Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra


by Shri Sambit Patra -
23-10-2022
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा की प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु

 

आज गृह मंत्रालय ने फॉरेन कंट्रीब्यूटरी रेगुलेट्री एक्ट, 2002 (एफसीआरए) के तहत राजीव गांधी फांउडेशन पर जो प्रतिबंध लगाया है, भारतीय जनता पार्टी और देश की जनता इस कार्रवाइ का स्वागत करती है और इसके लिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों को धन्यवाद भी देती है । कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी इन दोनों एनजीओ की अध्यक्षा भी हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी ने वर्ष 2020 में एक प्रेसवार्ता और जनसभा में उजागार किया था कि राजीव गांधी फांउडेशन ने 2008-09 में, एक-दो बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार चीन के कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी दूतावास से चंदा के रूप में मोटी रकम लिया था।

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पूरा गाँधी परिवार ही आरजीएफ से जुड़ा है, सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्षा हैं और राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा इसके ट्रस्टी हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा ने उस वक्त भी आरजीएफ का कच्चा चिट्ठा सबके सामने रखा था।

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दुखद बात यह है कि उस वक्त यूपीए अध्यक्षा के रूप में सोनिया गांधी रिमोट कन्टोल से केन्द्र सरकार चला रही थीं और एनजीएओ के माध्यम से विदेशी फंड और भ्रष्टचारियों की कंपनी एवं संस्थाओं से अपने एनजीओ के लिए चंदा के रूप में मोटी रकम ले रही थीं।

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राजीव गांधी फांउडेशन को लेकर पिछले कुछ वर्षो से बहुत सारे सार्वजनिक खुलासे हुए हैं। वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय ने विदेशी फंडिंग की जांच को लेकर अंतर मंत्रालीय समिति का गठन किया था। इस  समिति में सीबीआई एवं ईडी के अधिकारी भी शामिल थे, जो इनकम टैक्स और एफसीआरए एक्ट के तहत मनी लौंड्रींग  मामले की जांच कर रहे थे।

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आज खबर आई है कि उस समिति की रिपोर्ट के आधार पर, राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट पर प्रतिबंध लगाया गया है।

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राजीव गांधी फांउडेशन के डोनेशन लिस्ट में गवर्नमेंट ऑफ पीपुल्स रिब्लिक ऑफ चाइना है। उस वक्त यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी रिमोट कंट्रोल द्वारा तत्कालीन मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार चला रही थीं और उसी दौरान आरजीएफ की अध्यक्षा के रूप में उन्होंने चीन की सरकार से करोड़ों रुपए चंदा के रुप में लिया। इसके अलावा, आरजीएफ को उसी दौरान चीन के दूतावास से भी डोनेशन मिला था, जो बहुत ही चिंतनीय विषय है।

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राहुल गांधी भारत-चीन सीमा को लेकर बहुत सारे सवाल अक्सर पूछते थे और भारतीय जनता पार्टी ने उन सभी सवालों का जवाब भी दिया था। भारत चीन सीमा को लेकर जब डोकलाम विवाद हुआ, तब चीनी टेंट के नीचे राहुल गांधी सहित गांधी कुनबा पकड़ा गया था। आज देश की जनता और भारतीय जनता पार्टी केन्द्र सरकार को धन्यवाद देती है कि आरजीएफ के ऊपर आखिरकार अंकुश लगाया गया।

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भारतीय जनता पार्टी ने राजीव गांधी फांउडेशन के दूसरे घोटाले को भी उजागर किया था। 1948 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष बनाया गया था जिसका  मुख्य उद्देश्य था प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों को मदद पहुंचाना। आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की बहुत बड़ी राशि राजीव गांधी फांउडेशन को चंदा और गिफ्ट के रूप में दिए गए। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लगभग 100 करोड़ रुपए की राशि राजीव गांधी फांउडेशन में देने की घोषणा संसद में की थी।

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भारतीय जनता पार्टी ने यह भी खुलासा किया था कि भ्रष्टाचार करके पैसा कमाने वाली कंपनियों से भी राजीव गांधी फांउडेशन ने चंदा के रूप में वसूली की थी। आतंकी गतिविधियों में संलिप्त जाकीर नाइक और उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फांउडेशन से भी आरजीएफ ने 50 लाख रुपए से अधिक की राशि ली थी। भारतीय जनता पार्टी और देश की जनता ने इसका खुलासा किया, तो कांग्रेस पार्टी रंगे हाथों पकड़ी गयी थी।

