भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेस बाईट के मुख्य बिंदु
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में शायद अपने नेताओं को संदेश दे रहे हैं कि वोट जोड़ने के लिए हिन्दू धर्म और अस्मिता पर प्रहार करने में पीछे मत रहो। हिन्दू और हिन्दू धर्म के लिए अपशब्द की प्रक्रिया लंबे समय से चल रही है। छत्तीसगढ में कांग्रेस नेत्री की उपस्थिति में हिन्दू धर्म के अपमान की घटना कोई अलग घटना नजर नहीं आती है। कांग्रेस पार्टी द्वारा भारतीय संस्कृति और हिन्दू धर्म पर निरंतर अघात किया जाता रहा है।
भारतीय राजनीति की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का यह कोई नया कारनामा नहीं है। कांग्रेस नेताओं द्वारा हिन्दुओं को कभी भगवा आतंकवाद, कभी तालिबानी तो कभी बोकोहरम जैसे आतंकी संगठनों से तुलना की गई । चंद दिनों पहले कर्नाटक के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सतीष जारकिहोली ने हिन्दू धर्म के लिए गंदे और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग किया था।
भारतीय संस्कृति के बारे में देश ही नहीं, विदेश के लोग भी तरीफ करते रहते हैं। कांग्रेस को मालूम होना चाहिए कि एनी बेसेंट कांग्रेस की अध्यक्ष रही हैं। उन्होंने कहा था कि विश्व के सभी धर्मों में हिन्दू धर्म से बढ़ कर पूर्ण, वैज्ञानिक, दर्शनयुक्त एवं आध्यात्मिकता से परिपूर्ण धर्म दूसरा और कोई नहीं है ।
प्रसिद्ध दार्शनिक आर्थर शोपेनहावर ने कहा था कि हिन्दू धर्म के उपनिषदों में मनुष्य के ज्ञान की पराकाष्ठा है। वैज्ञानिक हाइजनबर्ग जहां हिन्दू धर्म में ज्ञान का स्रोत ढूंढते थे, तो परमाणु बम बनाने वाले रॉबर्ट ओपेनहाइमर से लेकर रॉकेट बनाने वाले वॉन ब्रॉन तक हिन्दू धर्म ग्रंथों को ज्ञान का भंडार बताते रहे।
भारतीय राजनीति की सबसे नयी नवेली आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री राजेन्द्र गौतम ने हिन्दू धर्म पर अभद्र टिप्पणियां की। गुजरात के आम आदमी पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल इटालिया ने यहां तक कह डाला कि मन्दिर शोषण का केन्द्र स्थल है। उन्होंने कथावाचक से लेकर हिन्दू धर्म-संस्कृति तक पर अघात किया।
भारतीय जनता पार्टी जानना चाहती है कि जब इस प्रकार की बातें हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं के लिए कही जाती हैं, तो भारतीय राजनीति के वे बगुला भगत जो देवी देवताओं को नोट पर विशेष स्थान देने की बात करते हैं, उनका क्या कहना है? निस्संदेह इनका दोहरा चरित्र उभरकर सामने आया है। दरअसल, इस तरह के बयान केवल हिन्दू समाज के विरोध या भारतीय समाज को छलने के विषय नहीं हैं, बल्कि यह विषय भारतीय राजनीति में नेताओं की विश्वसनीयता का है। इन्हीं कारणों से विपक्षी नेताओं की विहिन्दू विरोधी मानसिकता एक साथ ही राजनीति में उनकी विश्वसनीयता निरंतर कम होती जा रही है।
जी-20 के ‘लोगो’ के संबंध में जो लोग कमल पुष्प का विरोध कर रहे हैं, उन्हें मालूम होना चाहिए कि भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल है। यह राष्ट्र और राष्ट्रवाद के किसी भी तत्व के प्रति कांग्रेस के मन में व्याप्त अवमानना को दर्शाता है। कांग्रेस राष्ट्रवाद के खिलाफ किसी भी हद तक जाने के लिए हमेशा तैयार दिखती है।
यह ज्ञात हो कि कांग्रेस के शासनकाल में ही भारत के राष्ट्रीय पुष्प के रूप में कमल का चयन हुआ था। कांग्रेस के वर्तमान नेताओं को कम से कम अपने पूर्वज नेताओं के प्रति थोड़ी बहुत सम्मान तो रखनी ही चाहिए। कमल पुष्प का विरोध भारतीय संस्कृति और हिन्दू समाज के प्रति अवमानना को दर्शाता है।
कमल आज से नहीं, बल्कि हजारों वर्षो से भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। संत कबीर कहते हैं -
अष्ट कमल का चरखा बनाया, पांच तत्व की पुनि,
नौ दस मास बुनन को लागे, मूरख मैली किनी,
चदरिया, झीनी रे झीनी।।
अतः कमल पर आक्षेप भारत के राष्ट्रीय प्रतीक सम्मान व भारतीय संस्कृति की परंपरा के प्रति सेक्युलर दलों की घृणा का प्रमाण है.
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