Salient points of press conference of Senior BJP Leader Shri Ravi Shankar Prasad.


by Shri Ravi Shankar Prasad -
14-09-2022
Press Release

 

 

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद की प्रेसवार्ता के मुख्यबिन्दु

 

एक ओर पश्चिम बंगाल की सरहद के बाहर ममता बनर्जी लोकतंत्र बचाने की दुहाई देती रहती हैं, लेकिन अपने ही प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन में सारी हदें पार कर जाती हैं, जो उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है.

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कल कोलकाता में, भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओ के ‘नबान्न चलो’ मार्च पर हुए बर्बरतापूर्ण पुलिसिया अत्याचार पूर्वाग्रह और दमन की पराकाष्ठा है.

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पश्चिम बंगाल कभी बौद्धिक और सांस्कृतिक परंपरा के लिए चर्चित था, लेकिन आज ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल कानून विहीन और भ्रष्टाचारियों का प्रदेश बन चुका है।

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आज तृणमूल कांग्रेस के मंत्री एवं नेता भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार कर चुके हैं। ममता बनर्जी के पूर्व मंत्री के परिचितों के घर से 60-70 करोड़ रुपए नगद पकड़े गए और उनकी गिरफ्तार भी हुई। पश्चिम बंगाल में निरंतर ईडी की कार्रवाई हो रही है। केन्द्रीय जांच एजेंसियों के पास सबूत होने के कारण इन भ्रष्टाचारियों को अदालत से राहत भी नहीं मिल पा रही है।

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टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी मॉं-माटी-मनुष और सुशासन की बात करती हैं, किन्तु दूसरी ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने वाले भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं की पिटाई करवाती हैं।

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भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष, प्रदेश अध्यक्ष सुवेन्दु अधिकारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा, सांसद लॉकेट चटर्जी सहित भाजपा के सांसद, विधायक एवं भाजपा के अन्य कार्यकर्त्ता लोकतांत्रिक तरीके से आन्दोलन करते हैं, तो ममता बनर्जी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस से लाठी-डंडे बरसाती हैं और गिरफ्तार कराती हैं।

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ममता बनर्जी पहले कांग्रेस में थीं. कांग्रेस नेत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था तो उनका क्या हश्र हुआ था, इसे नहीं भूलना चाहिए। ममता बनर्जी ने सीपीएम की सरकार में खुद पुलिस अत्याचार भोगा है और पुलिस अत्याचार के शिकार कार्यकर्त्ताओं की याद में कार्यक्रम भी करती हैं।

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ममता बनर्जी भाजपा के नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर आज वही पुलिस अत्याचार दोहरा रही हैं, ऐसा क्यों? क्या तृणमूल कांग्रेस में उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गयी है? तृणमूल कांग्रेस के भीतर आंतरिक कलह को डायवर्ट करने के लिए भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर पुलिसिया अत्याचार कराया जा रहा है।

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ममता बनर्जी याद रखें कि उनके द्वारा भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर जितना पुलिस अत्याचार कराया जायेगा, भाजपा उतना ही आगे बढ़ेगा।

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देश में आपाताकाल लगाने के बाद तत्कालीन कांग्रेस नेत्री एवं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को रोकने की जितनी भी कोशिश की थीं, जयप्रकाश नारायण का कारवां उतना ही आगे बढ़ता चला गया। जेपी के कारवां को इंदिरा गाँधी रोक नहीं पायी थीं।

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ममता बनर्जी ने अब तक भाजपा के कारवां को रोकने की बहुत कोशिश की है। पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस साफ हो गए, किन्तु पश्चिम बंगाल विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी के 77 विधायक पहुंच गए। इसलिए ममता बनर्जी को ध्यान रखना चाहिए कि वे भाजपा के कारवां की प्रवाह को रोकने की कोशिश न करें। ममता बनर्जी भाजपा को जितना रोकने की कोशिश करेंगी, भाजपा की कारवां उतना ही आगे बढ़ेगा।

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भारतीय जनता पार्टी अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद दिलीप घोष, पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष सुवेन्दु अधिकारी, सांसद लॉकेट चटर्जी, सहित भाजपा के सभी सांसद, विधायक एवं कार्यकर्त्ताओं को लोकतंत्रिक अधिकारों के प्रति संघर्ष करने के लिए अभिनंदन करती है। ममता बनर्जी द्वारा पुलिस अत्याचार कराने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन अनवरत चलता रहेगा।

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तृणमूल का मतलब होता है जो “मूल” अर्थात “जड़” से जुड़ा हो, किन्तु ममता बनर्जी अब “मूल” अर्थात “जड़” से ही कट गई हैं।

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सवाल यह भी उठता है कि लोकतंत्र की बात करने वाले बड़े-बडे तथाकथित चिंतक, तथाकथित बुद्धिजीवी और मानवाधिकार के तथाकथित पैरोकार आज कहां हैं? भाजपा के विरोध में याचिका देने वाले रिटायर्ड नौकरशाह आज कहां हाँ?

