भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी और दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी की संयुक्त प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
स्टिंग आपरेशन में दिल्ली शराब घोटाले पर जो बाते सामने आयी हैं, उस पर यही कहा जा सकता है कि प्रत्यक्षं किम् प्रमाणं। इसके बावजूद केजरीवाल सरकार मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है।
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उस स्टिंग ऑपरेशन में राशि और शराब कमीशन के प्रतिशत का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। यदि इसके उपरांत भी आम आदमी पार्टी इसे स्वीकार नही करती है तो यही कह सकते हैं कि कट्टर ईमानदार होने का दावा करने वालों का दागी किरदार अब जनता के सामने साफ हो गया है।
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केजरीवाल जी भारत के संवैधानिक पद पर बैठे हुए एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कहा था कि कोई भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला हो तो स्टिंग बना लीजिएगा, हम उसी पर एक्शन ले लेंगे।
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लेकिन आज वक्त के बदलाव के साथ उनके चरित्र में बदलाव आ गया है कि इतने बड़े प्रमाण के बाद भी अरविंद केजरीवाल पूरी निर्लज्ता के साथ उसे स्वीकार तो नहीं कर रहे हैं, बल्कि इधर- उधर भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।
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केजरीवाल जी की इसी अकर्मण्यता के कारण दिल्ली भाजपा के विधायकों ने कथित आबकारी नीति घोटाले की जांच कर रही सीबीआई को पत्र लिखकर मुद्दे से ध्यान भटकाने के सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के कथित प्रयासों को लेकर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
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भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मानना है कि या तो केजरीवाल जी इस स्टिंग ऑपरेशन में आए तथ्यों पर समुचित कार्रवाई करें या फिर सात वर्ष पूर्व दिए गए अपने बयान पर सार्वजनिक माफी मांग लें कि मेरा वो बयान अपरिवक्व और मन में विद्वेष रखने वाला बयान था। जैसे मैंने अपने अनेक स्टैंड बदले हैं और आज भी इसे बदल रहा हूं।
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शराब घोटाले से लोगों को भटकाने के लिए अरविंद केजरीवाल कभी महात्मा गांधी के समाधी राजघाट जाते हैं, तो कभी अपने मधुशाला का घोटाला अपनी पाठशाला के पीछे छिपाने का प्रयास करते हैं। केजरीवाल जी मुख्य मुद्दे पर जवाब देने से सदा बचते रहते हैं।
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अरविंद केजरीवाल ने अपनी लिखी पुस्तक ‘स्वराज’ में शराब ठेके बंद करने का जिक्र करते हुए लिखा है कि कहीं भी शराब के ठेके तभी खुलने चाहिए, जब उस क्षेत्र की 90 प्रतिशत महिलाएं अनुमति दे। उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है। क्या उनकी कही और लिखी बात पर भरोसा किया जा सकता है?
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यदि सदन में 90 प्रतिशत सदस्यों वाली पार्टी बिना पूछे ही विश्वास प्रस्ताव के लिए जाती है, तो यह दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के लोगों का विश्वास खो दिया है। यह दिखाता है कि उनके विशवास पर नहीं, बल्कि उनकी शाख पर संकट है।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी और दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आज एक संयुक्त प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली शराब घोटाले से संबंधित स्टिंग ऑपरेशन के तथ्यों के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा कि केजरीवाल जी को इस मामले में या तो कार्रवाई करनी चाहिए या फिर सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए क्योंकि उन्होंने लोगों को भ्रष्टाचार के सबूत के तौर पर स्टिंग वीडियो उपलब्ध कराने पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था।
केजरीवाल जी की इसी अकर्मण्यता के कारण दिल्ली भाजपा के विधायकों ने कथित आबकारी नीति घोटाले की जांच कर रही सीबीआई को पत्र लिखकर मुद्दे से ध्यान भटकाने के सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के कथित प्रयासों को लेकर आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है।
डॉ. सुधाशु त्रिवेदी ने कहा कि स्टिंग आपरेशन में दिल्ली शराब घोटाले पर जो बाते सामने आयी हैं, उस पर यही कहा जा सकता है कि प्रत्यक्षं किम् प्रमाणं। इसके बावजूद वह मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं। उस स्टिंग ऑपरेशन में राशि और शराब कमीशन के प्रतिशत का उल्लेख किया गया है। यदि इसके उपरांत भी आम आदमी पार्टी इसे स्वीकार नही करती है तो यही कह सकते हैं कि कट्टर ईमानदार होने का दावा करने वालों का दागी किरदार अब जनता के सामने साफ हो गया है। दिल्ली भाजपा के विधायकों को केजरीवाल सरकार की इस भटकाव की रणनीति और निकम्मेपन को देखते हुए संदेह है कि वह आबकारी नीति में हुईं अनियमितताओं की उचित जांच नहीं होने देगी।
डॉ त्रिवेदी ने केजरीवाल जी द्वारा स्टिंग को लेकर दिए गए उनके पुराने बयान की याद दिलाते हुए कहा कि केजरीवाल जी भारत के संवैधानिक पद पर बैठे हुए एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने कहा था कि कोई भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला हो तो स्टिंग बना लीजिएगा, हम उसी पर एक्शन ले लेंगे। लेकिन आज वक्त के बदलाव के साथ उनके चरित्र में बदलाव आ गया है कि इतने बड़े प्रमाण के बाद भी अरविंद केजरीवाल पूरी निर्लज्ता के साथ उसे स्वीकार तो नहीं कर रहे हैं, बल्कि इधर- उधर भटकाने का प्रयास कर रहे हैं।
इसलिए भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मानना है कि या तो केजरीवाल जी इस स्टिंग ऑपरेशन में आए तथ्यों पर समुचित कार्रवाई करें या फिर सात वर्ष पूर्व दिए गए अपने बयान पर सार्वजनिक माफी मांग लें कि मेरा वो बयान अपरिवक्व और मन में विद्वेष रखने वाला बयान था। जैसे मैंने अपने अनेक स्टैंड बदले हैं और आज भी इसे बदल रहा हूं।
शराब घोटाले से लोगों को भटकाने के लिए अरविंद केजरीवाल कभी महात्मा गांधी के समाधी राजघाट जाते हैं, तो कभी अपने मधुशाला का घोटाला अपनी पाठशाला के पीछे छिपाने का प्रयास करते हैं। केजरीवाल जी मुख्य मुद्दे पर जवाब देने से सदा बचते रहते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने अपनी लिखी पुस्तक ‘स्वराज’ में शराब ठेके बंद करने का जिक्र करते हुए लिखा है कि कहीं भी शराब के ठेके तभी खुलने चाहिए, जब उस क्षेत्र की 90 प्रतिशत महिलाएं अनुमति दे। उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है। क्या उनकी कही और लिखी बात पर भरोसा किया जा सकता है?
