केंद्रीय मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले साढ़े नौ वर्षों के दौरान देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और समेटने में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। भारतीय संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली और आज योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
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भारत, विश्वभर में ज्ञान और विज्ञान के केंद्र के रूप में पहचाना जाता था लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड के दौरान भारत की प्रासंगिकता वैश्विक पटल पर कम होती गई। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारतीय संस्कृति को एक नए पुनर्जागरण के दौर में पहुंचाया है।
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कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों की सरकारों में गुलामी मानसिकता की पराकाष्ठा यह थी कि औपनिवेशिक काल में भारतीय संस्कृति को जितना नुकसान नहीं पहुंचा था, उससे कहीं ज्यादा नुकसान आजादी के बाद 65 वर्षों मे पहुंचाए गए।
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देश को आजाद करने के लिए ऐसे लाखों गुमनाम योद्धा थे, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिए। लेकिन, इतिहास के पन्नों में उन्हें भुला दिए गए, या सुनियोजित रूप से भुलाए गए थे।
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दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आजादी के अमृतकाल में आजादी के गुमनाम योद्धाओं की पहचान करके सम्मानित किये गए। नई पीढ़ी को स्थानीय स्तर पर भी उनसे प्रेरणा लेने का सौभाग्यपूर्ण अवसर मिला।
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आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है तथा 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भी होने वाली है।
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आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों के चलते वर्ष 2014 से अब तक, भारत की कई सांस्कृतिक धरोहरों को यूनेस्को द्वारा प्रमाणित किया गया है और 344 से ज्यादा ऐतिहासिक धरोहरों को वापस भारत लाया गया है।
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से भारत की धरती से उपजा हुआ योग एक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में पहचान बनाने साथ-साथ लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बना है।
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आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक, गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर, चारधाम का कायाकल्प कर, भारत को सांस्कृतिक-आध्यात्मिक रूप से एक बार फिर विश्वपटल पर पहुंचाया गया है।
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मोदी सरकार में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, वार मेमोरियल, भगवान बिरसा मुंडा म्यूजियम और केदारनाथ पुनर्विकास हुआ, विभिन्न धर्मों के अनेक धर्मस्थलों के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केन्द्रों का भी पुनरुद्धार किया गया।
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माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में महिलाओं के सम्मान को बढ़ाने तथा उनकी क्षमताओं के संवर्धन की दृष्टि से अनेकों योजनाओं को सफलतापूर्वक धरातल पर उतारा गया है।
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखवात ने बृहस्पतिवार को अपने आवास पर आयोजित प्रेसवार्ता में पिछले साढ़े नौ वर्षों के दौरान भारतीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और एतिहासिक गौरव की पुनर्स्थापित होने का जिक्र करते हुए कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले साढ़े नौ वर्षों के दौरान देश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और समेटने में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। भारतीय संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली और योग को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। जबकि, आजादी के बाद 65 वर्षों तक देश में चली सरकारें औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रसित थी और सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को सहेजने के लिए जो आवश्यक कदम उठाने चाहिए थे, वो नहीं उठाए गए।