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बिहार के बेगूसराय में बाइक सवार गोली चलाते हुए 30  किलोमीटर तक चले जाते हैं, जिससे एक की मौत और 12 लोग घायल हो जाते हैं। पटना में थाने के अन्दर डीएसपी पिट जाता है। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र और नीतीश सरकार के एक मंत्री कह रहे हैं कि बिहार में नई सरकार चोरों की है और मैं उसका सरगना हूं।

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नए दोस्तों की संगत में आने के बाद सुशासन बाबू अर्थात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्या हो गया है? नए मित्रों के साथ आने के बाद सुशासन बाबू को क्या-क्या पदवी मिल रही है? सुशासन बाबू इन सब पर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं।  नीतीश कुमार पर हमला हो रहा है, किन्तु “सुशासन बाबू” चुप हैं।

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भारतीय जनता पार्टी ने बार-बार इस बात को उठाया है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की राज आएगी, तो खौफ और कुशासन बढ़ेगा, क्योंकि माफिया, अपराधियों और भ्रष्टाचारियो की बुनियाद पर ही आरजेडी खड़ी है। बिहार में नीतीश कुमार के सुशासन की यह हालात है कि नीतीश कैबिनेट से कानून मंत्री ने इस्तीफा दे दिए और इस्तीफा देने वाले पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह कानून से अभी तक फरार हैं।

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नीतीश जी दिल्ली आकर सुशासन बाबू का स्वांग रचना बन्द करें और पहले बिहार में सुशासन एवं कानून का राज स्थापित करें क्योंकि बिहार में जदयू-राजद की सरकार कितने दिन चलेगी, यह कहना मुश्किल है।

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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने आज केन्द्रीय कार्यालय में एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया. उन्होंने कल कोलकाता में, भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओ के ‘नबान्न चलो’ मार्च पर हुए बर्बरतापूर्ण पुलिसिया अत्याचार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि यह पूर्वाग्रह और दमन की पराकाष्ठा है. एक ओर पश्चिम बंगाल की सरहद के बाहर ममता जी लोकतंत्र बचाने की दुहाई देती रहती हैं, लेकिन अपने ही प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन में सारी हदें पार कर जाती हैं, जो उनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है.  साथ ही, उन्होंने बिहार बेगूसराय गोली कांड को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नसीहत देते हुए कहा कि वे अपने दिल्ली के चक्कर छोड़कर पहले बिहार को संभालें। 

 

श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पश्चिम बंगाल कभी बौद्धिक और सांस्कृतिक परंपरा के लिए चर्चित था, लेकिन आज ममता बनर्जी के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल कानून विहीन और भ्रष्टाचारियों का प्रदेश बन चुका है। आज तृणमूल कांग्रेस के मंत्री एवं नेता भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार कर चुके हैं। ममता बनर्जी के पूर्व मंत्री के परिचितों के घर से 60-70 करोड़ रुपए नगद पकड़े गए और उनकी गिरफ्तार भी हुई। पश्चिम बंगाल में निरंतर ईडी की कार्रवाई हो रही है। केन्द्रीय जांच एजेंसियों के पास सबूत होने के कारण इन भ्रष्टाचारियों को अदालत से राहत भी नहीं मिल पा रही है।

 

टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी मॉं-माटी-मनुष और सुशासन की बात करती हैं, किन्तु दूसरी ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने वाले भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं की पिटाई करवाती हैं। ममता बनर्जी सरकार ने भारतीय जनता पार्टी द्वारा पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन को कुचलने की पूरी कोशिश की। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष, प्रदेश अध्यक्ष सुवेन्दु अधिकारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा, सांसद लॉकेट चटर्जी सहित भाजपा के सांसद, विधायक एवं भाजपा के अन्य कार्यकर्त्ता लोकतांत्रिक तरीके से आन्दोलन करते हैं, तो ममता बनर्जी प्रदर्शनकारियों पर पुलिस से लाठी-डंडे बरसाती हैं और गिरफ्तार कराती हैं।

 

ममता बनर्जी पहले कांग्रेस में थीं. कांग्रेस नेत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था तो उनका क्या हश्र हुआ था, इसे नहीं भूलना चाहिए। ममता बनर्जी ने सीपीएम की सरकार में खुद पुलिस अत्याचार भोगा है और पुलिस अत्याचार के शिकार सात कार्यकर्त्ताओं की याद में कार्यक्रम भी करती हैं। ममता बनर्जी भाजपा के नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर आज वही पुलिस अत्याचार दोहरा रही हैं, ऐसा क्यों? क्या तृणमूल कांग्रेस में उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू हो गयी है? तृणमूल कांग्रेस के भीतर आंतरिक कलह को डायवर्ट करने के लिए भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर पुलिसिया अत्याचार कराया जा रहा है।

 

