Press Statement : Senior BJP leader and Hon'ble Union Minister, Shri Prakash Javadekar


17-12-2020
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर की ओर से जारी प्रेस वक्तव्य

 

राहुल गाँधी का रक्षा विषयों की स्थायी समिति की बैठक से वॉक आउट कर जाना निंदनीय है। हम उनके इस रवैये की कड़ी भर्त्सना करते हैं। राहुल गाँधी को पता होना चाहिए कि संसद की स्थायी समिति कोई विरोध स्थल नहीं है।

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राहुल गाँधी को शायद ये भी पता नहीं की स्टैंडिंग कमिटी की बैठक का एजेंडा तय करने के लिए भी बैठक होती है जिस बैठक से वे अनुपस्थित थे। राहुल गाँधी शायद खुद को संसदीय समिति से ऊपर की चीज समझते हैं।

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बैठकों से अनुपस्थित रहना, चर्चा के अपने एजेंडे का खुलासा नहीं करना और फिर एजेंडे के बाहर के मुद्दों पर गैर-चर्चा का आग्रह करना सभी संसदीय प्रक्रियाओं और संवैधानिक संस्थानों का अपमान है। हम राहुल गाँधी के इस रवैये की निंदा करते हैं।

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राहुल गांधी ने पिछले साल-डेढ़ साल में रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति की 14 में से 2 ही बैठकों में भाग लिया होगा। वे खुद इन महत्वपूर्ण बैठकों से अनुपस्थित रहते हैं, फिर सरकार और सारी प्रक्रिया को दोष देते हैं और वॉक आउट करते हुए हुए विरोध करने लगते हैं।

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राहुल गांधी जब कांग्रेस-नीत यूपीए शासन काल के दौरान सत्ता में थे, तब उन्होंने अपनी ही सरकार के कैबिनेट के फैसले को फाड़ दिया था और इसे कूड़ेदान में फेंक दिया था। ऐसे में संवैधानिक संस्थाओं के प्रति राहुल गाँधी कितना सम्मान रखते हैं, यह सभी को पता है।

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राहुल गांधी को संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए वरना लोकतंत्र में उनकी भूमिका नगण्य हो जाएगी।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी द्वारा रक्षा विषयों की स्थायी समिति की बैठक से वॉक आउट करने पर जोरदार हमला बोला और राहुल गाँधी को कठघरे में खड़ा करते हुए रक्षा के विषयों पर भी राजनीति करने का आरोप लगाया। ज्ञात हो कि कल बुधवार को रक्षा विषयों की संसद की स्थायी समिति की बैठक हुई थी जिसमें का एजेंडा थाथल सेना, नौसेना और वायुसेना कर्मियों के रैंक, स्ट्रक्चर, वर्दी, स्टार बैज के मुद्दे पर चर्चा। यह एजेंडा पहले से ही तय था। इस बैठक में समिति के अध्यक्ष श्री जुएल उराँव के साथ-साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत भी उपस्थित थे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, समिति के सदस्य राहुल गाँधी इस बैठक में भी देर से आये जबकि इस बैठक के लिए एजेंडा तय करने वाली बैठक से भी वे अनुपस्थित रहे थे।

 

श्री जावड़ेकर ने कहा कि राहुल गाँधी कल, बुधवार को रक्षा विषयों की स्थायी समिति की बैठक से वॉक आउट कर गए। उनका कहना था कि महत्वपूर्ण विषयों के बदले छोटे-छोटे विषय क्यों लिए जा रहे हैं। शायद उन्हें पता नहीं कि एजेंडा तय करने की भी बैठक होती है जिस बैठक से राहुल गाँधी अनुपस्थित थे। राहुल गाँधी ने खुद के लिए शायद सोचा होगा कि वे संसदीय समिति से ऊपर की चीज हैं। अनुपस्थित रहना, चर्चा के अपने एजेंडे का खुलासा नहीं करना, और फिर एजेंडे के बाहर के मुद्दों पर गैर-चर्चा का आग्रह करना सभी संसदीय प्रक्रियाओं और संवैधानिक संस्थानों का अपमान है। हम इस रवैये की निंदा करते हैं।

 

केंद्रीय मंत्री ने राहुल गाँधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पिछले साल- डेढ़ साल में रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति की 14 में से 2 ही बैठकों में भाग लिया होगा। वे खुद तो इन महत्वपूर्ण बैठकों से अनुपस्थित रहते हैं, फिर सरकार और सारी प्रक्रिया को दोष देते हैं, बैठक से वॉक आउट भी कर जाते हैं और बैठक से बाहर निकल कर विरोध करने लगते हैं। राहुल गाँधी को पता होना चाहिए कि संसद की स्थायी समिति कोई विरोध स्थल नहीं है। राहुल गाँधी कल की बैठक से इस तरह वॉक आउट कर गए जैसे कि वो कोई प्रदर्शन का केंद्र हो। हम राहुल गाँधी के इस व्यवहार की कड़ी भर्त्सना करते हैं   

 

श्री जावड़ेकर ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी जब कांग्रेस-नीत यूपीए शासन काल के दौरान सत्ता में थे, तब उन्होंने अपनी ही सरकार के कैबिनेट के फैसले को फाड़ दिया था और इसे कूड़ेदान में फेंक दिया था। ऐसे में संवैधानिक संस्थाओं के प्रति राहुल गाँधी कितना सम्मान रखते हैं, यह सभी को पता है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान करना सीखना चाहिए वरना लोकतंत्र में उनकी भूमिका नगण्य हो जाएगी।

 

जानकारी के लिए बता दें कि राहुल गाँधी अब तक संसद में अपनी प्रभावी भूमिका निभा पाने में असमर्थ रहे हैं। 16 वीं लोकसभा कार्यकाल के दौरान भी सदन में राहुल गाँधी की उपस्थिति केवल 52% रही है। यही नहीं, राहुल गाँधी ने सदन के अंदर महज 14 चर्चाओं में ही हिस्सा लिया है। वे सदन में एक भी प्राइवेट मेंबर बिल लेकर नहीं आए। उनके कई सहयोगी भी एक राष्ट्रीय नेता के रूप में उनमेंनिरंतरता की कमी' का आरोप लगाते हैं।

 

महेंद्र पांडेय

(कार्यालय सचिव)

 

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