Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra


by Shri Sambit Patra -
27-07-2023
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा की प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज राहुल गांधी जी द्वारा जारी एक वीडियो में उनके द्वारा कहे गए वक्तव्यों पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि उस वीडियो में वही बातें राहुल जी ने की है, जो पहले भी वे करते रहे हैं। दरअसल, राहुल जी भाजपा और आरएसएस के विषय में अक्सर ऐसी बातें करते हुए देश को गुमराह करने की कोशिश करते रहे हैं।

 

डॉ पात्रा ने कहा कि राहुल जी का मानना है कि देश में विचारधाराओं की लड़ाई चल रही है। अगर सही मायने में देखा जाए तो देश मे विचारधारा की लड़ाई नहीं चल रही है। एक ओर विकास की धारा है और दूसरी ओर परिवार की धारा। जहाँ एक ओर इस बात का चिंतन है कि विकास किस प्रकार आगे बढ़े,  देश किस प्रकार आगे बढ़े, वहीँ दूसरी ओर, किस प्रकार घोटाले, भ्रष्टाचार और परिवारवाद को आगे बढ़ाया जा सके, इसकी चिंता है. स्वाभाविक रुप से विचारधारा को आगे बढ़ाने की लड़ाई तो कतई नहीं है.

 

राहुल गाँधी का मानना है कि बीजेपी, आरएसएस और कांग्रेस की विचारधरा के बीच की लड़ाई हो रही है और आरएसएस और बीजेपी देश की विभिन्न संस्थानों पर कब्ज़ा ज़माना चाहती है. न्यायपालिका को इस बात का संज्ञान लेना चाहिए, जब राहुल गाँधी एक विडियो के माध्यम से ये संदेश दे रहे हैं कि भारतीय न्यायपालिका जैसी संवैधानिक संस्था भाजपा और संघ के नियंत्रण में है. भारतीय निर्वाचन आयोग को भी इस बात का संज्ञान लेना चाहिए जब राहुल गाँधी बार बार ऐसी बातों को तूल देते हैं कि निर्वाचन आयोग भाजपा और संघ द्वारा नियंत्रित हैं. यह आश्चर्य की बात है कि जब कुछ माह पूर्व जब कर्णाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई, तो उस समय राहुल जी की नजरों में चुनाव आयोग बिल्कुल ठीक थी, बाकि राज्यों में जब भाजपा की जीत होती है तब राहुल जी चुनाव आयोग ‘नियंत्रण में है’, जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं. यह अपने आप में कहीं न कहीं कांग्रेस पार्टी की सच्चाई को दर्शाता है.

 

राहुल जी ने आज मणिपुर के लिए जिस प्रकार का बयान दिया है, उससे स्पष्ट लगता है कि कांग्रेस पार्टी एक बेहद संवेदनशील विषय पर चर्चा नहीं, बल्कि घमासान और हंगामा चाहती है. मणिपुर मामले पर किस प्रकार राजनीतिक हित साधी जाये, इस कुचेष्टा में कांग्रेस पार्टी लगी हुई है. देश के इतिहास में पहले शायद कभी नहीं हुआ कि देश का गृह मंत्री किसी संवेदनशील क्षेत्र में तीन दिनों तक प्रवास किया हो. पूरे विषय को समझने के पश्चात, संसद सत्र के दौरान जब माननीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे जी को स्पष्ट चिट्ठी लिखकर सिलसिलेवार तरीके से उन्हें समझाया कि संसद में किन बिंदुओं पर कैसी चर्चा होनी चाहिए. भारतीय जनता पार्टी मणिपुर के संबंध में हर विषय पर लोकतंत्र के मंदिर में चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन इसके बावजूद विपक्षी पार्टी संसद में चर्चा नहीं होने दे रही है. सच्चाई यही है कि कांग्रेस पार्टी चर्चा के माध्यम से समाधान निकालने और शांति स्थापित करने में कोई दिलचस्पी करना नहीं है। मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करने वालों में वास्तव में कोई ईमान नहीं है।

 

राहुल जी ऐसा समझ रहे हैं कि गठबंधन का नाम बदल कर ‘इंडिया’ कर दिया तो चुनाव ही जीत गए. राहुल जी, गठबंधन का नाम बदल लेने से चुनाव नहीं जीते जाते. नाम बदल लेने से पुराने काम नहीं बदल जाएंगे. काम घोटाले का और  गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख दिया है तो क्या लोग गुमराह हो जाएंगे? काम भ्रष्टाचार का और नाम ‘इंडिया’ रख दिया है, तो राहुल जी सोच रहे हैं कि 2024 का चुनाव जीत जाएंगे। आज भी देश की जनता के जेहन में टूजी, सीडब्ल्यूजी, कोयला घोटाला आज भी अंकित है। देश की जनता इन घोटालों को ‘इंडिया’ के पर्यायवाची के रूप में कभी स्वीकार नहीं कर सकती।