कांग्रेस और विपक्ष की सरकारों पर निशाना साधते हुए श्री शेखावत ने कहा कि कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों की सरकारों में गुलामी मानसिकता की पराकाष्ठा यह थी कि औपनिवेशिक काल में भारतीय संस्कृति को जितना नुकसान नहीं पहुंचा था, उससे कहीं ज्यादा नुकसान आजादी के बाद 65 वर्षों मे पहुंचाए गए। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से भारत ज्ञान-विज्ञान, कला-संस्कृति और अध्यात्म का केन्द्र रहा है, लेकिन औपनिवेशिक काल में विदेशी शासकों ने भारतीय संस्कृति को भारी नुकसान हुआ।
केन्द्रीय मंत्री श्री शेखावत ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों से चोरी या लूट कर ले गए ऐतिहासिक संपदाओं और धरोहरों को वापस देश लाने का काम तेजी से चल रहा है। 2014 से लेकर अबतक 344 से ज्यादा ऐतिहासिक धरोहरें भारत वापस लायी गईं हैं।
गुमनाम स्वतन्त्रता सेनानियों को याद करते हुए श्री शेखावत ने कहा कि देश को आजाद करने के लिए ऐसे लाखों गुमनाम योद्धा थे, जिन्होंने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिए। लेकिन, इतिहास के पन्नों में उन्हें भुला दिए गए, या सुनियोजित रूप से भुलाए गए थे। दूरदर्शी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आजादी के अमृतकाल में आजादी के गुमनाम योद्धाओं की पहचान करके सम्मानित किये गए। नई पीढ़ी को स्थानीय स्तर पर भी उनसे प्रेरणा लेने का सौभाग्यपूर्ण अवसर मिला। साथ ही, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी हुई विरासतों का भी पुनरुद्धार किये गए।
श्री शेखावत ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में महिलाओं की क्षमता संवर्धन और सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ-बेटी पढाओ अभियान से लेकर मातृ शक्ति के वंदन अधिनियम जैसी नीतियां व योजनाएं बनायी गयी और उसे सफलतापूर्वक धरातल पर उतारा गया।
श्री शेखावत ने कहा कि विदेशी अखबारों ने 16 मई 2014 को लिखा था कि इस दिन को भारत की दूसरी आजादी के दिवस के रूप में सदैव याद किया जाएगा, क्योंकि इससे पहले राजनीतिक पार्टियां और सरकारें ब्रिटिश उपनिवेश के प्रतीक बनी हुई थी। देश में पहली बार ऐसी सरकार बनी थी जो अपने उद्गम की प्रेरणा की चलते पूर्णतः भारतीय मानसिकता से ओतप्रोत है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारतीय संस्कृति का पुरोधा बनकर न केवल भारतीय संस्कृति और परंपरा का संरक्षण किया है बल्कि उन्होंने सांस्कृतिक राजदूत बन इसके पुनर्जागरण के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं। परिणामस्वरूप, वैश्विक पटल पर हिमालय जितनी ऊँची और समुद्र सी गहराई की तरह भारतीय संस्कृति फिर से पुनर्स्थापित हुई है।
श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि विश्व में जब किसी देश की आर्थिक शक्ति के साथ उसके संस्कृति और एतिहासिक विरासत को स्वीकारा जाता है, तब सही मायने में वैश्विक पटल पर उस देश को सम्मान और पहचान मिलाता है। दुनिया में ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म के केंद्र के रूप में भारत की पहचान थी, लेकिन गुलामी के लंबे कालखंड के दौरान भारत की प्रासंगिकता वैश्विक पटल पर कम हो गई। गुलामी के दौर में सुनियोजित ढंग से लोगों को मानसिक रूप से गुलाम बनाए गए और वे लोग पश्चिमी संस्कृति-सभ्यता को श्रेष्ठ मानने लगे थे। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनकल्याण और विकास के साथ भारतीय संस्कृति को नए पुनर्जागरण के दौर में पहुँचाया। आज देश के नई पीढ़ी में भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान बढ़ा है और वे अपने आप को भारतीय कहने में गर्व की अनुभूति करते हैं।
