भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल जी एवं राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला की संयुक्त प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जिस प्रकार गरीब कल्याण को केंद्र बिंदु में रखते हुए समय समय पर गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार किया और देशवासियों एवं पूरे विश्व के समक्ष अपने संवेदनशील नेतृत्व का परिचय दिया है, वह बेहद सराहनीय है.
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इस शताब्दी का सबसे बड़ा संकट कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत एक ऐसा देश उभरा जहां एक भी घर में चूल्हा न जला हो, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई. उस आधार पर भारत ने पूरे विश्व को एक नई सोच का परिचय दिया।
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कोरोना संकट के लगभग 25 महीने के अंतराल के बीच प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में किया गया जिस पर 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये, अनुमानित व्यय है.
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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 25 महीनों में 1,000 लाख मीट्रिक टन अनाज गरीबों तक पहुंचाया गया है। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि विश्व का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा का प्रोग्राम भारत में चलाया गया है.
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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत जो अनाज दिए जा रहे हैं वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत दिए जाने वाले अनाज के अतिरिक्त है. अर्थात हर गरीब परिवार को सामान्य मात्रा से लगभग दोगुना राशन हर महीने मिल रहा है।
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राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत देश भर के 80 करोड़ गरीब परिवार को कवर किया गया है और अन्त्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों को इसके अंतर्गत 35 किलो अनाज प्रति परिवार और अन्य लोगों को 5 किलो अनाज हर माह वितरित किया जाता है.
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माननीय प्रधानमंत्री जी की यह सोच थी कि कैसे हर घर तक अनाज सुगमता पूर्वक पहुंचे, इसके लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी की भी सहायता ली.
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वन नेशन- वन राशन कार्ड प्रधानमंत्री जी की ही एक परिकल्पना थी कि कैसे हम देश के 80 करोड़ लाभार्थियों को टेक्नोलॉजी से जोड़कर उन्हें देश में कहीं भी अन्न प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।
आपको जानकर खुशी होगी कि लगभग ऐसे 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर के अलावा दूसरी जगहों से भी अपने हिस्से का अनाज प्राप्त कर लाभ उठाया है.
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कोविड-19 संकट के दौरान जब लॉकडाउन लगाया गया तो कई लोग ऐसी शंका जता रहे थे कि भारत इस महामारी में कैसे अपने लोगों को संभाल पायेगा.
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लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने देश के गरीब लोगों खासकर, प्रवासी मजदूरों के साथ एक चट्टान की तरह खड़े रहकर यह सुनिश्चित किया कि महामारी के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति तक अनाज सुलभता से पहुंचे.
अब जब कोविड-19 महामारी का प्रभाव कम होता जा रहा है, उसके बावजूद माननीय प्रधानमंत्री ने गरीब कल्याण अन्न योजना को आगामी छह माह के लिए, सितम्बर तक और बढ़ा दिया जो उनकी गरीबों के प्रति संवेदनशीलता का द्योतक है.
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हाल में, देश के विभिन्न हिस्सों में हुए चुनावों में जिस प्रकार जनता ने अपना आशीर्वाद देते हुए भाजपा प्रचंड जीत दिलाई, वह इंगित करती है कि माननीय प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के काम काज से जनता कितनी संतुष्ट है. इसी का नतीजा है कि पहले देश जहां एंटी इन्केम्बेंसी महसूस कर रहा था, वह अब प्रो- इन्केम्बेंसी में तब्दील हो चुका है.
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प्रधानमंत्री जी के कार्यों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी सराहना मिली है। ‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत के सबूत’ पर जारी शोध रिपोर्ट में IMF ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत जो मुफ्त में खाद्यान्न दिए गए, इन दोनों का भारत में बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा, जिसके कारण पूरे कोरोना काल में भारत में न गरीबी बढ़ी और न ही असमानता, इसके विपरीत गरीबी घटी ही ।
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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को सफल बनाने में पत्रकार बंधुओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा जिन्होंने इस योजना का प्रचार-प्रसार कर जन-सामान्य में जागरूकता लाने का काम किया.
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विभिन्न सर्वेक्षणों के माध्यम से यह बात उभरकर सामने आई है कि 98 प्रतिशत घरों तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ लगातार पहुँचता रहा और आगे भी पहुँचता रहेगा.
