Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sudhanshu Trivedi


by Dr. Sudhanshu Trivedi -
04-01-2024
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

बार-बार ईडी समन जारी होने पर भी ईडी के समक्ष अरविंद केजरीवाल जी के उपस्थित नहीं होने का अर्थ है कि शराब घोटाले में संलिप्त होने की उनकी स्वीकारोक्ती है।

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कट्टर ईमानदारी के स्वघोषित भारत रत्न विभूषित अरविंद केजरीवाल जी ने दवा एवं दारू दोनो में ही घोटाले कर दिखाए ।

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सीएम अरविंद केजरीवाल को इतनी सर्दी में भी “जांच की आंच” से पसीना निकल रहा है। केजरीवाल के कारनामों में एक और नया आयाम जुड़ गया है। अब “जांच’ भी आंच के घेरे में आ गयी है अर्थात तथाकथित मोहल्ला क्लिनिक में मरीजों की जो जांच हो रही थी, वह भी आंच के घेरे में आ गयी है।

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विपश्यना के ध्यान से लेकर चुनाव प्रचार की समस्त नाटकीयता तक ‘कट्टर ईमानदारी’ का यह किरादार तार-तार हो गया है।

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विजिलेंस की रिपोर्ट और विभागीय फाइंडिंग के अनुसार तथाकथित मोहल्ला क्लिनिक में एक डॉक्टर एक दिन में 4 घंटे अर्थात 240 मिनट के दौरान लगभग 500 मरीज को देख कर इलाज कर दिया। इसका मतलब एक चिक्त्सिक ने महज आधे मिनट में एक मरीज को देखकर चिकित्सीय परामर्श तक दे दिया।

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विभागीय फाइंडिंग के अनुसार, मोहल्ला क्लिनिक में  महज आधे मिनट के भीतर एक मरीज आया और चला गया, डाक्टर ने इसी दरम्यान मरीज की बात भी सुनी, उसे समझा और जांच  की पर्ची भी लिख डाली।

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मोहल्ला क्लिनिक में पैथोलॉजीकल टेस्टिंग की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को दी गयी थी, न कि किसी सरकारी एजेंसी को। मोहल्ला क्लिनिक में जितने मरीज आए नहीं, उससे ज्यादा फर्जी नाम डाले गए और बिल बनाकर सरकारी धन की लूट की गयी।

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रिपोर्ट के बिंदु क्रमांक 33 में लिखा गया है कि हजारों काल्पनिक मरीज (जिनका अस्तित्व ही नहीं था) का नाम लिखा गया और सिर्फ कागज पर फर्जी पैथोलॉजी टेस्ट कर दिया गया।

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अरविंद केजरीवाल ने पहले मोहल्ला क्लिनिक बनायी, फिर वहां पैथोलॉजी जांच की व्यवस्था की। उसके बाद उन सभी व्यवस्थाओं को आउटसोर्स कर दिया गया। कुछ कुछ वैसा ही किया गया, जैसा शराब घोटाले में किया गया था।

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केजरीवाल आज अपनी प्रेसवार्ता में सीबीआई से ही सवाल पूछ रहे हैं। अब “बवाली ही सवाली” बन गए हैं। हिन्दी में एक कहावत है कि ‘उलटा चोर कोतवाल को डांटे’। इसी तर्ज पर अरविंद केजरीवाल जांच एजेंसी पर ही सवाल उठा रहे हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने आज केंद्रीय कार्यालय में अयोजित प्रेसवार्ता में विजिलेंस रिपोर्ट और विभागीय जांच के हवाले से दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक घोटाले के लिए सीएम अरविंद केजरीवाल को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कट्टर ईमानदारी के स्वघोषित भारत रत्न विभूषित अरविंद केजरीवाल ने दवा एवं दारू दोनो में ही घोटाले किये हैं। बार-बार ईडी समन जारी होने पर भी अरविंद केजरीवाल जी का ईडी के समक्ष उपस्थित न होने का अर्थ है कि शराब घोटाले में उनके संलिप्त होने की स्वीकारोक्ती है।

