Salient points of joint press conference of BJP National Spokesperson Shri Gaurav Bhatia and Delhi BJP State President Shri Adesh Gupta


by Shri Gaurav Bhatia -
29-08-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया एवं भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश  गुप्ता की संयुक्त प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु

 

एक तरफ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलेरेंस नीति है। दूसरी ओर, अरविंद केजरीवाल की सरकार भ्रष्टाचार की शत प्रतिशत गारंटी है।

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भारतीय जनता पार्टी केजरीवाल जी से शराब घोटाले से संबंधित सवाल पूछती है, तो वे न्यूयार्क टाइम्स का हवाला देकर वर्ल्ड क्लास शिक्षा की दुहाई देते हुए कहने लग जाते हैं कि विश्व के सबसे बढ़िया शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हैं। तो अब बात दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की ही बात हो जाये.

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“आप” का तो लगता है बस यही सपना, न्यूयार्क टाइम्स का नाम जपना, जनता का माल अपना। दरअसल केजरीवाल सरकार का “शिक्षा मॉडल” वास्तव में “वसूली मॉडल” है।

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दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कमरों के निर्माण में हुए घोटाला को लेकर सीवीसी ने ढाई साल पहले, फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार के विजिलेंस सचिव को एक रिपोर्ट भेजी थी। भारतीय जनता पार्टी अरविंद केजरीवाल से मांग करती है कि दिल्ली विधानसभा के चालू सत्र में इन सवालों का जवाब दें।

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पहला प्रश्न - अरविंद केजरीवाल जी ने सीवीसी की रिपोर्ट पर ढाई सालों तक क्या कोई कार्रवाई की है? यदि कोई कार्रवाई नहीं की तो क्यों नहीं की?

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दूसरा सवाल - सरकारी निर्माण में सीपीडब्ल्यूडी के गाईडलाइन के तहत काम करने का नियम है। जीएफआर और सीवीसी गाइडलाइन के तहत सररकारी ठेका को पब्लिक टेंडर के माध्यम से ही दिया जाना चाहिए। तो आखिर क्यों एक सरकारी निर्माण कार्य के लिए टेंडर नहीं निकाला गया?

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तीसरा सवाल - टैक्सपेयर जानना चाहता है कि क्या अरविंद केजरीवाल ने टॉयलेट को क्लासरूम की श्रेणी में इसलिए तब्दील कर दिया ताकि क्लासरुम की संख्या बढाकर दिखाई जाए ?

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चौथा सवाल - दिल्ली की जनता पूछ रही है कि दिल्ली के स्कूलों में कमरे आदि बनवाने में अनुमानित लागत से लगभग 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किये गए, उसके लिए सीवीसी और अन्य सरकारी गाइडलाइन का पालन क्यों नहीं किया गया?

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स्वास्थ्य एवं आबकारी नीति के बाद दिल्ली की आप नहीं ‘पाप’ सरकार दिल्ली के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। आम आदमी पार्टी का मैनिफेस्टों अगर देखें तो केजरीवाल ने वादा किया था कि 500 नए स्कूल दिल्ली में बनवाएंगे। 500 नए स्कूल तो नहीं बने बल्कि दिल्ली में 16 स्कूलें बंद हो गए।

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25 जुलाई 2019 को एक सीवीसी में एक शिकायत आती है कि जिसमें अरविंद केजरीवाल की “पाप” शिक्षा मॉडल का खुलासा करती है। केजरीवाल सरकार बेहद सुनियोजित तरीके से पीडब्ल्यूडी से एक रिपोर्ट मंगवाती है, जिस रिपोर्ट में दिल्ली के स्कूलों में 2,400 कमरे बनाने की जरुरत बतायी गयी थी, लेकिन बाद में इसे कागज में बढ़ाकर 7,180 कमरे दिखाए गए। मंशा थी की ज्यादा कमरे दिखायेंगे तो ज्यादा मुनाफाखोरी करेंगे

