Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra


by Shri Sambit Patra -
11-04-2022
Press Release

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाई जा रही सामाजिक न्याय पखवाड़ा दिवस के तहत इन 15 दिनों में हर एक दिन किसी एक कार्यक्रम/योजना के लिए समर्पित है. चूँकि आज ज्योतिबा फूले जयंती भी है अतः आज का दिन अनुसूचित जाति कल्याण योजना और ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फूले के लिए समर्पित रहा.

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विगत आठ वर्ष हिंदुस्तान की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण और दिशा निर्धारक वर्ष रहा है. विगत आठ वर्षों में ज्योतिबा फूले और सावित्री बा फूले से प्रेरणा लेते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लगातार समाज कल्याण की दिशा में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास के मूलमंत्र के साथ ऐसे कार्य किये जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके और समाज का पिछड़ा वर्ग आगे बढ़ सके.

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ज्योतिबा फूले से प्रेरणा लेते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने जिस प्रकार सफाई कर्मचारियों के पाँव धोते हुए पूरे हिंदुस्तान को यह संदेश दिया कि हमें सदैव जाति-प्रथा से ऊपर उठ कर विकास और विश्वास की बात करनी है और जब तक सबका प्रयास नहीं होगा तबतक वास्तविक समाज सुधार नहीं हो सकता है.

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विगत आठ वर्ष हिंदुस्तान की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण और दिशा निर्धारक वर्ष रहा है. विगत आठ वर्षों में ज्योतिबा फूले और सावित्री बा फूले से प्रेरणा लेते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लगातार समाज कल्याण की दिशा में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास के मूलमंत्र के साथ ऐसे कार्य किये जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके और समाज का पिछड़ा वर्ग आगे बढ़ सके.

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ज्योतिबा फूले से प्रेरणा लेते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने जिस प्रकार सफाई कर्मचारियों के पाँव धोते हुए पूरे हिंदुस्तान को यह संदेश दिया कि हमें सदैव जाति-प्रथा से ऊपर उठ कर विकास और विश्वास की बात करनी है और जब तक सबका प्रयास नहीं होगा तबतक वास्तविक समाज सुधार नहीं हो सकता है.

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महात्मा ज्योतिबा फूले जिस प्रकार एक समाज सुधारक थे, वर्तमान राजनीति में, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी महज एक वैश्विक नेता नहीं बल्कि समाज सुधारक के तौर पर अथक परिश्रम भी कर रहे हैं.

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हाल फिलहाल जो पद्म पुरस्कार दिए गए उसे देखकर हमारे विपक्षी पार्टियाँ भी मानेंगीं कि इन पद्म पुरस्कारों में जिस प्रकार की भागीदारी पिछड़े और साधारण वर्ग के लोगों की रही, वह अब दिखती है.

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इस बार शहरों से लेकर दूरस्थ गाँवों की महिलाओं को भी पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. मसलन, राजस्थान की मैला ढोने वाली उषा चौमर, आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपरे, सिंधुताई सपकल, बीरुबाला रभा, मिजोरम की सोशल वर्कर संघमुखी, चुटनी देवी और कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौड़ा को पर्यावरण क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए जब पद्मश्री से सम्मानित किया जाता है तो स्पष्ट हो जाता है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ज्योतिबा फूले के सपनों को साकार करने के लिए कितनी कटिबद्ध होकर कम कर रही है.

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शौचालय जिसे इज्जत घर भी कहते हैं, उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, पोषण अभियान, मिशन इन्द्रधनुष जैसी योजनाओं से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण को एक नया आयाम दिया है।

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एसटी कम्युनिटी में एकलव्य मॉडल  स्कूल के जरिए एसटी समुदाय को शैक्षणिक रुप से सशक्त कर ज्योतिबा फूले के सपनों का साकार करने की दिशा में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार काम कर रही है.

