत्र का हमारा अधिकार है तो मैं उनसे यही कहना चाहता हूँ कि हमारा आपका लोकतांत्रिक अधिकार आज भी है लेकिन आपके पास संख्या नहीं है. यदि आपके पास बहुमत है तो आप आज भी माननीय राज्यपाल महोदय के पास जाकर सरकार बना सकते हैं.

 

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