Salient points of the press conference of BJP National Spokesperson Dr. Sambit Patra (MP)


द्वारा श्री संबित पात्रा -
17-04-2025
Press Release

 

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं लोकसभा सांसद डॉ. संबित पात्रा की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु

 

नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़े “यंग इंडिया” द्वारा एजेएलकी बिल्डिंग्स का इस्तेमाल कर ₹18 करोड़ के बोगस डोनेशन लिए गए, ₹38 करोड़ का बोगस किराये कमाए गए और विज्ञापन के नाम पर ₹29 करोड़ लिए गए, जबकि कोई भी विज्ञापन देने वाला सामने नहीं आया।

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यंग इंडिया को जिन शेयरों का मालिकाना हक मिला था, वह भी बिना शेयरहोल्डर्स को बताए ट्रांसफर कर दिए गए थे।

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मां-बेटे समेत पूरा परिवार ही डाका डालने में लगा है। रॉबर्ट वाड्रा ने शिकोहपुर में ₹7.5 करोड़ की जमीन को 50 करोड़ रुपए में बेच दिया। राहुल-सोनिया ने नेशनल हेराल्ड में 5000 करोड़ रुपये  और रॉबर्ट वाड्रा ने 50 करोड़ रुपए का शिकोहपुर जमीन घपला किए।  

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यंग इंडिया के उद्घाटन के लिए 5 लाख रुपए जुटाए गए लेकिन यह पैसे कहां से आए, इसका कोई उत्तर नहीं है और कंपनी ने 50 लाख रुपए लेकर कांग्रेस के 90 करोड़ रुपए के कर्ज को चुका दिया गया।

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'एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड' को भारी नुकसान होने लगा और 2008 में अखबारों का प्रकाशन बंद होने के दौरान कंपनी पर ₹90 करोड़ का घाटा था

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कांग्रेस ने यंग इंडिया को लोन दिया लेकिन एक राजनीतिक दल द्वारा किसी दूसरी संस्था को कर्ज दिया जाना पूरी तरह से गलत है।

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यंग इंडिया द्वारा एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड की खरीद में आयकर विभाग ने पाया सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ₹414 करोड़ की कर चोरी की और 50 लाख रुपये देकर 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति हड़प ली और इस पर भी टैक्स नहीं दिया गया।

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ईडी ने कहा कि भले ही एजेएल की संपत्तियां वहीं खड़ी हैं, लेकिन उन संपत्तियों का इस्तेमाल अपराध से जुड़े पैसे को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए किया गया है।

