Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra


by Shri Sambit Patra -
29-03-2022
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

आज विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा एक विडियो दिखाया जा रहा है, जो बेहद चिंताजनक है. विडियो में आसनसोल के पांडवेश्वर विधानसभा के टीएमसी विधायक नरेन चक्रवर्ती  अपनी पार्टी के एक कार्यकर्ता सम्मलेन में जिस प्रकार से धमकी दे रहे हैं, बदले की राजनीति के विषय में जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, वो भाषा दरअसल उनकी नहीं बल्कि वो भाषा टीएमसी का ग्रामर है और मूल विचार भी.

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विडियो में नरेन चक्रवर्ती अपने कार्यकर्ताओं से स्पष्ट कहते नजर आ रहे हैं कि वे अपने अपने क्षेत्रों में जाकर भाजपा का समर्थन करने वाले मतदाताओं को ‘चमकाएं’ अर्थात उन्हें डराएँ-धमकाएं और उन्हें कहें कि आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव में घर से निकल कर यदि भाजपा के समर्थन में वोट डालेंगे तो आपका क्या हश्र होगा, ये आप जानते हैं और ये बात हमारे कार्यकर्ता जाकर आपको बताएँगे.

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घर से बाहर निकलकर यदि आप मतदान नहीं करते हैं, तो आपकी खैर है और तब ही आप बंगाल में रह सकते हैं, बंगाल में रहकर अपना काम-व्यवसाय कर सकते हैं.

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पश्चिम बंगाल में रहने के लिए ममता जी अपने विधायकों के माध्यम से एक सूचि जारी की है जिन्हें बंगाल में रहना और कारोबार करना है तो भारतीय जनता पार्टी को कतई वोट नहीं करना है. यदि किसी मतदाता को भाजपा के प्रति सहानुभूति है, आप यदि विकास को वोट देना चाहते हैं तो कतई आप घर से न निकले वर्ना जिंदा नहीं बचेंगे, बंगाल आपको छोड़ना पड़ेगा. ये कैसी मानसिकता है? कहाँ हैं लोकतंत्र की दुहायी देने वाले तमाम विपक्षी दल?

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यदि भारतीय जनता पार्टी के किसी विधायक ने ऐसी धमकी दी होती तो पूरे हिंदुस्तान में सभी विपक्षी दलों में हाहाकार मच गया होता. टीएमसी को यदि तालिबानी मानसिकता कांग्रेस कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.

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कोलकाता उच्च न्यायालय ने बीरभूम घटना को सीबीआई के हाथों सुपुर्द किया है क्योंकि न्यायपालिका को भी कहीं न कहीं लग रहा था कि बंगाल सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है. यह कोई पहली घटना नहीं है.

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2014 में भी और 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले अनेकों ऐसी धमकियाँ टीएमसी के नेताओं द्वारा दी जाती रही हैं. कभी फिरहाद हाकिम पिछले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय सुरक्षा बलों को धमकियाँ देते नजर आए तो कभी टीएमसी के पुराने सांसद रेप करने की धमकियाँ देते सुने गए.

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आज खबर आई है कि 350 क्रूड बम बीरभूम में मिले हैं. बंगाल आज बम और बारूद के ढेर पर बैठा है जिसे सुलगाने का काम टीएमसी के विधायक खुद अपनी धमकियों से कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी इसकी निंदा करती है और हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग इसे अपने संज्ञान में लें.

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कश्मीर फाइल्स मूवी पूरे हिंदुस्तान के लोगों ने देखा है और सभी स्तब्ध हैं इस बात को लेकर कि किस प्रकार 32 वर्ष पूर्व, जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ.

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किसी मूवी को टैक्स-फ्री करना राज्य का विषय है और कश्मीर फाइल्स मूवी को कई राज्यों ने टैक्स-फ्री किया है और कुछ राज्यों ने नहीं किया है.

