Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Shri Gaurav Bhatia


by Shri Gaurav Bhatia -
15-07-2022
Press Release

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में कांग्रेस और पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा पाकिस्तानी एजेंट एवं पत्रकार नुसरत मिर्जा को लेकर गलत तथ्य पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह अपने आप में एक बड़ी विडंबना है कि देश पर 26/11 हमले को अंजाम देने वाले देश पाकिस्तान से तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली केंद्र की यूपीए सरकार सीखना चाहती थी कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ी जाए !

 

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कांग्रेस सरकार पर ही सारा ठिकरा फोड़ते हुए कहा कि मैंने नुसरत मिर्जा को नहीं बुलाया था. भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की सलाह पर ही विदेशी मेहमान बुलाए जाते हैं। 

 

यह कहना गलत नहीं होगा की कांग्रेस के तार देश विरोधी ताकतों से जुड़े हैं और उसका करंट पाकिस्तान से आता है. देश की 140 करोड़ जनता कांग्रेस के तार पाकिस्तान से जुड़े होने को लेकर सवाल पूछ रही है। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, हामिद अंसारी को इसका जवाब देना ही होगा।

 

पहला सवाल - 26/11 के मुम्बई हमले की पहली बरसी से पहले , 27 अक्टूबर 2009 को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के मुद्दे पर दिल्ली में एक अंतरराष्टीय सम्मेलन आयोजित किया गया था। इस आयोजन की तस्वीर प्रमाणित करती है कि उक्त कार्यक्रम में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और पाकिस्तान के एजेंट व बहुरूपिया पत्रकार नुसरत मिर्जा एक मंच पर बैठे थे। क्या यह सत्य नहीं है कि इस प्रकार के कार्यक्रम का  क्लीरेंस देने का काम इंटेलीजेंस एजेंसी करती है और वीजा देने का कार्य विदेश मंत्रालय करती है? यह कैसे हो गया कि उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ बैठकर पाकिस्तानी एजेंट अति संवदेनशील और अति गोपनीय जानकारी साझा कर रहे थे ? 

 

दूसरा सवाल - इस तस्वीर में कांग्रेस सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री भी मंच साझा  कर रहे थे। तो क्या यह वाजिब सवाल नहीं है कि ऐसे व्यक्ति को वीजा क्यों दिया गया जो भारत आकर रेकी करता है, जानकारी एकत्रित कर आईएसआई को देता है और उस जानकारी का इस्तेमाल भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है? 

 

तीसरा सवाल - हामिद अंसारी जी, क्या आपकी नियत में खोट थी कि 2009 के इस सम्मेलन का जिक्र आपने अपने वक्तव्य में नहीं किया? आपके वक्तव्य में सच शून्य है और झूठ सौ प्रतिशत है। संवैधानिक पद पर बैठे लोगों की जिम्मेदारी ज्यादा होती है, किन्तु देश से बढ़कर कुछ नहीं होता है। अगर ऐसी जानकारी सामने आ रही है, तो सवाल पूछे जाने से पहले सोनिया जी, राहुल जी और हामिद अंसारी जी ने यह जानकारी देश की जनता के सामने सार्वजनिक क्यों नही की? संवेदनशील या अति गोपनीय जानकारी होने के कारण यदि उसे भारत सरकार के साथ साझा किया जाता तो भारतीय जनता पार्टी उसका सम्मान ही  करती।

 

चौथा सवाल - जिस सेमिनार का जिक्र हामिद अंसारी जी ने अपने वक्तव्य किया है, उसके आर्गेनाइजर सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं जिन्होंने 11 एवं 12 दिसम्बर 2010 को विज्ञान भवन में आतंकवाद और मानवाधिकारों पर न्यायविदों का अंतरराष्टीय सम्मेलन आयोजित किया था। उप राष्टपति के कार्यालय से इस कार्यक्रम के आर्गेनाइजर से कहा जाता है कि पाकिस्तान के पत्रकार नुसरत मिर्जा को इस सम्मेलन में आमंत्रित किया जाए। उप राष्ट्रपति कार्यालय से यह निर्देश क्यों दिए गए? उपराष्टपति कार्यालय और कांग्रेस का पाकिस्तानी एजेंट से क्या रिश्ता है?

 

आयोजक ने मीडिया में जानकारी दी है कि जब 2010 के कार्यक्रम में नुसरत मिर्जा को नहीं बुलाया गया तो उप राष्टपति नाराज हो गए। उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी जी इस कार्यक्रम के लिए पहले एक घंटे का वक्त दिया था, किन्तु नाराज होकर सिर्फ 20 मिनट ही कार्यक्रम में रुके । यह तथ्य सार्वजनिक है।

 

पांचवा सवाल - 27 अक्टूबर 2009 को  आतंकवाद पर हुए अंतरराष्टीय सम्मेलन में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी और कांग्रेस सरकार के वरिष्ठ मंत्री बैठे थे। 26/11 का मुम्बई हमला देश और देशवासियों के सम्मान पर हमला था। जब इस घटना का एक साल भी नहीं बीता था, तब पाकिस्तान एजेंट आकर हमे पाठ पढ़ा रहे थे कि आतंकवाद से कैसे लड़ा जाए? तत्कालीन कांग्रेस सरकार के केन्द्रीय मंत्री इस सेमिनार में क्या कर रहे थे?