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शौचालय जिसे इज्जत घर भी कहते हैं, उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, पोषण अभियान, मिशन इन्द्रधनुष जैसी योजनाओं से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण को एक नया आयाम दिया है। एसटी कम्युनिटी में एकलव्य मॉडल  स्कूल के जरिए एसटी समुदाय को शैक्षणिक रुप से सशक्त कर ज्योतिबा फूले के सपनों का साकार करने की दिशा में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार काम कर रही है.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले के प्राचीर से स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण कराने की घोषणा की थी. शौचालय का नाम इज्जत घर दिया गया। इससे महिलाओं में सुरक्षा एवं सम्मान की भावना बढी।

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यह प्रसन्नता की बात है कि महज 8 सालों में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 10.95 करोड़ शौचालय  निर्माण हुआ।

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2014 के बाद से शौचालय युक्त घरों की संख्या बढ़कर 61.24 प्रतिशत हो गई जबकि 2014 के पहले 40 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही शौचालय था। अर्थात विगत 70 सालों में 40 प्रतिशत घरों में ही शौचालय बने थे लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के अथक परिश्रम से 2014 के बाद, 8 सालों के भीतर ही 21 प्रतिशत घरों में शौचालय बने।

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प्रधानमांत्री की दूरदर्शी योजनाओं में उज्ज्वला योजना भी है जिसके तहत 10  करोड़ घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचा और महिलाओं को खाना बनाने के दौरान उत्पन्न होने  वाली खतरनाक धुंए से निजात मिली।

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देश की बेटियों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए 22 जनवरी 2015 को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को शुरु किया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन  करना, बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं को शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को को सामाजिक और वित्तीय रुप से स्वतन्त्र बनाना है.

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शिक्षा के साथसाथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना इस योजना का मुख्य लक्ष्य है. कई जिलों में लिंगानुपात बेहतर हुआ है और आज गर्व के साथ कहा जा सकता है कि देश का लिंगानुपात इस समय 1000 पुरुषों के मुकाबले 1020 महिलाएं हैं.

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सुकन्या समृद्धि योजना 22 जनवरी 2015 को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आरंभ किया गया. इस योजना के अंतर्गत बालिका खाता धारकों की संख्या 2,86,74,873 हो गई है।

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इसी प्रकार, मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 जैसी योजनाओं के माध्यम से भी महिलाओं और बालिकाओं का सशक्तिकरण किया जा रहा है.

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चालू वित्तीय वर्ष में सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के लिए 20,263 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. ठीक इसी प्रकार, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के 6 माह बाद और बीमार नवजात शिशुओं को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है.

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महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त करने के लिए भी कई योजनाएं चलाई गई हैं. आय सृजन गतिविधियों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कुल 18.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशी के लिए 34.42 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले गए हैं.

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इस योजना ने विशेष रुप से छोट व्यवसायों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने में मदद की है और जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किये हैं. 68 प्रतिशत अधिक ऋण खातेमहिलाओं के लिए स्वीकृत किये गए हैं 

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अब तक स्वीकृत कुल ऋणों में से 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति / ओबीसी श्रेणी समुदाय को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजनासामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है तथा इस अर्थ में 'सबका साथसबका विकासभावना की सच्ची प्रतीक हैजो माननीय प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप है।

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इसी प्रकार, फ्री सिलाई मशीन योजना, समर्थ योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन इत्यादि अन्य योजनाओं के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त करने का काम किया जा रहा है.

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इस प्रकार, महिलाओं को सामाजिक रुप से सशक्त करने का जो सपना महात्मा ज्योतिबा फूले और सावित्री बा फूले का था, आज पूरे हिंदुस्तान में, उसे साकार करने का काम माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार कर रही है. अतः माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को सिर्फ प्रधानमंत्री के ही रुप में नहीं बल्कि उन्हें एक समाज सुधारक के रुप में भी देखने की आवश्यकता है.

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राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक भारतीय जनता पार्टी द्वारा मनाई जा रही सामाजिक न्याय पखवाड़ा दिवस के तहत आज अनुसूचित जाति कल्याण के लिए जितनी भी योजनाएं वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा लागू की गईं हैं, उस पर विस्तृत चर्चा की. ज्ञात हो कि सामाजिक न्याय पखवाडा दिवस के तहत इन 15 दिनों में हर एक दिन किसी एक कार्यक्रम/योजना के लिए समर्पित है. चूँकि आज ज्योतिबा फूले जयंती भी है अतः आज का दिन अनुसूचित जाति कल्याण योजना और ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई फूले के लिए समर्पित रहा.

