Salient points of press conference : BJP National General Secretary Shri Dushyant Gautam


26-12-2020
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव श्री दुष्यंत गौतम द्वारा पंजाब में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उद्बोधन को सुनने के लिए एकत्रित हुए किसानों पर हुए बर्बरतापूर्ण हमले के विरोध में आयोजित प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

भारतीय जनता पार्टी पंजाब में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उद्बोधन को सुनने के लिए एकत्रित हुए किसानों पर हुए बर्बरतापूर्ण हमले की कड़ी निंदा और भर्त्सना करती है।

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कल पंजाब में कई जगहों पर किसान श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन मनाने और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उद्बोधन को सुनने की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त पंजाब की कांग्रेस सरकार के संरक्षण में पुलिस के साथ मिलीभगत से बैठे हुए किसानों पर लोहे की रॉड और डंडों से आक्रमण किया गया जिसमें हमारे कई कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

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पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह व्यवहार किया और किसानों पर हुए हमले को रोकने की कोई कोशिश नहीं की। वह मूकदर्शक बनी रही जो बेहद निंदनीय है।

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स्पष्ट है कि जो किसान आंदोलन या किसान गतिविधयां शांतिपूर्ण तरीके से चलाई जा रही है, उसे कांग्रेस खून - खराबे में बदलना चाहती है।

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कांग्रेस के एक सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का भी एक बयान मीडिया में आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि 01 जनवरी 2020 के बाद देखिएगा कि किस तरह खून - खराबा होगा, कत्लेआम होगा और लाशें बिछेगी।

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कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों के परिप्रेक्ष्य में मैं इस प्रेस वार्ता के माध्यम से स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि आने वाले समय में किसी भी तरह की हानि हुई या खून - खराबा हुआ तो इसकी जिम्मेवारी केवल और केवल कांग्रेस की होगी क्योंकि कांग्रेस को खून खराबा करके शासन चलाने की आदत पड़ गई है।

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किसान आंदोलन में जो वामपंथी दल बैठे हुए हैं, वे आपस में सुलह नहीं होने देना चाहते।

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चाहे एमएसपी का विषय हो, मंडी का विषय हो या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात हो, हर बात पर मोदी सरकार ने खुले मन से बात की है और संशोधन का लिखित आश्वासन दिया है लेकिन आंदोलनकारी बोल रहे हैं कि सरकार अड़ियल है। अड़ियल हम हैं या वामपंथी किसान संगठन, यह तो देश की जनता तय करेगी।           

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भारतीय जनता पार्टी विपक्ष एवं कृषि सुधार के विरोध में बैठे हुए किसान संगठनों से अपील करती है कि वे विरोध का रास्ता छोड़ कर देश के किसानों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक साथ आयें।

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मोदी सरकार एक मजबूत और सशक्त भारत का निर्माण करना चाहती है लेकिन यह तब तक संभव नहीं है, जब तक देश के गाँव, गरीब, किसान और मजदूर सशक्त नहीं होते।

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हाल ही में मीडिया द्वारा कृषि सुधार कानूनों पर किये गए एक सर्वे के अनुसार पंजाब के 78% लोगों ने कहा है कि वे कृषि सुधारों का समर्थन करते हैं। 56% लोगों ने कहा है कि वे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के एमएसपी पर दिए गए आश्वासन से वाकिफ हैं और उन्हें प्रधानमंत्री जी की बात पर विश्वास है।

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इस सर्वे में एक और बात निकल कर आयी कि पंजाब के किसानों ने फसल बेचने के विकल्प का भी समर्थन किया है। इसी तरह 76% किसानों ने कहा है कि नए कृषि कानूनों से उन्हें फायदा होगा।

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देश भर से किसान और किसान संगठन इन नए कृषि सुधार कानूनों का खुल कर समर्थन कर रहे हैं, फिर भी हमने किसान संगठनों से उनकी मांगों पर वार्ता का द्वार खुला रखा है।

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बॉर्डर जाम कर बैठे लोगों में से कुछ बार - बार हम पर आरोप लगाते हैं कि हम अडानी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। मैं जानना चाहता हूं कि 2014 से पहले अडानी और अंबानी क्या भीख मांगते थे?

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अडानी और अंबानी के फोटो तो इंदिरा गाँधी से लेकर राजीव गाँधी, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे कई कांग्रेसी नेताओं और शरद पवार जी के साथ भी मिलेंगे।

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वास्तविकता यह है कि कांग्रेस, एनसीपी से लेकर इन कृषि सुधार कानूनों का आज विरोध कर रहे सभी राजनीतिक दलों ने यूपीए सरकार के समय इन्हीं सुधारों की वकालत की थी, इसका समर्थन किया था लेकिन आज केवल राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए ये इन कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

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कल 25 दिसंबर, 2020 को देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन था और कल ही माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश भर के 9 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खाते में पीएम किसान सम्मान निधि की अगली किस्त के रूप में 18 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि भी हस्तांतरित की। आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने किसानों के साथ नए कृषि कानूनों सहित केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा कृषि एवं किसानों के कल्याण के लिए उठाये गए क़दमों पर वार्ता भी की।

 

