
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद की प्रेस वार्ता के मुख्य बिंदु
कांग्रेस को धरना-प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन देश की संपत्तियों को लूटने और जमीनों को हड़पने का अधिकार नहीं। अगर क़ानून अपना काम कर रहा है तो कांग्रेस को क्या दिक्कत है?
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कानून को अपना काम करने देना चाहिए या नहीं? अगर आपने हजारों करोड़ की संपत्ति को षड्यंत्र करके गैरकानूनी तरीक़े से हड़प लिया है, तो क्या उस पर सवाल नहीं उठना चाहिए?
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क्या इसलिए कानून को अपना काम करने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि इस साजिश के लाभार्थी आप (सोनिया गांधी) और आपके पुत्र (राहुल गांधी) हैं, जिनकी YIL में 76% हिस्सेदारी हैं?
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नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज, जिसे आजादी के संघर्ष के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वालों की आवाज को मजबूती देने के लिए प्रकाशित किया गया था, उसे अंततः कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस परिवार के लिए धन उगाही का साधन बनाकर रख दिया गया
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कांग्रेस ने AJL की पूरी संपत्ति को एक परिवार के हाथों में सौपने के लिए कॉर्पोरेट षड्यंत्र और इसे निजी व्यापार में बदलते हुए अपना एटीएम बना लिया
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कारोबार करने में गांधी परिवार का कोई मुकाबला नहीं। केवल 50 लाख रुपये में 90 करोड़ रुपये के बकाया लोन को राइट ऑफ करा के हजारों करोड़ों रुपये की संपत्ति को अपने नाम करा लिया गया
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कांग्रेस एक राजनीतिक पार्टी है जिसे कई प्रकार की छूट मिलती हैं लेकिन राजनीतिक पार्टी किसी निजी संस्था को पार्टी का फंड नहीं दे सकती, यह पूरी तरह से गैर कानूनी है
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कांग्रेस ने बताया कि यंग इंडिया फाउंडेशन चैरिटी के लिए बनाया गया था, लेकिन आज तक उसके माध्यम से कौन कौन सी चैरिटी के काम हुए हैं, इसकी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है
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1937 में नेशनल हेराल्ड, नवजीवन और कौमी आवाज को शुरू किया गया था जिसमें 5 हजार शेयर होल्डर्स थे, यानी नेशलन हेराल्ड कभी नेहरू खानदान की जागीर नहीं रही
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कांग्रेस परिवार के एक सदस्य हरियाणा में 3 करोड़ की जमीन खरीद कर उसे 58 करोड़ में बेच देते हैं। यह कांग्रेस के गाँधी परिवार का मॉडल ऑफ डेवलपमेंट
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सरदार पटेल ने कई बार पत्र लिख कर पंडित नेहरू को आगाह किया था जिस तरह लोगों से इस अखबार के लिए पैसा लिए जा रहे हैं, वह ठीक नहीं है। यह चिंता का विषय है। इस विषय में सारी चिट्ठियां मौजूद हैं
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उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता ने भी कहा था कि यह अखबार देश की आवाज बनने के बदले नेहरू परिवार की आवाज़ बन गयी है
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भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ दायर ईडी चार्जशीट के विरोध में कांग्रेस के धरना-प्रदर्शन की जमकर आलोचना की। श्री प्रसाद ने कहा कि नेशलन हेराल्ड मामले में कानून अपना काम कर रही है, तो कांग्रेस धरना-प्रदर्शन क्यों कर रही है? जबकि, पिछले चार वर्षों से राहुल गांधी और सोनिया गांधी इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। नेशनल हेराल्ड घोटाले हो या अन्य, कारोबार करने में “गांधी परिवार” का कोई मुकाबला नहीं है। आजादी के आंदोलन में जो अखबार स्वतंत्रता सेनानियों की आवाज बनी थी, गांधी परिवार” ने उसे अपना निजी कारोबार बना दिया। भारतीय जानत पार्टी ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी सवाल पूछे कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जब कानून अपना कार्रवाई कर रही है, तो क्या उसे कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?