 

डॉ पात्रा ने ज्योतिबा फूले के जीवन संदेश पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ज्योतिबा फूले एक महान समाज सुधारक, क्रांतिकारी, लेखक और उच्च कोटि के दार्शनिक थे. जिस प्रकार ज्योतिबा फूले ने महिलाओं की शिक्षा और उनके सशक्तिकरण और पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जातियों के लिए काम किया, वह अपने आप में प्रेरणादायक विषय है. उल्लेखनीय है कि ज्योतिबा फूले का 13 वर्ष की अवस्था में सावित्री बाई फूले के साथ विवाह हुआ. ज्योतिबा फूले और सावित्री बाई ने जिस प्रकार समाज सुधार की दिशा में काम किया, वह अनुकरणीय है. अपनी इसी विचार के अंतर्गत कि महिलाओं का सशक्तिकरण और उनकी शिक्षा-दीक्षा उच्चतम भाव से होना चाहिए, देश की पहली महिला शिक्षिका कोई बनीं तो वह सावित्री बा फूले थीं और महिलाओं के लिए पहला स्कूल हिंदुस्तान में ज्योतिबा फूले और सावित्री बा दंपत्ति के कारण खुला.

 

विगत आठ वर्ष हिंदुस्तान की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण और दिशा निर्धारक वर्ष रहा है. विगत आठ वर्षों में ज्योतिबा फूले और सावित्री बा फूले से प्रेरणा लेते हुए माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने लगातार समाज कल्याण की दिशा में सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास-सबका प्रयास के मूलमंत्र के साथ ऐसे कार्य किये जिससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो सके और समाज का पिछड़ा वर्ग आगे बढ़ सके. ज्योतिबा फूले से प्रेरणा लेते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने जिस प्रकार सफाई कर्मचारियों के पाँव धोते हुए पूरे हिंदुस्तान को यह संदेश दिया कि हमें सदैव जाति-प्रथा से ऊपर उठ कर विकास और विश्वास की बात करनी है और जब तक सबका प्रयास नहीं होगा तबतक वास्तविक समाज सुधार नहीं हो सकता है.

 

महात्मा ज्योतिबा फूले जिस प्रकार एक समाज सुधारक थे, वर्तमान राजनीति में, माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भी महज एक वैश्विक नेता नहीं बल्कि समाज सुधारक के तौर पर अथक परिश्रम भी कर रहे हैं. हाल फिलहाल जो पद्म पुरस्कार दिए गए उसे देखकर हमारे विपक्षी पार्टियाँ भी मानेंगीं कि इन पद्म पुरस्कारों में जिस प्रकार की भागीदारी पिछड़े और साधारण वर्ग के लोगों की रही, वह अब दिखती है.  इस बार शहरों से लेकर दूरस्थ गाँवों की महिलाओं को भी पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. मसलन, राजस्थान की मैला ढोने वाली उषा चौमर, आदिवासी महिला राहीबाई सोमा पोपरे, सिंधुताई सपकल, बीरुबाला रभा, मिजोरम की सोशल वर्कर संघमुखी, चुटनी देवी और कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौड़ा को पर्यावरण क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए जब पद्मश्री से सम्मानित किया जाता है तो स्पष्ट हो जाता है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार ज्योतिबा फूले के सपनों को साकार करने के लिए कितनी कटिबद्ध होकर कम कर रही है.  

 

इसी प्रकार, शौचालय जिसे इज्जत घर भी कहते हैं, उज्ज्वला योजना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, पोषण अभियान, मिशन इन्द्रधनुष जैसी योजनाओं से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने महिला सशक्तिकरण को एक नया आयाम दिया है। एसटी कम्युनिटी में एकलव्य मॉडल  स्कूल के जरिए एसटी समुदाय को शैक्षणिक रुप से सशक्त कर ज्योतिबा फूले के सपनों का साकार करने की दिशा में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार काम कर रही है.