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भ्रष्टाचारी चाहे मेहुल चौकसी हो या राणा कपूर हों या फिर एनएससीएल के घोटाले करने वाले हों, उन सभी से राजीव गांधी फांउडेशन ने मोटी रकम चंदा के रूप में लिया था।

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यूपीए सरकार में जाकिर नाइक और चीन से पैसा लेने वालों के ऊपर कार्रवाई करने की किसी में हिम्मत नहीं थी क्योंकि सरकार भी सोनिया गांधी चला रही थीं और राजीव गांधी फांउडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और नेशनल हेराल्ड भी यही लोग चला रहे थे।

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जहां भी भ्रष्टाचार हुआ है, वहीं भ्रष्ट गांधी परिवार की उपस्थिति दर्ज हो जाती है। वंशवाद जहां भी होता है, वहां राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को दरकिनार कर दिया जाता है, वहां राष्ट्र हित से कोई मतलब  नहीं होता है, सिर्फ और सिर्फ परिवार हित मायने रखता है।

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गृह मंत्रालय द्वारा सोनिया गांधी परिवार के दो एनजीओ राजीच गांधी फांडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) पर प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता करके कहा कि जहां-जहां भ्रष्टाचार, वहीं भ्रष्ट गांधी परिवार।

 

आज गृह मंत्रालय ने फॉरेन कंट्रीब्यूटरी रेगुलेट्री एक्ट, 2002 (एफसीआरए) के तहत राजीव गांधी फांउडेशन पर जो प्रतिबंध लगाया है, भारतीय जनता पार्टी और देश की जनता इस कार्रवाइ का स्वागत करती है और इसके लिए केन्द्रीय जांच एजेंसियों को धन्यवाद भी देती है । कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी इन दोनों एनजीओ की अध्यक्षा भी हैं।

 

डॉ. संबित पात्रा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी ने वर्ष 2020 में एक प्रेसवार्ता और जनसभा में उजागार किया था कि राजीव गांधी फांउडेशन ने 2008-09 में, एक-दो बार नहीं, बल्कि तीन-तीन बार चीन के कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी दूतावास से चंदा के रूप में मोटी रकम लिया था। पूरा गाँधी परिवार ही आरजीएफ से जुड़ा है, सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्षा हैं और राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा इसके ट्रस्टी हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जेपी नड्डा ने उस वक्त भी आरजीएफ का कच्चा चिट्ठा सबके सामने रखा था।

 

दुखद बात यह है कि उस वक्त यूपीए अध्यक्षा के रूप में सोनिया गांधी रिमोट कन्टोल से केन्द्र सरकार चला रही थीं और एनजीएओ के माध्यम से विदेशी फंड और भ्रष्टचारियों की कंपनी एवं संस्थाओं से अपने एनजीओ के लिए चंदा के रूप में मोटी रकम ले रही थीं। 

 

राजीव गांधी फांउडेशन को लेकर पिछले कुछ वर्षो से बहुत सारे सार्वजनिक खुलासे हुए हैं। वर्ष 2020 में गृह मंत्रालय ने विदेशी फंडिंग की जांच को लेकर अंतर मंत्रालीय समिति का गठन किया था। इस  समिति में सीबीआई एवं ईडी के अधिकारी भी शामिल थे, जो इनकम टैक्स और एफसीआरए एक्ट के तहत मनी लौंड्रींग  मामले की जांच कर रहे थे। आज खबर आई है कि उस समिति की रिपोर्ट के आधार पर, राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट पर प्रतिबंध लगाया गया है।

 

राजीव गांधी फांउडेशन के डोनेशन लिस्ट में गवर्नमेंट ऑफ पीपुल्स रिब्लिक ऑफ चाइना है। उस वक्त यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी रिमोट कंट्रोल द्वारा तत्कालीन मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार चला रही थीं और उसी दौरान आरजीएफ की अध्यक्षा के रूप में उन्होंने चीन की सरकार से करोड़ों रुपए चंदा के रुप में लिया। इसके अलावा, आरजीएफ को उसी दौरान चीन के दूतावास से भी डोनेशन मिला था, जो बहुत ही चिंतनीय विषय है।

 

