
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया की प्रेसवार्ता के मुख्य बिन्दु
भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को चार दिनों में लाइसेंस मिल गया, जबकि अधिकारियों ने उसकी योग्यता पर सवाल उठाए थे। जिन अधिकारी ने डील पर आपत्ति जताई, उनके खिलाफ ही कांग्रेस ने कार्रवाई की।
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मात्र चार दिन में स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी को लाइसेंस जारी हो जाना बताता है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा ने सोनिया गांधी के निर्देश पर सत्ता का दुरुपयोग किया।
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कुछ लोग यह मान बैठे थे कि वे सिर्फ इसलिए भारत के कानून से ऊपर हैं क्योंकि उनके नाम के पीछे 'गांधी' लिखा हुआ है, लेकिन अब यह भ्रम टूट चुका है। पहले जो ‘नो फ्रिस्किंग’ लिस्ट में थे, अब ‘नो फ्रिल्स लिस्ट’ में आ गए हैं।
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जनता की गाढ़ी कमाई को जिस ‘नकली गांधी’ परिवार ने अपनी तिजोरी में भर लिया है, उसकी एक-एक पाई वसूल की जाएगी। यह मोदी सरकार का संकल्प है।
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हरियाणा के शिकोहपुर जमीन घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी द्वारा की गई डील में भारी मुनाफा हुआ। सात करोड़ रुपये में जमीन खरीदी गई और कुछ ही महीनों में 58 करोड़ रुपये में बेच दी गई। चार महीने में लगभग 700% का लाभ हुआ।
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जब ‘गांधी परिवार’ से इस बारे में सवाल पूछे जा रहे हैं, तो वे राजनीतिक द्वेष की बात कहकर बचना चाहते। लेकिन न्यायालयों ने उन्हें कोई राहत नहीं दी है।
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वाड्रा खुद को ‘मास लीडर’ बताते हैं, लेकिन जनता और किसानों की नजर में वे “भूमि घोटाले में शामिल एक भूमाफिया” हैं।
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एक समय था जब कांग्रेस के शासन में सीबीआई जैसी एजेंसी को ‘पिंजरे का तोता’ कहा जाता था। यह टिप्पणी भाजपा ने नहीं बल्कि स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने की थी, क्योंकि एजेंसी का रिमोट कंट्रोल ‘गांधी परिवार’ के पास होता था।
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सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए और जनता के सवालों का जवाब देनी चाहिए।
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री गौरव भाटिया ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए हरियाणा के शिकोहपुर जमीन घोटाले मामले में रॉबर्ट वाड्रा व कांग्रेस पार्टी की संलिप्तता को लेकर जमकर निशाना साधा। श्री भाटिया ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका गांधी से इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ने व जवाब देने की मांग की।
श्री भाटिया ने कहा कि देश की जनता समझ रही है कि एक ईमानदार सरकार की असली ताकत क्या होती है। भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार को खत्म करने और भ्रष्टाचारियों को जेल की सलाखों के पीछे भेजने के लिए प्रतिबद्ध है। अगर किसानों की जमीन छीनी गई है तो उसे वापस दिलाया जाएगा, जनता की गाढ़ी कमाई को जिस ‘नकली गांधी’ परिवार ने अपनी तिजोरी में भर लिया है, उसकी एक-एक पाई वसूल की जाएगी। यह आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार का संकल्प है। भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर चल रही है और भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे कठोर लड़ाई लड़ रही है।