Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi


by Dr. Sudhanshu Trivedi -
03-09-2023
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

तथाकथित आईएनडीआईए यानि घमंडिया गठबंधन के घटक दल डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि, जो वहां के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र भी हैं, के बयान से ‘’मोहब्बत के दुकानदार का असली किरदार’’ पूरी तरह उजागर हो गया है। यह कोई अलग से दिया हुआ बयान नहीं है, बल्कि क्रमबद्ध तरीके से हिन्दू और सनातन धर्म के विरुद्ध निरंतर दिए  जा रहे बयानों की ही एक कड़ी है।

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हिन्दू और सनातन विरोधी बयान की इस पूरी श्रृंखला को ध्यान से समझने की जरुरत है. तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि जिस कांफ्रेंस में शिरकत कर रहे थे, उसका शीर्षक था- ‘Eradication of Sanatana Dharma’, जिसका हिंदी में अर्थ है’सनातन धर्म का समूल नाश’।

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आज केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भी याद दिलाया है कि कांग्रेस सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधन पर पहला हक़ अल्पसंख्यकों का अधिकार है।

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भारतीय जनता पार्टी इस सवाल का जवाब चाहती है कि आखिर उदयनिधि को किसने वह वक्तव्य लिखकर दिया था? इसमें आईएनडीआईए/घमंडिया गठबंधन की क्या भूमिका है? आखिर मुंबई में संपन्न बैठक में आईएनडीआईए/घमंडिया गठबंधन ने कौन सी योजना बनायी है?

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विपक्षी गठबंधन का एजेंडा साफ है- हिन्दु धर्म का समूल नाश करना, सनातन धर्म का समूल नाश करना। यह कोई धर्म संस्कृति का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत के विकास के आधार का समूल नाश करने का विषय है। यह बात हम इस आधार पर कह रहे हैं कि इस समय भारत की विकास दर 7.8 प्रतिशत ही, जो विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है. ऐसा भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में पहली बार हुआ है. अतः इनका उद्देश्य है देश की मूल भावना- विकास के आधार का समूल नाश कैसे किया जाए।

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सनातन धर्म को लेकर नफरती बयान देने वाले ये लोग आखिर कौन सा इतिहास पढ़े हैं और कौन सा वायरस उनके दिमाग में घुस गया है कि अपनी संस्कृति में भी ये लोग बीमारी और वायरस ढूंढ रहे हैं ? अफसोस यह है कि मैकाले और मार्क्स का वायरस विपक्षी गठबंधन के नेताओं में इस तरह से घुस गया है कि वे अपनी ही संस्कृति नहीं पढ़ पा रहे हैं।

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चाहे देश के विकास की बात हो, शिक्षा की बात हो या फिर देश को आत्म गौरव कराने की बात हो, किसी भी मायने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए और ‘पहचान कौन’ नेतृत्व वाली आईएनडीआईए/ घमंडिया गठबंधन के बीच कोई तुलना हो ही नहीं सकती है.

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डीएमके नेता उदयनिधि का सनातन विरोधी बयान बेहद दुखद, नुकसानदायक ही नहीं बल्कि आँखें खोलने वाली भी हैं. अब राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के पास कोई जवाब नहीं रह गया है क्योंकि उनके मुख से मुखौटा पूरी तरह से उतर गया है.  राहुल गांधी और कांग्रेस सिर्फ सनातन धर्म का समूल नाश नहीं करना चाहते हैं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जिस विकास पथ पर देश अग्रसर है, उसे भी नष्ट करना चाहते हैं।

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तथाकथित आईएनडीआईए यानि घमंडिया गठबंधन के घटक दल डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि, जो वहां के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र भी हैं, के बयान से मोहब्बत ‘’मोहब्बत के दुकानदार का असली किरदार’’ पूरी तरह उजागर हो गया है। यह कोई अलग से दिया हुआ बयान नहीं है बल्कि क्रमबद्ध तरीके से हिन्दू और सनातन धर्म के विरुद्ध निरंतर दिए  जा रहे बयानों की ही एक कड़ी है।

