Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi


by Dr. Sudhanshu Trivedi -
09-04-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्यबिंदु

 

गत 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस देश भर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया.

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चूँकि पार्टी का यह स्थापना दिवस स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में पड़ रहा है अतः माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के दिशा निर्देश पर पार्टी ने 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक पूरे देश भर में  सामाजिक पखवाड़ा दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया है.

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इसके अंतर्गत प्रत्येक दिन अलग अलग कल्याणकारी योजनाओं के विषय में जागरूकता के लिए पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी, सांसद, विधायक-ये सभी जनसंपर्क करेंगे.

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ये  जन-कल्याणकारी योजनाएं वे महत्वपूर्ण विषय हैं जो स्वतंत्रता की सार्थकता के लिए परम आवश्यक है. इसी सन्दर्भ में आज का विषय ‘जल जीवन मिशन’ है.

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‘जल जीवन मिशन’ योजना कितना महत्वपूर्ण है यह इस तथ्य से समझा जा सकता है कि भारत में विश्व की 16 प्रतिशत जनसँख्या रहती है किन्तु हमारे पास महज 4 प्रतिशत पीने योग्य जल के स्रोत हैं और 40 प्रतिशत भूगर्भ जल का इस्तेमाल करते हैं.

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ये आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि आने वाले समय में दूरदृष्टि रखते हुए जल संचयन और प्रबंधन का ध्यान न रखा जाए तो आने वाले समय में विकट समस्या उत्पन्न हो सकती है.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘जल जीवन मिशन’ योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को की थी.

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2014 में, जब केंद्र में नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनी तो उस समय पूरे देश में 16.75 प्रतिशत घर नल के जल से जुड़े थे.

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‘जल जीवन मिशन’ की शुरुआत होने के 2 वर्ष के भीतर ही वह संख्या 48.62 प्रतिशत हो गयी अर्थात पिछले 67 वर्षों में देश में जितने घर नल के जल से जुड़े थे, उसकी संख्या केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के 7 वर्ष के भीतर ही दोगुने से ज्यादा हो गयी है.

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संख्यात्मक दृष्टि से देखें तो 15 अगस्त 2019 को 3.23 करोड़ घर नल के जल से जुड़े थे. 7 अप्रैल 2022 तक 9 करोड़ 40 लाख घरों को नल के जल से जोड़ने में हम सफल रहे अर्थात पिछले दो वर्षों में 6.15 लाख घरों को हमने नल के जल से जोड़ा है.

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2021-22 के बजट में 40 हजार करोड़ रुपये जल जीवन मिशन के लिए आवंटित किये गए थे जिसे 2022-23 के बजट में बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रुपये कर दिए गए हैं.

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इस तरह पिछले बजट के मुकाबले 50% की यह बढ़ोतरी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की जल जीवन मिशन योजना के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

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जल जीवन मिशन के लिए कुल मिलकर 5 वर्षों में 3.60 लाख करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है.

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अब तक, देश के 107 जिलों के लगभग डेढ़ लाख गाँवों में हर घर जल से नल पहुँचाने में हम सफल रहे हैं.

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17 लाख 29 हजार स्कूल और आंगनवाडी केंद्र भी नल के जल से जुड़ चुके हैं. गाँवों में पेयजल आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन के लिए 4 लाख 82 हजार जल समितियों का गठन किया गया है, साथ ही करीब 4 लाख ग्राम कार्य योजनाएं काम कर रही हैं.

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माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दिसंबर 2021 में 93,068 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2021-26 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की थी क्योंकि पेयजल के साथ साथ कृषि सिंचाई के लिए भी जल महत्वपूर्ण है.

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त्वरित सिंचाई लाभ योजना के अंतर्गत 2021-26 के दौरान कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता को 13.88 लाख हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य है जिसके लिए 60 परियोजनाएं इस दिशा में कार्यरत हैं और इससे सम्बंधित 30.23 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र विकास भी शामिल हैं.

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राज्य सरकारों की मदद से कुछ महत्वपूर्ण जल परियोजनाएं चलाई जा रही हैं जिसमें केंद्र सरकार की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है.

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उदाहरणार्थ, रेणुकाजी बाँध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) और लखवार बहुद्देशीय परियोजना (उत्तराखंड) नामक दो राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान किया गया है.

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दोनों परियोजनाएं यमुना बेसिन में भंडारण की शुरुआत करेगी, जिससे यमुना बेसिन के उपरी हिस्से के 6 राज्यों को फायदा पहुंचेगा. साथ ही, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को जलापूर्ति होगी और यमुना के जलस्तर और उसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा.