ममता बनर्जी याद रखें कि उनके द्वारा भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्त्ताओं पर जितना पुलिस अत्याचार कराया जायेगा, भाजपा उतना ही आगे बढ़ेगा। देश में आपाताकाल लगाने के बाद तत्कालीन कांग्रेस नेत्री एवं प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण को रोकने की जितनी भी कोशिश की थीं, जयप्रकाश नारायण का कारवां उतना ही आगे बढ़ता चला गया। जेपी के कारवां को इंदिरा गाँधी रोक नहीं पायी थीं।

 

ममता बनर्जी ने अब तक भाजपा के कारवां को रोकने की बहुत कोशिश की है। पश्चिम बंगाल में लेफ्ट और कांग्रेस साफ हो गए, किन्तु पश्चिम बंगाल विधान सभा में भारतीय जनता पार्टी के 77 विधायक पहुंच गए। इसलिए ममता बनर्जी को ध्यान रखना चाहिए कि वे भाजपा के कारवां की प्रवाह को रोकने की कोशिश न करें। ममता बनर्जी भाजपा को जितना रोकने की कोशिश करेंगी, भाजपा की कारवां उतना ही आगे बढ़ेगा।

 

भारतीय जनता पार्टी अपने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं सांसद दिलीप घोष, पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष सुवेन्दु अधिकारी, सांसद लॉकेट चटर्जी, सहित भाजपा के सभी सांसद, विधायक एवं कार्यकर्त्ताओं को लोकतंत्रिक अधिकारों के प्रति संघर्ष करने के लिए अभिनंदन करती है। भाजपा के आंदोलन में हावड़ा ब्रिज बंद हो गया, यह कोलकाता के इतिहास में बहुत बड़ी घटना है। इस आंदोलन में एक हजार से ज्यादा भाजपा कार्यकर्त्ता घायल हुए जिसमें 400 से अधिक कार्यकर्त्ताओं का इलाज कराकर घर भेज दिया गया है। भारतीय जनता पार्टी के 30 कार्यकर्त्ता अभी भी अस्पताल में इलाज करा रहे हैं, जिनमें से कई गंभीर रूप से घायल हैं। ममता बनर्जी द्वारा पुलिस अत्याचार कराने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन अनवरत चलता रहेगा।

 

तृणमूल का मतलब होता है जो “मूल” अर्थात “जड़” से जुड़ा हो, किन्तु ममता बनर्जी अब “मूल” अर्थात “जड़” से ही कट गई हैं। सवाल यह भी उठता है कि लोकतंत्र की बात करने वाले बड़े-बडे तथाकथित चिंतक, तथाकथित बुद्धिजीवी और मानवाधिकार के तथाकथित पैरोकार आज कहां हैं? भाजपा के विरोध में याचिका देने वाले रिटायर्ड नौकरशाह आज कहां हाँ?

 

पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल पूछा कि बेगुसराय में क्या हो रहा है? बेगुसराय में बाइक सवार गोली चलाते हुए 30  किलोमीटर तक चले जाते हैं, जिससे एक की मौत और 12 लोग घायल हो जाते हैं। पटना में थाने के अन्दर डीएसपी पिट जाता है। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र और नीतीश सरकार के एक मंत्री कह रहे हैं कि बिहार में नई सरकार चोरों की है और मैं उसका सरगना हूं।

 

नए दोस्तों की संगत में आने के बाद सुशासन बाबू अर्थात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को क्या हो गया है? नए मित्रों के साथ आने के बाद सुशासन बाबू को क्या-क्या पदवी मिल रही है? सुशासन बाबू इन सब पर कुछ बोलने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं।  नीतीश कुमार पर हमला हो रहा है, किन्तु “सुशासन बाबू” चुप हैं।

 

भारतीय जनता पार्टी ने बार-बार इस बात को उठाया है कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की राज आएगी, तो खौफ और कुशासन बढ़ेगा, क्योंकि माफिया, अपराधियों और भ्रष्टाचारियो की बुनियाद पर ही आरजेडी खड़ी है। बिहार में नीतीश कुमार के सुशासन की यह हालात है कि नीतीश कैबिनेट से कानून मंत्री ने इस्तीफा दे दिए और इस्तीफा देने वाले पूर्व कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह कानून से अभी तक फरार हैं।

 

नीतीश जी दिल्ली आकर सुशासन बाबू का स्वांग रचना बन्द करें और पहले बिहार में सुशासन एवं कानून का राज स्थापित करें क्योंकि बिहार में जदयू-राजद की सरकार कितने दिन चलेगी, यह कहना मुश्किल है। नीतीश कुमार दिल्ली में बड़े-बड़े नेताओं से मिलकर गए, उसके बाद कांग्रेस एवं वामपंथी दलों के बीच तकरार शुरू हो गयी। हैदराबाद से केसीआर खुद की पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनाने में लग गए हैं। उधर, कांग्रेस पार्टी के सब-ऑर्डिनेट बनने के लिए टीएमसी तैयार नहीं।

 

 

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