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दिल्ली में इस मूवी को टैक्स-फ्री करना है या नहीं, इसे लेकर दिल्ली विधानसभा में जब चर्चा हो रही थी तो नरसंहार को लेकर जिस प्रकार केजरीवाल जी द्वारा ठहाका मारकर मजाक उड़ाया गया, उससे पूरा हिंदुस्तान शर्मसार हुआ है.

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कश्मीरी पंडितों के साथ 32 पूर्व जो अत्याचार हुआ था, उसे लेकर विधानसभा में केजरीवाल का रवैया कतई उचित नहीं था. एक निर्वाचित प्रतिनिधि  लोगों की पीड़ा पर हंस सकता है, उसे झूठी करार दे सकता है, ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.

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अरविंद जी, कश्मीर फाइल्स तो एक मूवी है लेकिन  कश्मीरी पंडितों के साथ हुई प्रताड़ना को जो आप झूठा करार दे रहे हैं, ज़रा उन लोगों से पूछिए जिन्होंने वाकई प्रताड़ना झेली है.

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ऐसी बात नहीं है कि अरविंद केजरीवाल जी ने कोई फिल्म टैक्स-फ्री नहीं की हो. अरविंद केजरीवाल ने पहले भी कई फिल्मों को टैक्स फ्री किया है, जिसकी लम्बी फेहरिस्त है और इसके लिए केजरीवाल जी ने विज्ञापन भी दिए और पोस्टर भी चिपकाये और आज कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई प्रताड़ना का मजाक उड़ा रहे हैं.

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इस विषय पर जब केजरीवाल जी के खिलाफ पूरे हिंदुस्तान में वातावरण बनने लगा तो यू टर्न के लिए मशहूर केजरीवाल जी कहने लगे कि कश्मीरी माइग्रेंट टीचर्स को दिल्ली सरकार ने नौकरी दी.

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लेकिन मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद केजरीवाल सरकार को अंततः विस्थापित कश्मीरी पंडितों को मजबूरन नियमित करने के लिए विवश होना पड़ा.

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केजरीवाल जी का आखिर यह दोहरा रवैया क्यों? 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ को लेकर जब इंडियन मुजाहिद्दीन के ओपरेटिव शहजाद अहमद को फांसी की सजा सुनाई गई थी तो केजरीवाल जी बाटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों को एक चिट्ठी लिख कर ये भी कहा था कि वो इस मामले में जांच की मांग का समर्थन करते हैं.

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अरविंद केजरीवाल जी, कश्मीरी पंडितों के दर्द को धुंए में उड़ाने की आपकी जो चेष्टा थी, वो उचित नहीं थी और पूरा हिंदुस्तान उसकी निंदा करता है.

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई नृशंस हत्याकांड के बाद टीएमसी विधायक की धमकी वाली विडियो पर राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधा. साथ ही, दिल्ली विधान सभा में अरविंद केजरीवाल जी द्वारा कश्मीरी पंडितों के उत्पीडन पर जिस प्रकार मजाक उड़ाया गया, उस पर उन्हें आड़े हाथों लेते हुए उनके दोहरे रवैये पर सवाल भी उठाया.

 