देश भर के किसान कल श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को श्रद्धांजलि देने और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उद्बोधन को सुनने के लिए कई जगह एकत्रित हुए थे। इसी के तहत पंजाब में भी कई जगहों पर किसान, श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्मदिन मना रहे थे और माननीय प्रधानमंत्री जी के उद्बोधन को सुनने की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त पंजाब की कांग्रेस सरकार के संरक्षण में पुलिस के साथ मिलीभगत से बैठे हुए किसानों पर लोहे की रॉड और डंडों से आक्रमण किया गया जिसमें हमारे कई कार्यकर्ता गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हमारे एक कार्यकर्ता को तो 22-23 टांके आये, किसी के हाथ में फ्रैक्चर हुआ तो किसी के पैर में फ्रैक्चर है। कई जगहों पर किसानों के साथ इसी निर्दयता से आक्रमण किया गया। पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ता की तरह व्यवहार किया और किसानों पर हुए हमले को रोकने की कोई कोशिश नहीं की, उलटे शांतिपूर्ण तरीके से बैठे हुए किसानों से ही पीछे के रास्ते से निकलने और जगह छोड़ने को कहा। हर तरह से पंजाब पुलिस ने प्रधानमंत्री जी के किसानों के नाम उद्बोधन के कार्यक्रम से किसानों को दूर रखने की कोशिश की और किसानों को हतोत्साहित किया। किसानों द्वारा लगाए टेंट को भी उखाड़ दिया गया और किसानों को उन जगहों से हटा दिया गया। भारतीय जनता पार्टी पंजाब में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उद्बोधन को सुनने के लिए एकत्रित हुए किसानों पर किये गए बर्बरतापूर्ण हमले की कड़ी निंदा और भर्त्सना करती है।

 

स्पष्ट है कि जो किसान आंदोलन या किसान गतिविधयां शांतिपूर्ण तरीके से चलाई जा रही है, उसे कांग्रेस खून - खराबे में बदलना चाहती है। कांग्रेस के एक सांसद का भी एक बयान मीडिया में आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि 01 जनवरी 2020 के बाद देखिएगा कि किस तरह खून - खराबा होगा, कत्लेआम होगा और लाशें बिछेगी। कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों के परिप्रेक्ष्य में मैं इस प्रेस वार्ता के माध्यम से स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि आने वाले समय में किसी भी तरह की हानि हुई या खून - खराबा हुआ तो इसकी जिम्मेवारी केवल और केवल कांग्रेस की होगी क्योंकि कांग्रेस को खून खराबा करके शासन चलाने की आदत पड़ गई है।

 

किसान आंदोलन में जो वामपंथी दल बैठे हुए हैं, वे आपस में सुलह नहीं होने देना चाहते मोदी सरकार ने लगातार 5 - 6 बैठकें कर के किसानों की हर बात को ध्यान से सुना है। चाहे एमएसपी का विषय हो, मंडी का विषय हो या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात हो, हर बात पर केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने खुले मन से बात की है और संशोधन का लिखित आश्वासन दिया है लेकिन आंदोलनकारी बोल रहे हैं कि सरकार अड़ियल है। अड़ियल हम हैं या वामपंथी किसान संगठन, यह तो देश की जनता तय करेगी।           

 

भारतीय जनता पार्टी विपक्ष एवं कृषि सुधार के विरोध में बैठे हुए किसान संगठनों से अपील करती है कि वे विरोध का रास्ता छोड़ कर देश के किसानों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक साथ आयें। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की भाजपा सरकार एक मजबूत और सशक्त भारत का निर्माण करना चाहती है लेकिन यह तब तक संभव नहीं है जब तक कि देश के गाँव, गरीब, किसान और मजदूर सशक्त नहीं होते।

 

हाल ही में मीडिया द्वारा कृषि सुधार कानूनों पर किये गए एक सर्वे के अनुसार पंजाब के 78% लोगों ने कहा है कि वे कृषि सुधारों का समर्थन करते हैं। 56% लोगों ने कहा है कि वे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के एमएसपी पर दिए गए आश्वासन से वाकिफ हैं और उन्हें प्रधानमंत्री जी की बात पर विश्वास है। इस सर्वे में एक और बात निकल कर आयी कि पंजाब के किसानों ने फसल बेचने के विकल्प का भी समर्थन किया है। इसी तरह 76% किसानों ने कहा है कि नए कृषि कानूनों से उन्हें फायदा होगा। देश भर से किसान और किसान संगठन इन नए कृषि सुधार कानूनों का खुल का समर्थन कर रहे हैं, फिर भी हमने किसान संगठनों से उनकी मांगों पर वार्ता का द्वार खुला रखा है।

 

बॉर्डर जाम कर बैठे लोगों में से कुछ बार - बार हम पर आरोप लगाते हैं कि हम अडानी और अंबानी जैसे उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। मैं जानना चाहता हूं कि 2014 से पहले अडानी और अंबानी क्या भीख मांगते थे? अडानी और अंबानी के फोटो तो इंदिरा गाँधी से लेकर राजीव गाँधी, कैप्टन अमरिंदर सिंह जैसे कई कांग्रेसी नेताओं और शरद पवार जी के साथ भी मिलेंगे। वास्तविकता यह है कि कांग्रेस, एनसीपी से लेकर इन कृषि सुधार कानूनों का आज विरोध कर रहे सभी राजनीतिक दलों ने यूपीए सरकार के समय इन्हीं सुधारों की वकालत की थी, इसका समर्थन किया था लेकिन आज केवल राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए ये इन कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे हैं। इन कृषि सुधार कानूनों की बात कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में भी की गई थी। राहुल गाँधी से लेकर शरद पवार तक, विपक्ष के लगभग सभी नेताओं के कृषि सुधारों का समर्थन करते हुए दिए गए बयान हैं। आखिर किसानों को अपना फसल देश में कहीं भी बेचने की आजादी क्यों नहीं मिल सकती जबकि गेहूं से बने आंटे और चावल से बने अन्य खाद्य पदार्थ देश में कोई भी, कहीं भी बेच सकता है। पंजाब में किसानों पर दोहरी मार पर रही है। वहां किसानों के हाथ बंधे हुए है।

 

महेंद्र पांडेय

(कार्यालय सचिव) 

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