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि कुछ लोग यह मान बैठे थे कि वे सिर्फ इसलिए भारत के कानून से ऊपर हैं क्योंकि उनके नाम के पीछे 'गांधी' लिखा हुआ है, लेकिन अब यह भ्रम टूट चुका है। यह सफर कठिन जरूर रहा है, लेकिन यह सबके लिए आंखें खोलने वाला साबित हो रहा है। पहले जो ‘नो फ्रिस्किंग’ लिस्ट में थे, अब ‘नो फ्रिल्स लिस्ट’ में आ गए हैं। अब कोई भी वीआईपी नहीं है, जो भ्रष्टाचार करेगा उसके खिलाफ जांच एजेंसियां अपना काम करेंगी और यदि कोई भू-माफिया बनेगा तो कानून का फंदा उस तक जरूर पहुंचेगा। आज लगातार तीसरे दिन रॉबर्ट वाड्रा जिन्हें ‘भारत का जीजाजी’ बनाकर देश की जनता पर थोपा गया था, वो अब एक आम नागरिक की तरह ईडी के सामने कड़े सवालों का जवाब देने के लिए मजबूर हैं। रॉबर्ट वाड्रा अब ईडी को देखकर कांपते हैं और कह रहे हैं कि ‘तुमको देखा तो ये ख्याल आया, मोदी जी धूप, सोनिया घना साया।’ ऐसे लोगों के लिए सब कुछ आसान था, क्योंकि उन्हें कांग्रेस की सरकारों का पूरा संरक्षण मिला हुआ था और वे खुलेआम भ्रष्टाचार करते थे। सबसे अहम बात जो आज जनता को जाननी चाहिए कि हरियाणा के शिकोहपुर जमीन घोटाले के समय केंद्र में और हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी। हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे, इस घोटाले में जो जमीन के सौदे हुए, उन्हें जानना देश की जनता का अधिकार है।
श्री भाटिया ने कहा कि यह ऐसा सौदा है जिसमें चार महीने में 700% का लाभ हुआ। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटालिटी प्राइवेट लिमिटेड ने तीन एकड़ से ज्यादा की जमीन, सात करोड़ रुपये में खरीदी। यह जमीन ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड (ओएचपीपीएल) से खरीदी गई। यह जमीन जो खरीदी गई इसमें ओएचपीपीएल को पहले कोई भुगतान ही नहीं किया गया। आमतौर पर जो जमीन खरीदता है, वही स्टाम्प ड्यूटी देता है, लेकिन यहां मामला दामाद जी का था और सोनिया गांधी जी का दबाव था, तो स्टाम्प ड्यूटी भी ओएचपीपीएल ने दी। बाद में, भुगतान के लिए जो चेक दिया गया, वह भी सेल डीड के समय स्टाइलाइट कंपनी की ओर से नहीं था, बल्कि किसी और कंपनी से दिया गया। यह क्यों हुआ? क्या सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा इसका उत्तर देंगे?
राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि यह घोटाला यहीं खत्म नहीं हुआ, अब जो बात सामने आती है, वह सबसे अहम है, जो साफ तौर पर मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पद के दुरुपयोग और सोनिया गांधी व राहुल गांधी के निर्देशों पर की गई कार्रवाई को दर्शाती है। स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी नाम की कंपनी एक लाइसेंस के लिए आवेदन करती है। एक प्रार्थना पत्र दिया जाता है और केवल चार दिनों में, यह लाइसेंस रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दे दिया जाता है। देश की जनता को यह जानकर हैरानी होगी कि इस तरह का भ्रष्टाचार एक ऐसे परिवार से जुड़ा है, जो देश में हर कानून को तोड़ने से नहीं हिचकता है, क्योंकि उन्हें जनता की चिंता नहीं, बल्कि अपने दामाद की फिक्र है। यदि कोई आम नागरिक कांग्रेस सरकार में ऐसा आवेदन करता है, तो लाइसेंस के लिए घूसखोरी होती और वर्षों इंतजार करना पड़ता, लेकिन दामाद जी के लिए कानून को ताक पर रखकर लाइसेंस दे दिया गया। खास बात ये है कि सरकारी अधिकारियों ने खुद फाइल पर आपत्ति दर्ज की थी, अधिकारी ने कहा था कि रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के पास न तो वित्तीय क्षमता है और न ही तकनीकी योग्यता। इसलिए उसे लाइसेंस नहीं मिलना चाहिए था।