 

कुछ माह पूर्व बिहार के शिक्षा मंत्री भी हिन्दू धर्मग्रंथों को लेकर इसी तरह का बयान दिया था, जो आईएनडीआईए यानी घमंडिया गठबंधन के घटक दल हैं। घमंडिया गठबंधन के ही घटक दल सपा के नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने चंद दिनों पूर्व हिन्दू धर्म को धोखा कहा था। इससे पहले कर्नाटक के वर्तमान पीडब्ल्यू मंत्री और घमंडिया गठबंधन के मुख्य घटक दल कांग्रेस नेता सतीश जरकीहोली ने कहा था कि हिन्दू शब्द ही बहुत गंदा है। यह बयान उन्होंने तब दिया था, जब वे कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर थे। आम आदमी पार्टी के महासचिव गोपाल इटालिया जब गुजरात आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष थे, तब उन्होंने कहा था कि मंदिर नहीं जाना चाहिए और देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।

 

आज केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भी याद दिलाया है कि कांग्रेस सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि देश के संसाधन पर पहला हक़ अल्पसंख्यकों का अधिकार है।

 

एक समय कांग्रेस ने अपने मन से तथाकथित हिन्दू आतंकवाद की पूरी थ्योरी गढ़ ली थी। जनवरी 2013 में यूपीए सरकार के तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने जयपुर के कांग्रेस अधिवेशन में बयान दिया था कि हिन्दू टेरर कैम्प चल रहे हैं। जब सदन में देश के गृहमंत्री होने के नाते उनसे इस बारे में प्रमाण मांगा गया, तो शिंदे साहब अपना बयान वापस लेते हुए कहा था कि मैंने ऐसे ही कहा था।

 

दरअसल, ऐसे बयान यूँ ही नहीं दिए जा रहे। वर्ष 2021 में, तमिलनाडु के पेरंबलूर जिले के कड़तूर गाँव में यह कहा गया था कि हमारे गांव में मुस्लिम आबादी 70% हो गयी है इसलिए यहां हिन्दू मंदिरों में पूजा बंद हो जानी चाहिए, क्योंकि इससे उनकी धार्मिक भावना आहत होती है। आईएनडीआईए यानि घमंडिया गठबंधन के घटक दल डीएमके ने इस बात को स्वीकार भी किया था। इस मामले मे मद्रास हाईकोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि किसी भी समुदाय का बहुमत हो गया है तो इसके आधार पर दुसरे समुदाय को पूजा करने से नहीं रोका जा सकता है। मद्रास हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को कड़ी फटकार लगाई थी और कहा था, "हिन्दू अपने इलाके में ऐसा करेंगे तब क्या करोगे?" उस वक्त  केरल से कश्मीर तक तथाकथित सेकुलरिज्म के सारे सूरमा मुहं में दही जमाकर बैठे रहे। 

 

हिन्दू और सनातन विरोधी बयान की इस पूरी श्रृंखला को ध्यान से समझने की जरुरत है. तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि जिस कांफ्रेंस में शिरकत कर रहे थे, उसका शीर्षक था- ‘Eradication of Sanatana Dharma’,  जिसका हिंदी में अर्थ है’सनातन धर्म का समूल नाश’। ऐसा नहीं है कि उनके मुख से निकला यह बयान संयोगवश था। वीडियो में देखा जा सकता है कि उदयनिधि सोच-समझकर एक सुनियोजित तरीके से कागज पर लिखा वक्तव्य पढ़ रहे थे।  घमंडिया गठबंधन की मुम्बई में बैठक खत्म हुई नहीं कि चौबीस घंटे के अन्दर यह धमाका हुआ।

 

भारतीय जनता पार्टी इस सवाल का जवाब चाहती है कि आखिर उदयनिधि को किसने वह वक्तव्य लिखकर दिया था? इसमें आईएनडीआईए/घमंडिया गठबंधन की क्या भूमिका है? आखिर मुंबई में संपन्न बैठक में आईएनडीआईए/घमंडिया गठबंधन ने कौन सी योजना बनायी है?