 

डॉ. त्रिवेदी ने केजरीवाल पर तंज कसते हुए कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल को इतनी सर्दी में भी “जांच की आंच” से पसीना निकल रहा है। केजरीवाल के कारनामों में एक और नया आयाम जुड़ गया है, अब “जांच’ भी आंच के घेरे में आ गयी है अर्थात तथाकथित मोहल्ला क्लिनिक में मरीजों की जांच भी आंच के घेरे में आ गयी है, जहां केजरीवाल जी ने जांच (पैथोलॉजिकल टेस्टिंग) की व्यवस्था की थी। स्वतंत्रता के अमृतकाल में भी देश की राजधानी दिल्ली में स्पेशयलिटी या कोई विशेष सुविधायुक्त इंस्टीच्यूट की व्यवस्था करने के बदले केजरीवाल जी की सोच मोहल्ला क्लिनिक तक ही सीमित रह गयी। 

 

मोहल्ला क्लिनिक के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि विजिलेंस की रिपोर्ट और विभागीय फाइंडिंग के अनुसार तथाकथित मोहल्ला क्लिनिक में एक डॉक्टर द्वारा एक दिन में 500 मरीजों को देखा गया, जिसमें मरीजों की अधिकतम संख्या 533 है। मोहल्ला क्लिनिक में मरीजों को देखने का औपचारिक समय सुबह नौ बजे से दोपहर एक बजे तक है। कुल 4 घंटे अर्थात 240 मिनट में एक चिकित्सक ने लगभग 500 मरीज को देख कर इलाज किया। इसका मतलब एक चिक्त्सिक ने महज आधे मिनट में एक मरीज को देखकर चिकित्सीय परामर्श तक दे दिया। इस आधे मिनट में एक मरीज का आना-जाना, डाक्टर को मरीज की बात सुनना, बीमारी को समझना और जांच की पर्ची लिखने का समय  शामिल है। 

 

स्वास्थ्य घोटाले में आकंठ डूबे केजरीवाल पर तंज कसते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि पर्व-त्योहार के दौरान जब मंदिरों में श्रद्धालुओं की संख्या बहुत ज्यादा हो जाती है, तो एक श्रद्धालु इतने कम समय में भगवान की मूर्ति का दर्शन भी नहीं कर पाता है, जितने समय में एक डॉक्टर मोहल्ला क्लिनिक में मरीज को देखकर, रोग को समझकर उसका निदान-समाधान सबकुछ लिख देता है। यह है ईमानदारी के एक नए  किरदार का कारनामा।

 

भारातीय जनता पार्टी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सेजी  दवा सहित मोहल्ला क्लिनिक घोटाले पर कुछ सवाल का जवाब चाहती है:

 

·       केजरीवाल जी की सरकार ने कहा था कि दिल्ली में सीसीटीवी का जाल बिछा देंगे। तो, क्या मोहल्ला क्लिनिक में सीसीटीवी कैमरें लगे हैं ?

 

·       यदि मोहल्ला क्लिनिक में 533 मरीज इलाज कराने आए थे, तो उसका सीसीटीवी फूटेज होना चाहिए अथवा नहीं?

 