माननीय केन्द्रीय मंत्री जी ने कहा कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश को सांस्कृतिक उत्कर्ष पर पहुंचाने के लिए तीव्रता से कदम उठाए गए हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ‘विकास भी और विरासत भी’ की संकल्पना के चलते सांस्कृतिक पुनर्जागरण की दिशा में विलक्षण प्रयास किए हैं और उल्लेखनीय सफलताएं भी प्राप्त की हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय ज्ञान प्रणालियों, परंपराओं और सांस्कृतिक लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए जिस तरह की महत्ता प्रदान की है, उसका परिणाम आज विश्वपटल पर देखने को मिल रहा है।
श्री शेखावत ने कहा कि हमारे अपने संविधान की मूल प्रति में मौलिक अधिकारों के खंड पर भगवान श्री राम, माता सीता जी और लक्ष्मण जी का विजय के बाद अयोध्या लौटने का जो चित्र बना हुआ है वह इस बात के प्रमाण है कि मौलिक अधिकारों का प्रेरणा स्रोत भगवान श्री राम हैं। लेकिन, राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और तुष्टिकरण के कारण अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण कार्य में निरंतर रोका जा रहा था, जबकि भगवान श्रीराम मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रयास 500 वर्षों से चल रहा था। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ है तथा 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा भी होने वाली है। इसी तरह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के साथ आज काशी की छवि बदल गयी है और बनारस आज एक नई काशी के रूप में दिखने लगा है। काशी तमिल समागम को एक उत्सव की तरह मनाया गया। दुनियाभर से लोग भारत और उसकी आध्यात्मिक राजधानी काशी की सांस्कृतिक गहराई में डूब कर खुद को भाग्यशाली मानते हैं और इससे बनारस और आसपास के क्षेत्र की आर्थिक प्रगति को भी नए पंख मिल गए हैं।
केन्द्रीय मंत्री जी ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में सोमनाथ मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक, गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर, ओडिशा में जगन्नाथ मंदिर, चारधाम का कायाकल्प करने और इसी दृष्टिकोण से भारत को सांस्कृतिक-आध्यात्मिक रूप से एक बार फिर विश्वपटल पर ले जाने में सफलता प्राप्त हुई है। साथ ही, गुजरात के महेसाणा में चालुक्य काल में बनाए गए सूर्यमंदिर का पुनरुद्धार हुआ है, पुणे में तुकाराम महाराज मंदिर, गुजरात में कालिका माता मंदिर जैसे अनेक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्रों के पुनरुद्धार पर भी सरकार ने सफलतापूर्वक काम किया है। देश के आजादी के समय हुए अप्राकृतिक विभाजन के चलते जो करतारपुर साहिब सीमा के उस पार रह गए थे। वहीं, आज पवित्र गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का द्वार खुला है जिससे करोड़ों सिखों की आस्था को पूरा करने के लिए सौभाग्यपूर्ण अवसर मिला। अपने धर्म की रक्षा करने के लिए सिखों के 10वें गुरु, श्री गुरु गोविंद सिंह के बेटों ने खुद को दीवार में चिनवाया जाना स्वीकार किया था, उन वीर बालकों के बलिदान को स्थायी रूप से सम्मान देते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाया जाने लगा।
श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि अभी हाल में बनी संसद की नई इमारत में भी भारत के स्वर्ण युग की यादों को वापस एक बार लोगों के मानसपटल पर अंकित किया है। सांस्कृतिक पुनरुद्धार के दौर में सभी धर्म के आस्था के केंद्रों के पुनरुद्धार पर सरकार काम कर रही है। हिमालयी संस्कृति और बौद्ध संस्कृति की विरासत का संरक्षण करना भी सरकार के प्रयासों में आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में विशेष रूप से शामिल रहा है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में शुरू हुई इस स्वदेश दर्शन योजना के रूप में सरकार ने विविध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाने वाले ऐसे 76 से ज्यादा सर्किट का निर्माण किया है और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का आह्वान है कि पहले हम देश दर्शन करें और उसके बाद विदेश दर्शन करें। विदेश में भी भारतीय मंदिरों के पुनरुद्धार और नए मंदिरों का निर्माण भारत की संस्कृति के एक प्रतीक के रूप में देखने को मिल रहे हैं और उसका मार्ग भी आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आज