 

जब किसी समुदाय एवं संस्कृति के समूल नाश करने की बात होती है तो, तकनीकी तौर पर स्पष्ट रुप से इसे नफरती और भड़काउ बयान माना जायेगा। आईएनडीआईए यानि घमंडिया गठबंधन से और उसके घटक दल की सरकार से किसी भी तरह की उम्मीद की किरण नहीं दिखाई पड़ रही है।

 

माननीय सर्वोच्च अदालत के आब्जर्वेशन में ये बात आ चुकी है कि किसी भी हेट स्पीच पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए। हम उम्मीद करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर नजर रख रही होगी और इस भड़काउ, आपत्तिजनक और हिंसा भड़काने वाले नफरती बयान पर कार्रवाई करेगी। क्योंकि यह सिर्फ अपमान की बात नहीं, बल्कि इसमें ‘समूल नाश’ की बात कही गयी है।

 

दूसरी ओर, राहुल गांधी ने तथाकथित भारत जोड़ो यात्रा के क्रम में जब तमिलनाडु पहुंचे, तो जॉर्ज पुनिया से उन्होंने मुलाकात की, जिन्होंने खुलेआम कहा था कि मैं इसलिए जूता पहनता हूं कि भारत माता की पवित्र भूमि को उनका पांव छू ना सके। यही दुकानदार का असली किरदार है, ये मोहब्बत के नाम पर हो रहा वोट का असली व्यापार है।

 

विपक्षी गठबंधन का एजेंडा साफ है- हिन्दु धर्म का समूल नाश करना, सनातन धर्म का समूल नाश करना। यह कोई धर्म संस्कृति का विषय नहीं है, बल्कि यह भारत के विकास के आधार का समूल नाश करने का विषय है। यह बात हम इस आधार पर कह रहे हैं कि इस समय भारत की विकास दर 7.8 प्रतिशत ही, जो विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सर्वाधिक है. ऐसा भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में पहली बार हुआ है. अतः इनका उद्देश्य है देश की मूल भावना- विकास के आधार का समूल नाश कैसे किया जाए।  

 

भारत के जिन हिस्सों में सनातन धर्म का नाश हो गया. पाकिस्तान में क्या हो रहा है? वहां आज तबाही का मंजर है। 2019 से पहले कश्मीर की स्थिति क्या थी? वहां 2019 से पूर्व,  ग्रोथ रेट, रोजगार दर, की स्थिति क्या थी?   

 

भारतीय जनता पार्टी ने एससी-एसटी आयोग से एसटी आयोग को अलग कर उसे  संवैधानिक दर्जा  दर्जा दिया गया। कांग्रेस शासन काल में कोई ओबीसी आयोग नहीं था. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ओबीसी आयोग गठित कर उसे संवैधानिक दर्जा दिया। जम्मू एवं कश्मीर सहित अनेक संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी, भाजपा नीत एनडीए ने इसे शुरू कराया। इस प्रकार भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने समाज के हर वर्ग का सम्मान एवं उनका विकास किया है।

 