श्री प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस समय बहुत परेशान है और देशभर में धरना देने की बात कर रही है। धरना देना उनका अधिकार है, लेकिन उन्हें जमीन और फंड लूटने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस पार्टी को निश्चित रूप से विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें सार्वजनिक संपत्ति के दुरुपयोग करने का अधिकार नहीं है, जो सरकार द्वारा नेशनल हेराल्ड को दी गई थी। नेशनल हेराल्ड अख़बार की शुरुआत 1937 में हुई थी, जिसके 5000 शेयरधारक थे। देश की जनता को यह जानना जरुरी है कि उन शेयरधारकों (स्वतंत्रता सेनानियियों) ने इसके शेयर खरीदे थे, इसलिए नेशनल हेराल्ड कभी भी नेहरू परिवार की निजी संपत्ति कभी नहीं रही। स्वतंत्रता सेनानी और बाद में कांग्रेस के बड़े नेता, मुख्यमंत्री आदि सभी लोगों ने नेशनल हेराल्ड में सहयोग दिया था।
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री श्री प्रसाद ने कहा कि 2008 में नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन बंद हो गया, क्योंकि उसके प्रबंधक अखबार को चला नहीं पाया। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने नेशनल हेराल्ड को ऋण के रूप में 90 करोड़ रुपये दिए। यह रकम “असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड (AJL)” को दी गई थी, जो इसका प्रकाशन करता था। कांग्रेस एक राजनीतिक पार्टी है और एक राजनीतिक पार्टी होने के नाते उन्हें कई छूटें प्राप्त हैं, लेकिन वे पार्टी फंड किसी प्राइवेट संस्था को नहीं दे सकती है, यह पूरी तरह निषिद्ध है। उनके अनुसार यह एक घरेलू कंपनी थी। जब लोन वापस नहीं किया जा सका, तो एक बहुत ही दिलचस्प तरीके से एक कॉर्पोरेट साजिश रची गई, ताकि एजेएल की पूरी संपत्ति उनके नियंत्रण में आ जाए। इसके लिए यंग इंडिया नाम की एक कंपनी बनाई गई। जिसमें सोनिया गांधी जी के पास 38% और राहुल गांधी जी के पास 38% शेयर थे और बाकी शेयर मोतीलाल वोहरा, ऑस्कर फर्नांडेज जैसे अन्य लोगों के पास थे। यंग इंडिया कंपनी को 90 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर ट्रांसफर किए गए। यह हस्तांतरण अपने आप में कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन इसके बाद यंग इंडिया कंपनी को 'एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड' की सारी संपत्ति मिल गई, जिसमें सोनिया जी और राहुल जी के 76% शेयर थे। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की संपत्तियों में दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर संपत्ति, मुंबई में संपत्ति, लखनऊ, भोपाल, पटना में संपत्तियां शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत हजारों करोड़ रुपये में है। यह कहा गया था कि यंग इंडिया एक नॉन-प्रॉफिट संस्था थी, जिसे चैरिटी के उद्देश्य से बनाया गया था, लेकिन आज तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया है कि उसने कोई चैरिटेबल काम किया या नहीं। इसके बाद एक निजी शिकायत दर्ज होती है, फिर आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू हुई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस मामले की जांच शुरू किया।
श्री प्रसाद ने कहा कि ईडी ने कांग्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष मोतीलाल वोहरा से भी पूछताछ की थी, क्योंकि वह अकेले ऐसे व्यक्ति थे जो उस समय कंपनी के कर्मचारी थे। कांग्रेस नेता पवन बंसल से भी पूछताछ हुई। इसके अलावा सोनिया जी और राहुल गांधी से भी कई घंटों तक पूछताछ की गई। लेकिन अबतक कोई ठोस जवाब सामने नहीं आया। जब 90 करोड़ रुपये की बकाया रकम का हिसाब का सवाल उठा, तो बताया गया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को सिर्फ 50 लाख रुपये दिए गए और बाकी पूरा लोन माफ कर दिया गया। इस तरह के कारोबार करने में ‘गांधी परिवार’ का कोई मुकाबला नहीं है। 50 लाख रुपए में 90 करोड़ रुपये की ऋण माफ कर देना और हजारों करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक प्राप्त कर लेना। दूसरी ओर, इसी परिवार के एक अन्य सदस्य तीन करोड़ रुपये में हरियाणा में ज़मीन खरीदी, जिसे कमर्शियल यूज़ में बदल दिया गया और फिर उसे 58 करोड़ रुपये में बेच दिया गया। इसलिए कहा जाता है कि यह ‘गांधी मॉडल ऑफ डेवलपमेंट’ है। महात्मा गांधी नहीं, बल्कि यह गांधी परिवार का ‘डेवलपमेंट मॉडल’ है। और फिर ये लोग सवाल भी पूछते हैं। इस परिवार का भ्रष्टाचार वाला आचरण यही था कि शहरों में धोखाधड़ी करो, संपत्ति बनाओ। और ये सारी संपत्तियां सरकार द्वारा दी गई थी।
भाजपा के वरिष्ठ सांसद श्री प्रसाद ने कहा कि बाद में ईडी ने इस मामले को अपने हाथों में लिया और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत इसकी जांच की। ईडी ने अपनी रिपोर्ट सेक्शन 8 में कोर्ट में दाखिल की। जिसे प्राइवेट कंप्लेंट कहते हैं, वास्तव में वह कंप्लेंट एक तरह से चार्जशीट के समान होती है, क्योंकि आम तौर पर जब कंप्लेंट होती है तो फिर उसमें जांच होती है। लेकिन, ईडी ने इया मामले में जांच करके चार्जशीट फाइल की गई है। कोर्ट ने भी कहा है कि अब इस मामले की सुनवाई 25 अप्रैल को होगी। नेशनल हेराल्ड मामले में यही तो पूरी बात है, इसमें हाय-तौबा मचाने जैसी कौन सी बात है? खासबात यह है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ज़मानत पर हैं। उन्होंने पूरी कार्रवाई को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया, लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली। केवल इतनी छूट मिली कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित नहीं होना पड़ेगा। जो मामला चार साल से चल रहा है, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। लेकिन, उनके बड़े-बड़े वकील भी इस मामले को अजीब और बेबुनियाद बता रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामले में कानून अपना काम कर रही है और उसे करने दिया जाना चाहिए।
· क्या कानून को अपना काम करने देना चाहिए या नहीं?