राहुल गांधी भारत-चीन सीमा को लेकर बहुत सारे सवाल अक्सर पूछते थे और भारतीय जनता पार्टी ने उन सभी सवालों का जवाब भी दिया था। भारत चीन सीमा को लेकर जब डोकलाम विवाद हुआ, तब चीनी टेंट के नीचे राहुल गांधी सहित गांधी कुनबा पकड़ा गया था। आज देश की जनता और भारतीय जनता पार्टी केन्द्र सरकार को धन्यवाद देती है कि आरजीएफ के ऊपर आखिरकार अंकुश लगाया गया।

 

बीजिंग ओलम्पिक में पूरा का पूरा गांधी परिवार बीजिंग गया था। सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा और राबर्ट वाड्रा भी शामिल थे। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राहुल गांधी के बीच एक समझौता (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ था। उसके बाद चीन सरकार द्वारा आरजीएफ को करोड़ों रुपए चंदा दिए गए थे। भारतीय जनता पार्टी इस समझौते को लेकर कई बार सवाल पूछा है, किन्तु कांग्रेस पार्टी ने अबतक कोई जवाब नहीं दिया है।

 

भारतीय जनता पार्टी ने राजीव गांधी फांउडेशन के दूसरे घोटाले को भी उजागर किया था। 1948 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष बनाया गया था जिसका  मुख्य उद्देश्य था प्राकृतिक आपदा से पीड़ित लोगों को मदद पहुंचाना। आश्चर्य की बात यह है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष की बहुत बड़ी राशि राजीव गांधी फांउडेशन को चंदा और गिफ्ट के रूप में दिए गए। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लगभग 100 करोड़ रुपए की राशि राजीव गांधी फांउडेशन में देने की घोषणा संसद में की थी।

 

इसके अलावा, सात मंत्रालय और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स ने भी सोनिया गांधी की अध्यक्षता में चल रही एनजीओ राजीव गांधी फांउडेशन को चंदा दिए। चंदा देने वालों की लिस्ट में एलआईसी, गेल, ऑयल इंडिया लिमिटेड, ओरिएंटल बैंक आफ कामर्स, एसबीआई, बैंक आफ महाराष्ट्रा, हाउसिंग ऑफ अर्बन डेवलमेंट कॉरपारेशन लिमिटेड ( हुडको), ओएनजीसी, स्टील ऑथोरिटी आफ इंडिया लिमिटेड आदि शामिल हैं। इसके अलावा, गृह मंत्रालय, डायरेक्टरेट ऑफ एडल्ट एजुकेशन, मानव संसाधन मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, लघु उद्योग मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वरोजगार मिशन, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की सबला योजना के माध्यम से भी राजीव गांधी फांउडेशन को करोड़ों रुपए दिए गए। वर्ष 2007-08 के आरजीएफ के डोनर लिस्ट में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष का भी नाम शामिल है।

 

भारतीय जनता पार्टी ने यह भी खुलासा किया था कि भ्रष्टाचार करके पैसा कमाने वाली कंपनियों से भी राजीव गांधी फांउडेशन ने चंदा के रूप में वसूली की थी। आतंकी गतिविधियों में संलिप्त जाकीर नाइक और उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फांउडेशन से भी आरजीएफ ने 50 लाख रुपए से अधिक की राशि ली थी। भारतीय जनता पार्टी और देश की जनता ने इसका खुलासा किया, तो कांग्रेस पार्टी रंगे हाथों पकड़ी गयी थी। भ्रष्टाचारी चाहे मेहुल चौकसी हो या राणा कपूर हों या फिर एनएससीएल के घोटाले करने वाले हों, उन सभी से राजीव गांधी फांउडेशन ने मोटी रकम चंदा के रूप में लिया था।

 

भारतीय जनता पार्टी उन सभी जांच एजेंसियों को धन्यवाद देती है कि भ्रष्टाचार में लिप्त इस प्रकार के काम करने वालों पर कानून के अंतर्गत कार्रवाई की गयी है। यूपीए सरकार में जाकिर नाइक और चीन से पैसा लेने वालों के ऊपर कार्रवाई करने की किसी में हिम्मत नहीं थी क्योंकि सरकार भी सोनिया गांधी चला रही थीं और राजीव गांधी फांउडेशन, राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और नेशनल हेराल्ड भी यही लोग चला रहे थे। जहां भी भ्रष्टाचार हुआ है, वहीं भ्रष्ट गांधी परिवार की उपस्थिति दर्ज हो जाती है। वंशवाद जहां भी होता है, वहां राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को दरकिनार कर दिया जाता है, वहां राष्ट्र हित से कोई मतलब  नहीं होता है, सिर्फ और सिर्फ परिवार हित मायने रखता है।

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