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री पीयूष गोयल और राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने आज पार्टी मुख्यालय में एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया और 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाई जा रही सामाजिक न्याय पखवाड़ा दिवस के तहत आज गरीब कल्याण अन्न योजना पर विस्तृत चर्चा की.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जिस प्रकार गरीब कल्याण को केंद्र बिंदु में रखते हुए समय समय पर गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार किया और देशवासियों एवं पूरे विश्व के समक्ष अपने संवेदनशील नेतृत्व का परिचय दिया है, वह बेहद सराहनीय है. इस शताब्दी का सबसे बड़ा संकट कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत एक ऐसा देश उभरा जहां एक भी घर में चूल्हा न जला हो, ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं हुई. उस आधार पर भारत ने पूरे विश्व को एक नई सोच का परिचय दिया।
कोरोना संकट के लगभग 25 महीने के अंतराल के बीच प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 80 करोड़ देशवासियों को प्रति माह पांच किलो अनाज मुफ्त देने का काम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में किया गया जिस पर 3 लाख 40 हजार करोड़ रुपये, अनुमानित व्यय है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के अंतर्गत 25 महीनों में 1,000 लाख मीट्रिक टन अनाज गरीबों तक पहुंचाया गया है। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं कि विश्व का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा का प्रोग्राम भारत में चलाया गया है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत जो अनाज दिए जा रहे हैं वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत दिए जाने वाले अनाज के अतिरिक्त है. अर्थात हर गरीब परिवार को सामान्य मात्रा से लगभग दोगुना राशन हर महीने मिल रहा है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के तहत देश भर के 80 करोड़ गरीब परिवार को कवर किया है और अन्त्योदय अन्न योजना के लाभार्थियों को इसके अंतर्गत 35 किलो अनाज प्रति परिवार अन्य लोगों को 5 किलो अनाज हर माह वितरित किया जाता है.
माननीय प्रधानमंत्री जी की यह सोच थी कि कैसे हर घर तक अनाज सुगमता पूर्वक पहुंचे, इसके लिए उन्होंने टेक्नोलॉजी की भी सहायता ली. वन नेशन- वन राशन कार्ड प्रधानमंत्री जी की ही एक परिकल्पना थी कि कैसे हम देश के 80 करोड़ लाभार्थियों को टेक्नोलॉजी से जोड़कर उन्हें देश में कहीं भी अन्न प्राप्त करने की सुविधा पहुंचाई जा सके। आपको जानकर खुशी होगी कि लगभग ऐसे 65 करोड़ पोर्टेबिलिटी ट्रांसेक्शन से लोगों ने अपने अन्न को अपने घर के अलावा दूसरी जगहों से भी अपने हिस्से का अनाज प्राप्त कर लाभ उठाया है.
कोविड-19 संकट के दौरान जब लॉकडाउन लगाया गया तो कई लोग ऐसी शंका जता रहे थे कि भारत इस महामारी में कैसे अपने लोगों को संभाल पायेगा. लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने अपने देश के गरीब लोगों खासकर, प्रवासी मजदूरों के साथ एक चट्टान की तरह खड़े रहकर यह सुनिश्चित किया कि महामारी के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति तक अनाज सुलभता से पहुंचे. अब जब कोविड-19 महामारी का प्रभाव कम होता जा रहा है, उसके बावजूद माननीय प्रधानमंत्री ने गरीब कल्याण अन्न योजना को आगामी छह माह के लिए, सितम्बर तक और बढ़ा दिया जो उनकी गरीबों के प्रति संवेदनशीलता का द्योतक है.
माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कोरोना महामारी का जिस प्रकार कुशल प्रबंधन किया गया, वह काफी सराहनीय रहा। हाल में देश के विभिन्न हिस्सों में हुए चुनावों में जिस प्रकार जनता ने अपना आशीर्वाद देते हुए भाजपा को जीत दिलाई, वह इंगित करती है कि माननीय प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के काम काज से जनता कितनी संतुष्ट है. इसी का नतीजा है कि पहले देश जहां एंटी इन्केम्बेंसी महसूस कर रहा था, वह अब प्रो- इन्केम्बेंसी में तब्दील हो चुका है.
प्रधानमंत्री जी के कार्यों को अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी सराहना मिली है। ‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत के सबूत’ पर जारी शोध रिपोर्ट में IMF ने कहा है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत जो मुफ्त में खाद्यान्न दिए गए, इन दोनों का भारत में बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा, जिसके कारण पूरे कोरोना काल में भारत में न गरीबी बढ़ी और न ही असमानता इसके विपरीत गरीबी घटी ही ।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को सफल बनाने में पत्रकार बंधुओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा जिन्होंने इस योजना का प्रचार-प्रसार कर जन-सामान्य में जागरूकता लाने का काम किया. विभिन्न सर्वेक्षणों के माध्यम से यह बात उभरकर सामने आई है कि 98 प्रतिशत घरों तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का लाभ लगातार पहुँचता रहा और आगे भी पहुँचता रहेगा.
मैं भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से और पूरे देशवाशियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी को तहे-दिल से धन्यवाद देता हूँ और उनके कुशल नेतृत्व को साधुवाद करता हूँ.
(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव
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