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हर खेत को पानी पहुँचाने वाली योजना का उद्देश्य है कि खेतों तक पानी की पहुँच में वृद्धि हो और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का विस्तार हो. इसके तहत 4.5 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई के दायरे में लाया जा रहा है.

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जल स्रोतों के जीर्णोद्धार के तहत शहरी और ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों के कायाकल्प के लिए केंद्रीय सहायता को 25 प्रतिशत से बढाकर 60 प्रतिशत किया गया है.

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भूमि संसाधन विकास के स्वीकृत वाटरशेड विकास घटक में 2021-26 के दौरान संरक्षित सिंचाई के तहत, अतिरिक्त 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल करने के लिए 49.5 लाख हेक्टेयर वर्षा सिंचित और अनुपजाऊ भूमि को कवर करने का प्रयास किया जा रहा है.

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इस बार के बजट में 44,605 करोड़ रुपये केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए दिए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना है.

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यह परियोजना 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति करने के अलावा 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी सुनिश्चित होगी.

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माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व केन-बेतवा लिंक परियोजना के महत्त्व को रेखांकित किया था.

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देश भर में 5 रीवर लिंक्स परियोजनाएं भी अपने अंतिम प्रारुप में हैं. पांच रीवर लिंक तथा दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार-कावेरी लिंक्स परियोजनाओं से लाभान्वित होने वाले राज्यों के बीच आम सहमति कायम होते ही केंद्र सरकार इनके क्रियान्वयन के लिए सहायता राशि जारी कर देगी.

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इस प्रकार, जल जीवन मिशन अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सुगमता से आगे बढ़ रहा है और स्वतंत्रता के इस अमृत महोत्सव में अपनी सार्थकता प्रस्तुत कर रहा है.

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज पार्टी के केन्द्रीय मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पार्टी के राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमसामाजिक न्याय पखवाड़ाके तहत जल जीवन मिशन के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रही विकास यात्रा पर विस्तार से चर्चा की.

 

माननीय सांसद ने कहा कि गत 6 अप्रैल को भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस देश भर में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. चूँकि पार्टी का यह स्थापना दिवस स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव वर्ष में पड़ रहा है अतः माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन और माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के दिशा निर्देश पर पार्टी ने 7 अप्रैल से 20 अप्रैल तक पूरे देश भर में  सामाजिक पखवाड़ा दिवस मनाये जाने का निर्णय लिया गया है. इसके अंतर्गत प्रत्येक दिन अलग अलग कल्याणकारी योजनाओं के विषय में जागरूकता के लिए पार्टी के कार्यकर्ता, पदाधिकारी, सांसद, विधायक-ये सभी जनसंपर्क करेंगे. ये  जन-कल्याणकारी योजनाएं वे महत्वपूर्ण विषय हैं जो स्वतंत्रता की सार्थकता के लिए परम आवश्यक है. इसी सन्दर्भ में आज का विषय ‘जल जीवन मिशन’ है.

 

माननीय सांसद ने ‘जल जीवन मिशन’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘जल जीवन मिशन’ योजना कितना महत्वपूर्ण है यह इस तथ्य से समझा जा सकता है कि भारत में विश्व की 16 प्रतिशत जनसँख्या रहती है किन्तु हमारे पास महज 4 प्रतिशत पीने योग्य जल के स्रोत हैं और 40 प्रतिशत भूगर्भ जल का इस्तेमाल करते हैं. ये आंकड़े इस बात के प्रमाण हैं कि आने वाले समय में दूरदृष्टि रखते हुए जल संचयन और प्रबंधन का ध्यान न रखा जाए तो आने वाले समय में विकट समस्या उत्पन्न हो सकती है.

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने ‘जल जीवन मिशन’ योजना की शुरुआत 15 अगस्त 2019 को की थी. 2014 में, जब केंद्र में नरेन्द्र मोदी जी की सरकार बनी तो उस समय पूरे देश में 16.75 प्रतिशत घर नल के जल से जुड़े थे. ‘जल जीवन मिशन’ की शुरुआत के 2 वर्ष के भीतर ही वह संख्या 48.62 प्रतिशत हो गयी अर्थात पिछले 67 वर्षों में देश में जितने घर नल के जल से जुड़े थे, उसकी संख्या केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार बनने के 7 वर्ष के भीतर ही दोगुने से ज्यादा हो गयी है. संख्यात्मक दृष्टि से देखें तो 15 अगस्त 2019 को 3.23 करोड़ घर नल के जल से जुड़े थे. 7 अप्रैल 2022 तक 9 करोड़ 40 लाख घरों को नल के जल से जोड़ने में हम सफल रहे अर्थात पिछले दो वर्षों में 6.15 लाख घरों को हमने नल के जल से जोड़ा है.