श्री भाटिया ने कहा कि जिस जमीन को साढ़े सात करोड़ रुपये में खरीदा गया था, उसे लाइसेंस मिलने के तुरंत बाद एक बिल्डर को 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया, यानी कुछ ही महीनों में 50 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया गया, यह लगभग 700 प्रतिशत का लाभ है। जब एक अधिकारी ने इस लेनदेन पर सवाल उठाया और इसे गैरकानूनी बताया, तो उसके खिलाफ ही कार्रवाई कर दी गई। यह कहना गलत नहीं होगा कि यह ‘नकली गांधी’ परिवार एक परंपरागत भ्रष्ट और बेईमान खानदान है। रॉबर्ट वाड्रा, भूमि घोटाले में किसानों की जमीनें कब्जा करते हैं, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम नेशनल हेराल्ड घोटाले में आ रहा है, सोनिया गांधी का नाम वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले और नेशनल हेराल्ड मामले में है, राजीव गांधी का नाम बोफोर्स घोटाले में आया था। नकली गांधी परिवार ने यह तय कर लिया है कि जहां भी जाएंगे, वहां भारत और यहां की जनता और खासकर किसानों को लूटेंगे और उनकी जमीनें छीनेंगे। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इनसे कोई सवाल नहीं पूछता। एक समय था जब कांग्रेस के शासन में सीबीआई जैसी एजेंसी को ‘पिंजरे का तोता’ कहा जाता था। यह भाजपा ने नहीं बल्कि यह टिप्पणी स्वयं सर्वोच्च न्यायालय ने की थी, क्योंकि एजेंसी का रिमोट कंट्रोल गांधी परिवार के पास होता था।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री भाटिया ने कहा कि जब नकली गांधी परिवार से सवाल किए जाते हैं, तो वे इसे राजनीतिक द्वेष बताकर टालने की कोशिश करते हैं। लेकिन, जिन घोटालों का उल्लेख किया गया है, उनमें समय-समय पर रॉबर्ट वाड्रा, सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने अदालतों का दरवाजा खटखटाया है। अगर ये मामले वास्तव में राजनीतिक द्वेष से प्रेरित होता, तो निचली अदालतें और उच्चतम न्यायालय इन्हें खारिज कर सकते थे। सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ द्वारा दिए गए भजनलाल केस में यही व्यवस्था है। लेकिन इन मामलों में उन्हें कोई राहत नहीं मिली और केस खारिज नहीं हुए। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ भी भ्रष्टाचार से जुड़ी जांचें चल रही हैं। आज रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि उन्हें इसलिए परेशान किया जा रहा है क्योंकि वे ‘मास लीडर’ हैं। यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि कांग्रेसियों की नजर में, जो जन्मजात चाटुकार हैं, वो जरूर मास लीडर होंगे। लेकिन जनता और खासकर किसानों की नजर में वे एक भूमाफिया और गंभीर भ्रष्टाचार से जुड़े व्यक्ति हैं। इस सच्चाई को नकारा नहीं जा सकता।
श्री भाटिया ने कहा जब रॉबर्ट वाड्रा से गुणवत्ता से जुड़े सवाल पूछे गए, तो उनके पास उपलब्ध कराए गए ‘कुंजी’ में उस सवाल का जवाब नहीं था, जो ‘कुंजी’ उन्हें सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिली थी। उन्होंने बयान तो दिया, लेकिन जवाब देने से इनकार करते हुए रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि जांच चल रही है। तो फिर बयान क्यों दिया? सबसे चिंताजनक बात यह रही कि उन्होंने कहा, ‘समय बदलेगा, तो उन्हें भी भुगतना पड़ेगा।’ यह सीधे तौर पर जांच एजेंसियों को धमकी है, किसानों को धमकी है। ऐसा व्यवहार और सोच केवल ‘नकली’ गांधी परिवार का ही हो सकता है। यह मामले उस समय के हैं जब सोनिया गांधी यूपीए की चेयरपर्सन थीं, इस लिए उन्हें नैतिक आधार पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। राहुल गांधी आज नेता प्रतिपक्ष हैं, रॉबर्ट वाड्रा उनके जीजा हैं, तो उन्हें भी इन गंभीर सवालों के उत्तर देने होंगे। प्रियंका गांधी वाड्रा का भी कर्तव्य है कि वो चुप्पी न साधें और विशेषकर किसानों से जुड़े मुद्दों पर स्पष्ट जवाब दें।
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