· अगर आपने हजारों करोड़ रुपये की संपत्ति को गैरकानूनी तरीक़े से, षड्यंत्र करके कब्जा कर लिया है, तो क्या उस पर कोई सवाल नहीं उठना चाहिए?
· अगर एक ऐसा स्पष्ट मामला हो, जिसमें देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रमुख स्थानों पर स्थित हजारों करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्ति का दुरुपयोग हुआ हो, तो क्या तब भी कानून को अपन काम करने नहीं दिया जाएगा?
· क्या इसलिए कानून को अपना काम करने नहीं दिया जाएगा, क्योंकि इस साजिश के लाभार्थी आप (सोनिया गांधी) और आपके पुत्र (राहुल गांधी) हैं, जिनका एजेएल में 76% हिस्सेदारी हैं?
श्री प्रसाद ने कहा कि आज देश में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलेरेंस रखती है, जिसमें कानून अपना काम करेगा और करने दिया जाएगा। श्री प्रसाद ने कहा कि वैसे ‘नेशनल हेराल्ड’ की कहानी बहुत दिलचस्प है। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने कहा था कि जिन लोगों से चंदा लिए जा रहें हैं, वह तरीका ठीक नहीं है और चिंता का विषय है। श्री प्रसाद ने कहा कि ये लोग प्रामाणिक कांग्रेसी नेता थे, और उस समय की सारी चिट्ठियां हमारे पास हैं। नेहरू और सरदार पटेल ने क्या कहा था, वो सब दस्तावेजों में लिखा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चंद्रभानु गुप्ता ने इस अखबार के लिए बहुत सारे पैसे जुटाए थे। उन्होंने कहा था कि यह अखबार देश की आवाज बनने के लिए था, लेकिन इसे नेहरू और उनके परिवार की आवाज बना दिया गया। कांग्रेस के कई नेता भी रिकॉर्ड पर यह बातें कह चुके हैं। सरदार पटेल के नेहरू को लिखे पत्र और चंद्रभानु गुप्ता की आत्मकथा में इस अखबार के अतीत और वर्तमान दर्ज है। आज देश में इतनी मीडिया है, इतने सारे अखबार प्रकाशित हो रहे हैं, इतने न्यूज चैनल चल रहे हैं, फिर भी जिस अखबार के पीछे कांग्रेस पार्टी और उसकी सरकारों का पूरा समर्थन था, वो क्यों नहीं चल पाया? इस सवाल का उत्तर यही समझ में आता है कि यह अखबार चलाने के लिए नहीं था। इसका उद्देश्य था विज्ञापन बटोरना और सरकार से संपत्ति लेकर बड़ी-बड़ी इमारते खड़ी करना। स्वतंत्रता के बाद वह एक अखबार नहीं, बल्कि एक ऐसा माध्यम था जिससे विज्ञापन बटोरा जाएं और सरकारी मदद से संपत्तियां हासिल की जाएं। यंग इंडिया को जब ट्रांसफर किया गया, तब भी उसे 25–26 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह समाचार पत्र, जिसे आजादी के संघर्ष के दौरान ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वालों की आवाज को मजबूती देने के लिए प्रकाशित किया गया था, वह अंततः कांग्रेस पार्टी के लिए धन उगाही का साधन बनकर रह गया। भारतीय जनता पार्टी इसकी कड़ी निंदा कराती है। कांग्रेस पार्टी की प्रतिक्रिया और ईडी को धमकाने जैसी बात करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह देश के कानूनी प्रक्रिया का सीधा उल्लंघन है।
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