 

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले के प्राचीर से स्वच्छता अभियान के तहत शौचालय निर्माण कराने की घोषणा की थी. शौचालय का नाम इज्जत घर दिया गया। इससे महिलाओं में सुरक्षा एवं सम्मान की भावना बढी। उनमें आत्मविश्वास बढ़ा और उनका सशक्तिकरण हुआ। यह प्रसन्नता की बात है कि महज 8 सालों में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 10.95 करोड़ शौचालय  निर्माण हुआ। 2014 के बाद से शौचालय युक्त घरों की संख्या बढ़कर 61.24 प्रतिशत हो गई जबकि 2014 के पहले 40 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही शौचालय था। अर्थात विगत 70 सालों में 40 प्रतिशत घरों में ही शौचालय बने थे लेकिन माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के अथक परिश्रम से 2014 के बाद, 8 सालों के भीतर ही 21 प्रतिशत घरों में शौचालय बने।  

प्रधानमांत्री की दूरदर्शी योजनाओं में उज्ज्वला योजना भी है जिसके तहत 10  करोड़ घरों में एलपीजी गैस कनेक्शन पहुंचा और महिलाओं को खाना बनाने के दौरान उत्पन्न होने  वाली खतरनाक धुंए से निजात मिली। देश की बेटियों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए 22 जनवरी 2015 को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को शुरु किया था. इस योजना का मुख्य उद्देश्य पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन  करना, बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना, बालिकाओं को शिक्षा के माध्यम से लड़कियों को को सामाजिक और वित्तीय रुप से स्वतन्त्र बनाना है. शिक्षा के साथसाथ बेटियों को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाने एवं उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना इस योजना का मुख्य लक्ष्य है.

 

कई जिलों में लिंगानुपात बेहतर हुआ है और आज गर्व के साथ कहा जा सकता है कि देश का लिंगानुपात इस समय 1000 पुरुषों के मुकाबले 1020 महिलाएं हैं. सुकन्या समृद्धि योजना 22 जनवरी 2015 को माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आरंभ किया गया. इस योजना के अंतर्गत बालिका खाता धारकों की संख्या 2,86,74,873 हो गई है। इस प्रकार, मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 जैसी योजनाओं के माध्यम से भी महिलाओं और बालिकाओं का सशक्तिकरण किया जा रहा है. चालू वित्तीय वर्ष में सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 के लिए 20,263 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है. ठीक इसी प्रकार, सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के 6 माह बाद और बीमार नवजात शिशुओं को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है.

 

महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त करने के लिए भी कई योजनाएं चलाई गई हैं. आय सृजन गतिविधियों के निर्माण के लिए प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत कुल 18.60 लाख करोड़ रुपये की धनराशी के लिए 34.42 करोड़ से अधिक ऋण खाते खोले गए हैं. इस योजना ने विशेष रुप से छोट व्यवसायों के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने में मदद की है और जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा किये हैं. 68 प्रतिशत अधिक ऋण खातेमहिलाओं के लिए स्वीकृत किये गए हैं ।अब तक स्वीकृत कुल ऋणोंमें से 51 प्रतिशत ऋण अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति / ओबीसी श्रेणी समुदाय को दिए गए हैं। प्रधानमंत्री मुद्रा योजनासामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है  तथा इस अर्थ में 'सबका साथसबका विकासभावना की सच्चीप्रतीक हैजो माननीय प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप है।

 

इसी प्रकार, फ्री सिलाई मशीन योजना, समर्थ योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन इत्यादि अन्य योजनाओं के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं को सशक्त करने का काम किया जा रहा है. इस प्रकार, महिलाओं को सामाजिक रुप से सशक्त करने का जो सपना महात्मा ज्योतिबा फूले और सावित्री बा फूले का था, आज पूरे हिंदुस्तान में, उसे साकार करने का काम माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार कर रही है. अतः माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को सिर्फ प्रधानमंत्री के ही रुप में नहीं बल्कि उन्हें एक समाज सुधारक के रुप में भी देखने की आवश्यकता है.

 

(महेंद्र कुमार)

कार्यालय सचिव

 

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