Salient points of press conference of BJP National Spokesperson Smt. Meenakshi Lekhi


17-02-2020
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमती मीनाक्षी लेखी की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु

 

सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय प्रगतिशील, ऐतिहासिक और शानदार है। इससे महिलाओं को बराबरी का मौका मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करती है

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मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ कि उन्होंने महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन देने की दिशा में व्यापक कदम उठाये और आज सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महिलाओं के पक्ष में आया

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मैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहती हूँ कि उन्होंने महिलाओं की सेना में परमानेंट कमीशन की मांग को पूरा करते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया

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कुछ लोग आज भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भी राजनीति करते हुए केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके ताकि अपनी राजनीति किसी तरह चमकायी जा सके। आज वही लोग तमाशा कर रहे हैं जिसने आज के निर्णय का पूर्व में विरोध किया था

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राहुल गाँधी का महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर किया गया ट्वीट निंदनीय और हास्यास्पद है

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12 मार्च 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया लेकिन तत्कालीन कांग्रेस की यूपीए सरकार ने हाई कोर्ट के इस निर्णय को जुलाई 2010 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का विरोध किया

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मैंने महिला अफसरों की ओर से फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट में काउंटर एफिडेविट फाइल की पर इसके खिलाफ भी अप्रैल 2011 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रि-ज्वाइंडर फाइल किया

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अप्रैल 2012 में कांग्रेस सरकार ने पुनः कोर्ट में एडिशनल एफिडेविट फाइल किया और कहा कि हमने हेल लेवल ट्राई सर्विसेज कमिटी बनाई है और उस कमिटी ने यह फैसला लिया है कि महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन नहीं देना चाहिए

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जुलाई 2012 में पुनः कांग्रेस सरकार ने एडिशनल एफिडेविट फाइल की और उसमें भी कहा गया कि सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन नहीं दिया जाएगा। राहुल गाँधी को पता होना चाहिए कि 2010 से लेकर 2012 तक केंद्र में किसकी सरकार थी

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जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो मई 2018 में केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल की गई जिसमें केंद्र सरकार ने कहा कि वह महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के लिए राजी है

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15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वयं लाल किले की प्राचीर से अपने उद्बोधन में यह घोषणा की कि महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन मिलना चाहिए

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25 फरवरी 2019 को केंद्र की भाजपा सरकार ने सेना में परमानेंट कमीशन को लेकर एक पॉलिसी बनाई जिसमें सेना के 10 विभागों में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की बात कही गई जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज के फैसले में सराहा है

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सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा दी गई दलीलें और राहुल गाँधी का ट्वीट कांग्रेस की अक्षमताओं को दर्शाता है। 2018 से 2019 में इस मामले में जिस प्रकार का रुख मोदी सरकार ने रखा है, वह हमारी क्षमताओं को दर्शाता है। राहुल गाँधी जी, आपकी अक्षमताओं के सामने हमारी क्षमताएं कहीं अधिक हैं

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भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं लोक सभा सांसद श्रीमती मीनाक्षी लेखी ने आज पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और कहा कि महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय ऐतिहासिक है और भारतीय जनता पार्टी इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करती है।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन देने की मांग 17 सालों से चली रही थी। अदालत में भी यह मामला लगभग 10 वर्षों से चल रहा था। सुप्रीम कोर्ट का आज का निर्णय हर लिहाज से एक अच्छा फैसला है। मैं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को धन्यवाद देना चाहती हूँ कि उन्होंने महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन देने की दिशा में व्यापक कदम उठाये और आज सुप्रीम कोर्ट का निर्णय महिलाओं के पक्ष में आया। मैं जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहती हूँ कि उन्होंने महिलाओं की सेना में परमानेंट कमीशन की मांग को पूरा करते हुए ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। मैं इस मामले से जुड़े पूर्व जजों जस्टिस कौल और जस्टिस एम सी गर्म को भी धन्यवाद करती हूँ। इस मामले में कई पुरुष अधिकारियों ने भी मदद की और जो भी लोग इस न्यायिक प्रक्रिया में शामिल रहे, मैं उनका आज धन्यवाद करना चाहती हूँ।

 