डॉ पात्रा ने पश्चिम बंगाल की बीरभूम घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अभी कुछ दिनों ही पहले, बीरभूम में जिस प्रकार से 8 लोगों की नृशंस हत्या हुई, उस विषय में भारतीय जनता पार्टी ने देश के समक्ष सच्चाई रखते हुए कहा था कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हुई है. आज विभिन्न समाचार चैनलों द्वारा एक विडियो दिखाया जा रहा है, जो बेहद चिंताजनक है. विडियो में आसनसोल के पांडवेश्वर विधानसभा के टीएमसी विधायक नरेन चक्रवर्ती  अपनी पार्टी के एक कार्यकर्ता सम्मलेन में जिस प्रकार से धमकी दे रहे हैं, बदले की राजनीति के विषय में जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं, वो भाषा दरअसल उनकी नहीं बल्कि वो भाषा टीएमसी का ग्रामर है और मूल विचार भी. विडियो में नरेन चक्रवर्ती अपने कार्यकर्ताओं से स्पष्ट कहते नजर आ रहे हैं कि वे अपने अपने क्षेत्रों में जाकर भाजपा का समर्थन करने वाले मतदाताओं को ‘चमकाएं’ अर्थात उन्हें डराएँ-धमकाएं और उन्हें कहें कि आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा उपचुनाव में घर से निकल कर यदि भाजपा के समर्थन में वोट डालेंगे तो ऐसा नहीं है कि हमें आपका पता हमें मालूम नहीं चलेगा. आपका पता चलने पर आपका क्या हश्र होगा, ये आप जानते हैं और ये बात हमारे कार्यकर्ता जाकर आपको बताएँगे. घर से बाहर निकलकर यदि आप मतदान नहीं करते हैं, तो आपकी खैर है और तब ही आप बंगाल में रह सकते हैं, बंगाल में रहकर अपना काम-व्यवसाय कर सकते हैं.

 

डॉ पात्रा ने कहा कि पश्चिम बंगाल में रहने के लिए ममता जी अपने विधायकों के माध्यम से एक सूचि जारी की है जिन्हें बंगाल में रहना और कारोबार करना है तो भारतीय जनता पार्टी को कतई वोट नहीं करना है. यदि किसी मतदाता को भाजपा के प्रति सहानुभूति है, आप यदि विकास को वोट देना चाहते हैं तो कतई आप घर से न निकले वर्ना जिंदा नहीं बचेंगे, बंगाल आपको छोड़ना पड़ेगा. ये कैसी मानसिकता है? कहाँ हैं लोकतंत्र की दुहायी देने वाले तमाम विपक्षी दल?

 

डॉ पात्रा ने कहा कि यदि भारतीय जनता पार्टी के किसी विधायक ने ऐसी धमकी दी होती तो पूरे हिंदुस्तान में सभी विपक्षी दलों में हाहाकार मच गया होता. टीएमसी को यदि तालिबानी मानसिकता कांग्रेस कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी. तीन दिन पूर्व ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी को घेरने की चेष्टा कर रही थीं किन्तु आज देश की कानून व्यवस्था और न्यायपालिका को धन्यवाद देना चाहते हैं. कोलकाता उच्च न्यायालय ने बीरभूम घटना को सीबीआई के हाथों सुपुर्द किया है क्योंकि न्यायपालिका को भी कहीं न कहीं लग रहा था कि बंगाल सरकार से न्याय की अपेक्षा करना व्यर्थ है. यह कोई पहली घटना नहीं है. 2014 में भी और 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले अनेकों ऐसी धमकियाँ टीएमसी के नेताओं द्वारा दी जाती रही हैं. कभी फिरहाद हाकिम पिछले विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय सुरक्षा बलों को धमकियाँ देते नजर आए तो कभी टीएमसी के पुराने सांसद रेप करने की धमकियाँ देते सुने गए. आज खबर आई है कि 350 क्रूड बम बीरभूम में मिले हैं. बंगाल आज बम और बारूद के ढेर पर बैठा है जिसे सुलगाने का काम टीएमसी के विधायक खुद अपनी धमकियों से कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी इसकी निंदा करती है और हम चाहते हैं कि चुनाव आयोग इसे अपने संज्ञान में लें.