यदि सदन में 90 प्रतिशत सदस्यों वाली पार्टी बिना पूछे ही विश्वास प्रस्ताव के लिए जाती है, तो यह दर्शाता है कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के लोगों का विश्वास खो दिया है। यह दिखाता है कि उनके विशवास पर नहीं, बल्कि उनकी शाख पर संकट है।
राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ त्रिवेदी ने एक प्रश्न के जवाब में, कांग्रेस पार्टी की भारत जोड़ो यात्रा पर कहा कि भारत और भारतीयता के हर जोड़ने वाले तत्व को कांग्रेस ने लंबे समय तक अपने राजनीतिक फायदे के लिए तोड़ने का काम किया है, चाहे वे सत्ता में रहे हों या विपक्ष में । सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए कांग्रेस ने क्षेत्र, जाति, वर्ग धर्म, भाषा को लेकर समाज को तोड़ने का काम किया है।
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को निम्न पंक्तियों से बेहतर समझा जा सकता है कि-
तुमने बांटे गली-मोहल्ले, बांटे आंगन और गलियारे,
बांटे मंदिर और गुरूद्वारे, गांव-गांव में, खेत-खेत में
जात-पात की मेयाद बांट दी।
तुमने एक वोट की खातिर देश की हर बुनियाद बांट दी।
दूसरी ओर, दिल्ली विधानसभा नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा दिल्ली विधान सभा में शराब घोटाले पर सिर्फ एकबार चर्चा कराई गई, किन्तु उसमें भी भाजपा विधायकों के सवालों का उचित जवाब नहीं दिया गया। दिल्ली में 849 शराब ठेके हैं जिसमें 377 सरकारी ठेके और 262 प्राइवेट ठेके थे। दिल्ली में कितने शराब के ठेके हैं, इस सवाल पर उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली विधानसभा के सदन में कहा था कि 849 शराब ठेके हैं उसमें बदलाव नहीं किया गया है। जब उप मुख्यमंत्री सिसोदिया से सदन में पूछा गया कि क्या शराब के कमीशन 2 से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया? इस पर मनीश सिसोदिया ने कोई जबाव नहीं दिया। केजरीवाल सरकार शराब बेचने के समय निर्धारण में नियमों का उल्लंघन कर रही है। दिल्ली में रेस्तरां एवं बार में शराब पीने का समय रात्रि 11 बजे से बढ़ाकर 3 बजे तक कर दिया गया है, इसके लिए दिल्ली पुलिस से नो-अब्जेक्शन नहीं लिया गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि दिल्ली में 100 ऐसे वार्ड थे जहां शराब ठेके नहीं खुल सकते थे, लेकिन वहां भी शराब ठेके खोल दिए गए। दिल्ली विधानसभा सदन में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिय ने इसे स्वीकार भी किया। इसके बाद भी 300 शराब के ठेके रिहायशी या प्रतिबंधत जगहों पर खोल दी गयी।
दिल्ली में बिकने वाली शराब की गुणवत्ता की जांच सरकारी लैब में होती थी, किन्तु केजरीवाल सरकार ने शराब के ठेकेदारों को अपने निजी लैब में जांच करने की अनुमति दे दी। दिल्ली विधानसभा में ही केजरीवाल सरकार ने शराब पीने के तरीके सिखाने के लिए 5 संकुल खोलने की घोषणा की थी। दिल्ली में नए स्कूल नहीं खोलने के बदले शराब पीने के ढंग सिखाया जायेगा, आखिर ऐसा क्यों?
केजरीवाल सरकार ने दूकान, रेस्तरां, बार आदि को मिलाकर शराब बेचने का 1000 लाईसेंस दिए थे। किसी मकान के फर्स्ट फ्लोर में शराब “बार” और उसके उपर के फ्लोर पर डांस बार खोलने की भी अनुमति दे दी गयी। इन्होंने कहा कि नयी शराब नीति वर्ल्ड क्लास है इससे राजस्व बढ़कर 6,500 करोड़ रूप्ए से 10,000 करोड़ रुपये हो जाएंगे। वर्ल्ड क्लास शराब नीति थी, तो वापस क्यों लिया गया? स्टिंग ऑपरेशन में शराब के ठेकेदार स्वयं कह रहे हैं कि शराब का कमीशन 2 से बढ़कार 12 प्रतिशत किया गया, जिसका 6 प्रतिशत शराब ठेकेदारों के पास गया और शेष अरविन्द केजरीवाल या मनीष सिसोदिया की जेब में।
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