·       अगर मोहल्ला क्लिनिक में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तो उस दिन का सीसीटीवी फूटेज सार्वजनिक करे, जिस दिन 533 मरीज चार घंटे में अपने इलाज कराए थे, वे मरीज कहां पर लाइन लगाए हुए थे? क्योंकि मोहल्ला क्लिनिक छोटे-छोटे कमरों में चलते हैं।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल जी इन सब वजहों से ‘जांच की आंच’ से घबड़ाये हुए हैं। विजिलेंस रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में की गई विभागीय कार्रवाई में कहा गया है कि मोहल्ला क्लिनिक में पैथोलॉजी टेस्ट की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी को दी गयी थी। किसी सरकारी एजेंसी को जांच करने की जिम्मेदारी नहीं दी गयी थी। मोहल्ला क्लिनिक में जितने मरीज आए नहीं, उससे ज्यादा फर्जी नाम डाले गए और बिल बनाकर सरकारी धन की लूट की गयी। मीडिया में उपलब्ध रिपोर्ट के बिंदु क्रमांक 33 में लिखा गया है कि हजारों काल्पनिक मरीज (जिनका अस्तित्व ही नहीं था) का नाम लिखा गया और सिर्फ कागज पर फर्जी पैथोलॉजी टेस्ट कर दिया गया।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा विभिन्न सरकारी योजनाओं की राशि लाभार्थियों के बैंक खाते में डिजिटली ट्रांसफर होती है। इसलिए ऐसे भ्रष्टाचारी लोग यूनिक आधार कार्ड का भी विरोध करते थे। जिस व्यक्ति के पास आधारकार्ड है और उसके बैंक खाते में राशिडिजिटली ट्रांसफर हो रहा है तो किसी प्रकार की गड़बड़ी होने की संभावना नहीं रहती है। वहीं केजरीवाल सरकार में मोहल्ला क्लिनिक में अस्तित्व विहीन मरीजों के नाम के सामने फर्जी मोबाइल नंबर या बिना मोबाइल नंबर की सूची बनायी गयी। चिकित्सकों की फर्जी उपस्थिति और मरीजों के फर्जी आंकड़े बहुत बड़े भ्रष्टाचार की ओर इशारा करते हैं। डॉक्यूमेंटस में गड़बड़ी कर दिल्ली सरकार के खजाने से एक निजी कंपनी एएएमसी को लाभान्वित किया गया, जो कंपनी दिल्ली के पॉली क्लिनिक और अस्पतालों से जुड़ी है।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि विजिलेंस की रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट हो गया है कि अरविंद केजरीवाल ने पहले मोहल्ला क्लिनिक बनायी और उसके बाद वहां पैथोलॉजिकल जांच की व्यवस्था की। उसके बाद उन सभी व्यवस्थाओं को आउटसोर्स कर दिया गया। कुछ कुछ वैसा ही किया गया जैसा शराब घोटाले में किया गया था। धीरे-धीरे मोहल्ला क्लिनिक में मरीजों की संख्या बढ़ा दी गयी और फर्जी बिल बनाने की बातें भी मीडिया में आयी। केजरीवाल सरकार में अभी तक दारू का घोटाला था, अब दवा का भी घोटाला हो गया, यानी स्वघोषित भारत रत्न विभूषित केजरीवाल जी ने दवा एवं दारू, दोनो में घोटाले करके दिखाए।

 

केजरीवाल जी आज अपनी प्रेसवार्ता में सीबीआई से ही सवाल पूछ रहे हैं। अब “बवाली ही सवाली” बन गए हैं। जिन्होंने राजनीति के शुरूआती दिनों में ही सीढी लगाकर बिजली के तार कट रहे थे, क्या यह एक नेता का किरदार है? 26 जनवरी को धरना दे रहे थे, क्या यह जिम्मेदार राजनैतिक व्यक्तित्व का किरदार है? वर्ष 2014 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय पर पथराव किया था, जिसमें इनकी सर्वोच्च समिति के सदस्य शामिल थे, क्या यह एक नेता का किरदार है? इसलिए अब ‘बवाली ही अब सवाली’ बन गए हैं। केजरीवाल जांच एजेंसी से ही सवाल पूछ रहे हैं। अब यह कहा जा सकता है कि विपश्यना के ध्यान से लेकर चुनाव प्रचार की समस्त नाटकीयता तक ‘कट्टर ईमानदारी’ का यह किरादार तार-तार हो गया है।

 

केजरीवाल के तथाकथित ईमानदारी पर सवालिया निशान लगाते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि हिन्दी में एक कहावत है कि ‘उलटा चोर कोतवाल को डांटे’। इसी तर्ज पर अरविंद केजरीवाल जांच एजेंसी पर ही सवाल उठा रहे हैं। यदि केजरीवाल जी को जांच एजेंसी के समन पर कोई तकनीकी मामला नजर आता है, तो वे न्यायालय जाकर सवाल उठा सकते थे। मगर यहां तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि नैतिक मुद्दा है। यहां न्यायिक विषय नहीं, बल्कि नैतिक विषय है।

