भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
शाहीन बाग में देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा के लिए बच्चों को भड़काया जा रहा है, लेकिन सोनिया गांधी उसपर चुप रहीं. कांग्रेस पार्टी ने ये भी कहने की जरुरत नहीं समझी कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी हमें राजधर्म ना सिखाए.
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कांग्रेस का इतिहास वोटबैंक की राजनीति के आसपास ही घूमता है. कांग्रेस अपने राजधर्म के आईने में खुद का चेहरा देखे और देश के सद्भाव का भी ख्याल रखे.
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पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के विस्थापितों को, जिन्हें उनकी आस्थाओं के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है, उसको लेकर कांग्रेस की एक सोच रही है और इनके नेताओं ने बार-बार खुलकर इसपर स्टैंड लिया है.
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आखिर कांग्रेस का यह कौन सा राजधर्म है कि आज एक एक कर कांग्रेस के सभी नेता उक्त मुद्दे पर पलट गए?
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सोनिया गाँधी को इसका जवाब देना होगा की मनमोहन सिंह ने सदन में तत्कालीन गृहमंत्री श्री लालकृष्ण अडवाणी से जो आग्रह किया था क्या वह गलत था?
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क्या पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ने युगांडा और श्रीलंका के विस्थापितों को मदद दी थी, वह गलत था?
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अशोक गहलोत ने बार बार पत्र लिखकर पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को नागरिकता देने की मांग की थी, क्या वह गलत था?
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सोनिया जी आप रामलीला मैदान की अपनी टिप्पणियों को देखिए जहाँ आपने कहा था, 'इस पार और उस पार' का फैसला लेना है. इसका मतलब है संवैधानिक मर्यादा से अलग रास्ता अख्तियार करना. ये कौन सा राजधर्म है?
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आपने लोगों में उत्तेजना क्यों फैलाई जबकि नागरिकता संसोधन कानून को सदन से पारित कराने में पूरी संवैधानिक मर्यादाओं का पालन किया गया था.
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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कहती हैं, ‘चुप रहेंगे तो बाबा साहब का संविधान बर्बाद हो जाएगा.' बार बार हारी कांग्रेस के नेता ऐसी बयानबाजी से जनता को उकसाएगी तो कांग्रेस ही बताये कि आखिर उत्तेजना का माहौल किसने बनाया?
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15 मार्च 2010 का एनपीआर का नोटिस सार्वजनिक है और उस समय पी. चिदंबरम गृह मंत्री थे. एनपीआर भाजपा ने नहीं शुरू किया न ही हमारे घोषणापत्र का यह हिस्सा है। यह यूपीए सरकार का कानून है और यह अच्छी प्रक्रिया है। अच्छी योजना है, इसलिए इसे हम भी कर रहे हैं. आप करें तो ठीक, हम करें तो लोगों को उकसाया जाए? ये कौन सा राजधर्म है सोनिया जी?
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कांग्रेस पार्टी का स्वर गत दिसम्बर माह में जो ‘आर पार की लड़ाई’ का था, वही स्वर अभी भी है और उसका एकमात्र कारण है कांग्रेस पार्टी अपनी पराजय नहीं भूल पा रही.
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित किया और सोनिया गाँधी व कांग्रेस पार्टी को राजधर्म की नसीहत देते हुए तथ्यों के साथ जम कर हमला बोला।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के विस्थापितों को, जिन्हें उनकी आस्थाओं के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है, उसको लेकर कांग्रेस की एक सोच रही है और इनके नेताओं ने बार-बार खुलकर इसपर स्टैंड लिया है. पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ने क्रमशः युगांडा और श्रीलंका के विस्थापितों की मदद की थी. साल 2003 में विपक्ष में रहते हुए पूर्व प्रधानमन्त्री श्री मनमोहन सिंह ने तत्कालीन उप-प्रधानमंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी से सदन में आग्रह किया था कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आये विस्थापितों को नागरिकता देना भारत का नैतिक दायित्व है. राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संप्रग सरकार के तत्कालीन गृह मंत्री श्री लालकृष्ण अडवाणी और यूपीए सरकार में गृहमंत्री रह चुके श्री शिवराज पाटिल को भी समय समय पर पत्र लिखकर पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को नागरिकता देने की मांग कर चुके हैं. श्री प्रसाद ने सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर कांग्रेस का यह कौन सा राजधर्म है कि आज एक एक कर कांग्रेस के सभी नेता उक्त मुद्दे पर पलट गए? सोनिया गाँधी को इसका जवाब देना होगा की मनमोहन सिंह ने सदन में तत्कालीन गृहमंत्री श्री लालकृष्ण अडवाणी से जो आग्रह किया था, क्या वह गलत था? क्या पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी ने युगांडा और श्रीलंका के विस्थापितों को मदद दी थी, वह गलत था? अशोक गहलोत ने बार बार पत्र लिखकर पड़ोसी देशों से आने वाले अल्पसंख्यक हिंदुओं को नागरिकता देने की मांग की थी, क्या वह गलत था?
