केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा गुजरात दंगों के मामले में SIT रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए जाने के संदर्भ में ANI को दिए गए साक्षात्कार के मुख्य बिंदु
· गुजरात दंगों के मामले में SIT रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया जाफरी और तथाकथित समाज सेवा के नाम का चोला ओढ़े तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किया जाना सच्चाई की जीत है, संविधान में हमारी आस्था की जीत है। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट ने सिद्ध किया है कि ये सभी आरोप पॉलिटिकली मोटिवेटिड थे।
· हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 18- 19 साल की लड़ाई में एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर, हर वेदना को सहन कर लड़ते रहे। जब सत्य इतनी लंबी लड़ाई के बाद बाहर विजयी होकर आता है तो उसकी चमक सोने से भी ज्यादा होती है।
· आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लोकतंत्र में संविधान के सम्मान का एक आदर्श उदाहरण स्थापित किया है। गुजरात भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर दंगे का जो दाग जबरन लगाया गया था, वह भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से धुला है।
· SIT के गठन का ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट का नहीं था। एक एनजीओ ने एसआईटी की मांग की थी। तब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से इस पर कंसेंट के लिए पूछा था। हमारी सरकार ने कह दिया कि हमें कुछ छुपाना ही नहीं है तो SIT पर हमें क्या आपत्ति है। हमारी सरकार के कंसेंट पर SIT का गठन किया गया था।
· SIT के अफसरों का चयन भी हमने नहीं किया था, सुप्रीम कोर्ट ने किया था। इसमें शामिल अफसर भी भाजपा शासित राज्यों से नहीं लिए गए थे, केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए थे। उस समय तक केंद्र में UPA की सरकार आ चुकी थी। पूरी जांच कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान हुई।
· SIT ने तब गुजरात के मुख्यमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी से घंटों पूछताछ की थी लेकिन किसी ने भी धरना-प्रदर्शन नहीं किया। हम मानते थे कि हमें न्याय प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए। हमारा मानना है कि कोई भी व्यक्ति न्याय की परिधि से बाहर नहीं है। जिन-जिन लोगों ने भी मोदी जी पर झूठे आरोप लगाए थे, यदि उनकी अंतरात्मा जागृत है तो आज उन्हें आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी से और भारतीय जनता पार्टी से क्षमा मांगना चाहिए।
· भाजपा की विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ ख़ास एजेंडा लेकर राजनीति में आए हुए पत्रकार और कुछ NGOs ने मिलकर इन झूठे आरोपों को इतना प्रचारित किया। इनका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि धीरे-धीरे झूठ को ही सब सच मानने लगे।
· सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट में यह साफ़ है कि एक पुलिस अफसर, एक एनजीओ और कुछ पॉलिटिकल एलिमेंट्स ने मिलकर सनसनी फैलाने के लिए झूठी बातों को फैलाया और झूठे सबूत गढ़े। जब ये एसआईटी को जवाब लिखवा रहे थे तब भी उनको मालूम था कि झूठा जवाब है जिसे एसआईटी ने भी बाद में कोर्ट के सामने रखा कि ये झूठे जवाब थे।
· देश की सर्वोच्च अदालत ने अपने निर्णय में यह भी स्पष्ट कर दिया कि गुजरात सरकार ने दंगा रोकने के लिए भरसक प्रयास किया। कोर्ट ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने बार-बार शांति की अपील की थी। कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रेन जलाने की घटना के बाद जो दंगे हुए, वो सुनियोजित नहीं थे, स्वतः स्फूर्त थे। निहित स्वार्थ के तहत एक मैगजीन द्वारा किए गए स्टिंग ऑपरेशन को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया क्योंकि जब इस स्टिंग का पूरा फुटेज सामने आया, तब मालूम पड़ा कि स्टिंग ऑपरेशन पॉलिटिकली मोटिवेटेड है।
· जिस दिन गुजरात बंद का ऐलान हुआ, उसी दोपहर को गुजरात सरकार ने सेना को बुलाने की मांग की थी। एक दिन की भी देरी नहीं हुई थी। जितने न्यूट्रल और प्रांप्ट एक्शन लिए जा सकते थे, तुरंत लिए गए। इस बात को कोर्ट ने भी माना और एप्रिशिएट किया है परंतु दिल्ली में सेना का मुख्यालय है। जब 1984 में इतने सारे सिख भाइयों नृशंस हत्या की गई तो 3 दिन तक कुछ भी नहीं हुआ। कोई कार्रवाई नहीं हुई। कितनी SIT बनी? हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी। कितनी अरेस्ट हुई? इतने सालों तक सिख नरसंहार में विपक्ष की सरकारों के दौरान कभी गिरफ्तारियां नहीं हुई और ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं पक्षपात के?
· सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से यह सिद्ध हो गया है कि गुजरात पर एक दंगाई राज्य का टैग लगाने का झूठा प्रयास किया गया। पत्रकारों को सवाल उठाने चाहिए उन लोगों के ऊपर जिन लोगों ने ये झूठे आरोप लगाए थे। पूछना चाहिए कि क्या आधार था इन आरोपों का?