 

छठा सवाल - 27 अक्टूबर 2009 को आतंकवाद पर सेमिनार आयोजन से पहले आर्गेनाइजर ने प्रेसवार्ता आयोजित की थी, जिस प्रेसवार्ता के मंच पर कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री कपिल सिब्बल भी उपस्थित थे। इस सम्मेलन के आयोजन में तत्कालीन यूपीए-कांग्रेस सरकार का सहयोग नहीं होता तो क्या कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री कपिल सिब्बल इस प्रेस वार्ता में उपस्थित रहते? यह अलग बात है कि वे अब कांग्रेस पार्टी में नहीं हैं। इससे स्पष्ट है कि राहुल गांधी को इस सम्मेलन की जानकारी थी एवं वे इसका समर्थन भी कर रहे थे। तो क्या राहुल गांधी देश के खिलाफ काम कर रहे थे? 

 

सतवां सवाल – यदि माननीय राष्ट्रपति जी, उप राष्ट्रपति जी, प्रधानमंत्री जी उच्च संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति जब कोई कार्यक्रम में शामिल होते हैं तो एक प्रोटोकॉल का अनुपालन किया जाता है। उस प्रोटोकॉल में सबसे पहले संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के कार्यालय से जानकारी ली जाती है कि कौन-कौन व्यक्ति इस कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे? कौन-कौन व्यक्ति मंच पर उपस्थित होंगे? यहां तक डिटेलिंग होती है कि मंच पर कौन कहां बैठेगा? इतनी जानकरी जब उपराष्टपति के कार्यालय से साझा की गयी तो क्या यह मानना सही नहीं होगा कि आपकी और कांग्रेस पार्टी की सहमती से ही सरकार चाहती थी कि ऐसा व्यक्ति भारत पहुंचे और भारत की अखंडता को ठेस पहुंचाए?

 

आठवां सवाल - इस कार्यक्रम में उपस्थित होने से पहले हामिद अंसारी जी और कांग्रेस भी कह सकती थी कि इस व्यक्ति को यहां पर नहीं बुलाया जाए। कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री और हामिद अंसारी जी कह सकते थे कि हम इनके साथ मंच साझा नहीं करेंगे। लेकिन ऐसा उन्होंने नहीं किया. आखिर ऐसा क्यों किया? कांग्रेस पार्टी का चरित्र यह है कि सर्जिकल स्टाइक का प्रमाण मांगतें हैं, आर्मी चीफ को गुंडा बताते हैं, पुलवामा में हमला होने पर उसे आतंरिक आतंकवाद -होम ग्रोन टेररिज्म- बताते हैं।

 

 

भारतीय जनता पार्टी ने दो दिन पूर्व भी, सोनिया जी, राहुल जी और हामिद अंसारी जी से इस मामले से जुड़े कई सवाल पूछे थे किन्तु उसका उत्तर अभी तक नहीं आया। वो सवाल इतने महत्वपूर्ण हैं कि कांग्रेस पार्टी को इसका जबाव देना होगा। सवाल पूछे गए थे कि यूपीए काल में नुसरत मिर्जा को पांच बार वीजा क्यों दिया गया? विदेशी मेहमान को तीन शहरों का वीजा मिलता है, तो नुसरत मिर्जा को सात शहरों का वीजा क्यों दिया गया? क्या इंटेलीजेंस एजेंसी के साथ कम्प्रोमाइज किया गया था?

 

26-11 के हमले के बाद कांग्रेस पार्टी का चरित्र और चाल चलन क्या रहा? मुम्बई में मेजर उन्नीकृष्णनन जी ने इस हमले में शहादत दी। दूसरी ओर, राहुल गांधी हमले के दो दिन बाद वाली रात को सुबह पांच बजे तक पार्टी का आनंद लेते रहे। जब देश के जवान जान जोखिम में डालकर आतंकवादियों से लड़ रहे थे तो तत्कालीन गृहमंत्री बंद गले का सूट बदल रहे थे।

 

हमारी देश की सेना पूरी विश्व में वीर थी, है और रहेगी। मुम्बई हमले के बाद तत्कालीन एयरचीफ मार्शल एफ होमी मेजर जी ने उस वक्त कहा था कि अगर सरकार इशारा कर दे तो हम आतंकवाद फैलाने वाले देश को सबक सीखाकर उसे नेस्तेनाबूद कर देंगे। लेकिन तत्कालीन यूपीए कांग्रेस सरकार ने सोची समझी नीति के चलते आतंकवादी देश पाकिस्तान को सबक सीखाने के प्रति ढुल मूल बनी रही ।

 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश आतंकवाद के खिलाफ मजबूत लड़ाई लड़ रही है। उस लड़ाई में सबसे कमजोर कड़ी हमारा कांग्रेस पार्टी और कुछ विपक्ष हैं।  केंद्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद, जब कभी देश पर आतंकी हमला हुआ है तो सर्जिकल स्टाइक और बालाकोट एयर स्टाइक करके उसका करारा जवाब दिया गया । दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी सर्जिकल स्टाइक और बालाकोट एयर स्टाइक का प्रमाण मांगती है। कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे मनीष तिवारी जी ने अपनी किताब में भी लिखी है कि कांग्रेस की सरकार में सेना के हाथ बांध दिए गए थे केन्द्र सरकार का जो रिस्पौंस होना चाहिए था वह नहीं था।

 

महेंद्र कुमार

 

(कार्यालय सचिव)

 

 

 

To Write Comment Please Login