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं लोकसभा सांसद डॉ. संबित पात्रा ने आज बृहस्पतिवार को भुवनेश्वर स्थित भाजपा ओडिशा प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए नेशनल हेराल्ड मामले से जुड़े कई नए तथ्यों का खुलासा किया और शिकोहपुर में रॉबर्ट वाड्रा द्वारा किए गए जमीन घोटाले को लेकर जमकर आलोचना की। डॉ. पात्रा ने खुलासा किया कि यंग इंडिया ने अपनी बिल्डिंग का प्रयोग बोगस चैरिटी, बोगस किराए और बोगस विज्ञापन प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि नेशनल हेराल्ड से जुड़ी खबरें देश के प्रमुख समाचार माध्यमों में प्रमुखता से प्रकाशित हो रही हैं। इस मामले में गांधी परिवार के दो प्रमुख सदस्यों सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नाम सामने आए हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नेशनल हेराल्ड प्रकरण में 15 अप्रैल को एक विस्तृत चार्जशीट दाखिल की। यह मामला पहले से न्यायिक प्रक्रिया में है और अब इसे नए तथ्यों और दस्तावेजों के आधार पर गहराई से जांचा और परखा जाएगा।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने सरल और स्पष्ट भाषा में इस मामले की तकनीकी बातों को प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह मामला धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत चल रहा है। यदि जांच और न्यायालय के माध्यम से यह आरोप सिद्ध हो जाते हैं, तो सोनिया और राहुल गांधी को अधिकतम 7 वर्ष तक की सजा हो सकती है। लेकिन देश के कानून के सामने सभी नागरिक समान हैं और कानून अपना कार्य निष्पक्ष रूप से करेगा। पार्टी यह भी आग्रह करती है कि जनता को इस मामले की सच्चाई और कानूनी प्रक्रिया की जानकारी पारदर्शी ढंग से दी जाए।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि यह कोई नया मामला नहीं है। इसकी शुरुआत लगभग 2012-13 में हुई थी। वर्ष 2014 में जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार सत्ता में आई, तब इस मामले की जांच और कार्रवाई को तेजी से आगे बढ़ाया गया। सन् 1937-38 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 'एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड' नामक एक कंपनी की स्थापना की, जो एक पब्लिशिंग हाउस था। इस कंपनी के अंतर्गत तीन प्रमुख समाचारपत्रों का प्रकाशन होता था—‘नेशनल हेराल्ड’ (अंग्रेजी में), ‘कौमी आवाज़’ (उर्दू में) औरनवजीवन’ (हिंदी में) इन समाचारपत्रों का प्रकाशन 'एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड' के माध्यम से किया गया था, जिसकी स्थापना 1937-38 में हुई थी। पंडित नेहरू ने स्वयं को इस कंपनी का मालिक नहीं बनाया, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले सेनानियों को इस कंपनी का शेयर होल्डर बनाया था। उन्होंने लगभग 5000 स्वतंत्रता सेनानियों को कंपनी का शेयर होल्डर बनाया था, जिससे यह संस्था एक व्यक्ति या परिवार की नहीं, बल्कि उन स्वतंत्रता सेनानियों की साझा संपत्ति बनी, जिन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया था। क्योंकि यह कंपनी कोई व्यापार या मुनाफा नहीं करती थी, इसलिए 1956 में इसे एक गैर-व्यावसायिक संस्था के रूप में दोबारा स्थापित किया गया। इसी वजह से देश के अलग-अलग राज्यों से रियायती दरों पर जमीन मांगी गई। उस समय पंडित नेहरू देश के प्रधानमंत्री थे और संस्था को देखते हुए कई राज्यों ने ₹1 या ₹2 प्रति वर्ग मीटर की बेहद कम दरों पर जमीन दे दी। इस तरह दिल्ली, मुंबई, लखनऊ जैसे बड़े शहरों में कंपनी की जमीनें मिलीं और वहां दफ्तर और भवन बनाए गए। दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित नेशनल हेराल्ड भवन इस संस्था की सबसे बड़ी संपत्ति है। देशभर में ऐसे लगभग 100 स्थान हैं जहाँ नेशनल हेराल्ड की संपत्तियां मौजूद हैं। समय के साथ कंपनी को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 'एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड' को भारी नुकसान होने लगा और अंततः वर्ष 2008 में अखबारों का प्रकाशन पूरी तरह बंद करना पड़ा। इस दौरान कंपनी पर लगभग ₹190 करोड़ का घाटा दर्ज हुआ और वह गंभीर वित्तीय संकट में गई।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि कंपनी पर जो कर्ज चढ़ा, उसका मुख्य कारण नियमित खर्च थे, जैसे कर्मचारियों को वेतन देना, भवनों की मरम्मत कराना और बिजली-पानी जैसे खर्च पूरे करना। इन चुनौतियों के बीच 'एसोसिएटेड जनरल लिमिटेड' के निदेशक मोतीलाल वोहरा ने सोचा कि इस कर्ज को कैसे चुकाया जाए। उस समय कंपनी पर लगभग ₹90 करोड़ का कर्ज था। इस स्थिति में मोतीलाल वोहरा ने कांग्रेस पार्टी से मदद मांगी। मोतीलाल वोहरा सोनिया गांधी और राहुल गांधी से आग्रह किया कि जिस संस्था की स्थापना स्वतंत्रता संग्राम की भावना से की गई थी, वह अब गहरे आर्थिक संकट में है, और इसे बचाने के लिए कांग्रेस से ऋण की आवश्यकता है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने उन्हें कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष से संपर्क करने को कहा। इसके बाद मोतीलाल वोहरा ने कांग्रेस के कोषाध्यक्ष से कर्ज लिया, लेकिन समय के साथ यह ऋण चुकाया नहीं जा सका।