राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्यबिंदु
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद, विगत आठ वर्षो में भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है कि देश में कोई वीआईपी नहीं है, कानून के सामने हर व्यक्ति एक समान हैं।
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विश्व के सबसे सम्मानित नेता श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ पिछले दो दशकों से कढ़ाई को गरम रखने का एक राजनीतिक षडयंत्र रचने का कुत्सित प्रयास किया जाता रहा।
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देश के प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ झूठा अभियान चलाने के पीछे कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है।
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तीस्ता सीतलवाड़ तो महज सांप्रदायिक नफरत फैलाने की एक छोटी ब्रांच थीं, दरअसल उनका हेड आफिस कांग्रेस दफ्तर ही था. इस सारे प्रकरण की सीईओ सोनिया गांधी रहीं जो निर्देशित करती रहीं कि किस तरह से न्यायिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ करनी है।
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ये लोग पीड़ित परिवारों की न्याय की लड़ाई नहीं लड़ रहे थे, बल्कि इनका उद्देश्य गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक पारी को खत्म करना था।
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आज पूरा देश जानना चाहता है कि इस पूरे प्रकरण में तिस्ता सीतलवाड, सोनिया गांधी एवं कांग्रेस पार्टी के रिश्ते क्या हैं?
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तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन और जयराम रमेश विरोध प्रदर्शन सम्मिलित हुए और कहा गया कि लोकतंत्र खतरे में है जबकि तीस्ता सीतलवाड कोर्ट में झूठे गवाह बनाकर फर्जी हलफनामे देती रहीं।
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क्या सर्वोच्च न्यायालय पर कांग्रेस की आस्था है भी या नहीं?
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आखिर ऐसा क्यों है कि आपको न्यायालय का आदेश स्वीकार नहीं है और प्रदर्शन करते हैं? न तो सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मानेंगे और न ही नीचलि अदालतों के आदेश मानेंगे? तो आखिर कहां की अदालतों की बात मानेंगे?
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क्या सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी इसके लिए देश से माफ़ी मांगेगी? सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कैसे झूठे गवाह पेश किये गए गया और मनगढ़ंत कहानी बनाकर दुष्प्रचार किया गया. आखिर किस आधार पर कांग्रेस-यूपीए सरकार में तीस्ता सीतलवाड को पद्म श्री से सम्मानित किया गया?
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सबसे संगीन अपराध है कि एनसीईआरटी द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी कांग्रेस-यूपीए की सरकार द्वारा 1.40 करोड़ रुपये तीस्ता सीतलवाड़ और उनके नियंत्रण में चलने वाली एनजीओ को क्यों उपलब्ध कराया गया?
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए देश के प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ झूठा अभियान चलाने के पीछे कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी को जिम्मेदार ठहराया.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जाकिया जाफरी केस में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को क्लीन चिट दिए जाने और तीस्ता सीतलवाड़ की भूमिका पर सवाल उठाए जाने पर श्री भाटिया ने इस मामले को तथ्यों के साथ रखते हुए कांग्रेस से कुछ सवालों के जवाब मांगे।
श्री भाटिया ने कहा कि 24 जून को गुजरात दंगों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का एक ऐतिहासिक फैसला आया जिसमें जाकिया जाफरी और तीस्ता सीतलवाड की याचिका खारीज कर दी गई। विश्व के सबसे सम्मानित नेता श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ पिछले दो दशकों से कढ़ाई को गरम रखने का एक राजनीतिक षडयंत्र रचने का कुत्सित प्रयास किया जाता रहा। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काम कर रही एसआईटी पर भी अनर्गल आरोप लगाते हुए उनकी छवि पर दाग लगाने की कोशिश की गयी। सर्वोच्च न्यायालय ने टिप्पणी भी की है कि जो लोग इस मामले में झूठे हलफनामा देते रहे और गवाहों को अपनी मनमर्जी के अनुरूप बयान दिलवाते रहे, उनके खिलाफ संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
इसी क्रम में क्राइम ब्रांच अहमदाबाद ने एक एफआईआर दर्ज कर तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया है, जो खुद को चैंपियन आफ ह्यूमन राईट कहती रही हैं। मानवाधिकार की रक्षा करने का ठेका लेकर बैठे कुछ लोगों का असली चरित्र सामने आ गया है। दरअसल तथाकथित मानवाधिकार के नाम पर ये लोग देश में नफरत का माहौल बनाने का प्रयास करते रहे हैं। जो मानवाधिकार का चैंपियन बताकर मानवाधिकार मामले का निरंतर उल्लंघन करती रहीं, जो श्री नरेन्द्र मोदी जी के खिलाफ इसे डिजाईन कर षडयंत्र रचती रहीं, जाकिया जाफरी मामले में फर्जी हलफनामे दर्ज किये गए जो भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध है, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी ही चाहिए।
तीस्ता सीतलवाड को मोहरा बनाकर कांग्रेस द्वारा साजिश रचने का आरोप लगाते हुए श्री भाटिया ने कहा कि तीस्ता सीतलवाड़ तो महज सांप्रदायिक नफरत फैलाने की एक छोटी ब्रांच थीं, दरअसल उनका हेड आफिस कांग्रेस दफ्तर ही था. इस सारे प्रकरण की सीईओ सोनिया गांधी रहीं जो निर्देशित करती रहीं कि किस तरह से न्यायिक प्रक्रिया से छेड़छाड़ करनी है। तीस्ता सीतलवाड़ के एक निकटतम साथी द्वारा हाल के दिनों में दिए गए बयान से स्पष्ट हुआ है कि ये लोग पीड़ित परिवारों की न्याय की लड़ाई नहीं लड़ रहे थे, बल्कि इनका उद्देश्य गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक पारी को खत्म करना था। आज पूरा देश जानना चाहता है कि इस पूरे प्रकरण में तिस्ता सीतलवाड, सोनिया गांधी एवं कांग्रेस पार्टी के रिश्ते क्या हैं?