 आईएनडीआईए/घमंडिया गठबंधन के नेता सनातन को रोग और वायरस समझते हैं और उसे खत्म करने की बात करते हैं, जबकि अमेरिकी वैज्ञानिक जे रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने श्रीमद्भागवत गीता से प्ररेणा लेते थे। क्वांटम मकैनिक्स देने वाले नोबेल विजेता इरविन श्रोडिंगर उपनिषद और हिन्दू धर्मग्रंथों से प्रेरणा लेते थे। रॉकेट साइंस के जनक वार्नर वॉन के गुरु हरमन ओबर्थ ने कहा था कि ज्ञान के लिए वेद पढ़ना चाहिए। जब बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को सनातन धर्म में ज्ञान नजर आ रहा है इनके लिए सनातन धर्म में डिवीज़न नजर आ रहा है, तो यक़ीनन वायरस इनके ही दिमाग में आ रहा है। 19 वीं सदी के मैकाले वायरस और 20वीं सदी के मार्क्सिस्ट वायरस जैसे जहर को इस अमृत काल में निकालना होगा।

 

तमिल भाईयों से कहना है कि जो लोग द्रविड़ शब्द का प्रयोग करते हैं, वह शब्द वास्तव में संस्कृत शब्द है, जिसकी व्याख्या अंग्रेजों ने गलत तरीके से की। द्रविड संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है, द्रव का अर्थ तरल पदार्थ और इड़ का अर्थ होता है धरती। अर्थात धरती का वह भाग, जो पानी से घिरा हुआ है, उसे द्रविड़ कहते हैं।

 

अद्वैत के प्रवर्तक शंकराचार्य केरल से थे,  विशिष्टाद्वैत के प्रवर्तक मध्वाचार्य कर्नाटक से थे, द्वैतवाद के प्रर्वतक रामानुजाचार्य तमिलनाडु से थे। द्वैताद्वैत के प्रर्वतक निम्बारकाचार्य आंध्रप्रदेश से थे। वेदों पर एकमात्र भाष्य लिखने वाले सायणाचार्य विजय नगर साम्राज्य से थे, जो आज का आंध्रप्रदेश और कर्नाटक का द्योतक है।

 

सनातन धर्म को लेकर नफरती बयान देने वाले ये लोग आखिर कौन सा इतिहास पढ़े हैं और कौन सा वायरस उनके दिमाग में घुस गया है कि अपनी संस्कृति में भी ये लोग बीमारी और वायरस ढूंढ रहे हैं ? अफसोस यह है कि मैकाले और मार्क्स का वायरस विपक्षी गठबंधन के नेताओं में इस तरह से घुस गया है कि वे अपनी ही संस्कृति नहीं पढ़ पा रहे हैं।

 

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने तमिल संस्कृति को जो सम्मान दिया है, वह अभूतपूर्व है। काशी तमिल संगमम और सौराष्ट्र तमिल संगमम राष्ट्रीय स्तर पर तमिल संस्कृति के सम्मान के अनुपम उदाहरण हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सेंगोल को पूर्ण सम्मान देकर संसद में स्थापित किया है जबकि पंडित नेहरू ने इसे छड़ी बनाकर छोड़ दिया था।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तमिलनाडु के महाबलीपुरम लेकर आए थे, क्योंकि एक समय महाबलीपुरम के राजा बौद्धधर्म अपनाकर चीन गए थे और चीन की 80 प्रतिशत आबादी बौद्धधर्मालम्बी हो गया था। वे लोग अपने को महाबलीपुरम के राजघराने से खुद को जोड़ते हैं। यही है प्रधानमंत्री मोदी जी की सोच और विचार।

 

चाहे देश के विकास की बात हो, शिक्षा की बात हो या फिर देश को आत्म गौरव कराने की बात हो, किसी भी मायने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए और ‘पहचान कौन’ नेतृत्व वाली आईएनडीआईए/ घमंडिया गठबंधन के बीच कोई तुलना हो ही नहीं सकती है.  