· सबसे बड़ी बात जनादेश होती है। जनता सब देखती है। जनमानस ने, जनता ने कभी इन आरोपों को स्वीकार नहीं किया। हम सभी चुनाव जीते। केवल कुछ मीडिया, एनजीओ और हमारी विरोधी पॉलीटिकल पार्टियां इन आरोपों पर राजनीति करती रही।
· जिस तरह से गोधरा में ट्रेन में लगभग 60 लोगों को जिंदा जला दिया था, उससे समाज में आक्रोश था। 60 लोगों को और 16 दिन की जली बच्ची को उसकी मां की गोद में मैंने देखा है। मैंने अपने हाथों से उसका अंतिम संस्कार किया है। जब तक दंगे नहीं हुए, भाजपा को छोड़कर किसी भी पार्टी ने ट्रेन जलाने वाली घटना की निंदा नहीं की। उस समय संसद चल रही थी। किसी भी विपक्षी पार्टी ने 60 लोगों को जिंदा जलाने की घटना का दुख भी व्यक्त नहीं किया। कांग्रेस पार्टी का एक भी स्टेटमेंट नहीं आया।
· सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थीं। NGO ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर साइन किए और पीड़ितों को पता भी नहीं था। UPA की सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ और उनके NGO की बहुत मदद की। आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी की छवि को खराब करने के लिए यह सब किया गया।
· गुजरात में जब भी इन्वेस्टमेंट समिट होता था, तब हर अखबार में दंगों पर आर्टिकल छापे जाते थे। यह काम 10-12 साल तक किया गया। मोदी जी जब भी विदेश जाते थे, उन्हें अपमानित करने के लिए विदेशी अखबारों में आर्टिकल छपवाए गए। ऐसा कैम्पेन चलाने वालों से सीखिए कि दुष्प्रचार कैसे फैलाया जाता है?
· इतिहास हजारों साल बाद भी जिंदा रहता है। झूठे आरोप जो होते हैं, उसका पटाक्षेप न्यायालय के माध्यम से होना बहुत ही जरूरी होता है। इसलिए आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी 18-19 साल लंबी लड़ाई लड़ी है और अब इतने वर्षों बाद सत्य विजयी होकर बाहर आया है।
· किसी भी झूठ के सामने लड़ाई करना निहायत ही जरूरी होता है। किसी भी दुष्प्रचार के सामने उसको एक्सपोज करना बहुत जरूरी होता है। इतिहास तो अपने आप बनते रहते हैं। दो बार दो तिहाई बहुमत से जीतना इतिहास है। जीएसटी लागू करना भी इतिहास है।
· देश के अंदर विकास का माहौल बनाना भी इतिहास है। पहली बार सर्जिकल स्ट्राइक करना भी इतिहास है। पहली बार एयर स्ट्राइक करना भी इतिहास है। पूरी दुनिया में भारत के गौरव को आसमान तक ले जाना भी इतिहास है।
· जिस प्रकार से मेरी पार्टी के सर्वोच्च नेता को बदनाम करने का प्रयास किया गया, उसकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय से धज्जियां उड़ा दी है। मैं मानता हूं कि यह जजमेंट भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता के लिए गौरव का विषय है।
· देश में हमने सबसे पहले 24 घंटे हर गांव में पहुंचाने का काम किया, वह भाजपा का गुजरात मॉडल है। देश के अंदर 12 साल में 0 ड्रॉपआउट रेशियो और 99% ज्यादा एनरोलमेंट किया बच्चों का प्राइमरी एजुकेशन में, वह भी भाजपा का गुजरात मॉडल है। गुजरात के ट्राइबल एरिया के लिए वन बंधु कल्याण योजना लेकर हम आए, वह भी हमारा मॉडल है। गुजरात ने 10% ग्रोथ रेट के साथ 12 साल तक एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट अचीव किया है, वह भी गुजरात मॉडल है। हाईवे से लेकर ग्रामीण से लेकर अर्बन डेवलपमेंट तक कई मॉडल हैं।
· एक ही जजमेंट सेशन कोर्ट में आया जिसके खिलाफ आप ने हाई कोर्ट में अपील की। हाई कोर्ट ने सेशन कोर्ट से ज्यादा कड़ाई से उसे रिजेक्ट किया। इसके खिलाफ पॉलिटिकली मोटिवेटेड लोग सुप्रीम कोर्ट में गए। सुप्रीम कोर्ट ने उससे भी ज्यादा कड़ाई से उसे खारिज किया। सुनवाई की तारीख भी जिसने बार बार आगे बढ़वाई और मामले को लंबा खींचने का जिसके द्वारा प्रयास किया गया, वह भी रिकॉर्ड पर है। हर बार एनजीओ ने डेट लिए।
· मैंने लोगों को निर्लजता के साथ मोदी जी पर झूठे आरोप लगाते हुए देखा है। मैंने मोदीजी को उन आरोपों को बहुत ही धैर्य के साथ सहते हुए देखा है। मैंने मोदीजी को इतने वर्ष न्यायिक प्रक्रिया का सम्मान करते हुए देखा है। और, अब 18 साल बाद मोदी जी को विजयी होते हुए भी देखा है।
· सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा है कि राज्य सरकार ने दंगा रोकने के लिए भरसक कोशिश की। राज्य सरकार ने उचित समय पर उचित कार्रवाई करते हुए कम नुकसान में दंगों को समाप्त किया। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई विटनेस प्रोटक्शन की स्कीम को पूरा का पूरा बिना कोमा या फुल स्टॉप के पूरा किया।
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