 

कश्मीर फाइल्स मूवी का जिक्र करते हुए डॉ पात्रा ने कहा कि पूरे हिंदुस्तान के लोगों ने इसे देखा है और सभी स्तब्ध हैं इस बात को लेकर कि किस प्रकार 32 वर्ष पूर्व, जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ अन्याय हुआ. किसी मूवी को टैक्स-फ्री करना राज्यों का विषय है और कश्मीर फाइल्स मूवी को कई राज्यों ने टैक्स-फ्री किया है और कुछ राज्यों ने नहीं किया है. दिल्ली में इस मूवी को टैक्स-फ्री करना है या नहीं, इसे लेकर दिल्ली विधानसभा में जब चर्चा हो रही थी तो नरसंहार को लेकर जिस प्रकार केजरीवाल जी द्वारा ठहाका मारकर मजाक उड़ाया गया, उससे पूरा हिंदुस्तान शर्मसार हुआ है. कश्मीरी पंडितों के साथ 32 पूर्व जो अत्याचार हुआ था, उसे लेकर विधानसभा में केजरीवाल का रवैया कतई उचित नहीं था. एक निर्वाचित प्रतिनिधि  लोगों की पीड़ा पर हंस सकता है, उसे झूठी करार दे सकता है, ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. अरविंद जी, कश्मीर फाइल्स तो एक मूवी है लेकिन  कश्मीरी पंडितों के साथ हुई प्रताड़ना को जो आप झूठा करार दे रहे हैं, ज़रा उन लोगों से पूछिए जिन्होंने वाकई प्रताड़ना झेली है. गिरिजा टिक्कू जी के परिवार से पूछिए, गिरिजा जी पर क्या बीती होगी जब उन्हें आरी से काटा गया, जस्टिस नीलकांत गंजू की दिनदहाड़े हत्या हुई, जरा उनके के परिवार से पूछिए की क्या बीती होगी.

 

डॉ पात्रा ने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि अरविंद केजरीवाल जी ने कोई फिल्म टैक्स-फ्री नहीं की हो. अरविंद केजरीवाल ने पहले भी कई फिल्मों को टैक्स फ्री किया है, जिसकी लम्बी फेहरिस्त है और इसके लिए केजरीवाल जी ने विज्ञापन भी दिए और पोस्टर भी चिपकाये और आज कश्मीरी हिन्दुओं पर हुई प्रताड़ना का मजाक उड़ा रहे हैं. इस विषय पर जब केजरीवाल जी के खिलाफ पूरे हिंदुस्तान में वातावरण बनने लगा तो यू टर्न के लिए मशहूर केजरीवाल जी कहने लगे कि कश्मीरी माइग्रेंट टीचर्स को दिल्ली सरकार ने नौकरी दी. लेकिन मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद केजरीवाल सरकार को अंततः विस्थापित कश्मीरी पंडितों को मजबूरन नियमित करने के लिए विवश होना पड़ा. केजरीवाल जी का आखिर यह दोहरा रवैया क्यों? 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ को लेकर जब इंडियन मुजाहिद्दीन के ओपरेटिव शहजाद अहमद को फांसी की सजा सुनाई गई थी तो केजरीवाल जी बाटला हाउस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों को एक चिट्ठी लिख कर ये भी कहा था कि वो इस मामले में जांच की मांग का समर्थन करते हैं.     

 

अंत में केजरीवाल जी से इतना ही कहना चाहूँगा कि-

मैं अपनी सुविधा के लिए हर बार रंग बदल लेता हूँ

वोट के लिए ईमान बदल लेता हूँ

मेरा नाम है अरविंद केजरीवाल

सच को छुपाने के लिए झूठ का चोला पहन लेता हूँ.

मैंने हर झूठ को सच बनाया है,

तुष्टिकरण की राजनीति से भली-भांति जनता को बरगलाया है,

जब-जब बात आई है हिंदुओं के न्याय की,

तो आतंक को महिमामंडित कर, हर बात को धुंए में उड़ाया है.

 

अरविंद केजरीवाल जी, कश्मीरी पंडितों के दर्द को धुंए में उड़ाने की आपकी जो चेष्टा थी, वो उचित नहीं थी और पूरा हिंदुस्तान उसकी निंदा करता है.       

 

महेंद्र कुमार

(कार्यालय सचिव)

 

 

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