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि यह कहानी 2010 की है, जब कांग्रेस पार्टी से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेताओं ने एक नई कंपनी 'यंग इंडिया लिमिटेड' की स्थापना की। इस कंपनी के चार प्रमुख सदस्य थे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, ऑस्कर फर्नांडीस और मोतीलाल वोहरा। सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास यंग इंडिया लिमिटेड के 38-38 प्रतिशत शेयर थे, यानी दोनों के पास मिलाकर 76% हिस्सेदारी थी। इसी आधार पर यह स्पष्ट होता है कि यंग इंडिया लिमिटेड के वास्तविक नियंत्रण सोनिया गांधी और राहुल गांधी की प्रमुख भूमिका थी। कंपनी के उद्घाटन के लिए 5 लाख रुपये की पूंजी जुटाई गई थी, लेकिन यह पैसे कहां से आएं, इस पर चिंता थी। इस समस्या का समाधान करने के लिए सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने एक और कंपनी से 1 करोड़ रुपये का कर्ज लिया, और यह कर्ज उन्हें डोटेक्स इंडिया कंपनी से मिला था। 5 लाख रुपये के लिए 10 लाख रुपये का कर्ज लेने की वजह यह थी कि डोटेक्स कंपनी ने उन्हें यह कर्ज बिना किसी गारंटी के, एक प्रकार का उपहार स्वरूप दिया था।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि इसके बाद, यंग इंडिया ने मोतीलाल वोहरा से संपर्क किया और उन्हें एक प्रस्ताव दिया कि कांग्रेस पार्टी के 90 करोड़ रुपये के कर्ज को यंग इंडिया चुकाएगी, और इसके बदले में उन्हें 50 लाख रुपये दिए जाएंगे। मोतीलाल वोहरा ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले असोसिएटेड जनरल कंपनी के शेयर यंग इंडिया के नाम कर दिए। इस प्रकार, यंग इंडिया ने असोसिएटेड जनरल के सारे शेयर खरीद लिए और कांग्रेस पार्टी का कर्ज चुकाने का प्रस्ताव दिया। यह मामला एक कंपनी की शेयर होल्डिंग और प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ है। 50 लाख रुपये के निवेश से, यंग इंडिया ने 9.1% शेयर हासिल किए, जो असोसिएटेड जनरल लिमिटेड के मालिकाना हक को प्राप्त कर लिया। इस प्रॉपर्टी में दिल्ली, लखनऊ, मेरठ, भोपाल और अन्य प्रमुख स्थानों पर प्रॉपर्टी शामिल थी। इन सबके बाद यह प्रॉपर्टी यंग इंडिया के अधीन हो गई। इसके बाद, कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा ने कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई 90 करोड़ रुपये की ऋण माफी की घोषणा की।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि यह सवाल उठता है कि क्या एक राजनीतिक पार्टी किसी अन्य एंटिटी को लोन दे सकती है? कांग्रेस पार्टी ने यह लोन यंग इंडिया को दिया, जो एक राजनीतिक संगठन है और क्या इस तरह के लोन का माफ करना सही था? इसके बाद, आरोप लगाया गया कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने इस प्रॉपर्टी को 5000 करोड़ रुपये के मूल्य पर हड़प लिया। इसे एक तरह की "डकैती" बताया गया, जिसमें कांग्रेस के बड़े नेता शामिल थे।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि 15 अप्रैल को ईडी ने चार्जशीट फाइल की जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे का नाम लिया गया है। यह सभी लोग यंग इंडिया से जुड़े हुए हैं, और उनका नाम इस मामले में अभियुक्त के रूप में सामने आया है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में पीएमएलए के तहत विभिन्न सेक्शनों के अंतर्गत, सोनिया गांधी और राहुल गांधी का नाम शामिल किया है 2022 से 2025 के बीच में इस मामले में कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं। ईडी ने उनसे पूछताछ की, जिसके दौरान पूरी जानकारी सामने आई कि पैसा कहां छुपा हुआ था और किस प्रकार से लेन-देन हुआ। नेशनल असोसिएटेड जनरल लिमिटेड के एकमात्र कर्मचारी मल्लिकार्जुन खड़गे से भी पूछताछ की गई। जब यंग इंडिया ने असोसिएटेड जनरल लिमिटेड को खरीदा, तो उस समय यह देखा गया कि इतनी बड़ी संपत्ति को खरीदने के बाद टैक्स देना बनता था, लेकिन इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट ने पाया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने ₹414 करोड़ का टैक्स इवेजन किया है। 50 लाख रुपये देकर 5000 करोड़ रुपये की संपत्ति ली, लेकिन टैक्स नहीं दिया। ईडी ने 16 ऐसी लोकेशनों पर रेड की जो असोसिएटेड जनरल की संपत्तियों से संबंधित थीं, इसमें  कई महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए गए। इन दस्तावेजों से कई नई बातें सामने आईं। ईडी की चार्जशीट में यह उल्लेख किया गया है कि इन संपत्तियों को क्यों सील किया गया।