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शिकायत पत्र में कहा गया है कि नए कमरे बनवाने की लागत 50 से 90 प्रतिशत तक बढाया गया ताकि मुनाफाखोरी की जा सके। सीपीडब्ल्यूडी के निर्माण मैन्युअल को दरकिनार कर स्कूल के कमरे निर्माण की जिम्मेदारी अपने चिन्हित ठेकेदारों को दी गयी।

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सीवीसी रिपोर्ट के अनुसार स्कूल के कमरों के निर्माण लागत में लगभग 326 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गयी है, जो टेंडर राशि से 53 प्रतिशत ज्यादा है।

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नियमानुसार टेंडर में कोई भी बदलाव लाने पर उसकी जानकारी पब्लिक डोमेन में देना जरूरी होता है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इन नियमों का पालन नहीं किया।

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मूल टेंडर से बढ़ी हुई लागत राशि से 6,133 क्लासरूम बनवाने थे, किन्तु दिल्ली के स्कूलों में 4,027 नए कमरे बनाए गए अर्थात एक तिहाई कमरे नहीं बनाए गए। प्रत्येक क्लास रूम बनाने के लिए एक निर्धारित बजट थी, लेकिन उस बजट राशि में अनियमित ढंग से बढ़ोत्तरी की गयी।

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“शिक्षा कम शराब” मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 1,214 शौचालय निर्माण की जरूरत बताई जबकि 160 अतिरिक्त शौचालय निर्माण की ही जरूरत थी। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बनाए गए शौचालय को क्लासरूम में गिनती करा दी।

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केजरीवाल सरकार के जिस विभाग की भी बात करें, तो वहीं भ्रष्टाचार मिलेगा। सीवीसी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 29 स्कूलो में रेनवाटर हार्वेस्टींग सिस्टम बनाने के लिए अनुदान दिए गए लेकिन सिर्फ 2 स्कूलों में ही हार्वेस्टींग सिस्टम बनाए गए।

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सभी परियोजनाओं के लिए  989.26 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, किन्तु बिना प्रक्रिया का अनुपालन किये इसे बढ़ाकर 1,315 करोड़ रुपए कर दिए गए।

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सारे टेंडर की अनुदान राशि 860 करोड़ रुपए थी, तो 450 करोड़ रुपए की राशि  कहां गई?

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया एवं भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने आज केन्द्रीय कार्यालय में संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित किया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को शिक्षा, स्वास्थ्य एवं शराब घोटाले का किंगपिन ठहराते हुए कहा कि “शिक्षा कम शराब” मंत्री मनीष सिसोदिया जहाँ टॉयलेट को क्लासरूम बता रहे हैं वहीँ केजरीवाल जी तथाकथित वर्ल्ड क्लास शिक्षा के नाम पर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। 

 

श्री गौरव भाटिया ने अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि “आप” का तो लगता है बस यही सपना, न्यूयार्क टाइम्स का नाम जपना, जनता का माल अपना। दरअसल केजरीवाल सरकार का “शिक्षा मॉडल” वास्तव में “वसूली मॉडल” है। भारतीय जनता पार्टी किसी भी हालात में दिल्ली के बच्चों का भविष्य अंधकार में नहीं जाने देगी। अरविन्द केजरीवाल की “आप” सरकार वास्तव में “पाप” सरकार है

 

भारतीय जनता पार्टी केजरीवाल जी से शराब घोटाले से संबंधित सवाल पूछती है, तो वे न्यूयार्क टाइम्स का हवाला देकर वर्ल्ड क्लास शिक्षा की दुहाई देते हुए कहने लग जाते हैं कि विश्व के सबसे बढ़िया शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हैं। चूँकि न्यूयॉर्क टाइम्स में उनका नाम आता है, इसलिए राजनीतिक द्वेष से प्रताड़ित किया जा रहा है. तो अब बात दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की ही बात हो जाये.  भारतीय जनता पार्टी केजरीवाल सरकार के शिक्षा घोटाला को उजागर करते हुए कुछ सवाल पूछना चाहती है। आशा करते हैं कि केजरीवाल जी दिल्ली के शिक्षा विभाग में व्याप्त घोटाले पर जवाब देंगे।

 

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में कमरों के निर्माण में हुए घोटाला को लेकर सीवीसी ने ढाई साल पहले, फरवरी 2020 में दिल्ली सरकार के विजिलेंस सचिव को एक रिपोर्ट भेजी थी। भारतीय जनता पार्टी अरविंद केजरीवाल से मांग करती है कि दिल्ली विधानसभा के चालू सत्र में इन सवालों का जवाब दें।

 

·        पहला प्रश्न - अरविंद केजरीवाल जी ने सीवीसी की रिपोर्ट पर ढाई सालों तक क्या कोई कार्रवाई की है? यदि कोई कार्रवाई नहीं की तो क्यों नहीं की?

