संसदीय कार्य

'बेजुबानों को आवाज देने और इतिहास को फिर से लिखने' की तैयारी है यह चुनाव - श्री जेपी नड्डा जी


25-07-2022

श्री जे.पी. नड्डा राष्ट्रीय अध्यक्ष,

भारतीय जनता पार्टी

कुछ ही दिनों में हमारे गणतंत्र को नया राष्ट्रपति मिल जाएगा। इस वर्ष जब भारत आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी गौरवान्वित करती है। गौरव इस बात का कि विपरीत परिस्थितियों में भी अपने दम पर आगे बढ़ते हुए समाज के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने वाली एक महिला के इस देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने की उम्मीदें बंधी हैं। ऐसी महिला जो आदिवासी समुदाय से हैं और जो देश की करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा का असीम स्रोत हैं। उनका निर्वाचन भारतवर्ष में न केवल महिला सशक्तीकरण की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि देश की मातृशक्ति भी अनन्य जुड़ाव महसूस करेगी।
द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी कई अन्य कारणों से भी खास है। एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था में जहां दशकों से वंशवाद और परिवारवाद की राजनीति तथा पूंजीपतियों का बोलबाला रहा है वहां तो और भी अहम है। उनकी सार्वजनिक जीवन की यात्रा एक ताजा हवा के झोंके की तरह है जो देशवासियों की भारतीय जनतांत्रिक व्यवस्था में आस्था को और सुदृढ़ करती है। उन्होंने ओडिशा के सुदूर आदिवासी इलाके रायरंगपुर में एक शिक्षक के रूप में अपने जीवन शुरुआत की। जमीनी स्तर से सियासी शुरुआत करते हुए 1997 में उन्होंने निकाय चुनाव लड़ा और रायरंगपुर नगर पंचायत में पार्षद बनीं। तीन साल बाद, उन्होंने रायरंगपुर से विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक के रूप में वहां से दो बार विजयी हुईं। उन्हें 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा 147 विधायकों में से सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। इससे पता चलता है कि विधायक के रूप में उनका ट्रैक रेकॉर्ड असाधारण था। उन्होंने मंत्री के रूप में वाणिज्य, परिवहन, मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास जैसे महत्त्वपूर्ण विभागों को संभाला। उनका कार्यकाल विकासोन्मुखी, निष्कलंक और भ्रष्टाचार मुक्त रहा।
2015 में द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड की पहली महिला राज्यपाल के रूप में शपथ ली। वे किसी भी राज्य के राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने वाली ओडिशा की पहली आदिवासी महिला नेत्री भी रहीं। राज्यपाल के रूप में उनका झारखंड के इतिहास में छह साल का सबसे लंबा कार्यकाल रहा। उन्होंने राजभवन को जन आकांक्षाओं का जीवंत केंद्र बनाया और राज्य के विकास को आगे बढ़ाने के लिए तत्कालीन सरकार के साथ मिलकर शानदार काम किया। समय-समय पर अपूरणीय व्यक्तिगत त्रासदियों ने उनके जन-सेवा के संकल्प को बाधित करने की चेष्टा की लेकिन दुखों के पहाड़ को झेलते हुए भी उन्होंने सार्वजनिक जीवन में आदर्श के उच्चतम मानदंडों को स्थापित किया। दुख के झंझावातों ने उन्हें और भी अधिक मेहनत करने और दूसरों के जीवन में दुख को कम करने के लिए प्रेरित किया। जो भी उनके साथ किसी भी रूप में जुड़े हुए रहे हैं, उनका कहना है कि द्रौपदी मुर्मू जी की विनम्रता, जमीन से जुड़ा अहसास और दयालुता उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
बड़े स्तर पर, उनकी उम्मीदवारी 'न्यू इंडिया' की भावना को समाहित करती है। लोकतांत्रिक राष्ट्र केवल सरकारों और संस्थानों द्वारा नहीं बनाए जाते हैं, बल्कि वे हम सभी देश के नागरिकों द्वारा निर्मित होते हैं। पिछले आठ साल के दौरान यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की सबसे निर्णायक विशेषता रही है। जमीनी स्तर पर लोगों को सशक्त बनाने और दशकों से सत्ता पर काबिज कुछ लोगों के एकाधिकार को तोडऩे का हर संभव प्रयास किया गया है। हम इस भावना को सरकार की हर योजना में देखते हैं, जिसे हमारे प्रधानमंत्री 'संतृप्ति दृष्टिकोणÓ की संज्ञा देते हैं। आज समाज में यह भाव जागृत हुआ है कि साधारण पृष्ठभूमि से आने वाला व्यक्ति भी सभी चुनौतियों को पार कर शीर्ष पदों पर पहुंच सकता है। पहली आदिवासी राष्ट्रपति, पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति और पहली ओडिया राष्ट्रपति के रूप में उनका चुनाव हुआ तो यह एक तरह से समाज में चली आ रही कई बाधाओं को खत्म करेगा जिन्हें दशकों पहले ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था।
राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के पिछले दो उम्मीदवारों डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रामनाथ कोविंद ने इस देश को प्रेरणादायक और परिपक्व नेतृत्व प्रदान किया। उनके नेतृत्व ने विश्वपटल पर भारत को एक नए रूप में स्थापित किया। द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी 'बेजुबानों को आवाज देने और इतिहास को फिर से लिखने' की तैयारी है। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में, मेरी हर राजनीतिक पार्टी और हर राजनीतिक नेता से, निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य से और प्रत्येक भारतीय से यही अपील है कि वे सभी राजनीतिक मतभेदों को भुला कर ऊपर उठें अपनी अंतरात्मा की आवाज को सुनें और द्रौपदी मुर्मू जी की उम्मीदवारी का समर्थन करें। सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की हमारी अवधारणा को सदा-सदा के लिए प्रतिष्ठित करने हेतु यह हमारे इतिहास का सबसे गौरवशाली क्षण है और हमें इसे किसी भी कीमत पर चूकना नहीं चाहिए, क्योंकि यह 'जनता के राष्ट्रपति' का चुनाव है।

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