 

प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट रुप से कहा है कि गुमराह करने के उद्देश्य से ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने नाम में इंडिया रखा था ताकि लोगों में भ्रम हो जाए कि मानो ईस्ट इंडिया कंपनी भारतवर्ष के लिए काम कर रही है। किन्तु यह सच्चाई नहीं थी, ईस्ट इंडिया कंपनी लूटने के काम में व्यस्त थी। अंग्रेजों ने भी यही किया था, ए ओ ह्यूम को लाकर नेशनल कांग्रेस में इंडिया को जोड़कर इंडियान नेशनल कांग्रेस नाम की एक पार्टी बनायी थी। उनको लगता था कि भारत की जनता को लगेगा कि मानो अंग्रेज हमारे हैं, इंडिया नाम लगाया है तो हमारे लिए काम करेंगे। लेकिन जिस प्रकार की प्रताड़ना और लूट का काम अंग्रेजों ने किया, इतिहास उसका गवाह है।

 

देश विरोधी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने भी अपने नाम के साथ इंडिया लगाया, मानो इंडिया के लिए जान दे देगा, लोग भ्रमित हो जाएंगे। सच्चाई यह है कि यह जान ले रही थी। इसी प्रकार, सिमी जैसे आतंकी संगठन में भी इंडिया नाम डाला गया ताकि इंडिया नाम से लोग गुमराह हो जाएंगे, लेकिन ऐसा हो न सका.

 

इसलिए राहुल जी, नाम नहीं, काम महत्वपूर्ण है। आज पूरे विश्व में जितने भी राष्ट्राध्यक्ष हैं, मोदी जी के काम को मान रहे हैं और उन्हें ससम्मान स्वागत करते हुए गले भी लगा रहे हैं और अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से मोदी जी को सम्मानित भी कर रहे हैं।

 

हमारे देश के प्रति और प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रति यह सम्मान की भावना इसलिए है कि उन देशों को पता है कि 2024 के चुनाव में आएंगे तो नरेन्द्र मोदी ही। उनको पता है कि संबंध ठीक रखना है ताकि भविष्य में निवेश और भारत के साथ जो कारोबार होने वाला है, इन्हीं के माध्यम से होगा। भारत विश्व में एक ताकत के रूप् में उभर रहा है। इसी कारण चाहे अमेरिका हो या इंग्लैंड, प्रधानमंत्री मोदी जी को नहीं, बल्कि उनके माध्यम से 140 करोड़ भारतीयों को सम्मान दे रहे हैं।

 

हमारी लड़ाई नाम से नहीं, बल्कि हमारी लड़ाई उन लोगों से है जो भारत को राष्ट्र नहीं मानते। कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी भारत को राष्ट्र तक नहीं मानते हैं। ये कहते हैं भारत एक राष्ट्र नहीं, बल्कि प्रदेशों का संघ है। हमारी लड़ाई उन लोगों से है, जो आर्मी चीफ को सड़क के गुंडे कहते हैं। हमारी लड़ाई उन ताकतों से है, जो पाकिस्तान में जाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी को किस प्रकार से हटाया जाए, इसका षडयंत्र करते हैं और अपनी सरकार को लाने की बात करतें है।

 

आज नाम में ‘इंडिया’ रख लेने से, उनलोगों का वह दाग नहीं धूलेगा, जो सर्जिकल स्ट्राइक स्टाइक और एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं।  नाम में ‘इंडिया’ आ जाने से इनकी पाकिस्तान परस्ती का दाग नहीं धूलेगा। यह दाग धूलने वाला दाग नहीं है। जिन्होंने भगवान राम के अस्तित्व को नकारा था, ऐसे लोगों द्वारा गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रख लेने से, उनका पाप नहीं धूल जाएगा। आज जो लोग भारत को बांटने वाली धारा 370 को जम्मू कश्मीर में फिर से वापस लाना चाहते हैं, नाम ‘इंडिया’ रख लेने से ये इंडिया के हितैषी नहीं हो जाते। इंडिया के लोग विश्वस्त हैं कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इंडिया के लिए निरंतर काम कर रहे हैं और वे ही 2024 में भी प्रधानमंत्री होंगे।

To Write Comment Please Login