केंद्रीय मंत्री ने सीएए और आर्थिक मुद्दों पर दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित रैली में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गाँधी द्वारा दिए गए बयानों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सोनिया जी आप रामलीला मैदान की अपनी टिप्पणियों को देखिए जहाँ आपने कहा था, 'इस पार और उस पार' का फैसला लेना है. इसका मतलब है संवैधानिक मर्यादा से अलग रास्ता अख्तियार करना. ये कौन सा राजधर्म है? आपने लोगों में उत्तेजना क्यों फैलाई जबकि नागरिकता संसोधन कानून को सदन से पारित कराने में पूरी संवैधानिक मर्यादाओं का पालन किया गया था.
कानून मंत्री ने एनपीआर का जिक्र करते हुए कहा कि 15 मार्च 2010 का एनपीआर का नोटिस सार्वजनिक है और उस समय पी. चिदंबरम गृह मंत्री थे. एनपीआर भाजपा ने नहीं शुरू किया न ही हमारे घोषणापत्र का यह हिस्सा है। यह यूपीए सरकार का कानून है और यह अच्छी प्रक्रिया है। अच्छी योजना है, इसलिए इसे हम भी कर रहे हैं. आप करें तो ठीक, हम करें तो लोगों को उकसाया जाए? ये कौन सा राजधर्म है सोनिया जी, ये हम जानना चाहते हैं.
श्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए उनके भाषण का जिक्र करते हुए कहा, ‘चुप रहेंगे तो बाबा साहब का संविधान बर्बाद हो जाएगा.' श्री प्रसाद ने कहा कि बार बार हारी कांग्रेस के नेता ऐसी बयानबाजी से जनता को उकसाएगी तो कांग्रेस ही बताये कि आखिर उत्तेजना का माहौल किसने बनाया?
केंद्रीय मंत्री ने शाहीन बाग में जारी विरोध प्रदर्शन पर कहा कि शाहीन बाग में जब हिंसा के लिए लोगों को उकसाया जा रहा था तब कांग्रेस के नेता वहां गए थे. शाहीन बाग में प्रधानमंत्री के खिलाफ हिंसा के लिए बच्चों को भड़काया जा रहा है, लेकिन सोनिया गांधी उसपर चुप रहीं. कांग्रेस पार्टी ने ये भी कहने की जरुरत नहीं समझी कि हम इसका समर्थन नहीं करते हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी हमें राजधर्म ना सिखाए, कांग्रेस का इतिहास वोटबैंक की राजनीति के आसपास ही घूमता है. कांग्रेस अपने राजधर्म के आईने में खुद का चेहरा देखे और देश के सद्भाव का भी ख्याल रखे.
श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में फैली हिंसा के लिए शांति की अपील की है. देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह ने सर्वदलीय बैठकें की हैं. किसकी छत से तेज़ाब फेंका जा रहा था यह सबने देखा है. अभी शांति और सद्भाव का समय है लेकिन राजधर्म के नाम पर देश में उत्तेजना फ़ैलाने की कोशिश की जा रही है. ये समय शान्ति के लिए हाथ बढ़ने का है न कि उत्तेजना फ़ैलाने का लेकिन कांग्रेस पार्टी का स्वर गत दिसम्बर माह में जो ‘आर पार की लड़ाई’ का था, वही स्वर अभी भी है और उसका एकमात्र कारण है कांग्रेस पार्टी अपनी पराजय नहीं भूल पा रही.
(महेंद्र पांडेय)
कार्यालय सचिव
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