Salient points of speech of Hon'ble BJP President Shri J.P. Nadda while releasing book "Smriti Sakshy Aviral Ganga" written on the life of Shri Ganga Prasad ji in Patna (Bihar)


by Shri Jagat Prakash Nadda -
31-07-2022

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी द्वारा सिक्किम के राज्यपाल आदरणीय श्री गंगा प्रसाद जी की जीवनी पर रचित पुस्तकस्मृति साक्ष्य: अविरल गंगाके लोकार्पण समारोह में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगत प्रकाश नड्डा जी ने आज बापू सभागार (गाँधी मैदान) पटना में सिक्किम के राज्यपाल आदरणीय श्री गंगा प्रसाद जी की जीवनी पर रचित पुस्तकस्मृति साक्ष्य: अविरल गंगा" का लोकार्पण किया और इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए आदरणीय श्री गंगा बाबू के जीवन ने प्रेरणा लेकर जीवन में आगे बढ़ने का आह्वान किया।

 

श्री नड्डा ने कहा कि आज मुझे आदरणीय गंगा बाबू जी की स्मृति पर लिखी पुस्तकस्मृति साक्ष्य: अविरल गंगा" का लोकार्पण करने का अवसर मिला है। मेरे बाल्यकाल से लेकर अब तक आदरणीय गंगा बाबू जी का का मुझ पर काफी प्रभाव पड़ा है। यह अवसर प्रदान के लिए सबसे पहले गंगा बाबू एवं उनके परिवार को अपने सभी साथियों की ओर से धन्यवाद देता हूं। ज्ञात हो कि आजादी के बाद स्वतंत्र भारत में राजनीतिक सामाजिक सांस्कृतिक परिवर्तनों व आपातकाल जैसी घटनाओं को समझने के लिए उनके सरमरणों व अनुभवों पर आधारित यह पुस्तक एक प्रामाणिक संदर्भ दस्तावेज है। गंगा बाबू एक कार्यकर्ता व जिम्मेदार पदाधिकारी के रूप में अपने कार्य-व्यवहार व अनुभवों को सहेज कर रखते रहे है। ऐसे में यह पुस्तक भविष्य के लिए भी एक प्रामाणिक दस्तावेज के रूप में उपयोगी होगी।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आदरणीय गंगा बाबू जी हमारे संगठन और सब लोगों के लिए एक जाना-पहचना नाम हैं। हमलोगों का मानना था कि विचारधारा की दृष्टि से कोई समस्या आ जाए तो गंगा बाबू जी से बात कर लो। जब किसी कार्य में कोई रास्ता नहीं निकले तो गंगा बाबू जी से बात कर लो। संगठन में कोई बड़ा काम करना हो तो गंगा बाबू जी से चर्चा कर लो। परिवार के बारे में कोई चर्चा करनी हो तो गंगा बाबू जी से चर्चा कर लो। यानी, हमारी सिर्फ राजनैतिक विचारधारा नहीं बल्कि संपूर्ण विचारधारा के लिए गंगा बाबू का आचरण, उनका कार्य, उनके विचार, उनकी सलाह काफी मायने रखती थी। हमारी विचारधारा का पर्यावाची नाम था गंगा बाबू। ऐसी महान विभूति से मैंने ही नहीं बल्कि लाखों कार्यकर्ताओं ने प्रेरणा ली है और अपने जीवन में आगे बढ़ें हैं।

 

श्री नड्डा ने कहा कि आदरणीय गंगा बाबू जी सरल स्वभाव, सादगी और सरलता के प्रतीक हैं। वे हम सबके श्रद्धा के केंद्र हैं। हम सबने विपरीत परिस्थितियों में भी पूरी तत्परता के साथ काम करना गंगा बाबू जी से ही सीखा है। यहां इस कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में विभिन्न वर्गों से लोग आये हैं, यह आदरणीय गंगा बाबू के चरित्र एवं व्यक्तित्व को दर्शाता है। यह बहुत कम देखा गया है कि एक समृद्ध परिवार विचारधारा से जुड़ जाए और वह भी ऐसी विचारधारा से जुड़ जाए जिसकी उस समय बहुत प्रतिष्ठा न हो। आज तो बहुत लोग भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ने आ जाएंगे क्योंकि लोगों को दिखता है कि यह विचारधारा यशस्वी है। लोगों को लगता है कि यही देश की पर्यावाची विचारधारा है। पर, विपरीत परिस्थितियों में भी अपने आप को उस विचारधारा से जोड़कर रखना, उस विचारधारा को संभालकर रखना और उस विचारधारा के ध्वज वाहक के रूप में बिना किसी स्वार्थ के काम करने का तरीका सीखना है तो यह आदरणीय गंगा बाबू जी से सीखा जा सकता है।

 

माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आज जो लोग चुनाव लड़ते हैं तो चुनाव के बाद कहते हैं मैंने 60 प्रतिशत वोट लिया तो कोई कहते हैं कि मुझे 50% वोट मिला। जब गंगा बाबू चुनाव लड़ते थे तब उस समय जीतने के लिए चुनाव नहीं लड़ते थे बल्कि विचारधारा के लिए चुनाव लड़ते थे, जन संघ के दीये को स्थापित करने के लिए चुनाव लड़ते थे। आपातकाल के दौरान गंगा बाबू का घरआर्यभवनइमरजेंसी के खिलाफ चल रहे गतिविधियों का केन्द्र था। इमरजेंसी के दौरान किसी को अपने घर पर निमंत्रित करना या बैठक करने का मतलब था अपने-आप को मुसीबत में डालना। इमरजेंसी के दौरान नेता का बैठक करने आदि की सारी व्यवस्था गांगा बाबू के घर पर होती था। इमरजेंसी के दौरान बीस-बीस लोगों को महीनों खाना खिलाने का काम आदरणीय गंगा बाबू जी की धर्मपत्नी कमला जी ने किया है। आदरणीया कमला जी इमरजेंसी के दौरान अनाज लाने की व्यवस्था करती थीं एवं अपने हाथों से खान बनाकर लोगों खिलाती थीं ताकि बाहर के लोगों को पता नहीं चल सके।

 

पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि भाजपा के सभी कार्यकर्ताओं को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए। इस पुस्तक को पढ़ने से मालूम चलेगा कि किन-किन लोगों ने पार्टी को खड़ा करने में कितना बड़ा योगदान दिया है।

 

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