प्रशस्त हुआ है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री शेखावत ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में गंगा नदी के शुद्धिकरण को लेकर सफल अभियान चलाया गया । गंगा केवल धार्मिक महत्ता नहीं, अपितु उसकी सांस्कृतिक महत्ता है। गंगा किनारे विकसित हुए सांस्कृतिक केंद्रों को विश्व पटल पर लाने, ज्ञान गंगा और अर्थ गंगा के रूप में गंगा को स्थापित करने के महत्वपूर्ण कदम उठए गए हैं। इंडियन कल्चर के पोर्टल की शुरुआत ‘नमामि’ के नाम से की गई, उस पोर्टल के माध्यम से प्राचीन ज्ञान से जुड़ी भारतीय पांडुलिपियां आज सहज रूप से शोधकर्ताओं के पास उपलब्ध है। संस्कृति और सांस्कृतिक जड़ों के साथ जुड़ाव के चलते आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पिछले 9 वर्षों में अनेक बार सीमावर्ती क्षेत्रों, केदारनाथ, बोरा एवं अन्य संप्रदायों के धार्मिक केंद्रों की यात्राएं की और भारत की विविध संस्कृतियों के पुनरुद्धार की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति के लिए कदम उठाए।
श्री शेखावत ने कहा कि भारतीय ज्ञान-विज्ञान तथा भारतीय विधाओं का सम्मानपूर्वक विश्वपटल पर पुनर्स्थापित हुआ है। भारत की धरती से उपजा हुआ योग को यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रेरणा और प्रयासों से एक वैश्विक कार्यक्रम के रूप में पहचान मिली और लोगों के जीवन का अभिन्न अंग बना है। भारत की संस्कृति, जैविक कृषि, आयुर्वेद का ज्ञान और विज्ञान, देसी गौवंश की महत्वता, मोटा अनाज जिसे माननीय प्रधानमंत्री ने श्रीअन्न का नाम दिया, इन सबका पहचान और सम्मान भारत के सांस्कृतिक वैविध्य और शक्ति की पहचान के रूप में पूरे विश्व में स्पष्ट होने लगी है। उन्होंने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने विदेश में बसे भारतीय प्रवासियों सांस्कृतिक राजदूत बनने की प्रेरणा दी और आह्वान किया कि भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति को विश्व पटल पर ले जाएं और भारत के साथ जुड़े। भारत के प्रवासियों जो देश से बाहर अपने अर्थोपार्जन की दृष्टि से गए हैं, उनके मन में भी भारत के प्रति एक नए सम्मान का सृजन हुआ है।
भाजपा सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयासों के चलते वर्ष 2014 से अब तक, भारत की कई सांस्कृतिक धरोहरों को यूनेस्को द्वारा प्रमाणित किया गया है और आइजीसी टैग दिया गया है। ये प्रमाणन और भारत की संस्कृति को विश्वभर में पहचाने जाना, भारतीय सांस्कृतिक विरासत के पुनरुद्धार की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर बना, श्री राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ, भारत की आजादी की लड़ाई के क्रांतिकारी एवं देश की रक्षा, एकता और संप्रभुता के लिए अपना जीवन बलिदान देने वाले सैनिकों के सम्मान में वार मेमोरियल का निर्माण हुआ, भगवान बिरसा के मुंडा को सम्मान प्रदान करते हुए रांची में भगवान बिरसा मुंडा म्यूजियम का निर्माण हुआ, केदारनाथ पुनर्विकास और आपदा के कारण क्षतिग्रस्त मार्गों के पुनरुद्धार की दिशा में अभूतपूर्व काम हुआ है। इसके अलावा अलग धर्मों के अनेक धर्मस्थलों के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक केन्द्रों के पुनरुद्धार के साथ नए सर्किट बनाकर पर्यटन के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व कार्य किया गया है।
श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत विकास के नए आयाम तय करते हुए विकसित होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, आर्थिक दृष्टि से प्रगति करते हुए आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है, अर्थव्यवस्था में 11वें से पांचवें स्थान पर पहुंचा और तीसरे स्थान की ओर ठोस कदम के साथ आगे बढ़ रहा है। भारत सामरिक साजो सामान को स्वदेशी बनाते हुए विश्व के एक नए सामरिक शक्ति केंद्र के रूप में उभर रहा है और देश आज आर्थिक सामरिक शक्ति के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत को सहेजते हुए ज्ञान-विज्ञान और संस्कृति के केंद्र के रूप में पूरे विश्व में अपनी पहचान स्थापित कर रहा है।
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