 

·        दूसरा सवाल - सरकारी निर्माण में सीपीडब्ल्यूडी के गाईडलाइन के तहत काम करने का नियम है। जीएफआर और सीवीसी गाइडलाइन के तहत सररकारी ठेका को पब्लिक टेंडर के माध्यम से ही दिया जाना चाहिए। तो आखिर क्यों एक सरकारी निर्माण कार्य के लिए टेंडर नहीं निकाला गया?

 

·        तीसरा सवाल - दिल्ली की जनता यह सवाल पूछ रही है कि स्कूलों में निर्माण होने वाले कमरों की संख्या की एक तिहाई कमरों के निर्माण की राशि तथा बजट से ज्यादा बढ़ायी गयी राशि क्या अरविंद केजरीवाल की तिजोरी में गयी?

 

  • चौथा सवाल - टैक्सपेयर जानना चाहता है कि क्या अरविंद केजरीवाल ने टॉयलेट को क्लासरूम की श्रेणी में इसलिए तब्दील कर दिया ताकि क्लासरुम की संख्या बढाकर दिखाई जाए ?

 

  • पांचवा सवाल - दिल्ली की जनता पूछ रही है कि दिल्ली के स्कूलों में कमरे आदि बनवाने में अनुमानित लागत से लगभग 500 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किये गए, उसके लिए सीवीसी और अन्य सरकारी गाइडलाइन का पालन क्यों नहीं किया गया?

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी खजाने से यदि एक रुपए का भी घोटाला होता है, तब भी उस भ्रष्टाचार को स्वीकार नहीं किया जा सकता। स्वास्थ्य एवं आबकारी नीति के बाद दिल्ली की आप नहीं ‘पाप’ सरकार दिल्ली के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। आम आदमी पार्टी का मैनिफेस्टों अगर देखें तो केजरीवाल ने वादा किया था कि 500 नए स्कूल दिल्ली में बनवाएंगे। 500 नए स्कूल तो नहीं बने बल्कि दिल्ली में 16 स्कूलें बंद हो गए।

 

25 जुलाई 2019 को एक सीवीसी में एक शिकायत आती है कि जिसमें अरविंद केजरीवाल की “पाप” शिक्षा मॉडल का खुलासा करती है। केजरीवाल सरकार बेहद सुनियोजित तरीके से पीडब्ल्यूडी से एक रिपोर्ट मंगवाती है, जिस रिपोर्ट में दिल्ली के स्कूलों में 2,400 कमरे बनाने की जरुरत बतायी गयी थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 7,180 कमरे बनवाए गए। शिकायत पत्र में कहा गया है कि नए कमरे बनवाने की लागत 50 से 90 प्रतिशत तक बढाया गया ताकि मुनाफाखोरी की जा सके। सीपीडब्ल्यूडी के निर्माण मैन्युअल को दरकिनार कर स्कूल के कमरे निर्माण की जिम्मेदारी अपने चिन्हित ठेकेदारों को दी गयी। इसके अलावा, स्पेसिफिकेशन में एकदम साधारण बातों का हवाला देकर स्कूलों के कमरे निर्माण की लागत राशि बढ़ाने का जिक्र किया गया है।

 