 

विपक्षी गठबंधन आरोप लगाते रहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हिन्दुत्व की राजनीति करती है। वास्तविकता यह है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश चहुँ ओर विकास पथ पर अग्रसर है. वर्तमान में देश की विकास दर 7.8 प्रतिशत है, जो दुनिया के विकसित देशों की विकास दर से कहीं ज्यादा है। भारतीय जनता पार्टी आईएनडीआईए गठबंधन से पूछना चाहती है कि कांग्रेस सरकार में कोई भी एक साल बता दें जब पूरे विश्व में भारत की विकास दर सबसे ज्यादा रही हो? तथ्य यह है कि ऐसा कभी नहीं रहा ।

 

केंद्र में जब जब एनडीए की सरकार रही ग्रोथ रेट हमेशा महंगाई दर से सदा ऊपर रहा है, जबकि कांग्रेस सरकार के समय स्थिति उल्टी रही अर्थात महंगाई दर देश के ग्रोथ रेट से अधिक रही। 1980 के दशक में यहां तक माना जाने लगा कि हिन्दु रेट ऑफ़ ग्रोथ की वजह से भारत का विकास दर 2 प्रतिशत से ऊपर जा ही नहीं पाएगी। यह तब की स्थिति थी जब इंदिरा गांधी ने दो तिहाई बहुमत से 70 के दशक में सरकार बनायी थी। यह स्थिति तब भी थी जब इंदिरा गांधी ने 1980 से 1984 तक शासन किया था। यह स्थिति तब बजो बरकरार रही जब देश में सबसे बड़ी बहुमत वाली राजीव गांधी की सरकार 1984-1989 तक थी।

 

वर्तमान में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, तमाम विपरीत वैश्विक परिस्थितियों के बावजूद, भारत का विकास दर आज 7.8 प्रतिशत है। कांग्रेस शासनकाल ऋण लेने के लिए आईएमएफ के पीछे भागा जाता था, लेकिन आज आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टलिना जॉर्जीवा कहती हैं ‘भारत एक चमकता सितारा’ है। नरेन्द्र मोदी सरकार के तहत अबतक  चार करोड़ लोगों को घर मिला है। 11 करोड़ लोगों को शौचालय बनाए गए हैं। हर घर को बिजली मिली है। हर गांव को सड़क मिली है। 50 करोड़ से अधिक जनधन योजना के तहत बैंक खाते खोले गए हैं।

 

तथाकथित सेक्यूलर सरकार में सोना गिरवी रखा गया था। 1991 में विदेशी मुद्रा भंडार एक बिलियन डालर से कम हो गया था। उस वक्त एक साल में दो बार रुपये का अवमूल्यन हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने पर विदेशी मुद्रा भंडार 100 बिलियन डॉलर के ऊपर पहुंचा था और अब नरेन्द्र मोदी की सरकार में विदेशी मुद्रा भंडार 500 बिलियन डॉलर से उपर चला गया है।

 

डीएमके नेता उदयनिधि का सनातन विरोधी बयान बेहद दुखद, नुकसानदायक ही नहीं बल्कि आँखें खोलने वाली भी हैं. अब राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के पास कोई जवाब नहीं रह गया है क्योंकि उनके मुख से मुखौटा पूरी तरह से उतर गया है.  राहुल गांधी और कांग्रेस सिर्फ सनातन धर्म का समूल नाश नहीं करना चाहते हैं, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में जिस विकास पथ पर देश अग्रसर है, उसे भी नष्ट करना चाहते हैं।

 

पूरे देश के नागरिकों  विशेषकर तमिल भाइयों-बहनों से आग्रह है कि वे अब खुले मन से इस बात का विचार करें कि कौन भारत के विकास के साथ खड़ा है और कौन भारत के समूल नाश के साथ खड़ा है? हम भारत के विकास के साथ खड़े हैं, दुनिया में देश नई छलांग लगाने के लिए आगे बढ़ रहा है, उस भारत का सम्मान दुनिया के लोग कर रहे हैं।

 

हमारा बस यही विजन है कि-

 

स्वप्न देखा था कभी, वो आज हर धड़कन में है

 

एक नया भारत बनाने का इरादा मन में है

 

बढ़ रहे हैं हम प्रगति की ओर उस रफ्तार से

 

कर रहा विश्व भी हमको नमन उस पार से

 

 

 

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