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कुछ लोग आज भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भी राजनीति करते हुए केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर निशाना साधने से नहीं चूके ताकि अपनी राजनीति किसी तरह चमकायी जा सके। आज वही लोग तमाशा कर रहे हैं जिसने आज के निर्णय का पूर्व में विरोध किया था। सच्चाई यह है कि सेना में स्थाई कमीशन पाने की महिलाओं की मांग पर दिल्ली हाई कोर्ट में यह मामला 2003 से चल रहा था। इसके बाद 2009 तक 9 महिला अफसरों ने हाईकोर्ट में इसी मुद्दे पर अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। 12 मार्च 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर फैसला सुनाया और महिलाओं को सेना में स्थाई कमीशन देने का आदेश दिया लेकिन तत्कालीन कांग्रेस की यूपीए सरकार ने हाई कोर्ट के इस निर्णय को जुलाई 2010 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। तब कांग्रेस की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपनी दलील में कहा था कि सेना में ज्यादातर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले जवान महिला अधिकारियों से कमांड लेने को लेकर बहुत सहज नजर नहीं आते। महिलाओं की शारीरिक स्थिति, परिवारिक दायित्व जैसी बहुत सी बातें उन्हें कमांडिंग अफसर बनाने में बाधक हैं।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि मैंने महिला अफसरों की ओर से फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट में काउंटर एफिडेविट फाइल की पर इसके खिलाफ भी अप्रैल 2011 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने रि-ज्वाइंडर फाइल किया। अप्रैल 2012 में कांग्रेस सरकार ने पुनः एडिशनल एफिडेविट फाइल की कि हमने हेल लेवल ट्राई सर्विसेज कमिटी बनाई है और उस कमिटी ने यह फैसला लिया है कि महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन नहीं देना चाहिए। जुलाई 2012 में पुनः कांग्रेस सरकार ने एडिशनल एफिडेविट फाइल की और उसमें भी कहा गया कि सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन नहीं दिया जाएगा। राहुल गाँधी को पता होना चाहिए कि 2010 से लेकर 2012 तक केंद्र में किसकी सरकार थी।

 

राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र में जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो मई 2018 में केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक एफिडेविट फाइल की गई जिसमें केंद्र सरकार ने कहा कि वह महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के लिए राजी है। इसके बाद 15 अगस्त 2018 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्वयं लाल किले की प्राचीर से अपने उद्बोधन में यह घोषणा की कि महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन मिलना चाहिए। इसी के आधार पर 25 फरवरी 2019 को केंद्र की भाजपा सरकार ने सेना में परमानेंट कमीशन को लेकर एक पॉलिसी बनाई जिसमें सेना के 10 विभागों में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन देने की बात कही गई जिसे सुप्रीम कोर्ट ने आज के फैसले में सराहा है। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा है कि महिलाओं को 10 शाखाओं में स्थाई कमीशन देने का फैसला केंद्र सरकार का सही दिशा में बढ़ाया गया कदम हैं। श्रीमती लेखी ने कहा कि जिन नियमों के आधार पर महिलाओं को सेना में परमानेंट कमीशन देने की बात हुई, वे हमारी सरकार के समय ही हुए।

 

श्रीमती लेखी ने कहा कि राहुल गाँधी का महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर किया गया ट्वीट निंदनीय और हास्यास्पद है। जो लोग इस मामले को लेकर अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करना चाहते हैं, मैं उन्हें बताना चाहती हूँ कि आपकी बुद्धि क्षमता भी वैसी ही है जिस बुद्धि क्षमता का परिचय कांग्रेस की केंद्र सरकार ने 2014 से पहले दिया था। सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस सरकार द्वारा दी गई दलीलें और राहुल गाँधी द्वारा इस संदर्भ में किया गया ट्वीट कांग्रेस की अक्षमताओं को दर्शाता है। 2018 से 2019 में इस मामले में जिस प्रकार का रुख मोदी सरकार ने रखा है, वह हमारी क्षमताओं को दर्शाता है। राहुल गाँधी जी, आपकी अक्षमताओं के सामने हमारी क्षमताएं कहीं अधिक हैं। हममें देश सेवा का जज्बा है। सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय प्रगतिशील, ऐतिहासिक और शानदार है। इससे महिलाओं को बराबरी का मौका मिलेगा। महिलायें आज लगातार देश सेवा में अपना योगदान दे रही हैं। देश उनके जज्बे को सलाम करता है।

 

(महेंद्र पांडेय)

कार्यालय सचिव

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