सीवीसी रिपोर्ट के अनुसार स्कूल के कमरों के निर्माण लागत में लगभग 326 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की गयी है, जो टेंडर राशि से 53 प्रतिशत ज्यादा है। नियमानुसार टेंडर में कोई भी बदलाव लाने पर उसकी जानकारी पब्लिक डोमेन में देना जरूरी होता है, लेकिन केजरीवाल सरकार ने इन नियमों का पालन नहीं किया। मूल टेंडर से बढ़ी हुई लागत राशि से 6,133 क्लासरूम बनवाने थे, किन्तु दिल्ली के स्कूलों में 4,027 नए कमरे बनाए गए अर्थात एक तिहाई कमरे नहीं बनाए गए। प्रत्येक क्लास रूम बनाने के लिए एक निर्धारित बजट थी, लेकिन उस बजट राशि में अनियमित ढंग से बढ़ोत्तरी की गयी।

 

“शिक्षा कम शराब” मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 1,214 शौचालय निर्माण की जरूरत बताई जबकि 160 अतिरिक्त शौचालय निर्माण की ही जरूरत थी। शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने बनाए गए शौचालय को क्लासरूम में गिनती करा दी।

 

केजरीवाल सरकार के जिस विभाग की भी बात करें, तो वहीं भ्रष्टाचार मिलेगा। सीवीसी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के 29 स्कूलो में रेनवाटर हार्वेस्टींग सिस्टम बनाने के लिए अनुदान दिए गए लेकिन सिर्फ दो स्कूलों में ही हार्वेस्टींग सिस्टम बनाए गए।

 

सभी परियोजनाओं के लिए 989.26 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे, किन्तु बिना प्रक्रिया का अनुपालन किये इसे बढ़ाकर 1,315 करोड़ रुपए कर दिए गए। इसके टेंडर में इन कार्यो के लिए अनुमानित लागत 860 करोड़ रुपए निर्धारित की गयी थी, तो 450 करोड़ रुपए की राशि कहां गई ? 

 

यदि केजरीवाल सरकार सार्वजनिक रूप में टेंडर निकालते तो अच्छी गुणवत्ता वाले ज्यादा क्लास रूम न्यूनतम राशि में बन सकते थे, किन्तु ऐसा करने से भ्रष्टाचार का पैसा घुमकर अरविंद केजरीवाल की तिजोरी में नहीं पहुंच पाता। दिल्ली में चिन्हित दोस्त ठेकेदारों को टेंडर दिए गए, ताकि निर्माण कार्यो की राशि घुमकर अरविंद केजरीवाल जी के पास पहुंच सके। इसी कारण अरविंद केजरीवाल सरकार ने बगैर टेंडर निकाले निर्माण कार्य कराया। टॉयलेट बनाकर क्लासरूम बताते हैं और वहां भी आधे अधूरे निर्माण कराते हैं। 

 

एक तरफ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलेरेंस नीति है। दूसरी ओर, अरविंद केजरीवाल की सरकार भ्रष्टाचार की शत प्रतिशत गारंटी है। अरविंद केजरीवाल सरकारी कामों में पारदर्शिता से प्रेरित नहीं है बल्कि नाटक से प्रेरित हैं, क्योंकि नई आबकारी नीति लाने के बाद अरविंद केजरीवाल जी शराब दुकानों की हर दिन एक नए आंकड़े बताते थे। इसलिए जनता कह रही है ऐसा कोई सगा नहीं, जिसे अरविंद केजरीवाल जी ने ठगा नहीं।

 

भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्षा श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल जी स्वराज की बात करते हुए शराब घोटाले तक पहुंच गए। अच्छी शिक्षा देने का वादा करके शिक्षा के मंदिर तक भ्रष्टाचार को पहुंचा दिया। शराब माफिया दोस्तों को दिल्ली के सरकारी खजाने लूटने की पूरी छूट दी। कमरे बनाने के नाम भी जमकर लूट मचाया है। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली के बिल्डरों को बुलाकर 15 गुणे 20 फीट के कमरे बनवाने के लिए निविदा की मांग करेगी, ताकि सच्चाई जनता को मालूम हो सके। केजरीवाल जी एक कमरे बनवाने में 33 लाख रुपए खर्च करते हैं, जबकि दिल्ली के बिल्डरों के अनुसार एक कमरे बनवाने में 5-6 लाख रुपए की ही लागत आती है । 

 

 

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