Hindi : Article "The Kleptocrat’s Club" by Hon'ble Union Minister, Shri Arun Jaitley on 05 Feb 2019


05-02-2019

शोषकों का क्लब

अरूण जेटली

अंग्रेजी का एक शब्द है, क्लिपटोक्रैट जिसका हिन्दी में अर्थ है, भ्रष्ट राजनीतिज्ञ जो जनता का शोषण करता है। सीबीआई द्वारा कोलकाता पुलिस चीफ को एक मामले में पूछताछ करने पर ममता बनर्जी की अतिरिक्त प्रतिक्रिया ने जनता के सामने निचार-विमर्श के कई मुद्दे रख दिए हैं। इसमें से सबसे महत्वपूर्ण है शोषकों का एक गिरोह (क्लेपटोक्रैट्स क्लब) जो भारत पर अब शासन करना चाहता है।

चिट फंड धोखाधड़ी और उसकी जां

पश्चिम बंगाल में चिट फंड का बड़ा घोटाला हुआ था और इसका पता 2013-14 में चला। इस मामले की जांच का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को सौंपा। अदालत ने इसकी जांच की निगरानी भी की। सीबीआई ने कुछ लोगों से पूछताछ भी की और कुछ को गिरफ्तार भी किया। कइयों को जो जमानत भी मिल गई। अगर किसी पुलिस अधिकारी को भी जांच के लिए बुलाया गया तो यह “सुपर इमरेजेंसी”, “संघीय ढांचे पर प्रहार” या “संस्थाओं का नाश” कैसे हो गया? मुख्य़ मंत्री के असम्मानजनक और गैरजिम्मेदाराना व्यवहार के पीछे उनकी क्या रणनीति है? आखिर सभी विपक्षी दलों को उनके धरने में शामिल होने के लिए बुलाने के पीछे क्या उद्देश्य है? यह सोचना कि उन्होंने ऐसा किसी पुलिस ऑफिसर की नियमित जांच के मामले में ऐसा किया है। दरअसल उन्होंने ऐसा इसलिए किया कि वह प्रधान मंत्री बनने का सपना देखने वाले अन्य विपक्षी दलों का ध्यान उस ओर से हटाकर भारत के विपक्ष का केन्द्र विन्दु बनना चाहती है। वह अपने भाषणों में प्रधान मंत्री मोदी पर हमला करती रहती है लेकिन उनकी रणनीति विपक्ष के कुछ सहयोगियों का ध्यान भटकाना है और विपक्ष का केन्द्र विन्दु बनना है।

क्या कोई प्रांत संघवाद पर प्रहार कर सकता है?

संघवाद कोई नारा नहीं है। यह केन्द्र-राज्य के बीच के संबंधों का संतुलन है। हमारे संविधान के ढांचे में साफ तौर पर केन्द्र और राज्यों के कार्यकलापों की व्याख्या करता है। इसमें किसी तरह का दोहराव संभव नहीं है। केन्द्र की कई एजेंसियां और संगठन राज्यों में वैधानिक जांच करती हैं। सोमवार को पश्च्म बंगाल में सीबीआई को निरंकुश तरीके से ताकत के ज़ोर पर रोका गया और उसके अधिकारियों को हिरासत में ले लिया गया। यह एक राज्य सरकार द्वारा संघवाद पर चोट का अद्भुत उदाहरण है। क्या इनकम टैक्स विभाग को राज्य सरकार टैक्स वसूली से रोका जा सकता है? क्या किसी राज्य में किसी आंतकवादी को पकड़ने गई एनआई की टीम को राज्य सरकार रोक सकती है? क्या ईडी को किसी तस्कर या मनी लॉन्डिरिंग में संलिप्त अपराधी को पकड़ने में राज्य सरकार को बाधा डालने का अधिकार है? इन सबका उत्तर है, नहीं। अगर ऐसा कोई मामला दिखता है तो यह मामला राज्य द्वारा संघवाद पर प्रहार है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा अधिकृत केन्द्रीय एजेंसी को किसी कार्य से रोकना संघवाद पर सीधा प्रहार है।

शोषकों का नया गिरोह (द न्यू क्लेप्टोक्रैट क्लब)

अवैध धन का पता लगाने में टेक्नोल़ॉजी एर महत्वपूर्ण औजार साबित हुआ है। अब लेन-देन का पता लगाना सरल हो गय़ा है औऱ उसके पदचिन्हों का भी पता चल जाता है। इसने सभी जांच एजेंसियों चाहे वे केन्द्र सरकार की हों या फिर राज्य सरकार की, भ्रष्टाचार सहित वित्तीय अपराधों का पता लगाने में सशक्त बनाया है।  

जब ममता बनर्जी ने धरने पर जाने का फैसला लिया तो उन्हें कई विपक्षी दलों का समर्थन मिला। इन सभी में एक बात सामान्य है। ये सभी विपक्ष में हैं और सत्ता में आना चाहते हैं। इनमें से कइयों की जांच चल रही है, कइयों को सजा मिल गई है और कुछ भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं। बिहार में उनके सहयोगी सजायाफ्ताओं की पार्टी चला रहे हैं। आन्ध्र प्रदेश में उनके मित्र ठेकेदारों, और मनी लॉन्डरिंग की एक पार्टी चला रहे हैं। उत्तर प्रदेश में उनके दो मित्र भ्रष्टाचार के पुतले माने जाते हैं। दिल्ली सरकार में उनके अराजक मित्र को समय अब खत्म हो चला है क्योंकि उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों के घपलों का पचा चल रहा है।

हैरानी की बात है कि एआईसीसी के अध्यक्ष ने श्रद्धा घोटाले में पलटी मार दी है। उन्होंने जिसे पहले घोटाला बताया था, अब उसके सूत्रधार का कंधे से कंधा मिलाकर समर्थन कर दिया है। यह व्यक्ति कांग्रेस पार्टी के उस परिवार का है जिसके अधिकांश सदस्य जमानत पर बाहर हैं। यह कहा गया जा रहा है  कि विपक्ष गैरआदर्शवादी अस्थायी गठबंधन बनाने जा रहा है। भारत इस तरह के क्षणभंगुर गठबंधन को बर्दाश्त नहीं करेगा। यह भी कहा गया था कि अगले चुनाव में “मोदी बनाम अराजकता” के बीच चुनाव होगा। ममता बनर्जी की हाल की कूदफांद इस बात का प्रमाण है कि भारत का विपक्ष किस तरह का प्रशासन दे सकता है। लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जो लोग ममता बनर्जी का साथ दे रहे हैं वे संगीन आर्थिक आपराधिक मामलों तथा आपराधिक मामलों और यहां तक कि भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे पड़े हैं। क्या नया भारत इस तरह के शोषकों के गिरोह द्वारा चलाया जाएगा?   

 

 

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