 

डॉ. पात्रा ने कहा कि ईडी कहती है कि इन संपत्तियों में अवैध तरीके से मनी लॉन्डरिंग हुई और इसके माध्यम से अपराध से जुड़े पैसे को सुरक्षित किया गया। कांग्रेस के नेता प्रेस कांफ्रेंस में यह दावा कर रहे हैं कि कोई संपत्ति बेची नहीं गई और न ही खरीदी गई, लेकिन ईडी ने कहा कि भले ही संपत्तियां वहीं खड़ी हैं, लेकिन उन संपत्तियों का इस्तेमाल अपराध से जुड़े पैसे को छिपाने और सुरक्षित रखने के लिए किया गया है। ईडी ने यह भी कहा कि इन संपत्तियों के माध्यम से लगभग ₹1000 करोड़ बनाए गए। ईडी ने इन संपत्तियों को सील कर दिया ताकि उन पैसों की हेराफेरी को रोका जा सके। इन बिल्डिंग्स के माध्यम से बोगस डोनेशन की बात भी सामने आई। ₹18 करोड़ के बोगस डोनेशन हुए, जबकि यंग इंडिया कंपनी एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन थी, यानी इससे कोई प्रॉफिट नहीं कमाया जाना था और ही रियल एस्टेट का काम किया जाना, बल्कि सिर्फ चैरिटी का काम किया जाना था। लेकिन जब उनके कागजों की जांच की गई, तो चैरिटी के नाम पर एक भी रुपया खर्च नहीं हुआ। सारा काम कमर्शियल था और यह जो ₹18 करोड़ का बोगस डोनेशन था, जब यह पता लगाने की कोशिश की गई कि डोनेशन किसने दिया, तो डोनर का कोई नाम नहीं मिला। बोगस एडवांस रेंट भी लिया गया। एक बिल्डिंग के लिए किसी ने ₹2 करोड़ प्रति महीना रेंट देने का कहा, रेंट तो आ रहा था लेकिन बिल्डिंग खाली थी। यंग इंडिया ने यह तरीका अपनाया और इससे ₹38 करोड़ कमाए जबकि बिल्डिंग में कोई कंपनी ही नहीं थी। बोगस एडवर्टाइजमेंट के नाम पर ₹29 करोड़ लिए गए लेकिन कोई भी एडवरटाइजमेंट देने वाला सामने नहीं आया। ईडी की जांच के बाद जब यह सब गोरखधंधा सामने आया। इसके बाद बहुत सारे सवाल उठे, यंग इंडिया को जिन शेयरों का मालिकाना हक मिला था, वह भी बिना शेयरहोल्डर्स को बताए ट्रांसफर कर दिए गए थे। यहां तक कि शांति भूषण और मार्कंडेय काटजू भी सवाल उठा रहे हैं कि बिना शेयरहोल्डर्स को बताए यह ट्रांसफर कैसे हुआ? यह पूरी तरह से एक गोरखधंधा था।

 

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. पात्रा ने कहा कि 2008 से 2011 तक यह मामला चला और डकैती की तरह यह सब हुआ। मां-बाप के साथ पूरा परिवार ही डाका डालने में लगा है। इस बीच रॉबर्ट वाड्रा का भी नाम सामने आया है। रॉबर्ट वाड्रा ने साढ़े तीन एकड़ जमीन शिकोहपुर में ₹7.5 करोड़ में खरीदी और तीन साल बाद उसे ₹50.8 करोड़ में डीएलएफ को बेच दिया, ₹7.5 करोड़ की जो जमीन खरीदी वो भी पैसा नहीं दिया गया था। डीएलएफ को बेचा गया और डीएलएफ के ही पैसे लेकर डीएलएफ को दे दिए गए। यह कैसे हुआ? क्या लैंड यूज चेंज किया गया था? क्या वहां कमर्शियल प्रॉपर्टी बनाने का लाइसेंस नहीं था? इसके बाद डीएलएफ ने रॉबर्ट वाड्रा के साथ 50 करोड़ रुपए की डील कर लैंड यूज को बदल दिया। राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने 5000 करोड़ और रॉबर्ट वाड्रा ने 50 करोड़ का घपला कर दियागांधी परिवार की यह सोच थी कि वे डाका डालते जाएंगे और भारत चुप रहेगा, लेकिन ऐसा अब नहीं होगा। वह समय अब बीत चुका है जब आप सत्ता में थे और सोचते थे कि यह देश आपकी निजी संपत्ति है। यह देश अब गरीबों का है, और जिसने गरीबों का पैसा लूटा है, वह अब सबसे बड़ा अपराधी है। उन्हें जेल जाना ही पड़ेगा।

 

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