श्री भाटिया ने कहा कि केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद, विगत आठ वर्षो में भारतीय राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है कि देश में कोई वीआईपी नहीं है, सभी कानून के सामने समान हैं। यदि कोई कानून तोड़ता है तो कानून अपना कार्य करेगा, एफआईआर रजिस्टर होगी और उसकी विवेचना होगी। जांच एजेंसी को लगेगा कि मामले में साक्ष्य एवं प्रमाण पुख्ता हैं, तो गिरफ़्तारी भी होगी। सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद इसी क्रम में तीस्ता सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी के बाद कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अजय माकन और जयराम रमेश विरोध प्रदर्शन सम्मिलित हुए और कहा गया कि लोकतंत्र खतरे में है जबकि तीस्ता सीतलवाड कोर्ट में झूठे गवाह बनाकर फर्जी हलफनामे देती रहीं। स्पष्ट है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी के निर्देश पर ही यह विरोध प्रदर्शन निकाला गया होगा। कांग्रेस पार्टी देश के खिलाफ षडयंत्र रचने की विचित्र भूमिका निभा रही है।
श्री भाटिया ने सोनिया गाँधी और कांग्रेस पार्टी से सीधा सवाल पूछते हुए कहा कि क्या सर्वोच्च न्यायालय पर कांग्रेस की आस्था है भी या नहीं? दरअसल, राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की सर्वोच्च न्यायालय पर आस्था सुविधा के अनुसार बनती है। राहुल गांधी ने कई बार देश की न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। जब जाकिया जाफरी की याचिका ख़ारिज की गयी तो कांग्रेस पार्टी के ऑफिसियल हैंडल से जयराम रमेश के ट्वीट को रिट्वीट किया गया जिसमें लिखा था कि जाकिया जाफरी मामले में सर्वोच्च न्यायाल का फैसला अत्यंत निराशाजनक है, साथ ही कुछ सवाल भी उठाए गए।
श्री भाटिया ने कहा कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से दूध का दूध और जहर का जहर सामने आ गया है। बीस साल यह मामला आदालत में लंबित रहा लेकिन माननीय प्रधानमंत्री और तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गयी। उन्होंने संविधान की मूलभावना को लेकर गुजरात और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते रहे। भले ही इस मामले में न्याय मिलने में देर हुई, परन्तु न्यायालय के माध्यम से सच सबके सामने आया। नेशनल हेराल्ड मामला में जब राहुल गांधी से ईडी पूछताछ करती है तो कांग्रेस सड़कों पर प्रदर्शन करती है और पुलिस के साथ दुर्व्यवहार करती है।
श्री भाटिया ने सोनिया जी और कांग्रेस पार्टी से दूसरा सवाल पूछा कि आखिर ऐसा क्यों है कि आपको न्यायालय का आदेश स्वीकार नहीं है और प्रदर्शन करते हैं? न तो सर्वोच्च न्यायालय का आदेश मानेंगे और न ही नीचलि अदालतों के आदेश मानेंगे? तो आखिर कहां की अदालतों की बात मानेंगे? जबकि तीस्ता सीतलवाड की गिरफतारी पर न्यायालय ने ही 2 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में रखने का निर्देश दिया है।
श्री भाटिया ने तीसरा सवाल पूछा कि क्या सोनिया गांधी और कांग्रेस पार्टी इसके लिए देश से माफ़ी मांगेगी? सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कैसे झूठे गवाह पेश किये गए गया और मनगढ़ंत कहानी बनाकर दुष्प्रचार किया गया. आखिर किस आधार पर कांग्रेस-यूपीए सरकार में तीस्ता सीतलवाड को पद्म श्री से सम्मानित किया गया? इसके अलावा तीस्ता सीतलवाड़ की नियुक्ति सेंट्रल एडवाइजरी बोर्ड आफ एजुकेशन में की गयी, जो शिक्षा की सबसे बड़ी सलाहकार बॉडी है। हमारे देश के बच्चों की सोच को घृणा और नफरत में बदलने पर काम किया गया। सबसे संगीन अपराध है कि एनसीईआरटी द्वारा आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी कांग्रेस-यूपीए की सरकार द्वारा 1.40 करोड़ रुपये तीस्ता सीतलवाड़ और उनके नियंत्रण में चलने वाली एनजीओ को क्यों उपलब्ध कराया गया? इस पैसे का उपयोग तिस्ता सीतलवाड ने विदेश यात्रा, अपनी सहुलियत के सामान खरीदने और तमाम ऐसी चीजों में किया जिसका पीड़ितों को इंसाफ दिलाने से कोई लेना देना नहीं था। तीस्ता सीतलवाड के एनजीओ सबरंग कम्यूनिकेशन को एफसीआरए नॉर्मस का उल्लंघन करते हुए विदेश से दो लाख यूएस डॉलर का चंदा दिया गया।
(महेंद्र कुमार)
कार्यालय सचिव
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