 

ईडी जांच से भाग रहे केजरीवाल पर सवाल उठाते हुए डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल जी का ईडी समन पर उपस्थित होने से बचने का मामला स्वत प्रमाणित करता है कि उनको मालूम है कि वे इस जांच की आंच से बच नहीं सकते हैं। क्योंकि, ईडी के समक्ष एक आरोपी ने एप्रूवर बनकर बयान दिया है कि केजरीवाल की उपस्थिति में शराब बिक्री के कमीशन बढ़ा दिए गए थे और शराब घोटाले में कमीशन देने की बात हुई थी। साथ ही, उसने कहा है कि शराब वितरण के तरीके पर भी बातचीत हुई थी। केजरीवाल जी को इन सभी बातों की जानकारी है। इसलिए, कहा जा सकता है कि ईडी द्वारा बार-बार समन जारी करने के बाद भी अनेक बहाने बनाकर उपस्थित नहीं होना शराब घोटाले में उनके संलिप्त होने की स्वीकारोक्ति है।

 

शराब घोटाला भ्रष्टाचार का एक अनूठा नमूना है। जब शराब घोटाले की जांच शुरू हुई तो अरविंद केजरीवाल की सरकार ने उस नई शराब नीति को वापस ले लिया, जिस नीति को लाकर घोटाले किए गए थे। खासबात यह है कि शराब घोटाले से जुड़ी नई शराब नीति को वापस लेने के बाद अरविंद केजरीवाल की सरकार एवं आम आदमी पार्टी द्वारा उस नीति को सही ठहराया जाता रहा। यह है देश की नई राजनीति के एक नए किरदार की भूमिका। इसके बावजूद आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कहते हैं कि हर हाल में अरविंद केजरीवाल जी शासन में रहेंगे। डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि   जांच एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय तय करेगा कि आगे क्या होगा?

 

 आप” के प्रवक्ता के अनुसार वे वहां से भी शासन करेंगे, जहां जाने की बात उनके प्रवक्ता कर रहे हैं। जेल जाने की बात आने पर भारतीय जनता पार्टी पर कई आरोप लगाए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद जी 1997 में चारा घोटाले मामले में जेल गए थे, उस समय भाजपा की सरकार नहीं थी। उस वक्त तक श्री नरेन्द्र मोदी जी भारतीय जनता पार्टी के महासचिव ही थे। उस जमाने में बहुत लोगों ने श्री अमित शाह जी का नाम भी नहीं सुना होगा। मीडिया ने लालू प्रसाद जी से सवाल पूछा था कि जेल जा रहे हैं, कैसे शासन चलाएंगे? तब लालू जी ने कहा था कि जेलवे से चलाएंगे। फिर मीडिया ने सवाल पूछा था कि क्या जेल से शासन चलाएंगे? तब उनके साथियों ने सफाई देते हुए कहा था कि लालूजी के कहने का मतलब है कि जैसे चल रहा था, वैसे ही चलता रहेगा। लेकिन आज आम आदमी पार्टी के नए किरदार में केजरीवाल जी कह रहे हैं कि हम जेलवे से शासन चलाएंगे।

 

डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि केजरीवाल जी जांच एजेंसी के पास जाने से इसलिए डर रहे हैं कि ‘तेरी उल्फत में हूं बैठा, इतने राज छिपाए अगर नजर मिले, तो कदम डगमगाए ।“ केजरीवाल जी को मालूम है कि जैसे ही सवालों से नजर मिलेगी, वैसे ही कदम डगमगा जाएगी। परंतु, एक बात स्पष्ट है कि भारत की न्याय व्यवस्था तथा नैतिक, राजनैतिक एवं संवैधानिक पक्षों के कारण ‘नई राजनीति का किरादार’ तार-तार हो गया है।

 

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