 

2021-22 के बजट में 40 हजार करोड़ रुपये जल जीवन मिशन के लिए आवंटित किये गए थे जिसे 2022-23 के बजट में बढ़ाकर 60 हजार करोड़ रुपये कर दिए गए हैं. इस तरह पिछले बजट के मुकाबले 50% की यह बढ़ोतरी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की जल जीवन मिशन योजना के लिए प्रतिबद्धता को दर्शाती है. जल जीवन मिशन के लिए कुल मिलकर 5 वर्षों में 3.60 लाख करोड़ रुपये बजट का प्रावधान किया गया है. अब तक, देश के 107 जिलों के लगभग डेढ़ लाख गाँवों में हर घर जल से नल पहुँचाने में हम सफल रहे हैं. 17 लाख 29 हजार स्कूल और आंगनवाडी केंद्र भी नल के जल से जुड़ चुके हैं. गाँवों में पेयजल आपूर्ति के बेहतर प्रबंधन के लिए 4 लाख 82 हजार जल समितियों का गठन किया गया है, साथ ही करीब 4 लाख ग्राम कार्य योजनाएं काम कर रही हैं.     

 

माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने दिसंबर 2021 में 93,068 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2021-26 के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की थी क्योंकि पेयजल के साथ साथ कृषि सिंचाई के लिए भी जल उतना ही महत्वपूर्ण है. त्वरित सिंचाई लाभ योजना के अंतर्गत 2021-26 के दौरान कुल अतिरिक्त सिंचाई क्षमता को 13.88 लाख हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य है जिसके लिए 60 परियोजनाएं इस दिशा में कार्यरत हैं और इससे सम्बंधित 30.23 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र विकास भी शामिल हैं.

 

राज्य सरकारों की मदद से कुछ महत्वपूर्ण जल परियोजनाएं चलाई जा रही हैं जिसमें केंद्र सरकार की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. उदाहरणार्थ, रेणुकाजी बाँध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) और लखवार बहुद्देशीय परियोजना (उत्तराखंड) नामक दो राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिए 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण का प्रावधान किया गया है. दोनों परियोजनाएं यमुना बेसिन में भंडारण की शुरुआत करेगी, जिससे यमुना बेसिन के उपरी हिस्से के 6 राज्यों को फायदा पहुंचेगा. साथ ही, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को जलापूर्ति होगी और यमुना के जलस्तर और उसकी गुणवत्ता में भी सुधार होगा.

 

हर खेत को पानी पहुँचाने वाली योजना का उद्देश्य है कि खेतों तक पानी की पहुँच में वृद्धि हो और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य भूमि का विस्तार हो. इसके तहत 4.5 लाख हेक्टेयर रकबे को सिंचाई के दायरे में लाया जा रहा है. जल स्रोतों के जीर्णोद्धार के तहत शहरी और ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों के कायाकल्प के लिए केंद्रीय सहायता को 25 प्रतिशत से बढाकर 60 प्रतिशत किया गया है.

 

भूमि संसाधन विकास के स्वीकृत वाटरशेड विकास घटक में 2021-26 के दौरान संरक्षित सिंचाई के तहत, अतिरिक्त 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल करने के लिए 49.5 लाख हेक्टेयर वर्षा सिंचित और अनुपजाऊ भूमि को कवर करने का प्रयास किया जा रहा है. इस बार के बजट में 44,605 करोड़ रुपये केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए दिए गए हैं. इस योजना का उद्देश्य 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना है. यह परियोजना 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति करने के अलावा 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी सुनिश्चित होगी. माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पूर्व केन-बेतवा लिंक परियोजना के महत्त्व को रेखांकित किया था.

 

इसके अतिरिक्त, देश भर में 5 रीवर लिंक्स परियोजनाएं भी अपने अंतिम प्रारुप में हैं. पांच रीवर लिंक तथा दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार-कावेरी लिंक्स परियोजनाओं से लाभान्वित होने वाले राज्यों के बीच आम सहमति कायम होते ही केंद्र सरकार इनके क्रियान्वयन के लिए सहायता राशि जारी कर देगी.

 

माननीय प्रधानमंत्री जी का जल के प्रति जो व्यापक विज़न है वह कहीं न कहीं उस भारतीय समाज की गहरी सोच से प्रेरित है जिस पर रहीम दास ने कहा था-  

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन I

पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून II

इस प्रकार, जल जीवन मिशन अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए सुगमता से आगे बढ़ रहा है और स्वतंत्रता के इस अमृत महोत्सव में अपनी सार्थकता प्रस्तुत कर रहा है.

 

महेंद्र कुमार

(कार्यालय सचिव) 

 

 

 

 

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